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आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी क्या है — Arthroscopy In Hindi
इंसान के शरीर में अनेको जोड़ (Joints) होते हैं। उम्र बढ़ने, खेलने, कूदने, दौड़ने या गिरने के कारण अक्सर शरीर के कुछ खास जोड़ें जैसे कि कंधे, कूल्हे, कलाई, कोहनी और घुटने आदि में चोट आ जाती है। हल्का-फुल्का चोट होने पर इसका इलाज दवाओं, गरम पट्टी या मरहम की मदद से किया जाता है, लेकिन जब इन जोड़ों में गंभीर समस्या होती है तो सर्जरी का चयन किया जाता है।
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आगे पढ़ें:- आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी में कितना खर्च आता है?
जोड़ों का इलाज करने के लिए जिस सर्जरी का उपयोग किया जाता है उसे मेडिकल की भाषा में आर्थ्रोस्कोपी (arthroscopy in hindi) कहा जाता है। आमतौर पर आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी का इस्तेमाल हिप रिप्लेसमेंट और नी रिप्लेसमेंट के लिए किया जाता है।
आर्थ्रोस्कोपी क्या है — Arthroscopy Meaning In Hindi
आर्थ्रोस्कोपी या आर्थ्रोस्कॉपी (Arthroscopy Meaning In Hindi) एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसकी मदद से शरीर के जोड़ों से संबंधित समस्याओं का पता लगाकर उनका इलाज किया जाता है। आमतौर पर यह सर्जरी कंधे, कूल्हे, कलाई, कोहनी और घुटने आदि के जोड़ों पर की जाती है। आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी को एक अनुभवी और कुशल ऑर्थोपेडिक सर्जन के द्वारा पूरा किया जाता है।
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आर्थ्रोस्कोपी प्रक्रिया के दौरान सर्जन आर्थ्रोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं जिसके सामने वाले सिरे पर एक कैमरा और लाइट लगा होता है। इस उपकरण की मदद से सर्जन प्रभावित जोड़ों के अंदरूनी हिस्सों को कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते हैं। आर्थ्रोस्कोप एक मेडिकल इंस्ट्रूमेंट है जो पेन्सिल के आकार का होता है।
आर्थ्रोस्कोप को मरीज के शरीर के उस हिस्से में डाला जाता है जिसका जांच और इलाज करना होता है। इस प्रक्रिया के दौरान, आर्थ्रोस्कोप के साथ-साथ दूसरे अन्य उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनकी मदद से जोड़ों के प्रभावित हिस्से को काटकर निकाला या उसका इलाज किया जाता है।
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आर्थ्रोस्कोपी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले सभी उपकरण बहुत ही छोटे आकार के होते हैं। इन्हें मरीज के शरीर में डालने के लिए बहुत ही छोटा कट लगाया जाता है।
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आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी क्यों की जाती है — Why Is Arthroscopy Surgery Done In Hindi
आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी को निम्नलिखित कारणों से किया जाता है।
- जोड़ों में दर्द होना
- जोड़ों में अकड़न होना
- कार्पल टनल सिंड्रोम होना
- फ्रोजन शोल्डर की समस्या होना
- जोड़ों में अधिक द्रव का जमा होना
- एक या अधिक जोड़ों में सूजन होना
- जोड़ों में मौजूद कार्टिलेज का क्षतिग्रस्त होना
- कंधे की हड्डी बार-बार अपनी जगह से हट जाना
- टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर की शिकायत होना
- टेंडन और मांसपेशियों के समूह का क्षतिग्रस्त होना
- एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट में चोट आना या टूटना
- घुटने की ऊपरी हड्डी के पीछे कार्टिलेज का खराब होना
- कंधे के आसपास की मांसपेशियों में चोट आना और दर्द होना
- घुटने, कोहनी, कंधे, टखने या दूसरे जोड़ों में तेज दर्द, सूजन और लालिमा होना
इतना ही नहीं, अगर चोट के कारण शरीर के किसी जोड़ को नुकसान हुआ है तो उसकी जांच करने के लिए भी इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा सकता है।
आर्थ्रोस्कोपी कैसे की जाती है — How Is Arthroscopy Done In Hindi
आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी को तीन भागों में बांटा जा सकता है। जब मरीज पूरी तरह से सर्जरी के लिए तैयार हो जाते हैं तो उन्हें डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर में ले जाते हैं। फिर इस बात का फैसला किया जाता है कि मरीज को किस प्रकार का एनेस्थीसिया देना है।
एनेस्थीसिया देना
मरीज को किस प्रकार का एनेस्थीसिया देना है, यह पूर्ण रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर के किस हिस्से की सर्जरी करनी है। आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी शुरू करने से पहले सर्जन मरीज को एनेस्थीसिया देते हैं। सर्जन नीचे दिए गए तीन में से किसी एक एनेस्थीसिया का चयन करते हैं।
(a) जनरल एनेस्थीसिया
जनरल एनेस्थीसिया देने के बाद मरीज बेहोश हो जाते हैं, जिसके कारण मरीज को सर्जरी की प्रक्रिया के दौरान कुछ भी महसूस नहीं होता है।
(b) स्पाइन एनेस्थीसिया
शरीर के निचले हिस्से को सुन्न करने के लिए रीढ़ की हड्डी में स्पाइन एनेस्थीसिया दिया जाता है। आमतौर पर यह एनेस्थीसिया तब दिया जाता है जब कुल्हा, घुटना या कमर के निचले हिस्से में सर्जरी करनी होती है।
(c) लोकल एनेस्थीसिया
लोकल एनेस्थीसिया से शरीर के उस हिस्से को सुन्न कर दिया जाता है जहां सर्जरी करनी होती है। लोकल एनेस्थीसिया के बाद भी मरीज को हल्का-फुल्का दर्द महसूस हो सकता है।
कट लगाना और जांच एवं इलाज करना
एनेस्थीसिया देने के बाद, सर्जन सर्जरी की जाने वाले हिस्से की त्वचा को एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन से साफ करते हैं। उसके बाद, उस स्थान पर एक छोटा सा कट लगाते हैं, जिसके जरिए आर्थ्रोस्कोप को अंदर डाला जाता है। कुछ मामलों में सर्जन जोड़ के हिस्से में स्टेरॉयड सॉल्यूशन डाल देते हैं ताकि वह उस जोड़ के अंदरूनी भागों को साफ-साफ देख सकें। (इसे पढ़ें:- नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के या फायदे हैं?)
आर्थ्रोस्कोप के सामने वाले छोर पर एक छोटा सा कैमरा और लाइट लगा होता है, जिसकी मदद से सर्जन अंदरूनी हिस्सों को कंप्यूटर स्क्रीन पर स्पष्ट रूप से देखते और उनकी जांच करते हैं। अगर इस प्रक्रिया के दौरान किसी जोड़ का इलाज करना है तो फिर कई छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं, जिनके जरिए अलग-अलग उपकरणों को अंदर डाला जाता है।
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आर्थ्रोस्कोप और दूसरे उपकरणों की मदद से प्रभावित जोड़ को ठीक किया जाता है और जरूरत पड़ने पर उसे बाहर भी निकाला जा सकता है। प्रभावित जोड़ का इलाज करने के बाद, सर्जन आर्थ्रोस्कोप और दूसरे उपकरणों को बाहर निकाल लेते हैं।
अगर जोड़ में एक्स्ट्रा द्रव जमा हो गया है तो इस प्रक्रिया के दौरान उसे भी बाहर निकाल दिया जाता है। उसके बाद, त्वचा पर लगाए गए कट को टांकों की मदद से बंद कर दिया जाता है।
डिस्चार्ज प्रक्रिया
आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी को पूरा होने में लगभग 30 मिनट का समय लगता है। यह एक दिन की सर्जिकल प्रक्रिया है, इसलिए सर्जरी के बाद मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं पड़ती है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को क्लिनिक/हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में मरीज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सर्जन एक दिन के लिए हॉस्पिटल में रुकने का सुझाव भी दे सकते हैं।
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अगर आप अपने शरीर के किसी जोड़ में दर्द, लालिमा, चोट या असहजता महसूस करते हैं तो आपको एक अनुभवी ऑर्थोपेडिक सर्जन से परामर्श करना चाहिए। अपने शहर के टॉप रेटेड क्लिनिक में बेस्ट इलाज पाने के लिए आप प्रिस्टीन केयर से संपर्क कर सकते हैं। हमारे क्लिनिक में एडवांस आर्थोस्कोपी सर्जरी की जाती है।
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हमारे क्लिनिक में इस सर्जरी को एक अनुभवी और कुशल ऑर्थोपेडिक सर्जन के द्वारा पूरा किया जाता है। दूसरे क्लिनिक/हॉस्पिटल की तुलना में हमारे क्लिनिक में आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी को काफी कम खर्च में किया जाता है। इतना ही नहीं, हम मरीजों को ढेरों सुविधाएं भी प्रदान करते हैं।
हम अपने मरीजों को जो फ्री सुविधाएं देते हैं, उसमें सर्जरी वाले दिन फ्री कैब फैसिलिटी (सर्जरी वाले दिन मरीज को घर से हॉस्पिटल लाना और सर्जरी के बाद हॉस्पिटल से घर वापस छोड़ना), सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट पर 30% की छूट और सर्जरी के बाद डॉक्टर के साथ फ्री फॉलो-अप्स मीटिंग आदि शामिल हैं।
अगर आप दर्द या दूसरी किसी भी परेशानी का सामना किए बिना कम से कम खर्च में आर्थोस्कोपी सर्जरी कराना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
01. आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी को पूरा होने में कितना समय लगता है?
आमतौर पर आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी को पूरा होने में लगभग 30 मिनट का समय लगता है। लेकिन यह काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि शरीर के किस हिस्से में सर्जरी की जा रही है। शरीर के हिस्से और स्थिति के प्रकार एवं गंभीरता के आधार पर आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी का समय बढ़ भी सकता है।
02. आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी में कितना खर्च आता है?
आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी का खर्च लगभग 20000 रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक आ सकता है। आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी को शरीर के कई जोड़ों का इलाज करने के लिए किया जाता है। इस सर्जरी का खर्च काफी चीजों पर निर्भर करता है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:-
- आर्थ्रोस्कोपी की आवश्यकता
- स्थिति की गंभीरता
- सर्जन का अनुभव
- हॉस्पिटल की विश्वसनीयता
- हॉस्पिटलाइजेशन
- सर्जरी के बाद की दवाएं
- सर्जन के साथ फॉलो-अप्स मीटिंग
03. क्या आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी के दौरान दर्द होता है?
आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी के दौरान मरीज को जरा भी दर्द या दूसरी किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। क्योंकि इस सर्जरी को एनेस्थीसिया के प्रभाव में पूरा किया जाता है।
04. आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?
आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी एक दिन की प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में लगभग 30 मिनट का समय लगता है। लेकिन स्थिति की गंभीरता के आधार पर इसका समय बढ़ सकता है। आमतौर पर इस सर्जरी के ख़त्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। लेकिन कुछ मामलों में सर्जरी के आकार, स्थिति की गंभीरता और मरीज के ओवरऑल हेल्थ को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन का सुझाव दे सकते हैं।
आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी के 1-2 सप्ताह के बाद मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को दोबारा शुरू कर सकते हैं। हालांकि, इस सर्जरी के बाद पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 6-8 सप्ताह का समय लग सकता है और यह हर मरीज पर अलग-अलग तरह से लागू होता है।
05. आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी के क्या फायदे हैं?
आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी का इस्तेमाल शरीर के कई जोड़ों का इलाज करने के लिए किया जाता है। आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी के निम्नलिखित फायदे हैं:-
- छोटे-छोटे कट लगते हैं
- दर्द और ब्लीडिंग नहीं होती है
- 30-60 मिनट की प्रक्रिया है
- रिकवरी काफी तेजी से होती है
- जटिलताओं का खतरा लगभग शून्य होता है
- जोड़ों के दर्द और जकड़न का बेहतर इलाज है
- कार्पल टनल सिंड्रोम और एंटीरियर क्रूसिएट लिगमेंट का बेहतर इलाज है
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|