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Pitt Ki Thaili Mein Pathri - (Gallbladder Stone Treatment In Hindi)

पित्त की थैली में स्टोन एक दर्दनाक स्थिति है, जिसके कारण पित्त की थैली अपने रोजाना के कार्यों को करने में असमर्थ रहती है। हम चिकित्सा विशेषज्ञता के साथ कम से कम चीरा लगाकर दूरबीन सर्जरी, 24*7 देखभाल के लिए केयर कोऑर्डिनेटर और ऑपरेशन के बाद की देखभाल के साथ पित्त की थैली की पथरी निकालने का अचूक उपाय प्रदान करते हैं।

पित्त की थैली में स्टोन एक दर्दनाक स्थिति है, जिसके कारण पित्त की थैली अपने रोजाना के कार्यों को करने में असमर्थ रहती ... और पढ़ें

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पित्ताशय क्या है और पित्त की पथरी कैसे होती है? (Gall Bladder in Hindi)

पित्ताशय, पित्त की थैली या गॉलब्लैडर शरीर का छोटा सा अंग है। यह लिवर या फिर यकृत के पीछे स्थित होता है। पित्ताशय का मुख्य कार्य पित्त (Bile) या डाइजेस्टिव फ्लूइड को एकत्रित करना है और उसे पित्त नली से छोटी आंत में ले जाना है। डाइजेस्टिव फ्लूइड लिवर में बनता है। पित्ताशय नाशपाती के आकार का होता है। कई बार पित्ताशय में पथरी (Gallbladder stone in Hindi) की समस्या हो जाती है। जिसके कारण पथरी के इलाज की आवश्यकता होती है। 

पित्त की पथरी को अंग्रेजी भाषा में गॉल स्टोन कहते हैं। इन पथरी का निर्माण पित्ताशय की थैली में होता है। पित्त की पथरी लीवर के नीचे होती है। यदि सही समय पर दूरबीन द्वारा पथरी का ऑपरेशन नहीं होता है तो पित्त की पथरी के कारण रोगी को अत्यधिक दर्द का अनुभव हो सकता है। पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है और वह जमने लगता है, तो व्यक्ति पित्त को पथरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। पित्त की पथरी के कारण रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण रोगी को पाचन संबंधित समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे में रोगी असहनीय दर्द का सामना करते हैं और साथ में उन्हें खाना पचने में भी दिक्कत आती है। हमारे विशेषज्ञ सर्जन के साथ परामर्श सत्र बुक करें और दूरबीन द्वारा पथरी का ऑपरेशन कराएं।

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पित्ताशय की पथरी के प्रकार - Types of Gallstone in hindi

पित्ताशय की पथरी के इलाज (पित्त की थैली की पथरी निकालने का अचूक उपाय) के बारे में जानकारी से पहले यह जानना आवश्यक है कि पित्त की पथरी कितने प्रकार की होती है। कुछ मामलों में पथरी के प्रकार के आधार पर ही इलाज की योजना बनती है। पित्ताशय की पथरी को उनकी संरचना के आधार पर दो मुख्य प्रकार में बांटा गया है:

  • कोलेस्ट्रॉल पथरी: कोलेस्ट्रॉल की पथरी पित्ताशय की पथरी का सबसे आम प्रकार है। यह लगभग 80 से 85% मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है कि जो पथरी कोलेस्ट्रॉल से बनती है वह कोलेस्ट्रॉल पथरी कहलाती है। यह पित्त में पाया जाने वाला एक वसायुक्त पदार्थ है। यह पथरी आकार और रंग में भिन्न हो सकती हैं। अधिकतर मामलों में पथरी का रंग पीला और हरा होगा। कोलेस्ट्रॉल की पथरी तब विकसित होती है जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित नहीं होती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में कोलेस्ट्रॉल मात्रा बढ़ जाती है और यह जमने लग जाते हैं। 
  • पिगमेंट पथरी: पिगमेंट पथरी मुख्य रूप से बिलीरुबिन से बनती है। बिलीरुबिन एक प्रकार का पदार्थ है जो रेड ब्लड सेल्स के टूटने के बाद उत्पन्न होने वाले वेस्ट प्रोडक्ट से बनता है। इस प्रकार की पथरी का निर्माण कैल्शियम से भी हो सकता है, जो पित्त में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल की पथरी के विपरीत, ये पथरी आम तौर पर छोटी और गहरे रंग की होती है। जब पित्त में बिलीरुबिन की मात्रा अत्यधिक हो जाती है तो पित्त अपना काम नहीं कर पाती है, जिसके कारण पित्त की पथरी का निर्माण होता है। 

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से गुज़र रहे हैं?

लैप्रोस्कोपिक कॉलेसिस्टेक्टमी क्या है? (Cholelithiasis Treatment in Hindi)

लैप्रोस्कोपिक कॉलेसिस्टेक्टमी (Laparoscopic Cholecystectomy, cholelithiasis in hindi) पित्ताशय यानी कि गॉल ब्लैडर (Gallbladder) से संबंधित सर्जरी है। पित्ताशय में स्टोन यानी पथरी हो जाती है, जिसे सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है। गॉल ब्लैडर(पित्ताशय की थैली) में होने वाली इस सर्जरी को लैप्रोस्कोपिक कॉलेसिस्टेक्टमी सर्जरी कहते हैं। गॉल ब्लैडर (पित्ताशय की थैली) में स्टोन यानी पथरी होना आज एक आम समस्या है और एक ही परिवार में कई लोगों को हो सकती है। पित्त की थैली में पथरी होने का सबसे बड़ा कारण है फैट युक्त भोजन की ज्यादा मात्रा लेना। सर्जन सर्जिकल उपकरण पेट में डालते हैं। इन सर्जिकल उपकरण में दूरबीन (Telescope) लगा रहता है। जिसकी मदद से पेट के अंदर सर्जरी की जाती है। इसके बाद सर्जन पित्ताशय वाहिनी (Cystic Duct) और धमनी यानी artery को पित्ताशय से अलग करते हैं। फिर गॉल ब्लैडर(पित्ताशय की थैली) को लिवर से अलग करते हैं। इसके बाद गॉल ब्लैडर(पित्ताशय की थैली) को निकाल देते हैं। इसके बाद चीरे वाले स्थानों पर टांके लगाते हैं।

पित्त की थैली में स्टोन का ऑपरेशन (Gallbladder ki pathri)

पित्त की पथरी का इलाज तभी सफल हो पाएगा जब डॉक्टर को ऑपरेशन से पहले रोगी के स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पता होगा। स्वास्थ्य की जांच के लिए डॉक्टर अलग-अलग परीक्षण का सुझाव देते हैं, जिनके बारे में हम एक-एक करके बात करने वाले हैं – 

पित्त की पथरी की जांच

  • पेट का अल्ट्रासाउंड: पित्ताशय की पथरी का निदान करने के लिए पेट का अल्ट्रासाउंड सबसे सामान्य परीक्षण है। इसमें एक उपकरण (ट्रांसड्यूसर) को पेट के क्षेत्र में डाला जाता है, जिससे कंप्यूटर को सिग्नल भेजा जाता है। यह उपकरण दर्शाता है कि पेट के किस भाग में क्या समस्या है।
  • एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस): इस प्रक्रिया के द्वारा पित्ताशय के छोटे आकार की पथरी का पता लगाया जा सकता है जिसकी पुष्टि अल्ट्रासाउंड से नहीं हो पाती है। एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड के दौरान डॉक्टर मुंह और पाचन तंत्र के माध्यम से एक पतली ट्यूब (दूरबीन/एंडोस्कोप) को डालते है। ट्यूब में एक छोटा अल्ट्रासाउंड उपकरण (ट्रांसड्यूसर) ध्वनि तरंगें उत्पन्न करता है, जो आसपास के ऊतकों की एक सटीक छवि बनाता है।
  • सीटी स्कैन (कंप्यूटेड टोमोग्राफी): पित्ताशय और आसपास के अंगों की अधिक स्पष्ट और सटीक छवियों के लिए सीटी स्कैन का उपयोग किया जाता है। इस परीक्षण का सुझाव अधिकतर उन मामलों में दिया जाता है, जिनमें पित्ताशय की पथरी के कारण अनेक जटिलताएं उत्पन्न हो रही है। अल्ट्रासाउंड से भी स्थिति की पुष्टि न होने पर डॉक्टर इस परीक्षण का सुझाव देते हैं। 
  • एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलैंजियोंपैंक्रिटोग्राफी (ईआरसीपी): ईआरसीपी एक प्रक्रिया है, जिसका उपयोग पित्त और पेनक्रियाज की नलिकाओं की स्थितियों के निदान और उपचार के लिए किया जाता है। ईआरसीपी के दौरान, नलिकाओं की जांच करने के लिए एक एंडोस्कोप को मुंह, फूड पाइप, और पेट में डाला जाता है। फिर डाई को नलिकाओं में इंजेक्ट किया जाता है, और पित्त पथरी की पहचान के लिए एक्स-रे का प्रयोग होता है, जो पित्त नलिकाओं तक पहुंच सकती हैं।
  • एमआरसीपी: मैग्नेटिक रेजोनेंस कोलेन्जियोपेनक्रिएटोग्राफी (एमआरसीपी) एक प्रकार का एमआरआई है जो पित्त नलिकाओं की सटीक छवि बना सकता है। इस प्रक्रिया में कोई भी कट या फिर चीरा नहीं लगाया जाता है। 
  • कोलेसिंटिग्राफी (हिडा स्कैन): इस जांच प्रक्रिया के द्वारा पित्ताशय और पित्त प्रणाली के कार्य का आकलन किया जाता है। यह एक आधुनिक तकनीक है जिसका सुझाव गंभीर मामलों में ही दिया जाता है। 
  • रक्त परीक्षण: रक्त परीक्षण से संक्रमण, पीलिया, अग्नाशयशोथ, या पित्ताशय की पथरी के कारण होने वाली अन्य जटिलताओं का पता चल सकता है। इस जांच के परिणाम से संभावित जोखिम और जटिलताओं से बचने में सहायता मिलती है।

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पित्त की थैली में स्टोन के इलाज (Pitte ki Pathri ka Ilaj) के लिए खुद को कैसे तैयार करें?

हर प्रकार के ऑपरेशन में डॉक्टर के द्वारा दिए गए दिशा निर्देश एक अहम भूमिका निभाते हैं। यदि आप अपने डॉक्टर के द्वारा दिए गए आवश्यक दिशा निर्देश का पालन करते हैं, तो आपको ऑपरेशन के दौरान कोई समस्या नहीं आएगी और आप सर्जरी के बाद जल्द से जल्द रिकवर भी हो सकते हैं। 

  • प्रक्रिया से कम से कम 8 घंटे पहले तक आपको किसी भी प्रकार के पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। जब आप खाली पेट होते हैं, तो आपके डॉक्टर के लिए सर्जरी करना आसान हो जाता है और इससे वह आपके शरीर के अंदरूनी अंगों को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं, जिससे आपको अन्य अंगों को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं होती है।  
  • सर्जरी से ठीक एक हफ्ते पहले से आपको कुछ दवाओं का सेवन बंद करना होगा, जैसे – एस्पिरिन (सिर दर्द की दवा), खून पतला करने की दवा, विटामिन ई, और गठिया की दवा। यह दवाएं आपके ऑपरेशन के दौरान कुछ समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।
  • यदि आपको खून से संबंधित कोई भी रोग है या फिर आपको बेहोशी वाली दवा से किसी भी प्रकार की एलर्जी है, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को तुरंत बताएं। 
  • अस्पताल पहुंचने के बाद आपको कुछ टेस्ट से गुजरना पड़ सकता है, जिससे आपके स्वास्थ्य के बारे में पता चल सकता है। रक्त परीक्षण, छाती का एक्स-रे और अन्य कुछ टेस्ट आपको सर्जरी के बाद होने वाली जटिलताओं से बचा सकते हैं। 
  • ऑपरेशन के बाद नहाने की सलाह नहीं दी जाती है, इसलिए आप सर्जरी से पहले नहा सकते हैं। डॉक्टर सर्जरी के बाद ऑपरेशन वाले क्षेत्र को सूखा रखने का सुझाव देते हैं, जिसके कारण आप संक्रमण और अन्य जटिलताओं से बच सकते हैं।

दूरबीन से पित्त की थैली में पथरी के ऑपरेशन के फायदे

जब हम पेट और श्रोणि क्षेत्र से संबंधित किसी भी समस्या के इलाज या ऑपरेशन की बात करते हैं, तो दूरबीन की सर्जरी सबसे सफल एवं कारगर प्रक्रिया मानी जाती है। इस तरह के ऑपरेशन को पित्त की थैली की पथरी निकालने का अचूक उपाय माना जाता है। दूरबीन से ऑपरेशन के कुछ फायदे इस प्रकार है – 

  1. कम से कम चीरा – दूरबीन सर्जरी के दौरान, डॉक्टर या सर्जन समस्या वाले क्षेत्र में छोटे छोटे चीरे लगाते हैं। चीरे छोटे होते हैं, जिसके कारण रोगी जल्द से जल्द रिकवर हो जाता है। छोटे चीरे के कारण संक्रमण का खतरा भी कम रहता है। 
  2. कम खून बहना – जब सर्जरी के दौरान बहुत छोटे छोटे चीरे लगाए जाते हैं, तो इस स्थिति में खून भी कम बहता है। 
  3. अस्पताल में कम समय के लिए भर्ती होना – जब पहले सर्जरी होती थी, तो रोगी को कम से कम 5-7 दिन के लिए अस्पताल में रहने की आवश्यकता पड़ती थी। लेकिन अब पित्त की थैली में स्टोन के दूरबीन ऑपरेशन के कारण ज्यादातर रोगियों को 24-48 घंटों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। यह समय सीमा आपके डॉक्टर की सलाह और आपके स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। यदि एनेस्थीसिया का प्रभाव जल्दी खत्म हो जाता है, तो आपको अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल सकती है। 
  4. जल्द रिकवरी – आज से कुछ साल पहले तक, पित्त की पथरी की सर्जरी (पित्ताशय की पथरी की सर्जरी)  के बाद 6-8 हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी जाती थी, लेकिन अब दूरबीन से सर्जरी में रोगी 2-3 हफ्तों के बाद अपने रोजाना के काम को फिर से पहले जैसे शुरू कर सकते हैं। अर्थात आप जल्द से जल्द अपना दैनिक कार्य फिर से शुरू कर सकते हैं। 

लैप्रोस्कोपिक गाल ब्लैडर स्टोन ऑपरेशन में होने वाली प्रक्रिया क्या है?

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी –

  • सर्जन पेट के क्षेत्र में चार छोटे चीरे लगाता है।
  • एक छोर पर कैमरे वाली एक ट्यूब को एक चीरे के माध्यम से पेट में डाला जाता है।
  • सर्जन अलग-अलग सर्जिकल उपकरणों का उपयोग करते हुए कैमरे से जुड़े वीडियो मॉनिटर को देख सकता है जो पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए अन्य चीरों के माध्यम से डाला जाता है।
  • फिर चीरों को सुखाया जाता है और इस प्रक्रिया में आमतौर पर एक से दो घंटे लगते हैं।

पारंपरिक / ओपन सर्जरी–

  • सर्जन पहले मरीज के पेट में दाईं ओर की पसलियों के नीचे 6 इंच लंबा चीरा लगाता है।
  • जिगर और पित्ताशय की थैली को देखने के लिए मांसपेशियों और टिशू को वापस खींच लिया जाता है। 
  • फिर पित्ताशय की थैली को हटा दिया जाता है।
  • लगाए गए चीरे को टांकों से बंद किया जाता है और मरीज को रिकवरी रूम में ले जाया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में लगभग एक से दो घंटे लग सकते हैं।

गाल ब्लैडर स्टोन ऑपरेशन : जोखिम और जटिलताएं (gallbladder ki pathri)

पित्त की थैली को निकालने की सर्जरी की गिनती सुरक्षित प्रक्रिया में होती है, लेकिन अन्य सभी सर्जरी की तरह इसमें कई जोखिम होते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार है – 

  • संक्रमण का जोखिम: पित्त की थैली में स्टोन को निकालने की सर्जरी के बाद सर्जन रोगियों को घाव या आंतरिक संक्रमण या इन्फेक्शन के संभावित जोखिम से अवगत कराते हैं, जिसके कारण गंभीर दर्द उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है। इसके पश्चात घाव से पस का रिसाव भी हो सकता है, और सर्जरी के क्षेत्र के आसपास सूजन या लालिमा भी देखने को मिल सकती है।
  • रक्तस्राव/खून का अधिक बहना: इस बात की संभावना बनी रहती कि ऑपरेशन के दौरान अधिक खून बह जाए, जिसके पीछे का कारण सर्जरी में गलत तकनीक का प्रयोग हो सकता है। हालांकि ऐसे मामले बड़े ही दुर्लभ होते हैं। अक्सर ऐसा तब होता है, जब पित्त की थैली को हटाने की प्रक्रिया के दौरान लिवर में मौजूद एक बड़ी नस या इसकी बड़ी शाखा सामने आ जाए और सर्जरी में उसे किसी भी प्रकार का नुकसान हो जाए। 
  • पित्त का रिसाव: इस तरह की जटिलता 1% मामलों में देखी जाती है। ऐसा तब होता है, जब पित्त की थैली को हटाने के बाद पित्त द्रव कभी-कभी पेट में ही निकल जाता है, जिसके कारण पेट में दर्द, बुखार और पेट में सूजन आने की संभावना होती है। इस स्थिति में डॉक्टर आपको उचित इलाज का सुझाव दे सकते हैं। 
  • पित्त नली की चोट: पित्त की थैली को निकालने की सर्जरी के दौरान पित्त नली क्षतिग्रस्त हो सकती है। इसे गाल ब्लैडर स्टोन ऑपरेशन के दौरान ठीक किया जा सकता है। 
  • बेहोशी की दवा से एलर्जी: हर व्यक्ति का शरीर अलग अलग होता है। यही कारण है कि कुछ व्यक्तियों का शरीर बेहोशी की दवा के अनुकूल नहीं होता है अर्थात, बेहोशी की दवा से उन्हें एलर्जी होती है। हालांकि ऐसे मामले दुर्लभ हैं और इससे संबंधित जटिलताओं की सूची में खुजली और अन्य एलर्जिक प्रतिक्रियाएं शामिल होती हैं। इस जटिलता को सर्जरी से पहले ही टाला जा सकता है। यदि आप ऐसा करना चाहते हैं, तो आपको अपने स्वास्थ्य स्थिति और एनेस्थीसिया का आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव के संबंध में अपने डॉक्टर से बात ज़रूर करनी चाहिए। वह इस संबंध में उचित इलाज दे सकते हैं। 
  • आंत, आंत्र, या रक्त वाहिकाओं में किसी भी प्रकार की हानि: ऐसा बहुत कम बार देखा गया है कि पित्त की थैली को निकालने के लिए उपयोग किए गए उपकरणों से आंत, आंत्र, या रक्त वाहिकाओं या पित्त के आस-पास के अंगों को किसी भी प्रकार का नुकसान हुआ हो। लेकिन यदि ऐसा होता भी है तो उसे सर्जरी के दौरान भी ठीक किया जा सकता है। 
  • खून के थक्के जमना या डीवीटी: सबसे पहले तो आपको यह समझना होगा कि इस तरह के मामले बहुत कम देखे गए हैं। यह ऐसी स्थिति है, जहां ऑपरेशन के दौरान रोगी के शरीर में कोई हलचल नहीं होती है या इस दौरान रोगी के शरीर में कैंसर की मौजूदगी का पता चलता है। इस स्थिति में खून शरीर के अलग अलग नसों में रुक सकता है, जिसके कारण शरीर और फेफड़ों में रक्त के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि यह स्थिति उत्पन्न हुई, तो आपको तुरंत ही अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। 

पित्त की पथरी के लिए दूसरे उपचार का विकल्प

दवाएं: अक्सर डॉक्टर ursodiol या chenodiol नाम की दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। इस दवा से पित्ताशय में मौजूद पित्त को पतला किया जाता है। जो इस समस्या को काफी हद तक सुलझा सकता है। 

बिना सर्जरी के उपचार: नीचे पित्त की थैली में पथरी के कुछ इलाजों के बारे में बताया गया है, जो बिना सर्जरी के संभव है – 

  • एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ESWL): यह प्रक्रिया गुर्दे एवं पित्त की थैली के इलाज के लिए कारगर साबित हो सकते हैं। इसके द्वारा 2 सेमी से कम की पथरी को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है। 
  • एमटीबीई इंजेक्शन (MTBE injection): एक ड्रग है, मिथाइल टर्ट-ब्यूटाइल इथर, जिसे पित्ताशय में इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है। इस इंजेक्शन के कारण पथरी पित्त की थैली में ही गल जाती है। इस बात में कोई शंका नहीं है कि यह प्रक्रिया तुरंत कार्य करती है, लेकिन इसके कुछ घातक साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं, जैसे – पेट के क्षेत्र में कष्टदायक जलन। 
  • एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड चोलैंगियोपैरेग्रोफी (ERCP): इस प्रक्रिया में पित्ताशय में मौजूद पथरी को दूरबीन के द्वारा निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में एक एंडोस्कोप या फिर दूरबीन का प्रयोग होता है, जिसमें एक कैमरा लगा होता है। इसे आपके मुंह के अंदर से डालकर उस भाग से निकाला जाता है जहां पर पित्त की नली छोटी आंत में खुलती है। इस प्रक्रिया में पित्ताशय को नहीं निकाला जाता, इसलिए इस बात की संभावना अधिक रहती है कि पित्त की थैली की पथरी एक बार फिर से बने और आपको फिर से परेशान करे। 

सर्जरी के द्वारा उपचार: दूरबीन से पित्ताशय को निकालने के सिवाय, आपका डॉक्टर ऑपरेशन के अन्य तरीकों को अपना सकता है। इस प्रकार की सर्जरी आमतौर पर आज से कुछ समय पहले तक बहुत प्रचलित थी। इस सर्जरी के दौरान या तो दाहिने पसली के नीचे या पेट के ऊपरी भाग के बीच में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है।

पित्त की पथरी का समय पर उपचार न होने पर उत्पन्न होने वाली जटिलताएं

ऐसा हो सकता है कि आपके पित्त की थैली में छोटी पथरी मौजूद हो, लेकिन इसका कोई संकेत या लक्षण न मिले, लेकिन इस बात में कोई भी सत्यता नहीं है कि पित्त की थैली में छोटी पथरी अपने आप ठीक हो जाती है। यदि समय पर पित्त मे पथरी का इलाज नहीं हुआ, तो नीचे बताई गई स्थिति आपको परेशान कर सकती है। 

  • पित्ताशय की सूजन / कोलेसिस्टिटिस: यदि पित्त की पथरी का इलाज नहीं हुआ, तो इसके कारण पित्ताशय समय पर खाली नहीं हो पाता है। इस कारण पित्ताशय में पस बन जाता है, जो पूति (Septicemia) जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकता है। इस स्थिति को जल्द से जल्द इलाज की आवश्यकता पड़ती है। 
  • पित्त नली की सूजन या जलन/ चोलैंगाइटिस: यह संभावित रूप से जानलेवा स्थिति है। इस स्थिति के कारण पित्त की थैली में संक्रमण हो सकता है और इसके कारण पित्ताशय अपना दैनिक कार्यों को करने में असमर्थ रहते हैं। 
  • अग्नाशयशोथ / अग्नाशय में सूजन: पित्त की थैली में पथरी सूजन का कारण बन सकती है, क्योंकि पथरी आपके पित्त या अग्नाशय की नली में कभी कभी फंस जाती है।
  • पित्ताशय / पित्त नली का कैंसर: यह एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें पित्त की पथरी पित्ताशय या पित्त नली में कैंसर का खतरा लगातार बना रहता है। इस कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, जैसे – लंबे समय से पित्ताशय में मौजूद सूजन या पित्त की थैली में लगातार होने वाली जलन। 

गाल ब्लैडर स्टोन ऑपरेशन के बाद रिकवरी कैसे होती है?

दूरबीन की सर्जरी के बाद, ज्यादातर मामले में रोगियों को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। अक्सर इस प्रकार की सर्जरी दिन में की जाती है, लेकिन इस प्रक्रिया का समय अक्सर डॉक्टर के ऊपर निर्भर करता है। रोगियों को अक्सर 1 हफ्ते के लिए किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधियों जैसे – खेल कूद, स्विमिंग, या भारी सामान उठाने से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है। इस तरह की सर्जरी के दो हफ्ते के बाद आप अपने रोजाना के कार्यों को करने के लिए सक्षम हो पाते हैं।

डॉक्टर आपको एक विस्तृत योजना, आहार और शारीरिक प्रतिबंधों के बारे में निर्देश देंगे जिसके साथ आप जल्द से जल्द अपने दैनिक कार्यों को करने में सफल हो पाएंगे। 

गाल ब्लैडर स्टोन ऑपरेशन : मामले का अध्ययन

7 नवंबर को एक 45 वर्षीय महिला पिछले पांच दिन से अपने पेट में दर्द की शिकायत के साथ हमारे पास आई। जब उस महिला की सेहत की जांच हुई, तो उसे 20 मिमी की पित्त की थैली में पथरी का पता चला। डॉ. अमोल गोसावी ने इस समस्या के बारे में स्पष्ट और आसान भाषा में उस महिला को सूचित किया। हर प्रकार के टेस्ट के पश्चात डॉ. अमोल ने दूरबीन से ऑपरेशन का सुझाव दिया, जिसमें कम से कम चीरा लगाया जाता है। 

जैसा कि हम सभी को पता है कि दूरबीन से सर्जरी एक एडवांस एवं आधुनिक सर्जरी है। यह ऑपरेशन बिना किसी समस्या के समाप्त हो गई और रोगी को अगले 6-8 घंटों में छुट्टी भी दे दी गई। उस महिला ने डॉक्टर के द्वारा सुझाए गए सभी नियमों का पालन किया, जिससे वह जल्द से जल्द ठीक होने लगी। फिलहाल वह अपने जीवन से संतुष्ट है और हंसता खेलता जीवन व्यतीत कर रही है। 

पित्त पथरी के इलाज के ज़्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

क्या पित्ताशय को हटाने के ऑपरेशन के बाद मुझे पाचन संबंधी समस्या हो सकती है?

यदि आपके पित्ताशय को ऑपरेशन के द्वारा निकाल लिया गया है, तो आपको पाचन संबंधी किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, पित्त की थैली की पथरी के ऑपरेशन (पित्त की थैली की पथरी निकालने का अचूक उपाय) के बाद पहले महीने में उन्हें वसायुक्त भोजन को पचाने में कठिनाई हो सकती है। ऐसे मामलों में, कम वसा वाले आहार के सेवन की सलाह दी जाती है।

पित्त की थैली हटाने की सर्जरी के बाद मुझे क्या खाना चाहिए?

पित्त की थैली को हटाने के ऑपरेशन के बाद वसायुक्त व्यंजन, चिकना, तला एवं मसालेदार भोजन, कार्बोनेटेड तरल पदार्थ और मादक पेय से खुद को बचाना चाहिए।

भारत में पित्ताशय की थैली की सर्जरी की लागत क्या है?

भारत में पित्ताशय की थैली की सर्जरी की कुल लागत लगभग 40,000 से 1,20,000 रूपए तक हो सकती है। पित्ताशय की थैली की सर्जरी की लागत अस्पतालों में अलग-अलग हो सकती है।

क्या मैं अपनी पित्ताशय की थैली हटाने की सर्जरी से ठीक होने के बाद शराब पीना ठीक रहेगा?

अगर आप पित्ताशय की थैली की सर्जरी के बाद शराब के सेवन से बचें क्योंकि इससे जटिलताएं हो सकती हैं जो गंभीर और जीवन के लिए खतरा हो सकती हैं।

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद मुझे खुद का ख्याल कैसे रखना चाहिए?

लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी के मामले में, मरीज को आमतौर पर उसी दिन या सर्जरी के अगले दिन घर जाने की अनुमति दी जाती है। मरीज बिना किसी सहायता के चल सकता है, और बिना किसी प्रकार के दर्द के खा-पी सकता है। मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में करीब एक हफ्ते का समय लगता है।

  • ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी के मामले में, मरीज को आमतौर पर सर्जरी के दो से तीन दिन बाद छुट्टी दे दी जाती है। मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग चार से छह सप्ताह लग सकते हैं।
  • घर पर, मरीज को चीरा क्षेत्र को साफ और सूखा रखने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए अलग-अलग प्रकार के स्नान निर्देशों का पालन करने की ज़रूरत होती है।
  • चीरा क्षेत्र और पेट की मांसपेशियों के क्षेत्र में थोड़ा दर्द महसूस होना सामान्य बात है। यह दर्द कुछ दिनों तक रह सकता है और समय के साथ ठीक हो जाना चाहिए।
  • दर्द की दवाएं डॉक्टर के निर्देशानुसार ही लेनी चाहिए।
  • जब तक मरीज पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता, तब तक ज़ोरदार और आक्रामक शारीरिक गतिविधियों से बचना चाहिए।
  • सर्जरी के बाद काम फिर से शुरू कब कर सकते हैं इसके बारे में मरीज को डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए।
  • फॉलो-अप अपॉइंटमेंट का ठीक से पालन किया जाना चाहिए।
  • मरीजों को डॉक्टर द्वारा बताए गए खान पान के तरीकों का पालन करना चाहिए।

पित्ताशय हटाने की सर्जरी के बाद मल से इतनी दुर्गंध क्यों आती है?

पित्ताशय हटाने के बाद कुछ मामलों में रोगी को दस्त का सामना करना पड़ सकता है। शरीर में पित्त में वृद्धि होने के कारण दस्त हो सकते हैं। विशेष रूप से पित्त एसिड बड़ी आंत में प्रवेश कर जाता है, जिसके कारण मल में अधिक शक्तिशाली गंध बनी रहती है।

कितनी सुरक्षित है पित्ताशय की सर्जरी (पित्त की थैली की पथरी निकालने का अचूक उपाय)?

आज से कुछ साल पहले तक पित्त की थैली की सर्जरी बड़े चीरे लगाकर होती थी, जिसके कारण रिकवरी में अक्सर समय लगता था और कभी कभी इसके कारण जीवन पर खतरा बना खतरा रहता था। लेकिन अब दूरबीन की सर्जरी के साथ हर प्रकार की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है और इसके साथ अक्सर रिकवरी में भी तेजी देखने को मिलती है। 

किस प्रकार की सर्जरी मेरे लिए उत्तम है?

इसकी जानकारी आपको अपने सर्जन से मिल सकती है। वह आपके स्वास्थ्य की उत्तम गणना करेंगे और फिर उसके परिणाम के आधार पर आपको सर्जरी के प्रकार का सुझाव देंगे। यदि आपके पित्त की थैली में पथरी है तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

क्या है पित्त की थैली की पथरी निकालने का अचूक उपाय?

यदि आप पित्ताशय से पथरी निकालने के अचूक उपायों की खोज में हैं तो आपको एक बात का आभास होना चाहिए कि पित्त की थैली में पथरी एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है और आपको इस संबंध में तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। यदि आप इसमें जरा सी भी देरी करते हैं तो स्थिति आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

पित्ताशय की थैली हटाने के बाद व्यायाम

पित्ताशय की थैली के अपेंडेक्टमी के बाद, व्यायाम करना शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना बेहद महत्वपूर्ण है। अपेंडेक्टमी के बाद, कुछ लोगों को कुछ हद तक आराम करने की आवश्यकता होती है, जबकि दूसरों को अधिक सक्रिय रहने की अनुमति दी जाती है। यह कुछ आम व्यायाम शामिल कर सकता है, जैसे कि चलना, योग, ताइ बॉक्सिंग, और लाइट वेट ट्रेनिंग। हालांकि, ध्यान देने योग्य है कि यह आपके चिकित्सक द्वारा अनुमोदित और आपके रोग की स्थिति के अनुसार होना चाहिए। अपेंडेक्टमी के बाद, शारीरिक गतिविधियों को धीरे-धीरे बढ़ाने की सलाह दी जाती है और जोखिम को कम करने के लिए सही तरीके से उन्हें अंजाम देने के लिए समय लगा सकता है।

पित्त की थैली का मुंह कब खुलता है?

पित्त की थैली का मुंह अपेंडेक्टमी के दौरान खोला जाता है, जो एक सामान्यतः स्थानिक ऑपरेशन होता है। इस कारण, यह किसी भी समय हो सकता है, और इसमें चिकित्सक की निर्देशानुसार विशेष चिकित्सा प्रक्रिया के आधार पर निर्भर करेगा। ऑपरेशन के पश्चात ठीक होने पर, अधिकांश लोग अपेंडेक्टमी के दौरान किए गए मुह के खुलने के प्रभावी तौर पर ठीक होते हैं और वे सामान्य खान-पान और दिनचर्या के कार्यों में वापसी कर सकते हैं। यह विभिन्न पेशेवर मामलों के लिए भिन्न भिन्न हो सकता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

पित्त की थैली निकालने के बाद नुकसान?

पित्त की थैली का निकालना, जिसे लापरोस्कोपिक गला और लापरोटॉमी कहा जाता है, सामान्यतः किसी अनियमित या साइड इफेक्ट को संदर्भित नहीं करता है। चिकित्सकों की सलाह और निर्देशों का पालन करते हुए, लोग आमतौर पर अपेंडेक्टमी के बाद कुछ ही दिनों में स्वास्थ्य की पूरी तरह से वापसी कर सकते हैं। लेकिन, किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया के पहले और बाद में चिकित्सक से परामर्श लेना हमेशा उत्तम होता है।

पित्ताशय की थैली हटाने के बाद गर्भावस्था

पित्ताशय की थैली के निकालने के बाद गर्भावस्था के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती है। लेकिन, इस विषय में किसी भी नई गर्भावस्था की योजना बनाते समय, एक चिकित्सक से परामर्श करना अच्छा होगा। चिकित्सक आपके मेडिकल हिस्ट्री को देखेंगे और आपकी स्थिति के अनुसार सलाह देंगे। अपेंडेक्टमी के बाद, आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को पुनः स्थायी रूप से स्थापित होने में कुछ समय लग सकता है, और इसलिए, आपको अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए जिससे आपकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था के लिए तैयारी की जा सके।

पित्ताशय की थैली की सर्जरी के बाद पीठ दर्द

  • सामान्य सर्जिकल दर्द: किसी भी सर्जरी के बाद, प्रभावित क्षेत्र और आसपास की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। यह सामान्यतः कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रह सकता है।
  • गैस दर्द: लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान पेट में कार्बन डाइऑक्साइड गैस भरी जाती है। यह गैस कंधों और पीठ में दर्द का कारण बन सकती है जब तक कि शरीर से पूरी तरह से निकल न जाए।
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Content Reviewed By
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Dr. Milind Joshi
25 Years Experience Overall
Last Updated : October 19, 2024

हमारे मरीजों की प्रतिक्रिया

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