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सिस्टोस्कॉपी सर्जरी क्या है और क्यों किया जाता है?

आपने अक्सर यह अनुभव किया होगा कि जब किसी मरीज को ब्लैडर या यूरेथ्रा से संबंधित किसी तरह कि कोई समस्या होती है तो डॉक्टर उनको एक्स-रे, खून और पेशाब कि जांच कराने कि सलाह देते हैं। ब्लैडर या यूरेथ्रा वह ट्यूब है जो पेशाब को आपके शरीर से बाहर ले जाने का काम करता है। कुछ स्थितियों में डॉक्टर को ब्लैडर के अंदर देखने कि आवश्यकता होती है इसलिए सिस्टोस्कॉपी कराने का सुझाव देते हैं ताकि वे वहां की स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकें। 

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सिस्टोस्कॉपी सर्जरी क्या है?

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सिस्टोस्कॉपी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके दौरान डॉक्टर आपके ब्लैडर या यूरेथ्रा कि जांच करते है। इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर सिस्टोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं। सिस्टोस्कोप एक पतली ट्यूब कि तरह होता है जिसके एक छोर पर कैमरा और लाइट लगा होता है। डॉक्टर इसे यूरेथ्रा में डालकर ब्लैडर तक ले जाते हैं। सिस्टोस्कोप में एक और टूल मौजूद होता है जिसकी मदद से ब्लैडर के टिशू को बाहर निकाला जाता है, क्योंकि डॉक्टर बाद में माइक्रोस्कोप कि मदद से उसकी जांच करते हैं।       

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सिस्टोस्कॉपी दो प्रकार से किया जाता है, एक फ्लेक्सिबल और दूसरा रिजिड। दोनों ही प्रक्रियाओं के दौरान सिस्टोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है। सिस्टोस्कोप को डॉक्टर अलग अलग तरह से ब्लैडर के अंदर डालते हैं। इस सर्जिकल प्रक्रिया को शुरू करने से पहले डॉक्टर आपको पेशाब कि जांच कराने का सुझाव देते हैं और साथ ही साथ आपको कुछ एंटीबायोटिक दवाएं में निर्धारित करते हैं जिससे इंफेक्शन होने का खतरा कम या खत्म हो जाता है। सिस्टोस्कॉपी की प्रक्रिया के शुरू होने से पहले अगर आपके मन में इससे संबंधित किसी भी तरह का कोई प्रश्न हो तो अपने डॉक्टर से उस बारे में अवश्य बात करें। 

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सिस्टोस्कॉपी सर्जरी क्यों किया जाता है?

सिस्टोस्कॉपी सर्जरी ढेरों समस्याओं कि जांच और इलाज करने के लिए किया जाता है। जिसमें रात में बार बार पेशाब लगना, एक बार में पूरी तरह से पेशाब नहीं होना, पेशाब के साथ खून आना, यूरिनरी ट्रैक्ट में बार बार इंफेक्शन होना, ब्लैडर कैंसर का परीक्षण करने के लिए कुछ टिशूज को बाहर निकालना, ब्लैडर से स्टोन निकालना, ब्लैडर में दवाई डालना, और स्टेंट को लगाना और निकालना। स्टेंट एक छोटी ट्यूब है जिसे यूरिनरी सिस्टम में डालकर वहां के ब्लॉकेज को ठीक किया जाता है। कुछ स्थितियों में डॉक्टर सिस्टोस्कॉपी करने से मना भी करते हैं या फिर चल रही सिस्टोस्कॉपी सर्जरी की प्रक्रिया को तुरंत रोक देते हैं। इन स्थितियों में बार बार इंफेक्शन होना, सर्जरी के दौरान काफी दर्द होना, और यूरेथ्रा में स्कार टिशू का मौजूद होना जो सिस्टोस्कोप कि गति को प्रभावित करता है आदि शामिल हैं। बार बार इंफेक्शन होने कि स्थिति में डॉक्टर आपको कुछ दिनों तक एंटीबायोटिक लेने का सुझाव देते हैं।   

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सिस्टोस्कॉपी सर्जरी कैसे किया जाता है?               

सिस्टोस्कॉपी कराने से पहले आपको कुछ खास तैयारियां करनी होती हैं, जिसके बारे में डॉक्टर आपको बताते हैं। अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है या आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का शक है तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक लेने का सुझाव देते हैं। दूसरी अन्य स्थितियां जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड से संबंधित डिसऑर्डर, डायबिटीज और दवाओं के प्रति एलर्जी के बारे में पता लगाने के लिए शारीरिक जांच करना जिसमें एक्स-रे, खून और पेशाब का जांच आदि शामिल हैं। अगर आप पहले से ही किसी प्रकार की दवा का सेवन कर रहे हैं तो तो इस बारे में अपने डॉक्टर को अवश्य बताएं। 

सिस्टोस्कॉपी से पहले डॉक्टर आपको कुछ निर्देश दे सकते हैं जैसे कि अगर रिजिड सिस्टोस्कॉपी सर्जरी कि जा रही है तो उसके शुरू होने के कुछ घंटे पहले आपको कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए। लेकिन अगर फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कॉपी कि जा रही है तो आप इस प्रक्रिया के शुरू होने से पहले कुछ भी खा पी सकते हैं। अगर सर्जरी वाले दिन आपको किसी भी दवा का सेवन करना है तो उसके साथ कम से कम पानी पिएं। 

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सिस्टोस्कॉपी से पहले अगर आपको सर्दी, जुखाम, फ्लू, इंफेक्शन या दूसरी कोई भी परेशानी है तो अपने डॉक्टर को इस बारे में बताएं। जिस दिन सिस्टोस्कॉपी सर्जरी होने वाली है उस दिन हॉस्पिटल में अपने साथ किसी रिश्तेदार को ले जाएं ताकि सर्जरी खत्म होने के बाद आप आराम से उनके साथ अपने घर जा सकें। आमतौर पर सिस्टोस्कॉपी सर्जरी के बाद मरीज का शरीर काफी कमजोर हो जाता है। जब डॉक्टर आपको सिस्टोस्कॉपी कि पूरी प्रक्रिया के बारे में समझा देते हैं तब आपसे एक अनुमति फॉर्म पर साइन करवाया जाता है और फिर उसके बाद आपको सिस्टोस्कॉपी के लिए ऑपरेशन रूम में ले जाया जाता है। इसके बाद डॉक्टर सर्जरी की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।    

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फ्लेक्सिसबल सिस्टोस्कॉपी कराने के बाद आप उसी दिन अपने घर जाने के लिए फिट हो जाते हैं। लेकिन रिजिड सिस्टोस्कॉपी कराने के बाद डॉक्टर आपको हॉस्पिटल में तब तक रुकने के लिए कह सकते हैं जब तक कि एनेस्थीसिया का असर पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता। रिजिड सिस्टोस्कॉपी के बाद कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स के रूप में सूजन, पेशाब में खून आने और पेट के निचले हिस्से में दर्द होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन ये सभी समस्याएं एक या दो दिन के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाती हैं। इसलिए आपको ज्यादा घबराने कि जरूरत नहीं है। 

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विशेषज्ञ का यह भी मानना है कि रिजिड सिस्टोस्कॉपी कि प्रक्रिया के बाद कुछ गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसमें यूरिनरी ब्लैडर का खराब होना और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होना शामिल हैं। इन स्थितियों में बिना देरी किए अपने डॉक्टर से मिलकर इन समस्याओं के बारे में उन्हें बताना चाहिए ताकि वे जल्द से जल्द इनका उपाय कर सकें। सिस्टोस्कॉपी के बाद आपको हेल्दी डाइट लेनी चाहिए और रोजाना सुबह और शाम में हल्का फूलका व्यायाम भी करना चाहिए। प्रक्रिया खत्म होने के बाद आप जब तक पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते आपको अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

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