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प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल असंतुलन होने के कारण आप प्रेगनेंसी के नौ महीने की प्रक्रिया में ढेरों मानसिक और शारीरिक बदलावों से गुजरती हैं। इस दौरान आपके बात करने और चीजों को देखने में काफी हद तक बदलाव आता है। कभी आप पेट दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, कमजोरी, थकान, जी मिचलाने, चक्कर आने, उलटी होने, योनि से स्राव होने, अचानक मूड बदलने, तेज भूख और प्यास तो कभी बार बार पेशाब लगने जैसे कितने बदलावों को अनुभव करती हैं। खुद के अंदर आए इन सभी बदलावों को देखकर कभी कभी आपको गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी आ सकता है। 

इतना ही नहीं, प्रेगनेंसी के दौरान आप इन सब के अलावा कुछ दूसरी भी समस्याओं से जूझ सकती हैं जो प्रेगनेंसी के लक्षण नहीं होते हैं। इन्ही में से एक बाइपोलर डिसऑर्डर है। यह एक मानसिक बीमारी है जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। विशेषज्ञ का मानना है की इस बीमारी से गर्भवती महिलाएं भी प्रभावित होती हैं जिसके कारण उनके सामने काफी परेशानियां और चुनौतियां खड़ी हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित होने पर प्रेगनेंट महिला को जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलकर इसके बारे में विस्तार से बात करनी चाहिए।

प्रिस्टीन केयर के इस ब्लॉग में हम बाइपोलर डिसऑर्डर, इसके कारण, लक्षण और प्रेगनेंट महिला तथा उसके शिशु पर इसके बुरे प्रभाव और इससे बचने के उपायों के बारे में विस्तार से बात करेंगे।                  

बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है — What is Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर एक जटिल मनोवैज्ञानिक बीमारी है जिसे मैनिक डिप्रेशन के नाम से भी जाता है। अगर आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो आपके मन में उलझने और भावनाओं में तुरंत बदलाव आने की शिकायत रहेगी। भावनाओं में बदलाव होने के कारण कभी आप खुश रहती हैं तो कभी उदास और गुस्सा हो जाती हैं। इतना ही नहीं, इसके अलावा भी दूसरी ढेरों ऐसी चीजों हैं जो आप अनुभव कर सकती हैं। जैसे की जरूरत से ज्यादा खुश, दुखी या गुस्सा होना, नींद नहीं आना, जरूरत से ज्यादा बोलना, ओवर कॉन्फिडेंट होना, जान की परवाह नहीं करना, किसी भी चीज में मन नहीं लगना, एक चीज पर फोकस नहीं कर पाना, हमेशा कन्फ्यूजन रहना और फैसला लेने में दिक्कत आना आदि।       

बाइपोलर डिसऑर्डर कई प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्य रूप से इन्हे पांच भागों में बांटा गया है। हम इन्हे बाइपोलर 1, बाइपोलर 2, मिश्रित एपिसोड, रैपिड साइक्लिंग बाइपोलर और साइक्लोथिमिया के नाम से जानते हैं। 

बाइपोलर डिसऑर्डर और प्रेगनेंसी — Bipolar Disorder and Pregnancy in Hindi

इस बीमारी से पीड़ित प्रेगनेंट महिला में लगातार मानसिक और भावनात्मक बदलाव होते हैं। यह एक सर्कल की तरह होता है जहां आप एक पल में खुश होती हैं और दूसरे ही पल में दुखी हो जाती हैं। अपने व्यवहार में आए बदलाव पर ध्यान न देने के कारण कई बार इस बीमारी को पहचान पाना मुश्किल होता है। 

BPD Means in Pregnancy in Hindi – बाइपोलर डिसऑर्डर और प्रेगनेंसी के कुछ लक्षण बिलकुल एक जैसे होते हैं। इसे नहीं पहचानने के कारण कुछ समय के बाद यह गंभीर रूप ले लेता है। फिर इसके रिजल्ट के तौर पर आप अकेलापन, उदासीनता, आप शिशु को क्यों जन्म देना चाहती हैं जैसी दूसरी ढेरों चीजों को लेकर अपने अंदर द्व्न्द (Conflict) पैदा कर लेती हैं। जिसके कारण आप सवाल और जवाब के बीच में फंसकर भ्रम की शिकार हो जाती हैं।

यह बीमारी नॉर्मल इंसान की तुलना में एक प्रेगनेंट महिला के लिए ज्यादा खतरनाक और चुनौतीपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि यह तनाव और दूसरी काफी परेशानियों को जन्म दे सकती है जो प्रेगनेंसी में बाधाएं और जटिलताएं पैदा करने का काम करते हैं। यही कारण है की प्रेगनेंसी में इस बीमारी से पीड़ित होने की स्थिति में खुद पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।    

बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण — Symptoms of Bipolar Disorder in Hindi

हर बीमारी के कुछ न कुछ लक्षण होते है। इन्ही लक्षणों की मदद से सबसे पहले आपको इस बात का अंदाजा लगता हैं की आप किसी समस्या या बीमारी से पीड़ित हैं। फिर डॉक्टर के पास जाते हैं जो कुछ टेस्ट की मदद से आपकी बीमारी की पुष्टि करते हैं। इसके बाद उस बीमारी का इलाज शुरू होता है और आप बिलकुल चुस्त और दुरुस्त हो जाती हैं। दूसरी बीमारियों की तरह बाइपोलर डिसऑर्डर के भी कुछ लक्षण होते हैं। जिन्हे ऑब्जर्व करने के बाद इलाज की मदद से आप इसे गंभीर रूप लेने से रोक सकती हैं और खुद के साथ अपने गर्भ में पल रहे शिशु को स्वस्थ एवं सुरक्षित रखने में कामयाब हो सकती हैं। 

  • रिस्क लेना
  • तनाव आना 
  • डिप्रेस्ड रहना 
  • चिड़चिड़ापन होना
  • हाइपोमैनिया होना 
  • बहुत ज्यादा बोलना
  • हमेशा परेशान रहना
  • बार बार मूड बदलना 
  • ओवर कॉन्फिडेंट होना
  • थाइराइड की समस्या होना
  • ज्यादातर समय उदास रहना
  • फैसला लेने में परेशानी आना 
  • थकान और बेचैनी महसूस करना     
  • किसी भी चीज में मन नहीं लगना
  • जरूरत से ज्यादा इमोशनल होना 
  • नींद की जरूरत कम महसूस होना
  • वजन और माइग्रेन का खतरा बढ़ना
  • खालीपन और अकेलापन महसूस करना
  • गतिविधि और जानने की इच्छा का बढ़ना  
  • हमेशा दिमाग में कुछ न कुछ चलते रहना
  • एलकोहॉल यूज डिसऑर्डर की संभावना बढ़ना 
  • सोचने और चीजों पर गौर करने की क्षमता कम होना
  • एक साल में चार या चार से ज्यादा बार मैनिया अटैक आना 
  • मैनिक एपिसोड की तुलना में सिप्रेसिव एपिसोड अधिक होना

अगर आप इसमें से कोई भी लक्षण को खुद में महसूस करती हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर अपने प्रॉब्लम के बारे में बात करनी चाहिए। BPD Means in Pregnancy in Hindi कई बार प्रेगनेंसी के दौरान इन लक्षणों को काफी महिलाएं प्रेगनेंसी का लक्षण समझकर नजरअंदाज कर देती हैं जो बाद में गंभीर रूप ले लेते हैं और प्रेगनेंट महिला उसके गर्भ में पल रहे शिशु की जान के लिए खतरा बन जाते हैं। 

बायपोलर डिसऑर्डर होने के कारण — Causes of Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर का कोई खास एक कारण नहीं है। लेकिन इसके कुछ सामान्य कारण हैं जो इस स्थिति को पैदा कर सकते हैं। BPD Means in Pregnancy in Hindi यह एक मनोवैज्ञानिक विकार है जो कई तरह की चीजों, उनके प्रभावों और दूसरे कारणों की वजह से पैदा होता है। प्रेगनेंसी के दौरान आपको इसके कारणों के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि आप पहले ही खुद को इससे दूर रखने में कामयाब रहें। अगर आप इसकी चपेट में आ भी जाएं तो अपनी जीवनशैली, खान पान में बदलाव और डॉक्टर की मदद से इस बीमारी से समय पर छुटकारा पा सकती हैं।  

शोधकर्ताओं का यह मानना है की इस डिसऑर्डर के लिए अनुवांशिक भी एक कारण है। जिसका मतलब यह हुआ की अगर आपके परिवार में इस बीमारी से पहले कोई पीड़ित रह चुका है तो आपको यह बीमारी होने की ज्यादा संभावना है। मनोवैज्ञानिक डॉक्टर का यह मानना है की जब आपके अंदर सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे कुछ न्यूरोट्रांसमीटर सही से काम नहीं करते हैं तो आप इस बीमारी की चपेट में आ जाती हैं।

इन सब के अलावा भी इस बीमारी के बहुत से कारण है जिसमें तनाव भरे माहौल में रहना, हमेशा चिंता करना और ज्यादा नशा करना आदि शामिल हैं। प्रेगनेंसी के दौरान आपको यह समस्या हो सकती है और आप इसके कारण को प्रेगनेंसी का लक्षण समझने की गलती भी कर सकती हैं। इसलिए अगर आप गर्भावस्था में बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को खुद में महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर उन्हें इसके बारे में बताएं। वे आपकी मदद करेंगे।     

बाइपोलर डिसऑर्डर का प्रेगनेंट महिला पर प्रभाव — Effects of Bipolar Disorder on Pregnant Woman in Hindi

प्रेगनेंसी में बाइपोलर डिसऑर्डर का प्रभाव बहुत बुरा हो सकता है। क्योंकि इस बीमारी के कुछ लक्षण जैसे की जरूरत से ज्यादा इमोशनल होना, थकान और बेचैनी महसूस करना, किसी भी चीज में मन नहीं लगना, ज्यादातर समय उदास रहना, थाइराइड की समस्या होना, बार बार मूड बदलना, चिड़चिड़ापन होना, खालीपन और अकेलापन महसूस करना आदि प्रेगनेंसी के भी लक्षण हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इन सभी भावनाओं गुजरना सामान्य है। यही कारण है की कितनी ही महिलाएं प्रेगनेंसी के लक्षण और बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण में फर्क नहीं कर पाती हैं और संभवतः यह समस्या उनके साथ साथ उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी खतरा साबित होती है।      

प्रेगनेंसी के दौरान कुछ महिलाएं सिगरेट, शराब या दूसरी चीजों का नशा करती हैं। शोधकर्ता का यह मानना है की प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी चीज का नशा उस महिला के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे अनेकों गंभीर बीमारियां होने के साथ साथ बाइपोलर डिसऑर्डर होने का भी खतरा रहता है। BPD Means in Pregnancy in Hindi आपको ऐसी आदतों को पालने से बचना चाहिए जिसके बगैर आपका दिन भर चैन से रहना मुश्किल हो जाए। इन चीजों में नशीली पदार्थों के साथ साथ ताश खेलना या इंटरनेट का अधिक इस्तेमाल करना भी शामिल है। प्रेगनेंसी में आपको किसी भी चीज का आदि बनने से बचना चाहिए। इस दौरान आपको अपने परिवार के साथ रहना चाहिए। 

प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में हार्मोनल असंतुलन होने के कारण आपके अंदर भावनात्मक रूप से बदलाव आता है। जिसके कारण आपके बात और व्यवहार में अचानक से बदलाव आता है जो आपकी चिड़चिड़ाहट और एंग्जाइटी का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति में अगर आप बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित होती हैं तो यह आपकी समस्या को और बढ़ा सकता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में आप मानसिक रूप से और ज्यादा परेशान हो सकती हैं और कोई भी ऐसा कदम उठा सकती हैं जिससे आपके और आपके शिशु की जान को खतरा हो सकता है। इससे बचने का सबसे सही उपाय यही है की आप अपने परिवार वालों के साथ एक अच्छे और हेल्दी यानी की पॉजिटिव माहौल में रहें। 

तनाव भरा माहौल आपकी सेहत और प्रेगनेंसी के लिए अच्छा नहीं होता है। यह माहौल आपके दिमाग में नकारात्मक चीजें भर सकता है जो आपके तनाव और हाइपटेंशन का कारण बन सकता है। तनाव भरा माहौल बाइपोलर डिसऑर्डर के कारणों में एक है। इसलिए यह और ज्यादा जरूरी हो जाता है की आप इससे दूर रहने की कोशिश करें। डॉक्टर का मानना है की नॉमर्ल प्रेगनेंट महिला की तुलना में बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित प्रेगनेंट महिला को हॉस्पिटल में भर्ती होने का सात गुना ज्यादा खतरा होता है। समय पर इसका सही इलाज आवश्यक है।  

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|