प्रेगनेंसी एक बहुत ही खूबसूरत पल है जो आपके जीवन खुशियों से भर देता है। प्रेगनेंसी की खुशी आपको सबसे ज्यादा होती है जब आप पहली बार मां बनने का सुख प्राप्त करने वाली होती हैं। यह सुख ऐसा जिसे हर एक महिला अपने जीवन में कम से कम एक बार अनुभव करना चाहती है। प्रेगनेंसी की स्थिति में आप नौ महीनों तक अपने शिशु को गर्भ में पालती हैं। प्रेगनेंसी की खबर मिलते ही आपके शरीर और जीवन दोनों में अचानक से बदलाव आने शुरू हो जाते हैं।
आमतौर पर प्रेगनेंसी का अंदाजा इसके लक्षणों को देखकर लगाया जाता है। आप जैसे ही गर्भ धारण यानी की कंसीव (Conceive) करती हैं आपके अंदर हार्मोनल असंतुलन और बदलाव शुरू हो जाते हैं जिन्हे देखकर आप इस बात का अंदाजा लगाती हैं की आप प्रेग्नेंट हो गयी हैं। बाकी इस बात की पुष्टि डॉक्टर कुछ चेकअप करने के बाद कर देते हैं की आप गर्भवती हैं और जल्द ही मां बनने का सुख प्राप्त करेंगी।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में आपके अंदर कुछ बदलाव होते हैं जो केवल आप ही महसूस कर सकती हैं। लेकिन प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में Pregnancy Ka 2nd Month in Hindi आपके अंदर ढेरों लक्षण दिखाई देने लगते हैं और इसी दौरान आपके गर्भ में भ्रूण का विकास भी शुरू हो जाता है। इसलिए प्रेगनेंसी का दूसरा महीना आपके लिए बहुत ही खास होता है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में आपको अपनी लाइफस्टाइल, खान पान, शरीर में हो रहे बदलाव, भ्रूण में हो रहे विकास और इन सबसे जुड़ी कुछ सावधानियों पर भी खास ध्यान देने की जरूरत होती है। आज इस ब्लॉग में हम उन सभी चीजों के बारे में विस्तार से जानेंगे जो किसी न किसी तरह से आपकी प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में बहुत फायदेमंद होते हैं।
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प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के लक्षण
मॉर्निंग सिकनेस होना
अगर आप दो महीने की प्रेग्नेंट हैं तो आप से आपके परिवार या दोस्त में किसी न किसी ने जरूर इस बारे में जिक्र किया होगा। खैर, आपको इससे डरने की जरूरत नहीं है। यह प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में होने वाला एक सामान्य लक्षण है जिससे हर प्रेग्नेंट महिला को गुजरना पड़ता है। मॉर्निंग सिकनेस एक समस्या है जो आपके शरीर में हारमोन में असंतुलन होने के कारण सामने प्रकट होती है। Pregnancy Ka 2nd Month in Hindi इसकी स्थिति में आपको रोज सुबह के समय मतली और उलटी जैसा महसूस करते हैं। कभी कभी यह समस्या पूरे दिन भी आपके साथ रह सकती है।
कभी आप पर इसका प्रभाव कम तो कभी ज्यादा हो सकता है। लेकिन किसी भी तरह से इसका गलत प्रभाव आप या आपके शिशु पर नहीं पड़ता है। 5 Week Pregnancy Symptoms in Hindi हालांकि यह भी सच है कभी कभी आपको लगातार मतली और उलटी महसूस हो सकती है जिसकी वजह से आप कुछ समय के लिए असहज (Uncomfortable) हो सकती हैं और साथ ही कमजोरी और थकावट की समस्या भी आ सकती है।
अचानक से मूड बदलना
गर्भ धारण करते ही आपके शरीर में मौजूद हार्मोन में उथल पुथल मच जाती है। कभी किसी हारमोन का लेवल बढ़ता है तो कभी किसी हारमोन का लेवल घटता है। ऐसा होने से 5 Week Pregnancy Symptoms in Hindi आपके मस्तिष्क पर असर पड़ता है जिसके कारण आपके मूड में अचानक से बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। आप बहुत ही सेंसटिव हो जाती हैं। आप किसी भी बात पर खुश हो सकती हैं और किसी भी छोटी से छोटी बात पर दुखी हो सकती हैं। कभी कभी आप बच्चों की तरह व्यवहार करने लगती हैं तो कभी आप जिद्दी भी हो सकती हैं।
अपने हाव भाव में बदलाव देखकर आपको भी थोड़े समय के लिए इस बात की चिंता हो सकती है की आप आखिर ऐसा बर्ताव क्यों कर रही हैं। लेकिन हमारी बात मानिए, ये सब आम बात है। प्रेगनेंसी के चार से आठ सप्ताह के दौरान आने दूसरे सभी सामान्य लक्षणों में एक लक्षण आपका मूड बदलना भी है। 5 Week Pregnancy Symptoms in Hindi आपको इससे जरा भी घबराने की जरूरत नहीं है, यह बिलकुल नेचुरल है। आपको बस अपनी भावनाओं और खान पान पर ध्यान देने की जरूरत है बाकी ये लक्षण कुछ समय के बाद अपने आप ही खत्म हो जाता है। ज्यादा परेशानी होने पर आप तुरंत डॉक्टर से मिलकर उन्हें अपनी समस्या के बारे में बता सकती हैं।
स्तनों का आकार बढ़ना
प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। लेकिन ये सभी बदलाव अंतत आपको एक बेहतर मां बनने के लिए तैयार करते हैं। प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के लक्षणों में एक लक्षण आपके स्तनों का आकार बढ़ना भी है। यह आपके शरीर में Pregnancy Ka 2nd Month in Hindi एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में असंतुलन होने के कारण होता है।
इसी समय आपके स्तन टाइट और आपके निप्पल का रंग पहले से गाढ़ा हो जाता है। अपने स्तनों को छूने पर आपको दर्द और संवेदनशीलता भी महसूस हो सकती है। लेकिन आपको बस इतना ध्यान रखना है की आप अपने शरीर में जो भी बदलाव अनुभव करती हैं वे सभी प्रेगनेंसी का हिस्सा हैं। 5th Week Pregnancy Symptoms in Hindi प्रेगनेंसी के लक्षण से ज्यादा तकलीफ या फिर उनके कारण किसी तरह की कोई दूसरी परेशानी हो तो आप स्त्री-रोग विशेषज्ञ से मिलकर अपने परेशानियों का निवारण प्राप्त कर सकती हैं।
इन सब के अलावा भी बहुत सारे सामान्य लक्षण हैं जो प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के दौरान सामने आते हैं। 5th Week Pregnancy Symptoms in Hindi इसमें तरह तरह की चीजों को खाने की इच्छा होना, बार बार पिशाब लगना, कमजोरी होना, थकान होना, गैस और कब्ज होना, पेट खराब होना, पाचन क्रिया धीमी होना, कम भूख लगना, शरीर में दर्द और ऐंठन होना, चक्कर आना, पेट, पैरों और नसों में सूजन आना और सीने में जलन होना आदि शामिल है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने की डाइट
हेल्दी खाना और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन हर इंसान के लिए जरूरी है। हम जो भी खाते हैं वो अंतत हमारे स्वास्थ्य का निर्णय लेते हैं इसलिए अगर हम फिट रहना चाहते हैं तो सबसे पहले हेल्दी फूड्स और जरूरत मुताबिक पानी का सेवन करना होगा। अगर आम इंसान के लिए हेल्दी खाना और पर्याप्त मात्रा में पानी इतना जरूरी है तो आप इस बात का अंदाजा लगा सकती हैं की एक दो महीने की प्रेग्नेंट महिला के लिए हेल्दी खान पान कितना जरूरी है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में आप खुद को तीसरे और चौथे महीने के लिए तैयार करती हैं क्योंकि आपके गर्भ में पल रहे भ्रूण का तीसरे और चौथे महीने में बहुत तेजी से विकास होता है। 5 Week Pregnancy Symptoms in Hindi आपका खान पान आपके साथ साथ आपके शिशु के हेल्थ का भी फैसला करते हैं इसलिए यह जरूरी है की आप उन सभी चीजों को खाएं जो आप दोनों के लिए फायदेमंद हैं और उन सभी चीजों से दूर रहें जो नुकसानदायक हैं। नीचे हम उन चीजों के बारे में बात कर रहे हैं जिनका आपको सेवन करना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा फाइबर का सेवन करने की कोशिश करें क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान ये आपको गैस या कब्ज की समस्या से बचने में मदद करता है।
- आयरन को अपनी डाइट में शामिल करें क्योंकि ये आपके शिशु के विकास में बहुत मददगार साबित होता है।
- प्रोटीन से भरपूर पदार्थों का सेवन बहुत जरूरी है।
- अपने खान पान में कैल्शियम को प्रचुर मात्रा में शामिल करनी चाहिए। (और पढ़े: प्रेगनेंसी में क्या खाएं और किस से करें परहेज )
- फोलिक एसिड प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने में काफी फायदेमंद होता है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में शरीर में होने वाले बदलाव
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में आपके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। लेकिन आपको इन सब से डरने या घबराने जरूरत नहीं है बल्कि इन्हे अच्छे से समझने और इनसे उत्पन्न होने वाली परेशानियों को डाइट में बदलाव लाकर दूर करनी है। नीचे दिए हुए निम्निलिखित बदलाव आप प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के दौरान अपने आप में महसूस कर सकती हैं।
- सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
- आपका वजन पहले से थोड़ा बढ़ जाता है।
- आपको कुछ गंध से एलर्जी भी हो सकती है।
- आपकी नाक पहले से ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है।
- हर समय कुछ न कुछ खाने पीने का मन करता है।
- कभी कभी आपकी योनि से हल्का खून निकलता है।
- इस दौरान आपके गर्भाशय का आकार बढ़ना शुरू हो जाता है।
- आपकी वजाइना यानी की योनि में खुजली और दर्द हो सकता है।
- गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण बार बार पिशाब करने की समस्या हो सकती है।
ये सभी सामान्य बदलाव हैं जो प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में आप अपने अंदर महसूस कर सकती हैं। कुछ को छोड़कर 5th Week Pregnancy Symptoms in Hindi लगभग सभी लक्षण कुछ समय के बाद खत्म हो जाते हैं। शरीर में बदलाव के साथ अगर आप किसी तरह की बड़ी परेशानी महसूस करें तो डॉक्टर से तुरंत मिलकर उसकी जांच करवानी चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी चीज को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में शिशु का विकास
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में शिशु के शरीर का विकास शुरू हो जाता है और वह कई चीजों को महसूस करना भी शुरू कर देता है। 5th Week Pregnancy Symptoms in Hindi इस दौरान आपको अपनी दिनचर्या पर स्पेशल ध्यान देने की जरूरत होती है। शिशु में हो रहे बदलाव को आप अपने अंदर महसूस कर सकती है। तो आइए देखते हैं प्रेगनेंसी के 12 से 16 सप्ताह के दौरान शिशु में क्या शारीरिक बदलाव आते हैं।
- हड्डियां बननी शुरू हो जाती हैं।
- शिशु का वजन बढ़ना शुरू हो जाता है।
- शिशु के दोनों कान बनने शुरू हो जाते हैं।
- आहार नालिका का विकास शुरू हो जाता है।
- शिशु हल्का फूलका महसूस करना शुरू कर देता है।
- दोनों हाथ, पैर और उनकी उंगलियां बननी शुरू हो जाती हैं।
- स्पाइनल कॉर्ड और दिमाग बनाने वाली न्यूरल ट्यूब बन जाती है।
- शिशु का सिर, आंखें और नाक धीरे धीरे दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।
- इस महीने के अंत तक शिशु का आकार लगभग 1.5 सेंटीमीटर हो जाता है।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|