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लाइफस्टाइल खराब होने के कारण आज पुरुष कई तरह कि बीमारियों और समस्याओं से जूझ रहे हैं। फाइमोसिस (फिमोसिस) भी इन्ही में से एक है। लिंग की त्वचा जब टाइट हो जाती है तो इस स्थिति को मेडिकल की भाषा में फाइमोसिस कहा जाता है। इस स्थिति में पुरुष के लिंग की ऊपरी स्किन जिसे हम फोरस्किन के नाम से जानते हैं, काफी टाइट होकर जकड़ जाती है जिसके कारण उसे पीछे हटाने में काफी तकलीफ होती है। अगर शुरुआती स्टेज में ही इसका पता चल जाए तो आसानी से इस प्रॉब्लम का इलाज किया जा सकता है। (इसे भी पढ़ें: फाइमोसिस के प्रकार और बेस्ट इलाज)

फाइमोसिस की समस्या सबसे अधिक छोटे बच्चों में देखने को मिलती है। क्योंकि शुरुआत के कुछ सालों में बच्चों के लिंग की फोरस्किन उनके ग्लांस से जुड़ी हुई होती है। जो की कुछ समय के बाद अपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन वयस्क होने के बाद भी अगर यह समस्या जैसी की तैसी रहती है तो यह चिंता का विषय बन सकती है। इसके इलाज के ढेरों उपाय मौजूद हैं जिसकी मदद से इस समस्या से काफी आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।   

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यह कोई गंभीर समस्या नहीं नहीं लेकिन फिर समय पर इसका सही इलाज आवश्यक है। लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करने या इसका इलाज नहीं करवाने से आगे आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण आपको यूरिन इंफेक्शन और दूसरी गंभीर यौन संचारित बीमारियां होने का ख़तरा भी रहता है। अगर आप इस समस्या से पीड़ित हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए। 

फाइमोसिस (फिमोसिस) के कारण 

फाइमोसिस के कई कारण हैं। अगर आपको पहले ही इनकी जानकारी हो जाए तो आप खुद को इस समस्या से बचा सकते हैं। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन फाइमोसिस के मुख्य कारणों में से एक है। अगर आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो आपको फाइमोसीस होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए यूटीआई का सही इलाज करवाकर इससे छुटकारा पा लेना चाहिए। स्किन इंफेक्शन के कारण भी फाइमोसीस की समस्या होती है। स्किन इंफेक्शन के इलाज के लिए आप स्किन संबंधित दवा या क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। अधिक समस्या होने पर आपको डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए। लंबे समय से स्किन इंफेक्शन से पीड़ित होना फाइमोसिस होने की संभावना को बढ़ाता है। 

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एक्जिमा फाइमोसिस के कारणों में से एक है। जो पुरुष इस बीमारी से पीड़ित होते हैं उन्हें फाइमोसिस का खतरा रहता है। अगर आप एक्जिमा के मरीज हैं तो अपना सही से इलाज कराएं। यौनिक संक्रमण से भी फाइमोसीस की समस्या पैदा हो सकती है। यह प्रॉब्लम आमतौर पर असुरक्षित तरीके से सेक्स करने के कारण होती है। यही वजह है की सेक्स एक्सपर्ट सेफ तरीके से सेक्स करने की सलाह देते हैं। इन सबके अलावा, लाइकेन प्लेनुस बीमारी से पीड़ित होने पर भी फाइमोसिस की समस्या सामने आ सकती है। ऊपर बताए गए सभी कारणों को ध्यान में रखकर अगर आप कुछ सावधानियां बरतें तो इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है।        

फाइमोसीस (फिमोसिस) के लक्षण   

दूसरी समस्याओं की तरह फाइमोसिस के भी ढेरों लक्षण हैं जिनकी मदद से आप या आपके डॉक्टर इस बात का अंदाजा लगा पाते हैं की आपको फाइमोसीस है। यह कोई गंभीर या जानलेवा बीमारी नहीं है लेकिन समय पर इसका इलाज आवश्यक है। क्योंकि इलाज नहीं कराने पर आगे यह दूसरी ढेरों बीमारियों का कारण बन सकती है। इसके कारणों में लिंग में सूजन होना, पेशाब से बदबू आना, पेशाब का गाढ़ा होना, लिंग पर लाल धब्बे बनना, लिंग की स्किन में इंफेक्शन होना, पेशाब के दौरान दर्द और जलन होना, पेशाब के दौरान फोरस्किन का फुलना, सेक्स या यूरिन पास करते समय दर्द होना, लिंग की स्किन की सफाई करने में परेशानी होना, उत्तेजना में कमी होना आदि शामिल हैं। (इसे भी पढ़े: पैराफिमोसिस का इलाज)

अगर आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण को खुद में अनुभव करते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस लक्षण के पीछे के सटीक कारणों का पता लगाना चाहिए। अपनी सेहत को लेकर किसी भी तरह से लापरवाही करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

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फाइमोसिस (फिमोसिस) की होम्योपैथिक दवा 

फाइमोसिस का इलाज कई तरह से किया जा सकता है। इसमें एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवा, घरेलू नुस्खे तथा सर्जरी द्वारा खतना शामिल हैं। फाइमोसीस का इलाज होम्योपैथिक दवा के द्वारा भी संभव है। अगर आप इससे पीड़ित हैं तो होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श कर अपनी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे की बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी होम्योपैथिक दवा का सेवन करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। डॉक्टर आपके फाइमोसीस की जांच करने तथा उसकी गंभीरता को समझने के बाद दवा और उसकी खुराक का फैसला करते हैं। इसलिए डॉक्टर से अवश्य मिलें।   

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|