पुरुष बांझपन का इलाज समस्या के कारण पर निर्भर करता है। पुरुष बांझपन के इलाज को मोटे तौर पर 3 प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
- पुरुष बांझपन के लिए बिना ऑपरेशन के इलाज
- पुरुष बांझपन के लिए ऑपरेशन
- पुरुष बांझपन के अज्ञात कारणों का इलाज
यदि पुरुष निम्नलिखित में से किसी भी स्थिति से पीड़ित है, तो पुरुष बांझपन के लिए बिना ऑपरेशन के इलाज का सुझाव दिया जाता है।
स्खलन (Anejaculation)
स्खलन तब होता है जब वीर्य नहीं निकलता है। यह सामान्य स्थिति नहीं है, लेकिन इसके पीछे का कारण नीचे बताया गया है –
- रीढ़ की हड्डी में चोट
- पहले का कोई ऑपरेशन
- मधुमेह (Diabetes)
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस
- जन्म के समय मौजूद कुछ असामान्यताएं
- अन्य मानसिक, भावनात्मक या अज्ञात समस्याएं
इस स्थिति के इलाज के लिए अक्सर दवाएं भी दी जाती है।
जन्मजात अधिवृक्क हाइपरप्लासिया (CAH)
CAH पुरुष बांझपन का एक दुर्लभ कारण है। यह समस्या पुरुष को बच्चपन से परेशान करती है। यह समस्या हार्मोन में असामान्य उत्पादन के कारण होता है। CAH का इलाज हार्मोन रिप्लेसमेंट के साथ किया जा सकता है।
प्रतिगामी स्खलन (रेट्रोग्रेड इजैक्युलेशन)
प्रतिगामी स्खलन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें वीर्य लिंग से बाहर जाने के बजाय वापस अंदर आ जाता है। इस समस्या के उत्पन्न होने का कारण नीचे बताया गया है –
- प्रोस्टेट या मूत्राशय की सर्जरी
- मधुमेह (Diabetes)
- रीढ़ की हड्डी में चोट
- अवसाद से बचने की दवा
- उच्चरक्तचापरोधी दवाएं
- प्रोस्टेट में वृद्धि (बीपीएच) के इलाज में प्रयोग होने वाली दवाएं
प्रतिगामी स्खलन का इलाज दवाओं से किया जा सकता है।
ऑपरेशन
निम्नलिखित स्थितियों के कारण पुरुष बांझपन के लिए सर्जिकल उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है।
- वैरीकोसेल उपचार: वैरीकोसेल एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अंडकोष की नसें बढ़ जाती हैं। वैरिकोसेलेक्टॉमी नामक ऑपरेशन इस स्थिति का इलाज कर सकता है। इन सूजी हुई नसों को ठीक करने से शुक्राणु की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है। यदि आप वैरीकोसेल के कारण बांझपन की समस्या से पीड़ित हैं, तो आप हमारे वैस्कुलर विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं।
- अशुक्राणुता उपचार (Azoospermia treatment): यदि आपके वीर्य में किसी अवरोध के कारण शुक्राणु (अशुक्राणुता) की कमी है, तो कई ऑपरेशन के विकल्प हैं। शुक्राणु को पुनः प्राप्त करने के लिए TESA, PESA, MESA जैसी प्रक्रिया का प्रयोग किया जा सकता है।
- माइक्रोसर्जिकल वासोवासोस्टोमी: वासोवासोस्टॉमी का उपयोग पुरुष नसबंदी को पूर्ववत करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्रत्येक अंडकोष में मौजूद एक तत्व को कटे हुए 2 भाग को जोड़ने के लिए माइक्रोसर्जरी का उपयोग किया जाता है।
- स्खलन वाहिनी (TURED) का ट्रांसयूरेथ्रल रिसेक्शन: स्खलन वाहिनी की रुकावट का इलाज ऑपरेशन के द्वारा संभव है। ऑपरेशन के दौरान, एक सिस्टोस्कोप नाम के उपकरण को मूत्रमार्ग में डाला जाता है और स्खलन वाहिनी में एक छोटा चीरा लगाया जाता है। इसके बाद, डॉक्टर स्खलन वाहिनी की रुकावट को सफलतापूर्वक खोल देते हैं।
पुरुष बांझपन के अज्ञात कारणों का इलाज
पुरुष बांझपन के अधिकांश मामलों का निदान और उपचार किया जा सकता है, लेकिन कुछ स्थिति ऐसी है, जिनका निदान करना आसान नहीं होता है। उन स्थिति में बांझपन के सटीक कारण का पता लगाना एक मुश्किल कार्य साबित हो सकता है। ऐसे मामलों में जहां कारण स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं होते हैं, या जहां कोई भी इलाज काम नहीं आता है, तो प्रजनन विशेषज्ञ कुछ सहायक प्रजनन तकनीक का सुझाव देते हैं।
सहायक प्रजनन तकनीक
यदि अन्य सभी बांझपन के इलाज प्रभावी परिणाम देने में विफल रहते हैं, तो डॉक्टर कुछ अन्य इलाज का सुझाव दे सकते हैं जैसे –
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ): यह सबसे भरोसेमंद और आम प्रक्रिया है, जिसमें अंडों को गर्भ के बाहर निषेचित किया जाता है। सफल परिणाम के लिए फर्टिलिटी विशेषज्ञ कुछ परीक्षण का सुझाव भी दे सकते हैं।
अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI): आईयीआई या अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान एक प्रजनन इलाज है, जहां शुक्राणु को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है। आईयूआई गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाता है, क्योंकि स्वस्थ शुक्राणुओं की एक बड़ी मात्रा को महिला साथी के अंदर अंडे के बहुत करीब इंजेक्ट किया जाता है।
इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई): आईसीएसआई आईवीएफ का एक प्रकार है। आमतौर पर इस इलाज का सुझाव तब दिया जाता है, जब आईवीएफ सफल नहीं हो पाता है। इस प्रक्रिया में शुक्राणु को एक छोटी सी सुई से अंडे में इंजेक्ट किया जाता है। एक बार अंडों का निषेचन हो जाने के बाद, महिला साथी के गर्भाशय में डाल देते हैं।
एआरटी के लिए स्पर्म रिट्रीवल: यह एक माइक्रोसर्जिकल तरीका है, जिससे वीर्य को रोकने वाले कारक का इलाज होता है। इस इलाज का लक्ष्य सर्वोत्तम गुणवत्ता और कोशिकाओं की संख्या प्राप्त करना है। इस प्रक्रिया को इस प्रकार किया जाता है, जिससे पुरुष के प्रजनन तंत्र को किसी भी प्रकार को नुकसान न हो। नीचे बताए गए तरीकों का इस विधि में प्रयोग होता है।
- पर्क्यूटेनियस एपिडीडिमल स्पर्म एस्पिरेशन (पीईएसए)
- माइक्रोसर्जिकल एपिडीडिमल स्पर्म एस्पिरेशन (MESA)