शरीर में भोजन के जरिए विषाक्त पदार्थ (toxic substances) भी आते हैं। गलत खान-पान और आलस शरीर को टॉक्सिक (Toxic) बनाती है। विषैले पदार्थों को निकालने के लिए शरीर में एक उत्सर्जन तंत्र (excretory system) होता है। स्किन, फेफड़े, आंत, किडनी आदि इस तंत्र के हिस्से हैं। स्किन से पसीना शरीर के बाहर निकलता है। फेफड़े से हानिकारक गैस (co2) बाहर निकलती है। हमारी आंत भोजन पचाने के बाद बचे हुए अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से बाहर निकालती है। हमारे गुर्दे यानी किडनी खून छानते हैं और पेशाब बाहर निकालने में भी मदद करते हैं।
इन सभी के बावजूद कभी-कभी शरीर के अंदर गंदगी जमा हो जाती है। गलत जीवनशैली, गलत खान-पान, नशे का सेवन और शारीरिक मेहनत में की गयी कमी शरीर के टॉक्सिक होने का कारण बनती हैं।
शरीर के अंदर की गंदगी ही कई बीमारियों का कारण है। कब्ज की शिकायत, पेट में गैस बनना, किडनी का डैमेज होना आदि परेशानियां इस बात का सबूत हैं कि उत्सर्जन अंग ठीक प्रकार से काम नहीं कर रहे हैं। इस दौरान स्वस्थ डाइट और व्यायाम के जरिए शरीर से गंदगी निकाली जा सकती है। लेकिन सिर्फ इतने से शरीर डिटॉक्स (Detox) नहीं होता। शरीर को दोबारा स्वस्थ बनाना है तो बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी (colon hydrotherapy) की मदद ले सकते हैं। इसके जरिए शरीर के अंदर मौजूद सारे टॉक्सिक मटेरियल्स (toxic Materials) को बाहर निकाला जा सकता है।
क्या है बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी (what is colon hydrotherapy?)
‘कोलोन (colon)’ उत्सर्जन तंत्र (excretory system) में पाई जाने वाली एक लंबी ट्यूब है। इसे बड़ी आंत भी कहते हैं। यह पचे हुए भोजन से पानी को अलग करती है और फिर स्टूल को मलाशय (Rectum) तक पहुंचाती है। रेक्टम से स्टूल एनस मार्ग में जाता है और फिर शरीर के बाहर निकलता है। पचे हुए भोजन को बांटने के बाद जो अपशिष्ट पदार्थ बचता है उसे मल (Stool) कहते हैं। इस ट्यूब की सफाई ही बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी कहलाती है। इसे कोलोन कलीजिंग (colon cleansing) भी कहते हैं।
जब पाचन तंत्र (Digestive system) कमजोर हो जाता है तब बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी करवाई जाती है। यह प्राकृतिक रूप से आंत की सफाई कर डाइजेस्टिव सिस्टम को ठीक करता है। यह थेरेपी मुख्य रूप से गैस्ट्रिक स्ट्रेस (gastric stress) में अपनाई जाती है। गैस्ट्रिक स्ट्रेस के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं;
- कब्ज रहता है। रोजाना कब्ज की दवा का सेवन करना पड़ता है।
- अचानक से उल्टी आने जैसा महसूस होता है तो हो सकता है गैस्ट्रिक प्रॉब्लम हो।
- आंत में कड़े भोजन की वजह से सूजन की समस्या बार-बार होती है।
- गैस की समस्या बनी रहने पर।
- अपच के कारण उल्टी।
- पेट में दर्द, और ऐंठन।
- जी मिचलाना (nausea)
- डायरिया (diarrhea)।
अगर ऊपर बताए गए लक्षणों से परेशान हैं तो आप गैस्ट्रिक स्ट्रेस की केटेगरी में आते हैं। इन सभी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी करवाई जा सकती है।
कैसे की जाती है बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी? (How colon hydrotherapy is done?)
यह प्रक्रिया किसी अच्छे कोलोनिक हाइजीनिस्ट (colonic hygienist) से ही करवानी चाहिए। इस प्रक्रिया में खास प्रकार के तरल पदार्थ (Fluid) को एक ट्यूब में भरा जाता है और ट्यूब के माध्यम से इसे रेक्टम में डाला जाता है।
colon में मौजूद खतरनाक पदार्थ (बैक्टीरिया, बलगम, और अन्य प्रकार के टॉक्सिक) एक और ट्यूब के माध्यम से शरीर के बाहर निकाले जाते हैं। डाले गए फ्लूड में सारे टॉक्सिक पदार्थ घुल जाते हैं, जिसके बाद इसे शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है।
इस प्रक्रिया को कई बार किया जाता है, ताकि बचा हुआ टॉक्सिक पदार्थ भी शरीर से बाहर निकल जाए। इस पूरी प्रक्रिया में एक घंटे या इससे ज्यादा समय लग सकता है। यह प्रक्रिया एनीमा (enema) से मिलती जुलती है।
बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी के फायदें (Benefits of colon hydrotherapy in Hindi)
कब्ज से छुटकारा
स्वस्थ पाचन तंत्र होने पर दो बार मल त्याग (Toilet) करने की जरूरत होती है। स्टूल पास करते वक्त कोई अन्य परेशानी भी नहीं होती है। जबकि अगर कोई कब्ज से पीड़ित हैं तो उसका पूरा दिमाग टॉयलेट (Toilet) में ही रहता है। कब्ज होने पर पाचन पूरी तरह से बिगड़ जाता है जिससे अन्य नुकसान भी होते है। लेकिन एक बार बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी करवाने के बाद कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है। समस्या ठीक हो जाने के बाद स्वास्थ्यकारी और फाइबर युक्त आहार का सेवन करके आगे भी कब्ज से बचा जा सकता है।
कठोर मल के कारण रेक्टम में सूजन हो सकती है। यह थेरेपी स्टूल को नरम बनाती है।
एनर्जी बढ़ाता है।
शरीर से टॉक्सिक पदार्थों के निकल जाने के बाद एनर्जी लेवल बढ़ने लगता है। गैस्ट्रिक स्ट्रेस होने पर शरीर की ज्यादातर एनर्जी इन पदार्थों को छानने और बाहर निकालने में ही इस्तेमाल हो जाती है। लेकिन बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी के बाद टॉक्सिक पदार्थ खत्म हो जाते हैं और एनर्जी स्टोर रहती है। यही कारण है कि बृहदांत्र हाइड्रो थेरेपी के बाद एनर्जी महसूस होती है।
पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।
पाचन तंत्र का मुख्य कार्य किए गए भोजन में से पोषक तत्वों (Nutrients) को छानकर स्टोर करना है। एक बार टॉक्सिक पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं तो यह अपने कार्य को बिना रुकावट के करने लगता है।
कंसंट्रेशन बढ़ाता है।
दिमाग को पावर बढ़ाने के लिए जरूरी मात्रा में प्रोटीन और विटामिन चाहिए होते हैं। पाचन तंत्र में टॉक्सिक पदार्थ बढ़ने से एब्जॉर्बप्शन प्रोसेस (Absorption Process) कमजोर हो जाती है। बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी से शरीर साफ हो जाता है। इससे सोच और इच्छा मजबूत होती है। हर समय फ्रेश फील होता है। इस प्रकार से कंसंट्रेशन (Concentration) पावर बढ़ जाती है।
वजन नियंत्रण करता है।
फाइबर युक्त भोजन को पाचन तंत्र आसानी से पचा लेता है। लेकिन कठोर खाद्य पदार्थ जिनमें फाइबर की मात्रा कम होती हैं उन्हें यह नहीं पचा पाता है। इससे कुछ मात्रा में टॉक्सिक आंत की दीवारों में जम जाते है। बृहदांत्र हाइड्रो थेरेपी से सारी गंदगी बाहर निकल जाती है जिससे वजन कम हो जाता है।
फर्टिलिटी बढ़ाता है।
आंत (Intestine) में अपशिष्ट पदार्थ अधिक दिन तक बने रहते हैं तो आंत वजनी हो जाता है और यह अधिक जगह घेरता है। इसका प्रभाव अन्य अंगों में पड़ता है। हो सकता है इसका दबाव प्रजनन अंग (Reproductive organs) में भी हो। ऐसे में फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन कोलोन क्लींजिंग (colon Cleansing) के बाद आंत का भार सामान्य हो जाता है और यह अपने सामान्य शेप में लौट आती है।
आंत के कैंसर से बचाव।
खतरनाक टॉक्सिक पदार्थ कैंसर के खतरे को बढ़ा देते हैं। अपशिष्ट पदार्थों को वजह से अनचाही अनियंत्रित सेल्स बनने लगती है जिससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। कोलोन हाइड्रोथेरेपी के बाद आंत में कैंसर होने की संभावना खत्म हो जाती है।
खून की असामान्यता को दूर करता है।
फाइबर का सेवन कम और प्रोटीन अधिक मात्रा में खाने से शरीर स्वस्थ नहीं रहता है। इस वजह से शरीर में एसिड ज्यादा बनने लगता है। ऐसे समय में प्रोटीन, विटामिन सहित अन्य जरूरी तत्व शुद्ध रूप में खून तक नहीं पहुंचते। इससे खून में बैक्टीरियल (Bacterial) तथा फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infection) का खतरा बढ़ता है और इसकी PH Value भी प्रभावित होती है। कोलोन क्लींजिंग से खून में शुरू हुई इस असामान्यता को खत्म किया जा सकता है।
आंतो को ठीक करता है।
अपशिष्ट पदार्थों की भरमार आंत का आकार बिगाड़ देती है। इससे आंत अधिक फैल जाती है और वजनी भी हो जाता है। लेकिन इस थेरेपी के कुछ ही दिन बाद आंत अपने पुराने प्राकृतिक रूप में आ जाती हैं।
पूरे शरीर को स्वस्थ करता है
सारी बीमारियां पेट से ही जुड़ी हुई हैं। हम जिस प्रकार का भोजन लेते हैं, वह तय करता है कि पाचन तंत्र कैसा होगा। पाचन तंत्र में गड़बड़ी शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है और आप बीमार होने लगते हैं। लेकिन एक बार आंतों की सफाई हो जाने के बाद, पाचन क्रिया मजबूत होती है और एनर्जी बनने लगती है। यह स्वास्थ्य को सुधारता है और नीरोग बनाता है।
पोषक तत्वों को सोखने में सुधार लाता है।
एक स्वस्थ और साफ आंत केवल शुद्ध विटामिन्स, मिनरल्स और पानी को ही खून में जाने की इजाजत देता है। ऐसा तब होता है जब पोषक तत्वों को सोखने के दौरान किसी प्रकार की रुकावट न हो।
बॉडी को हाइड्रेटेड रखता है।
बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को निकालती है, जिससे पानी का शरीर में अच्छा इस्तेमाल होता है और शरीर हाइड्रेटेड (Hydrated) रहता है।
रिफ्लेक्स को बेहतर बनाता है।
बॉडी पर किसी प्रकार का बाहरी अटैक होता है तो रिफ्लेक्स कार्य करते हैं। ये एक तरह ही मसल्स के जरिए दिमाग तक अटैक की सूचना पहुंचाते हैं, फिर दिमाग हमें सतर्क करता है। कोनोल क्लींजिंग के बाद रिफ्लेक्स अच्छी तरह से काम करने लगते हैं।
बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है।
हानिकारक विषाक्त पदार्थ शरीर के अंदर खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस को जन्म दे सकते हैं। बृहदांत्र थेरेपी इन बैक्टीरिया और वायरस को खत्म कर शरीर की रक्षा करता है।
लिवर साफ करता है।
विषाक्त पदार्थों के कारण लिवर में टॉक्सिक और फैट जमा हो जाते हैं। ‘कोलोन क्लींजिंग’ लिवर को साफ करता है जिससे कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
लसीका प्रणाली को साफ करता है (lymphatic system)
लसीका प्रणाली (lymphatic system) शरीर के अंदर एक बहुत बड़ा नेटवर्क है जिसमें लसीका वेसेल्स (lymphatic vessels) होती हैं। यह वेसल्स लिंफ (lymph) को हृदय तक पहुंचाती है। लिंफ एक तरह का fluid है जो lymphatic system में पैदा होता है। कोनोल के दूषित होने के बाद संभावना होती है कि यह प्रणाली भी दूषित हो जाए। लेकिन बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी से लिंफेटिक सिस्टम का बचाव किया जा सकता है।
त्वचा को साफ करता है
बृहदांत्र हाइड्रो थेरेपी के बाद त्वचा में मौजूद टॉक्सिक भी कम होने लगते हैं। इससे आंखें भी मजबूत होती है और स्किन सुंदर और चमकदार हो जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
शरीर से विषाक्त पदार्थों का बाहर निकलना बहुत जरूरी है। अगर शरीर पूरी तरह से विषाक्त हो जाता है तो इससे शरीर के कई अंग अपनी कार्य क्षमता खो बैठेंगे। परिणामस्वरूप शरीर एकाएक काम करना बंद कर सकता है। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि आप अपने शरीर को Detox करें। बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी (colon hydrotherapy) इसका किफायती उपचार है। अगर आप चाहे तो Pristyn Care की देखरेख में बृहदांत्र हाइड्रोथेरेपी (colon hydrotherapy) करवा सकते हैं।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|