अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है उसे मेडिकल की भाषा में अबॉर्शन कहते हैं। अबॉर्शन को गर्भपात या गर्भावस्था की समाप्ति (Termination of Pregnancy) भी कहा जाता है।
आमतौर पर चेन्नई में अबॉर्शन कराने का अनुमानित खर्च 500-40000 रुपए तक आता है। शोध से यह बात सामने आई है कि लगभग 81% महिलाएं हॉस्पिटल जाने के बजाय घर पर दवाओं से अबॉर्शन करना पसंद करती हैं।
अबॉर्शन को मुख्य रूप से दो प्रकार से किया जाता है जिसमें पहला मेडिकल अबॉर्शन और दूसरा सर्जिकल अबॉर्शन है। चेन्नई में मेडिकल अबॉर्शन का खर्च लगभग 400-4500 और सर्जिकल अबॉर्शन का खर्च 8000-40000 रुपए तक आता है।
अबॉर्शन से संबंधित कुछ आवश्यक आंकड़े:-
- लगभग 81% महिलाएं दवाओं और 20% महिलाएं सर्जरी से अबॉर्शन का चुनाव करती हैं।
- 2015 और 2019 के बीच औसतन प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में लगभग 73.3 मिलियन प्रेरिच (सुरक्षित और असुरक्षित) अबॉर्शन हुए हैं।
- 15 से 49 वर्ष की प्रत्येक 1000 महिलाओं में 39 अबॉर्शन हुए हैं।
- विश्वस्तर पर सभी अनुमानित असुरक्षित गर्भपात के आधे से अधिक मामले एशिया में हुए हैं, जिसमें ज्यादातर गर्भपात दक्षिण और मध्य एशिया में हुए।
- अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में हुए 4 गर्भपात में से 3 गर्भपात असुरक्षित थे।
- प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में असुरक्षित अबॉर्शन के कारण लगभग 4.7 से 13.2 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की मौत होती है।
- असुरक्षित गर्भपात के कारण विकसशील देशों में लगभग 7 मिलियन महिलाओं को अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है।
- असुरक्षित अबॉर्शन की प्रमुख जटिलताओं के इलाज की सालाना लागत लगभग 553 मिलियन डॉलर है।
- जब एक अनुभवी डॉक्टर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अबॉर्शन करता है तो प्रक्रिया के सफल होने की संभावना अधिक से अधिक और जटिलताओं का खतरा कम से कम या नहीं के बराबर होता है।
अबॉर्शन के खर्च को प्रभावित करने वाले कारक
अबॉर्शन के खर्च को प्रभावित करने वाले कारक में डॉक्टर की फीस, अबॉर्शन से पहले किए जाने वाले जांच, क्लिनिक का ट्रैक रिकॉर्ड, अबॉर्शन का तरीका, अबॉर्शन के बाद की दवाएं, जटिलताओं की स्थिति में दूसरी प्रक्रियाएं और डॉक्टर के साथ फॉलो-अप मीटिंग आदि शामिल हैं।
1. परामर्श फीस
अबॉर्शन को एक लाइसेंस प्राप्त प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ के द्वारा पंजीकृत एमटीपी क्लिनिक में किया जाता है। आमतौर पर एक अनुभवी, कुशल और लाइसेंस प्राप्त प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ की फीस उस डॉक्टर की तुलना में काफी अधिक होती है जिसके पास कम अनुभव होता है।
इस लिहाज से अबॉर्शन का खर्च डॉक्टर की फीस से भी प्रभावित होता है। अगर आप अबॉर्शन कराने का विचार बना रही हैं तो हम आपको एक अनुभवी और लाइसेंस प्राप्त प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ का चयन करने का सुझाव देते हैं।
जब अबॉर्शन एक अनुभवी डॉक्टर के मार्गदर्शन में होता है तो इसके सफल होने की संभावना अधिक से अधिक और जटिलताओं का खतरा कम से कम होता है।
2. अबॉर्शन से पहले किए जाने वाले जांच का खर्च
अबॉर्शन प्रक्रिया को शुरू करने से पहले प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ महिला को कुछ जांच कराने का सुझाव देती है जिसमें पेल्विक अल्ट्रासाउंड और खून एवं मूत्र जांच शामिल हैं।
पेल्विक अल्ट्रासाउंड से गर्भावस्था की अवधि और प्रकार की पुष्टि की जाती है। गर्भावस्था के प्रकार में सामान्य प्रेगनेंसी, मोलर प्रेगनेंसी और एक्टोपिक प्रेगनेंसी शामिल हैं।
साथ ही, रक्त और मूत्र जांच की मदद से डॉक्टर इस बात के बारे में पता लगाती है कि महिला को कोई अंतर्निहित स्थितियां जैसे कि हाई/लो ब्लड प्रेशर, अनीमिया, डायबिटीज और यौन संचारित बीमारियां तो नहीं हैं।
इन सभी जांचों की फीस अलग-अलग होती है और इनका कुल खर्च अबॉर्शन के नियत खर्च में शामिल होता है। इस तरह अबॉर्शन से पहले किए जाने वाले जांचों का खर्च भी अबॉर्शन के टोटल खर्च को बड़ी मात्रा में प्रभावित करता है।
3. अबोर्शन में क्लिनिक का ट्रैक रिकॉर्ड
अबॉर्शन को एमटीपी अधिनियम के तहत पंजीकृत एमटीपी क्लिनिक में किया जाता है। अबॉर्शन में जिस क्लिनिक का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा होता है और लोगों के प्रति जिसकी छवि अच्छी और भरोसेमंद होती है उस क्लिनिक में अबॉर्शन का खर्च दूसरी सामान्य क्लिनिक की तुलना में अधिक होता है।
अबॉर्शन कराने से पहले आपको क्लिनिक के बारे में कुछ बातों के बारे में पता होना चाहिए जैसे कि क्लिनिक एमटीपी अधिनियम के तहत पंजीकृत है या नहीं, यहां जो प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ अबॉर्शन करते हैं उन्हें लाइसेंस प्राप्त है या नहीं और उनके पास टोटल कितने वर्षों का अनुभव प्राप्त है।
साथ ही, इस बारे में भी पता करें कि क्लिनिक मरीज को विश्वसनीयता प्रदान करता है या नहीं, क्लिनिक में अबॉर्शन करने के कौन-कौन से तकनीक उपलब्ध हैं और उनका अनुमानित खर्च कितना आता है आदि। इन सबकी मदद से आप अपने अबॉर्शन के सफल होने की संभावना को बढ़ा सकती हैं।
4. अबॉर्शन करने का तरीका
आमतौर पर अबॉर्शन को दो तरह से किया जाता है जिसमें पहला मेडिकल अबॉर्शन और दूसरा सर्जिकल अबॉर्शन है। मेडिकल अबॉर्शन को मात्र 8-9 सप्ताह वाली प्रेगनेंसी को ही खत्म किया जा सकता है, जबकि सर्जिकल प्रक्रिया से 20 सप्ताह तक की अनचाही प्रेगनेंसी को आसानी से खत्म किया जा सकता है।
आपके लिए अबॉर्शन का कौन सा प्रकार बेहतर है यह नैदानिक प्रेक्षणों के बाद तय किया जाता है। मेडिकल अबॉर्शन के दौरान दो दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है जिसका नाम मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल है। जबकि सर्जरी के दौरान सर्जिकल उपकरणों से अबॉर्शन पूरा किया जाता है।
सर्जिकल अबॉर्शन की तुलना में मेडिकल अबॉर्शन का खर्च काफी कम होता है। डॉक्टर आपके लिए अबॉर्शन के किस माधयम का चयन करते हैं यह आपकी अबॉर्शन के नियत खर्च को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है।
5. अबॉर्शन के बाद की दवाएं
अबॉर्शन प्रक्रिया शुरू करने से लेकर इसके खत्म होने तक और कुछ मामलों में उसके बाद भी महिला को कुछ दवाओं का सेवन करना होता है। प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ इन दवाओं को इसलिए निर्धारित करते हैं ताकि अबॉर्शन के दौरान और बाद में ब्लीडिंग एवं दूसरी जटिलताओं का खतरा कम से कम हो। इन दवाओं का खर्च भी अबॉर्शन की फाइनल लागत में जुड़ता है।
6. जटिलताओं की स्थिति में दूसरी प्रक्रियाएं
मेडिकल अबॉर्शन की स्थिति में कई बार ससम्याएं पैदा हो जाती हैं जैसे कि मेडिकल अबॉर्शन का फेल होना या अबॉर्शन का अधूरा होना आदि। इस स्थिति में प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ सर्जिकल प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करके यूटेरस में प्रेगनेंसी के बचे हुए अवशेषों को बाहर निकाल देती हैं।
साथ ही, अबॉर्शन के दौरान अधिक ब्लीडिंग के कारण महिला को खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके अलावा, दूसरी किसी तरह की परेशानी जैसे की दर्द या अकड़न होने पर डॉक्टर कुछ खास दवाएं भी निर्धारित कर सकते हैं। इस तरह के मामलों में अबॉर्शन का खर्च बढ़ जाता है।
7. डॉक्टर के साथ फॉलो-अप मीटिंग की फीस
मेडिकल अबॉर्शन या सर्जिकल अबॉर्शन के दौरान और बाद में महिला डॉक्टर के साथ फॉलो-अप मीटिंग करने की आवश्यकता होती है ताकि डॉक्टर इस बात की पुष्टि कर सके कि पूर्ण अबॉर्शन हुआ है और किसी तरह की जटिलताओं का खतरा नहीं है।
जब-जब एक महिला अबॉर्शन के दौरान प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलती है, उसे परामर्श शुल्क देना होता है। यह शुल्क भी अबॉर्शन के नियत खर्च में जुड़ता है। हालांकि, कुछ क्लिनिक में अबॉर्शन के बाद फॉलो-अप मीटिंग की सुविधा मुफ्त होती है।
ऊपर दिए गए सभी बिंदु अबॉर्शन के खर्च को तय करने में अहम् भूमिका निभाते हैं। अगर आप अबॉर्शन कराना चाहती हैं तो चेन्नई में इसके अनुमानित खर्च के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी भी डॉक्टर या क्लिनिक का चयन करने से पहले इन बिंदुओं को ध्यान में रख सकती हैं।
चेन्नई के बेस्ट एमटीपी क्लिनिक में अबॉर्शन कराएं
अगर आप बिना किसी तरह की परेशानियों का सामना किए चेन्नई में विश्वसनीय रूप से अपनी अनचाही गर्भावस्था से छुटकारा पाना चाहती हैं तो प्रिस्टीन केयर से संपर्क करें।
चेन्नई में मौजूद हमारी एमटीपी क्लिनिक में मेडिकल और सर्जिकल दोनों ही अबॉर्शन की सुविधा उपलब्ध है। हमारी क्लिनिक में अबॉर्शन कराने के निम्नलिखित फायदे हैं:-
- हमारे क्लीनिक मेडिकल और सर्जिकल गर्भपात दोनों के लिए एमटीपी एक्ट के तहत पंजीकृत हैं।
- हमारे प्रसूति स्तिर रोग विशेषज्ञ को लाइसेंस प्राप्त है जो गर्भावस्था की सुरक्षित और कानूनी समाप्ति सुनिश्चित करते हैं।
- चेन्नई में हमारी प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास 7-10 वर्षों से अधिक का विशेष अनुभव प्राप्त है।
- हम 100% गोपनीयता प्रदान करते हैं। इसलिए आपको अपने अबॉर्शन की प्राइवेसी के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है।
- यदि दवा मेडिकल अबॉर्शन फेल हो जाता है या अबॉर्शन अधूरा हो जाता है, तो हम सर्जिकल अबॉर्शन प्रदान करते हैं।
- सर्जिकल गर्भपात एक आउट पेशेंट के आधार पर किया जाता है, इसलिए प्रक्रिया के बाद आपको हॉस्पिटल रुकने की आवश्यकता नहीं होती है।
- हमारी क्लीनिकों में सर्जिकल गर्भपात की सफलता दर 99-99.5 प्रतिशत तक है।
- हम सर्जिकल गर्भपात पर मुफ्त पिक-अप और ड्रॉप सेवाएं प्रदान करते हैं ताकि रोगी को यात्रा के बारे में चिंता करने की आवश्यकता न हो।
- हम गर्भपात प्रक्रियाओं से पहले या बाद में किए गए सभी नैदानिक परीक्षणों पर 30% की छूट प्रदान करते हैं।
- हम जीरो-कॉस्ट ईएमआई विकल्प भी प्रदान करते हैं, ताकि आप बाद में छोटी किश्तों में शुल्क का भुगतान कर सकें।
- सर्जिकल अबॉर्शन के बाद कुछ दिनों के तक डॉक्टर के साथ मुफ्त फॉलो-अप मीटिंग प्रदान करते हैं।