fertilization kya hai- implantation ke lakshan

आमतौर पर महिलाएं युवावस्था में आने के बाद गर्भवती होने में सक्षम हो जाती हैं। यौवन (puberty) के बारे में जानने का सबसे आसान संकेत है ‘मासिक धर्म’। इसे पीरियड्स भी कहते हैं। ये पीरियड्स हर महीने होते हैं, लेकिन जब महिला मेनोपॉज में पहुंच जाती है, तो हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं। इसका मतलब है कि मेनोपॉज के बाद महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भवती नहीं हो सकती हैं।

ओवुलेशन, फर्टिलाइजेशन और इम्प्लांटेशन, इन तीन गर्भधारण की प्रक्रियाओं के बाद कोई महिला गर्भवती होती है। जब महिला मेनोपॉज से गुजरती है तो अंडों का निर्माण बंद हो जाता है। ओवुलेशन न होने के कारण फर्टिलाइजेशन भी नहीं हो पाता है। 

किसी सहायक प्रजनन तकनीक (आईवीएफ, आईयूआई) के बिना गर्भाधारण के लिए ओवुलेशन और निषेचन की प्रक्रिया बहुत जरूरी है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि फर्टिलाइजेशन क्या है और इसके बाद क्या होता है।

फर्टिलाइजेशन क्या है और यह कब होता है?

एक वाक्य में कहा जाए तो- जब मेल गैमेट (स्पर्म) और फीमेल गैमेट (एग) आपस में मिलते हैं और जाईगोट का निर्माण करते हैं तो इसे फर्टिलाइजेशन कहते हैं। प्राकृतिक रूप से यह प्रक्रिया फैलोपियन ट्यूब में होती है।

ओवुलेशन पीरियड के दौरान प्रजनन हार्मोन अंडाशय को अंडा बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। जब अंडा परिपक्व हो जाता है तो फैलोपियन ट्यूब में जाता है और यहाँ पर लगभग 24 घंटे तक रहता है। इस चौबीस घंटे के भीतर अगर अंडा शुक्राणु (sperm) के संपर्क में आता है तो फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

फर्टिलाइज हो चुके अंडे को जाईगोट (zygote) कहते हैं। यह फैलोपियन ट्यूब के रास्ते गर्भाशय में जाता है। यात्रा के दौरान यह अलग होता है, बढ़ता है और एक मल्टी सेलुलर आकार में बदल जाता है और गर्भाशय के अस्तर में इम्प्लांट (Implant) हो जाता है।

कन्सेप्शन और इम्प्लांटेशन के बीच लगभग 8-9 दिनों का अंतर होता है। मतलाब इम्प्लांटेशन की सही तारीख इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कब ओव्यूलेट किया है। यह ओवरी से अंडा निकलने के 6 से 12 दिनों के बीच हो सकता है।

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इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक कृत्रिम प्रक्रिया है जिसमें फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया लैब में ही होती है और फिर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। इसमें महिला के गर्भवती होने के चांस अधिक रहते हैं। यह आमतौर पर उन महिलाओं के लिए हैं जो किसी कारणवश प्राकृतिक रूप से गर्भाधारण कर पाने में सक्षम नहीं हैं।

इम्प्लांटशन के बाद के लक्षण

भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद शरीर में कई बदलाव होने लगते हैं। हमारा शरीर ऐसे कई लक्षण दिखाने लगता है, जो एक सफल इम्प्लांटेशन की ओर इशारा करते हैं। यह दर्शाता है कि महिला गर्भवती हो गई है। चलिए इन्हीं कुछ संकेतों को जानते हैं:

ब्लीडिंग

हल्की ब्लीडिंग शुरुआती प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है। पहली तिमाही में लगभग 15-25 प्रतिशत महिलाओं को ब्लीडिंग होती है, जिसका मुख्य कारण इंप्लांटेशन है।

लेकिन यह ब्लीडिंग संशय युक्त होती है, क्योंकि यह आपके पीरियड  शुरू होने का लक्षण भी हो सकती है।

यह पता करने के लिए कि ब्लीडिंग इम्प्लांटेशन के कारण हो रही है या पीरियड के कारण, आपको निम्न अंतर समझना होगा:

  • इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में खून बहता नहीं है बल्कि स्पॉटिंग होती है।
  • इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग की स्थिति में खून का रंग हल्का गुलाबी या भूरा होता है जबकि पीरियड्स में लाल या गहरा लाल होता है।

यह स्पॉटिंग एक बार, कुछ घंटा या फिर 2-3 दिनों तक हो सकती है। आप अंडर वियर में गुलाबी या भूरे रंग के धब्बे देखेंगीं। हालांकि, आपको सेनेटरी पैड्स के उपयोग की जरूरत नहीं होगी, स्पॉटिंग सामान्य रहेगी।

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ऐंठन

ऐंठन या आपकी पीठ के निचले हिस्से में होने वाला दर्द इम्प्लांटेशन (आरोपण) का लक्षण हो सकता है। यह ऐंठन स्वयं आरोपण के कारण नहीं होती है, बल्कि प्रक्रिया के दौरान हार्मोन में अचानक बदलाव आने के कारण होती है।

ऐंठन के साथ कुछ महिलाएं पेट में कोमलता का अनुभव कर सकती हैं।

सर्वाइकल डिस्चार्ज

सर्वाइकल म्यूकस गर्भाशय ग्रीवा से निकलने वाला एक चिपचिपा पदार्थ है. आपको अपने सर्वाइकल म्यूकस की निगरानी करनी चाहिए। ओवुलेशन और इम्प्लांटेशन के दौरान महिलाएं सर्वाइकल फ्लूइड में बदलाव महसूस कर सकती हैं।

ओवुलेशन के दौरान सर्वाइकल म्यूकस फिसलन युक्त, साफ़ और खिंचाव युक्त हो जाता है। आरोपण के दौरान यह थोड़ा मोटा हो जाता है और रंग बिलकुल साफ़ या सफ़ेद रहता है।

शुरूआती प्रेगनेंसी के दौरान यह गाढ़ा, मोटा और सफ़ेद या पीला रंग का हो जाता है। सर्वाइकल म्यूकस में इस प्रकार का बदलाव कई अन्य कारणों से भी हो सकता है, इसलिए यह सफल आरोपण का सटीक संकेत नहीं है।

पेट फूलना

आरोपण के बाद, प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन का स्तर तेजी से बढ़ता है। यह पेट फूलने जैसे कई लक्षण उत्पन्न करता है।

हालांकि, संभवतः प्रत्येक महिला यह लक्षण पीरियड्स के शुरुआत में भी महसूस करती है। क्योंकि, जब पीरियड्स शुरू होने वाला होता है तो उस दौरान भी प्रोजेस्टेरोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है।

मतली

यह सफल इम्प्लांटेशन का एक प्रमुख लक्षण है। इसे मॉर्निंग सिकनेस भी कह सकते हैं। हालांकि, यह दिन में किसी भी समय हो सकती है।

प्रोजेस्टेरोन आपके पाचन को धीमा कर देता है जिससे मतली का अहसास होता है। इस दौरान आपके सूंघने की क्षमता में अधिक संवेदनशीलता आती है। मतलब आपको किसी भी गंध का का बहुत जल्दी पता लग जाता है.

सिर दर्द

आरोपण के बाद कई कारण सिरदर्द होने में योगदान निभाते हैं और प्रोजेस्टेरोन उनमें से एक है। यह ठीक है, लेकिन शायद तब तक अच्छा है जब तक आपको माइग्रेन या तेज दर्द न होने लगे। माईग्रेन की स्थिति में आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए।

मिजाज में बदलाव

मूड स्विंग्स महिला के गर्भवती होने का एक संकेत है। 6-10 सप्ताह के भीतर अधिकतर महिलाएं मूड स्विंग का अनुभव करती हैं। एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और एचसीजी हार्मोन आरोपण के बाद तेजी से बढ़ते हैं जिससे मूड स्विंग होता है।

स्तन में कोमलता

इम्प्लांटेशन के बाद बढ़ा हुआ एचसीजी, प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हॉरमोन स्तनों की कोमलता को बढ़ाता है। कई मामलों में स्तनों को छूने से दर्द भी होता है।

पीरियड्स की शुरुआत में भी कई महिलाएं स्तनों में सूजन और कोमलता अनुभव करती हैं। इम्प्लांटेशन के बाद यह अनुभव सामान्य से अधिक बार होता है।

भूख लगना

खाने की लालसा बढ़ जाती है। खट्टा, नमकीन, फलों का जूस, सब्जी और चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थों को खाने का अधिक मन करता है। यदि आपको मांस खाने की अधिक लालसा होती है तो इससे बचें। 2006 की एक रिसर्च के मुताबिक़ ज्यादा मांस खाने वाली महिलाओं को अधिक मॉर्निंग सिकनेस का सामना करना पड़ता है।

थकान

इम्प्लांटेशन के कुछ ही दिनों बाद महिलाएं थकान का अनुभव करने लगती हैं जो पहली तिमाही तक या इसके बाद भी जारी रहता है। यह पूरी तरह से सामान्य है। हार्मोनल बदलाव के कारण थकान, कमजोरी और इमोशनल विचार आना लाजमी है।

निष्कर्ष

फर्टिलाइजेशन एक जटिल प्रक्रिया है जिससे गर्भावस्था की शुरुआत होती है। यदि अंडा फर्टिलाइज नहीं हो पाता तो महिला गर्भवती नहीं होती है।

महिला गर्भवती है या नहीं, यह पता लगाने के लिए घर में ही प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं। इसके लिए एक किट आती है जो पेशाब में एचसीजी (human chorionic gonadotropin) हार्मोन की बढ़ोतरी को मापती है। फर्टिलाइजेशन के लगभग 12-15 दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाना चाहिए।

यदि प्रेगनेंसी टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आता है तो अधिक चिंता न करें। यह परिणाम हमेशा भरोसेमंद नहीं होते हैं। सटीक परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको हॉस्पिटल में जाकर प्रेगनेंसी टेस्ट कराना चाहिए।

यदि अंडा निषेचित नहीं हो रहा तो यह प्रजनन संबंधी समस्याओं का परिणाम है। आप अपने शहर में स्थिति प्रिस्टिन केयर फर्टिलिटी केंद्र में जा सकते हैं। यहां शहर के सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ पहले बांझपन का निदान करते हैं और फिर उसके अनुसार इलाज करते हैं। अधिक जानने के लिए या हमारे स्त्री रोग विशेषज्ञ से बात करने के लिए आप हमें कॉल कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|