किसी भी महिला के लिए प्रेगनेंसी एक बेहद ही खूबसूरत पल है। इस खास समय में वह अपने अंदर एक नए जीवन को जन्म देती है। प्रेगनेंसी नौ महीने की एक प्रक्रिया है जिसके दौरान प्रेगनेंट महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के अंदर लगातार बदलाव आते हैं। जहाँ एक तरफ महिला के शरीर में प्रेगनेंसी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो दूसरी तरफ गर्भ में पल रहे शिशु का शारीरिक और मानसिक रूप से विकास होता है। इस दौरान, खुद के साथ साथ शिशु को स्वस्थ रखने के लिए गर्भवती महिला को अपने जीवनशैली पर खास ध्यान देना आवश्यक होता है।
जैसे प्रेगनेंसी में खान पान आपका और आपके शिशु का स्वास्थ्य अच्छा रखता है वैसे ही Pregnancy Book in Hindi अच्छी किताबें पढ़ने से आप दोनों का मन अच्छा रहता है। प्रेगनेंसी के दौरान जरूरी चीजों में से एक चीज किताबें पढ़ना भी है। क्योंकि यह आपको कई तरफ से फायदा पहुंचाता है। आज के इस ब्लॉग में उन खास पांच हिंदी किताबों के बारे में बात करेंगे जो आपको प्रेगनेंसी के दौरान अवश्य पढ़नी चाहिए।
01. क्या करें जब मां बने?
प्रेगनेंसी के दौरान इस किताब को पढ़ना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह प्रेगनेंसी डाइट यानी की प्रेगनेंसी के दौरान आपको किन चीजों का सेवन करना चाहिए और किससे परहेज करना चाहिए आदि चीजों के बारे में विस्तार से बताती है। अगर आप अपने डाइट को लेकर परेशान हैं, आपको समझ में नहीं आता है प्रेगनेंसी के दौरान आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं तो यह किताब आपके लिए बिलकुल सही हैं। Books on Pregnancy in Hindi इसको पढ़ने के बाद आपका सारा भ्रम दूर हो जाएगा।
यह आपके और आपके शिशु को सेहतमंद और बीमारियों से दूर रखने में काफी मददगार साबित हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर महिलाओं के मन में खान पान को लेकर ढेरों प्रश्न एवं भ्रम होते हैं और इस किताब में उन सभी सवालों के जवाब मौजूद हैं। यह अंग्रेजी में लिखी हुई किताब का हिंदी अनुवाद है जो अमेजन वेबसाइट पर उपलब्ध है।
02. गर्भावस्था
यह विनीता सालवी की लिखी हुई किताब है जो पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के लिए बहुत ही खास किताब है। इस किताब में लगभग उन सभी सवालों के जवाब मौजूद हैं जो पहली बार मां बनाने वाली महिला के मन में आते हैं। Books For Pregnancy in Hindi यह किताब एक गाइड की तरह काम करती है जो आपको प्रेगनेंसी की शुरुआत से लेकर आपके शिशु के जन्म तक आपको हर तरह से तैयार और जागरूक करती है। प्रेगनेंसी के लिए आपको अपने शरीर को कैसे तैयार करना है, प्रेगनेंसी के दौरान आपको क्या खाना है, क्या पीना है, किस चीज से परहेज करना है, कौन से व्यायाम कब, कैसे और कितनी देर करने हैं, प्रेगनेंसी के दौरान बीमार पड़ने की स्थिति में क्या करना है, नॉर्मल डिलीवरी क्या है, नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है, डिलीवरी के दौरान कैसा और कितना दर्द होता है, इन सभी चीजों को बहुत विस्तार से बताया गया है।
इस किताब को बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है जिसके कारण यह आपको बहुत आसानी से समझ में आ जाती है। यह किताब हर प्रेगनेंट महिला के लिए आवश्यक है लेकिन अगर आप पहली बार मां बनने वाली हैं तो यह किताब आपके कमरे में बिलकुल होनी चाहिए।
03. पासपोर्ट तो हेल्दी प्रेगनेंसी
इस खूबसूरत किताब को गीता अर्जुन ने लिखा है जो गर्भधारण से लेकर शिशु के जन्म लेने के बाद से उसकी परवरिश कैसे करें, इन सबके बारे में बहुत ही सुंदर तरीके से समझाया है। आपके गर्भ में शिशु का विकास किस तरह से होता है, आपके अंदर इस दौरान क्या बदलाव हैं आदि चीजों के बारे में जानने के लिए Book For Pregnancy in Hindi यह किताब एक बहुत ही बढ़िया स्रोत है। आमतौर पर हर प्रेगनेंट महिला के दिमाग में प्रेगनेंसी से संबंधित कुछ प्रश्न होते हैं।
यह किताब उन प्रश्नों के उत्तर भी देती है। अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान अपने समय को अच्छे से बिताते हुए इसके बारे में कुछ अच्छी और फायदेमंद जानकारी हासिल करना चाहती हैं तो यह किताब आपके लिए बिलकुल परफेक्ट है। आप इसे किसी भी बुक स्टॉल से या फिर ऑनलाइन खरीद सकती हैं।
04. प्रेगनेंसी ब्लूज
प्रेगनेंसी के दौरान आपके अंदर हार्मोनल असंतुलन होता है जिसके कारण आप में मानसिक और शारीरिक बदलाव आते हैं। अपने अंदर आए बदलाव और प्रेगनेंसी के लक्षण के कारण कई बार आपको चिड़चिड़ाहट होती है और गुस्सा भी आता है। इन सबके अलावा आपके दिमाग में भी कई तरह की चीजें चलती रहती हैं जिसके कारण आप डिप्रेशन यानी की अवसाद का शिकार बन जाती हैं। जो की आपके साथ साथ आपके शिशु के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। यह किताब इन्ही चीजों और इनसे बचने तथा इनसे डील करने के बारे में है। इस किताब को शैला कुलकर्णी ने बहुत सुंदरता और गहराई के साथ लिखा है।
प्रेगनेंसी के दौरान आपके अंदर आए बदलाव के बावजूद भी आपको कैसे खुद को मेंटेन करके रखना है, आपकी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए और सबसे खास अगर आप डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं तो आपको कैसे इससे बचाना है। इसी चीज के बारे में Pregnancy Books Hindi यह किताब बात करती है। अगर प्रेगनेंसी के दौरान आपका मन विचलित रहता है तो आपको यह किताब बेशक पढ़नी चाहिए।
05. आयुर्वेदिक गर्भ संस्कार
प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर अक्सर दूसरी दवाओं का सेवन करने से मना करते हैं। इसका कारण यही है की कई बार महिलाओं को पता नहीं होता है और वे कोई भी छोटी समस्या होने पर तुरंत किसी न किसी अंग्रेजी दवा का सेवन कर लेती हैं। ऐसा करने से उनकी प्रेगनेंसी में कई समस्याएं पैदा होती हैं और कुछ मामलों में उनका गर्भपात भी हो जाता है। यही कारण है की स्त्री-रोग विशेषज्ञ हमेशा आयुर्वेदिक चीजों का सेवन करने की सलाह देते हैं क्योंकि इसके फायदे तो बहुत हैं लेकिन नुकसान लगभग न के बराबर है।
Pregnancy Hindi Books इस किताब को डॉ बालाजी तांबे ने लिखा है जो प्रेगनेंसी के दौरान नेचुरल तरीके से कैसे स्वस्थ रहें, इस बात पर विस्तार से बात करते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान आपके शिशु का स्वास्थ्य आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इसलिए यह आवश्यक है की आप खुद का ख्याल रखें। आपका ख्याल रखने में यह किताब एक अच्छी भूमिका निभा सकती है। इसे जरूर पढ़ें। (और पढ़ें: प्रेगनेंसी में 25 सावधानियां बरतें)
निष्कर्ष
प्रेगनेंसी के दौरान प्रेगनेंसी को लेकर आपके दिमाग में भ्रम पैदा होना आम बात है। खासकर तब जब आप पहली बार मां बनने वाली हैं। क्योंकि इस समय आपको प्रेगनेंसी के बारे में ज्यादा पता नहीं होता है और आपको जो भी पता होता है वो सभी बातें दूसरों की कही सुनी होती हैं जिनकी सच्चाई का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। अगर आप इन सुनी सुनाई बातों को सच मानकर उन्हें अपने जीवन में लागू करती हैं तो शायद वे आपके और शिशु के लिए खतरनाक साबित हों।
इसलिए यह जरूरी है की Hindi Pregnancy Books आप खुद किताबों को पढ़ें और प्रेगनेंसी से संबंधित सभी आवश्यक चीजों के बारे जाने। ऐसा करने से आप खुद के साथ अपने गर्भ में पल रहे शिशु को सेहतमंद और परेशानियों से दूर रखने में कामयाब हो सकती है। इस ब्लॉग में हमने जिन पांच किताबों की बात की है वे आपके लिए बहुत जरूरी और फायदेमंद हैं। उनको पढ़ने के बाद आप इस बात को अच्छी तरह से समझ जाएंगी की प्रेगनेंसी के दौरान आपकी लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|