बच्चों में जन्म के बाद से ही 8 से 9 वर्ष तक दृष्टि में निरंतरता के साथ परिवर्तन होते रहते हैं। इस परिवर्तन में आंख का आकार और उनकी कार्यक्षमता शामिल है। इस कार्यक्षमता में आपका मस्तिष्क एक अहम भूमिका निभाता है।
इस प्रगति या परिवर्तन के चरण में किसी भी प्रकार की बाधा के कारण मंददृष्टि या अन्य संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं। पहले के समय में मंददृष्टि का कोई भी इलाज नहीं था, लेकिन हाल फिलहाल में इसका इलाज मिल गया है, जिसके कारण बच्चों की आंख की दृष्टि में सुधार हुआ है।
बच्चों को सबसे ज्यादा परेशान करने वाले नेत्र रोग और उनके कारण
वर्तमान समय में चिकित्सा क्षेत्र में तकनीक बहुत ज्यादा आधुनिक हो गई है, लेकिन आज भी कुछ ऐसी बीमारियां है जो बच्चों को अपने शिकंजे में ले रही है या फिर कुछ ऐसी चीजें बच्चों के जीवन में आ गई है, जिसके कारण उन्हें आंख की समस्या का सामना करना पड़ रहा है जैसे –
- चश्मे का नंबर बढ़ना – तकनीकी भाषा में इसे रिफ्रैक्टिव एरर (Refractive error) कहा जाता है। अभी भी आप अपने आस पास देख सकते हैं कि छोटे छोटे बच्चे चश्मा लगाने लग गए हैं। इस स्थिति का कोई विशेष कारण नहीं है। लेकिन इस स्थिति का इलाज समय पर नहीं होता है तो भविष्य में यह स्थिति एक विकराल रूप ले सकती है।
- ऑनलाइन कक्षाएं – कोविड महामारी के बाद हर व्यक्ति का जीवन बदल गया है और यह बदलाव आप शिक्षा विभाग में भी देख सकते हैं। धीरे धीरे ज्यादातर कक्षाएं ऑनलाइन हो गई हैं, जिसके कारण बच्चे फोन और टैबलेट पर ज्यादा समय व्यतीत करने लगे हैं। द हिंदू एक अंग्रेजी अखबार है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि कोविड 19 के बाद लगातार फोन और टैबलेट के प्रयोग के कारण बच्चों में आंख की समस्या एक आम समस्या हो गई है। मायोपिया उन सभी रोगों में सबसे ज्यादा सामान्य रोग है।
- आंख का इन्फेक्शन – आंख के संक्रमण को एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस भी कहते हैं। यह समस्या बच्चों में एक आम समस्या है, जिसके लक्षण आंख में जलन, खुजली, आंख लाल होना या सूजन है। लगातार आंख से पानी आना भी इस समस्या का एक महत्वपूर्ण लक्षण है। ऐसे किसी भी लक्षण के दिखने पर जल्द से जल्द नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। वह आपको कुछ दवाओं का सुझाव दे सकते हैं, जिससे आपके बच्चे की आंख की स्थिति बेहतर हो जाएगी।
- मंद दृष्टि – इस स्थिति को अंग्रेजी में लेजी आइस के नाम से भी जाना जाता है। मंद दृष्टि का अर्थ है किसी एक आंख से दूसरी आंख की तुलना में कम दिखाई देना। ऐसे बहुत से कारण हैं, जिससे आपके बच्चे को इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस रोग के मुख्य कारणों की सूची में जन्मजात मोतियाबिंद या स्क्विंट (भेंगापन) है।
इन 5 उपायों से होगा आपके बच्चे की आंख का स्वास्थ्य बेहतर
यदि आप नीचे बताए गए उपायों का पालन करते हैं और समय समय पर अपने बच्चे के नेत्रों की जांच कराते हैं, तो आप संभावित जोखिम और जटिलताओं से अपने बच्चे को बचा सकते हैं –
- एक अच्छी बैलेंस्ड डाइट: संतुलित आहार हर प्रकार के रोग से लड़ने में आपकी सहायता करता है। आपके आहार में फल, सब्जियां, बादाम, और मछली का होना जरूरी है। यदि आप शाकाहारी हैं, तो शरीर में विटामिन सी, विटामिन ई, जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड और लुटेन को अपने और अपने बच्चे के आहार में जोड़ सकते हैं। यह सभी चीजें आपके बच्चे के आंख के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। सामान्य तौर पर भी हर व्यक्ति को इसका सेवन करना चाहिए।
- नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम आपके बच्चे के शरीर में रक्त के संचार को बनाए रखने में मदद करता है। रक्त संचार को सुदृढ़ करने और स्वस्थ आंख के लिए अनुलोम विलोम को अपनी दिनचर्या में जरूर जोड़ें। कुछ अन्य व्यायाम भी होते हैं, जिनसे आपको बहुत सहायता मिल सकती है, जैसे – किसी खिलौने को 6 से 8 फीट की दूरी पर रखें और बच्चे को उसे देखने के लिए कहें।
- कम करें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का प्रयोग: इस आधुनिक समय में हर चीज अब ऑनलाइन हो गई है। अब पूरा विश्व एक डिजिटल ग्लोब बनता जा रहा है, जो कि एक अच्छी बात है, लेकिन इसके कारण बच्चों में आंख की रोशनी कम होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यह एक चिंता का विषय है। इस संबंध में आपको अपने बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करना होगा अर्थात उन्हें लैपटॉप, फोन या टैबलेट से दूरी बनानी होगी या फिर इसका प्रयोग कम करना होगा। प्रयास करें कि आपका बच्चा बाहर जाकर खेले, जिससे वह इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का प्रयोग अपने आप कम कर देगा।
- 20-20-20 नियम का पालन करें: किसी भी कारणवश यदि आप बच्चे के स्क्रीन टाइम को कम नहीं कर पा रहे हैं, तो आप 20-20-20 नियम का पालन कर सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि यदि आपका बच्चा लगातार फोन या स्क्रीन का प्रयोग करता है, तो उसे बीच बीच में कम से कम 20 मिनट का ब्रेक दें। इससे उनकी आंखों को आराम मिलेगा।
- आंखों की नियमित जांच कराएं: आंखों की नियमित जांच से आपको बहुत लाभ मिलेगा। इससे आप उनकी आंख में किसी भी समस्या की संभावना का पहले से ही पता लगाने में सक्षम हो पाएंगे और समय रहते इसका इलाज करवा पाएंगे।
जोखिम और जटिलताएं
यदि स्थिति का निदान और इलाज समय पर नहीं हुआ, तो आगे चल कर यह बच्चों के लिए बहुत मुश्किलें खड़ी कर सकता है। कुछ मामलों में आगे चलकर लेसिक प्रक्रिया की सहायता लेनी पड़ सकती है। यदि आप बच्चों में कमजोर रोशनी की स्थिति को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो इसके परिणाम बहुत ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।
इस पूरे लेख का सारांश यह है कि आंख से जुड़ी समस्या को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह बात हर व्यक्ति के लिए लागू होती है और आंख में किसी भी प्रकार की समस्या नजर आने पर तुरंत अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
प्रिस्टीन केयर में सर्वश्रेष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं, जिनकी मदद से आप नेत्र संबंधित किसी भी समस्या का इलाज करवा सकते हैं।