homeopathic-treatment-of-hernia-in-hindi

इंसान आज ढेरों बिमारियों से घिरा हुआ है। हर्निया भी इन्ही में से एक है। जब शरीर का कोई भी हिस्सा अपने सामान्य आकार से बड़ा हो जाता है तो वह शरीर के बाहर उभरा हुआ साफ दिखाई देता है, इसे ही मेडिकल की भाषा में हर्निया कहा जाता है। हर्निया किसी को भी प्रभावित कर सकती है। हर्निया शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है लेकिन ज्यादातर मामलों में यह पेट में देखने को मिलता है। हर्निया के चार प्रकार होते हैं जिन्हे हम इनगुनल हर्निया, हाइटल हर्निया, अम्बिलिकल हर्निया और इंसीजनल हर्निया के नाम से जानते हैं। हर्निया सामान्य बीमारी नहीं है इसलिए इससे पीड़ित होने पर आपको तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए। 

इसे भी पढ़ें: हर्निया के कारण, लक्षण, टेस्ट और बेस्ट इलाज

हर्निया के क्या कारण होते हैं 

हर्निया कई कारणों से होता है लेकिन आमतौर पर यह मांसपेशियों में कमजोरी और तनाव होने की वजह से होता है। मांसपेशियों में कमजोरी और तनाव होने के काफी कारण हो सकते हैं। इसमें बढ़ती आयु या फिर बुढ़ापा, पुरानी खांसी जो काफी लंबे समय से चल रही है, चोट या सर्जरी के कारण पैदा हुआ दर्द, प्रेगनेंट होना, भारी वजन उठाना, पेट में पानी जमा होना, अचानक मोटापा हो जाना आदि शामिल हैं। अगर इन कारणों के बारे में जानकारी होने के बाद आप कुछ चीजों को लेकर थोड़ी बहुत सावधानियां बरतने के बाद खुद को इस बीमारी से बचा सकते हैं।

इसे पढ़ें: जाने फिशर और फिस्टुला में क्या अंतर है   

हर्निया के क्या लक्षण होते हैं 

दूसरी बीमारी की तरह हर्निया के भी कुछ लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप या आपके डॉक्टर इस बात का अंदाजा लगा पाते हैं की आपको हर्निया है। लक्षणों के आधार पर ही डॉक्टर जांच करते हैं। हर्निया के लक्षणों में आप हर्निया से प्रभावित क्षेत्र में उभार और गांठ के जैसा महसूस कर सकते हैं। प्रभावित क्षेत्र में दर्द, जलन, सूजन और सनसनाहट महसूस होती है। इसके अलावा, आप सीने में जलन, पेट में दर्द, चक्कर और उलटी आना, बुखार आना आदि भी महसूस कर सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें: वैरीकोसेल के कारण, लक्षण और योग द्वारा इलाज

कुछ खास तरह की हर्निया जैसे की हियातल हर्निया में सीने में जलन, दर्द और खाने में दिक्कत जैसी परशानीयां सामने आ सकती हैं। उठते, बैठते या काम करते समय हर्निया से प्रभावित क्षेत्र में दर्द हो सकता है। अगर यह दर्द एक दिन रहता है तो इसे हर्निया नहीं कह सकते लेकिन अगर दर्द लंबे समय तक है तो फिर यह हर्निया हो सकता है। हर्निया के लक्षण को देखने के बाद भी इसके इलाज में लापरवाही करना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अगर आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण को खुद में देख रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। 

Hernia Surgery

हर्निया का होम्योपैथिक इलाज  

होम्योपैथी में बहुत सी ऐसी दवाएं मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल हर्निया को ठीक करने के लिए किया जाता है। प्रिस्टीन केयर के इस ब्लॉग में आज हम आपको कुछ खास होम्योपैथी दवाओं के बारे में बताने वाले हैं जो आपकी हर्निया को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से ठीक करने में मदद कर सकती हैं। ज्यादातर लोग होम्योपैथी दवाओं का चुनाव करते हैं क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता है तथा ये दवाएं बहुत ही असरदार होती हैं।    

इसे भी पढ़ें: साइनोसाइटिस (Sinus infection) के कारण, लक्षण, घरेलू इलाज, दवाई और सर्जरी

एस्कुलस हिप्पोकैस्टेनम से हर्निया का इलाज किया जाता है

अगर आप हर्निया से पीड़ित हैं तो एस्कुलस हिप्पोकैस्टेनम की मदद से आप अपनी बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। विशेषज्ञ का कहना है की यह दवा सबसे अधिक फायदेमंद इनगुइनल हर्निया में होती है। अगर आप हर्निया से पीड़ित हैं तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद इस दवा का सेवन कर सकते हैं। यह हर्निया के लक्षण जैसे की गले में खराश की समस्या होना, स्टूल पास करने के बाद दर्द की समस्या होना, बार बार पेशाब लगना, पेट में दर्द होना, सीने में जलन और जकड़न होना, पेट में भारीपन महसूस होना आदि को बहुत ही आसानी से कम समय में कम करता है।        

नक्स वोमिका हर्निया का बढ़िया इलाज है 

नक्स वोमिका हर्निया का एक बढ़िया इलाज है। इस दवा का इस्तेमाल हर तरह की हर्निया के इलाज के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल वयस्कों में हर्निया की प्रॉब्लम को ठीक करने के साथ साथ नवजात शिशुओं के नाभि में जन्मे हर्निया का इलाज करने के लिए भी किया जाता है। नक्स वोमिका हर्निया के लक्षणों को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से कम करता है जिसमें स्टूल पास करते समय दर्द होना, पेट में दर्द की शिकायत होना, मांसपेशियों का कमजोर होना, पेट में गैस या कब्ज की शिकायत रहना, एनल क्षेत्र में खुजली, जलन और बेचैनी होना, ठंड लगना, कभी कभी हल्का बुखार आना, मतली की शिकायत होना आदि शामिल हैं। 

इसे भी पढ़ें: गले में इंफेक्शन का कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

अगर आपको हर्निया है तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद आप नक्स वोमिका का सेवन कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे की बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन न करें। अपने मन मुताबिक इसका सेवन आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए हर्निया को ठीक करने की नियत से इस दवा का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से अवश्य मिलें और उनकी राय लें। 

कैल्केरिया कार्बोनिका से हर्निया का इलाज किया जा सकता है 

हर्निया की होम्योपैथिक दवाओं में कैल्केरिया कार्बोनिका का नाम भी शामिल है। डॉक्टर का मानना है की इस दवा की मदद से हर्निया का इलाज बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। यह दवा उन बच्चों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है जिन्हे हर्निया के कारण सिर पर बहुत अधिक पसीना होता है। बूढ़े लोगों को इस दवा का सेवन करने से मना किया गया है क्योंकि यह उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है तथा उनकी परेशानियों को कम करने के बजाय गंभीर बना सकता है। 

इसे भी पढ़ें: पिलोनिडल साइनस — कारण, लक्षण, जोखिम और घरेलू इलाज

कैल्केरिया कार्बोनिका हर्निया को ठीक करने के साथ साथ दूसरे भी ढेरों लक्षणों को दूर करने में मददगार साबित होता है। जिसमें पेट को छूने पर दर्द होना, पेट में गैस और कब्ज की शिकायत रहना, स्टूल का मोटा और टाइट होना, मोटापे के कारण पेट की मांसपेशियों का कमजोर होना, रात के समय मुंह में खट्टापन बना रहना, मुंह और खासकर जबान सुखना, अच्छे से ब्रश करने के बाद भी मुंह से बदबू आना, पेशाब का गाढ़ा होना तथा उसका रंग बदलना आदि शामिल हैं। अगर आप हर्निया के मरीज हैं तो डॉक्टर के सुझाव पर इस दवा का सेवन कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के बगैर इस दवा का सेवन खतरनाक साबित हो सकता है।                       

लाइकोपोडियम क्लेवेटम हर्निया की बढ़िया होम्योपैथिल दवा है 

लाइकोपोडियम क्लेवेटम भी हर्निया की बढ़िया होम्योपैथिक दवाओं में से एक है। यह भी हर्निया को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से ठीक करता है। हर्निया को ठीक करने के साथ साथ यह दूसरे भी कई लक्षणों को कम करने में बड़ी भूमिका निभाता है जिसमें खाना खाने के बाद में सूजन, दर्द या दोनों की शिकायत होना, दाहिनी तरफ हर्निया होने की प्रवृत्ति यानी की ट्रेंड होना, पेट पर भूरे रंग का धब्बा होना, सामान्य से अधिक भूख लगना, पेट के निचले हिस्से में दायीं तरफ से शुरू होकर बायीं तरफ जाने वाला दर्द होना, स्टूल का टाइट होना, स्टूल पास करते समय दर्द होना, हाथ और पैर सुन्न होता आदि शामिल हैं।      

होम्योपैथिक दवा से हर्निया ठीक न होने पर क्या करें 

कुछ मामलों में हर्निया का इलाज करने की जरुरत नहीं पड़ती है। यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में इस बीमारी का इलाज कराना जरूरी होता है। अगर समय पर इसका सही इलाज नहीं हुआ तो मौत का खतरा भी रहता है। इसलिए डॉक्टर से मिलना हमेशा बेहतर होता है। कुछ हर्निया की स्थिति ऐसी होती है कि उन्हें सिर्फ सर्जरी से ही ठीक किया जा सकता है। हर्निया के इलाज के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी सबसे बेहतर माना जाता है। सर्जरी के लिए जब मरीज पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं तब उन्हें जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। एनेस्थीसिया देने के बाद सर्जरी की जाने वाली जगह पर मौजूद बालों को काटकर हटा दिया जाता है। ऐसा करने से इंफेक्शन होने का खतरा खत्म हो जाता है। सर्जरी से पहले मरीज के पेट को फूलने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड को उनके पेट में पंप किया जाता है।

इसे भी पढ़ें: यूरिन इंफेक्शन या यूटीआई के लक्षण क्या हैं?  

फिर उसके बाद सर्जन प्रभावित क्षेत्र पर एक छोटा सा कट लगाते हैं। कई बार एक से ज्यादा भी कट लगते हैं। इस कट के जरिए लेप्रोस्कोप को पेट के अंदर डालते हैं। लेप्रोस्कोप एक एडवांस टेक्नोलॉजी कैमरा है जिससे डॉक्टर शरीर के अंदरूनी अंगों को बहुत ही बारीकी के साथ देखते हैं जिसके बाद हर्निया की सर्जरी की जाती है। सर्जरी पूरी होने के बाद लैप्रोस्कोप को शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है। फिर लगाए हुए कट को बंद कर दिया जाता है। इस सर्जरी को पूरा होने में मात्र 30 मिनट का समय लगता है। सर्जरी खत्म होने के 24 घंटे के अंदर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। दूसरी प्रक्रियाओं की तुलना में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को बेहतर इलाज का माध्यम माना जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में मरीज को ब्लड लॉस या दर्द नहीं होता है तथा इसमें मरीज का समय भी बचता है। 

इसे पढ़ें: घुटनों में दर्द — कारण, लक्षण और आसान घरेलू इलाज

लेप्रोस्कोपिक सजर्री की प्रक्रिया जल्दी पूरा होने की वजह से मरीज को रिकवर होने में भी बहुत कम समय लगता है। प्रिस्टीन केयर में हर्निया का इलाज कराने पर मरीज को उसके देखरेख की बिल्कुल फिक्र नहीं रहती है। क्योंकि प्रिस्टीन केयर के कर्मचारी अस्पताल में पर्ची कटवाने से लेकर मरीज के खाने और रहने तक का प्रबंध करते हैं। हर्निया की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी अनुभवी और कुशल सर्जन के द्वारा की जाती है। प्रिस्टीन केयर के सर्जन हर्निया को सर्जरी के जरिए आसानी से हमेशा के लिए खत्म कर देते हैं। यहां सभी इलाज एडवांस टेक्नोलॉजी के द्वारा किये जाते है। यहां मरीजों को फ्री फॉलो-अप की सुविधा भी दी जाती है। इसके साथ मरीज के आने जाने का खर्चा भी उठाया जाता है। 

इसे भी पढ़ें: कानों में फंगल इंफेक्शन का कारण, लक्षण और इलाज

प्रिस्टीन केयर इंश्योरेंस टीम के जरिए आप हर्निया का लेप्रोस्कोपिक ट्रीटमेंट 100% तक के इंश्योरेंस क्लेम पर भी करा सकते हैं। प्रिस्टीन केयर में हर्निया का इलाज करने से पहले डॉक्टर कुछ जांच करते हैं ताकि बीमारी और उसकी स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकें। इसमें शारीरिक परीक्षण, खून की जांच, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, एमआरआई आदि शामिल हैं। अगर आप हर्निया की सर्जरी के लिए बेस्ट हॉस्पिटल की तलाश में हैं तो प्रिस्टीन केयर आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। 

आगे पढ़ें

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

Author

Updated on 20th October 2023