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हर्निया में क्या करें और क्या न करें?
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मांसपेशी में छेद होने पर उस छेद के माध्यम से अंदरूनी अंग बाहर निकलने लगे तो इसे हर्निया कहते हैं। हर्निया होना एक गंभीर समस्या है लेकिन इसका इलाज आसान है। बच्चों में इनगुइनल हर्निया की समस्या अक्सर देखने को मिलती है। हर्निया होने पर जल्द से जल्द इसका इलाज करा लेना चाहिए क्योंकि बाद में इन्फेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है। हर्निया का सफल इलाज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic surgery) से किया जा सकता है।
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हर्निया के प्रकार
मुख्य रूप से हर्निया के दो प्रकार हैं, वंक्षण हर्निया (inguinal hernia) और उदर हर्निया (Ventral hernia)। उदर हर्निया तीन प्रकार का हो सकता है-
- अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical hernia)- अम्बिलिकल हर्निया नाभि के पास होता है।
- हाइटस हर्निया (Hiatus hernia)- यह हर्निया मध्यपट (diaphragm) के नजदीक होता है। डायाफ्राम एक मांसपेशी है जो छाती और पेट के बीच स्थित होती है।
- इनसिजनल हर्निया (Incisional hernia)- सर्जरी के घाव से यह हर्निया हो सकती है।
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वंक्षण हर्निया के दो प्रकार हैं-
- ऊसन्धि (जांघ और पेट के बीच का भाग) के एक तरफ होता है।
- जनन अंगों (genital parts) के दोनों तरफ होता है।
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हर्निया के लक्षण
शुरुआत में हर्निया के लक्षण कम नजर आते हैं या नजर ही नहीं आते हैं लेकिन, हर्निया का आकार बढ़ रहा है तो प्रभावित क्षेत्र में उभार नजर आता है। हर्निया में ये लक्षण नजर आ सकते हैं-
- प्रभावित क्षेत्र में जलन
- दर्द
- थकान
- उलटी
- अम्बिलिकल हर्निया होने पर नाभि के पास उभार दिखाई देने लगता है।
- मितली
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हर्निया के जोखिम कारक क्या हैं?
बुजुर्गों में हर्निया का खतरा अधिक रहता है। 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों में कभी भी हर्निया हो सकता है। इसके अलावा भी हर्निया के कई जोखिम कारक हैं-
- धूम्रपान
- गर्भावस्था या कई बार गर्भावस्था के दौर से गुजर चुकी महिलाओं में हर्निया का खतरा अधिक रहता है।
- बहुत दिनों से कब्ज है तो हर्निया हो सकता है।
- कमजोर मांसपेशियों में कभी भी छेद हो जाता है जिससे हर्निया की समस्या होती है।
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हर्निया में क्या करें और क्या न करें?
हर्निया होने पर आपको बहुत चीजों पर ध्यान देना होता है। हर्निया में आपको खान-पान से लेकर व्यायाम करने का तरीका भी बदलना पड़ता है। चलिए जान लेते हैं की हर्निया होने पर क्या करें और क्या न करें।
हर्निया होने पर क्या करें?
- रोजाना दो से तीन लीटर पानी पिएँ। हर्निया में पानी पीना बहुत जरूरी है क्योंकि, डिहाइड्रेशन की समस्या हर्निया के दर्द को बढ़ा सकती है। इसके अलावा पानी स्टूल को मुलायम बनाने में भी मदद करता है।
- भरपूर मात्रा में फल और ताज़ी हरी सब्जियों का सेवन करें। फलों और सब्जियों में फाइबर होता है जो भोजन पचाने में मदद करता है।
- हर्निया के दौरान कब्ज की समस्या होती है तो पानी का सेवन अधिक करें और अपच पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ न खाएं।
- हर्निया के दौरान शरीर को डिटॉक्स रखना बहुत जरुरी होता है। शरीर को बिना स्ट्रेच किए पसीना निकालने का प्रयास करें।
हर्निया में क्या न करें?
- हर्निया की समस्या है तो भोजन कम करें। मतलब जितना आमतौर पर खाते हैं उससे थोड़ा कम खाएं।
- धूम्रपान न करें। हर्निया के दौरान शराब का सेवन या सिगरेट पीना हानिकारक है।
- भोजन करने के बाद चलने-फिरने से बचें। खाना खाने के बाद लेट जाएं या बैठ जाएँ।
- मल त्याग करते वक्त जोर न लगाएं। इससे पेट में दबाव बनता है जो हर्निया के आकार को बढ़ा सकता है।
- वजन बिल्कुल न उठाएं। स्ट्रेच एक्सरसाइज या दौड़ना हर्निया को बड़ा कर सकता है।
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हर्निया का इलाज
हर्निया के कम्पलीट इलाज के लिए डॉक्टर सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। हर्निया की सर्जरी दो प्रकार से की जा सकती है, ओपन सर्जरी (open surgery) और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (laparoscopic surgery)।
ओपन सर्जरी में एक लम्बा चीरा लगाया जाता है और उभर रहे अंग को उसके वास्तविक स्थान पर लाया जाता है। दोबारा से हर्निया न हो इसके लिए कमजोर मासपेशियों में एक ख़ास तरह का जाल लगाया जाता है। यह जाल मासपेशियों को मजबूत बनाता है।
ओपन सर्जरी के मुकाबले लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ज्यादा बेहतर हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में एक छोटा चीरा लगाया जाता है और कम समय में ही हर्निया का इलाज हो जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से इलाज कराने पर आप जल्दी ठीक हो जाते हैं और इसके साइड इफ़ेक्ट भी कम हैं।
हर्निया की सर्जरी के बाद रखें ये सावधानियां
हर्निया की सर्जरी के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होने में थोड़ा समय लग सकता है। कुछ टिप्स हैं जिनका पालन सर्जरी के बाद न किया जाए तो इसके बहुत सारे नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। दर्द बढ़ जाता है और दोबारा सर्जन के पास जाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
- सर्जरी के बाद जब तक पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक नशा न करें।
- सर्जरी के बाद 48 घंटे तक गाड़ी न चलाएँ और किसी भी दस्तावेज में दस्तखत न करें। सर्जरी के दौरान जो एनेस्थीसिया दिया जाता है उसका असर अगले 48 घंटो तक रहता है।
- खिंचाव भरा कोई भी कार्य न करें। शरीर में खिंचाव उत्पन्न होगा तो घाव बढ़ सकता है।
- सर्जरी के बाद कम से कम दो दिन तक न नहाएं। घाव में पानी पड़ने पर इंफेक्शन हो सकता है।
- सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक सेक्स न करें। इस तरह के अन्य सवालों को आप सर्जन से पूछ सकते हैं।
- सर्जरी के बाद कड़ी एक्सरसाइज न करें। जल्दी रिकवर होने के लिए आप सुबह चल-फिर सकते हैं या व्यायाम कर सकते हैं।
- कुछ दिनों तक वजन न उठाएं। बहुत जरुरी है तो कम वजनी चीजें उठा सकते हैं लेकिन इसके लिए घुटनों का इस्तेमाल करें। पेट की मांसपेशियों पर जोर न लगाएं।
- डॉक्टर ने जो दवाइयां दी हैं उनका समय-समय पर सेवन करें। जितने दिनों का डोज दिया गया है उसे पूरा करें।
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हर्निया की सर्जरी के बाद किस तरह की डाइट रखें?
हर्निया की सर्जरी के बाद भूख में कमी आ सकती है। यह सर्जरी के स्ट्रेस के कारण होता है। सर्जरी के बाद जल्द ठीक होना चाहते हैं तो शरीर को सभी पोषक तत्व जरूरी मात्रा में मिलना चाहिए। सर्जरी के बाद मांसपेशियों को भी पोषण पहुंचाना होता है इसलिए प्रोटीन का भरपूर सेवन करें। इसके अलावा विटामिन सी, विटामिन डी और कैल्शियम का सेवन करना भी जरूरी है।
हर्निया के कई कारण हैं जिनमे वजन उठाना, क्रोनिक खांसी और कई दिनों का कब्ज शामिल है। इसके अलावा मोटापा भी हर्निया का एक प्रमुख कारण है। हर्निया का इलाज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से किया जा सकता है। हर्निया से परेशान हैं तो आज ही Pristyn Care में ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुक करें और दर्दरहित इलाज करवाएं।
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|