बांझपन से पीड़ित महिलाएं और पुरुष जब भी किसी क्लीनिक में उपचार करवाने के लिए जाते हैं तो कई बार फर्टिलिटी विशेषज्ञ उनकी परिस्थिति के अनुसार आईयूआई या आईवीएफ उपचार करवाने की सलाह देते हैं।
आईवीएफ और आईयूआई दोनों ही बांझपन का उपचार करने की आर्टिफीसियल रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी की प्रक्रियाओं में से एक हैं। लेकिन, दोनों के बीच में जमीन-आसमान का फर्क है।
आज हम जानेंगे कि दोनों के बीच में क्या भिन्नता है।
परिभाषा (Definition)
IUI क्या है? (इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन)
आईयूआई को इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन कहते हैं, इसे हिंदी में अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान कहते हैं। इसमें डॉक्टर पुरुष के स्पर्म से अशुद्धता (अन्य अनावश्यक चीजें जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं) को हटा देते हैं और कैथेटर की मदद से स्पर्म को महिला के गर्भाशय में डालते हैं, जहाँ भ्रूण का प्राकृतिक निर्माण होता है।
पढ़ें– आईयूआई की प्रक्रिया कैसे होती है?
आईवीएफ क्या है?
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को हिंदी में पात्रे निषेचन कहते हैं। इसमें इंजेक्शन की मदद से महिला के अंडाशय से अंडे को बाहर निकाला जाता है और उसे लैब में पेट्री डिश (एक प्रकार का ट्यूब) के भीतर पुरुष स्पर्म के साथ मिलाया जाता है। जब भ्रूण का निर्माण हो जाता है तो सबसे अच्छे भ्रूण का चयन करके डॉक्टर इसे गर्भाशय के अस्तर में रख देते हैं और वहीं पर भ्रूण का विकास होता है और 9 महीने बाद महिला बच्चे को जन्म देती है।
पढ़ें- आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया
प्राकृतिकता (Naturalness)
आईयूआई
आईयूआई उपचार लेस इनवेसिव और ज्यादा प्राकृतिक है, जिसमें भ्रूण का निर्माण गर्भाशय के अस्तर में होता है। हालांकि, उपचार के दौरान गर्भधारण में मदद करने के लिए कुछ प्रकार की दवाइयां दी जाती हैं।
आईवीएफ
यह आईयूआई की तुलना में कम प्राकृतिक है, इसमें भ्रूण का निर्माण लैब में पेट्री डिश में किया जाता है। भ्रूण निर्माण के लिए डॉक्टर महिला के अंडाशय से कई सारे अंडे बाहर निकालते हैं और फिर लैब में उन्हें पुरुष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है और बाद में उसे गर्भाशय में रखा जाता है।
प्रक्रिया
आईयूआई
सबसे पहले पुरुष के स्पर्म को वाश किया जाएगा और उसमें से सभी प्रकार के दोष हटाए जाएंगे, अब महिला के ओवुलेशन का सही समय पता लगाकर ओवुलेशन पीरियड के दौरान आईयूआई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, यह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार से होगी-
- डॉक्टर महिला को बेड में लेटने को कहेंगे, इस दौरान महिला के दोनों पैर रकाब (stirrups) पर होंगे।
- अब महिला के योनि को स्पेकुलम की मदद से फैलाकर कैथेटर (एक प्रकार की ट्यूब) को योनि के भीतर डाला जाएगा, यह ट्यूब गर्भाशय तक पहुँचाई जाएगी।
- अब लैब में वाश किए हुए और तैयार हो चुके सीमन को कैथेटर के जरिए गर्भाशय में डाला जाएगा और वहां पर भ्रूण का प्राकृतिक निर्माण होगा।
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आईवीएफ
आईवीएफ की प्रक्रिया बहुत लम्बी होती है, इसमें कई स्टेप्स होते हैं, जैसे-
- स्टिमुलेशन में अंडों के उत्पादन के लिए डॉक्टर महिला को दवाइयाँ देंगे।
- जब आपके अंडाशय में कई सारे अंडे आ जाएंगे तो एग रिट्रीवल की पक्रिया की जाएगी, जिसमें एक सक्शन डिवाइस के जरिए अंडे को अंडाशय से बाहर निकाला जाएगा।
- अब सभी अंडे को पेट्री डिश में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाएगा।
- भ्रूण का निर्माण हो जाने पर एम्ब्र्यो कल्चर के जरिए सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले कुछ भ्रूण का चयन किया जाएगा।
- अब कैथेटर की मदद से डॉक्टर अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण को गर्भाशय के अस्तर में स्थानांतरित करते हैं।
कारण
आईयूआई
निम्न कारणों से डॉक्टर आईयूआई की प्रक्रिया चयन करते हैं-
- पुरुष के शुक्राणु की गुणवत्ता (स्पर्म काउंट, गतिशीलता आदि) में कोई विकार होने पर।
- आनुवंशिक बीमारी को आगे वाली पीढ़ी में जाने से रोकने के लिए।
- स्खलन या इरेक्शन से जुड़ी परेशानी होने पर
- यदि महिला बिना पार्टनर के गर्भवती होना चाहती है
- अस्पष्टीकृत बांझपन
- हल्का एंडोमेट्रियोसिस
- गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स म्यूकस के साथ समस्या
आईवीएफ
निम्न परेशानियां होने पर आईवीएफ का चयन किया जाता है-
- फैलोपियन ट्यूब के डैमेज होने पर
- ओवुलेशन साइकिल न पता होने पर या पीसीओएस/पीसीओडी होने पर
- एंडोमेट्रियोसिस होने पर
- यूटेराइन फाइब्रॉयड होने पर
- फैलोपियन ट्यूब कटवा देने पर
- अस्पष्टीकृत बांझपन
खर्चा
आईयूआई
यह आईवीएफ की तुलना में बहुत कम खर्चे में हो जाता है। एक आईवीएफ साइकिल का खर्चा 3 से 4 आईयूआई साइकिल के खर्चे से भी अधिक होता है।
पढ़ें- आईयूआई की प्रक्रिया में कितना खर्चा आता है?
आईवीएफ
यह बहुत कीमती उपचार है, एक आईवीएफ साइकिल की कीमत 60 हजार से लाख रुपए या तक जा सकती है।
आईवीएफ और आईयूआई में क्या अंतर है? शुरू से अंत तक
आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर लोगों के बीच बहुत कन्फ्यूजन फैली हुई हैं। क्या ये दोनों एक हैं या अलग-अलग हैं, इन दोनों के बीच क्या समानताएं और अंतर हैं आदि को लेकर लोग असमंजस में पड़ जाते हैं। लेकिन आपको ज्यादा टेंशन लेने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हम आपकी कन्फ्यूजन को इस ब्लॉग की मदद से अभी दूर कर देंगे।
सच्चाई तो यह है कि आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी में कोई अंतर नहीं है। आईवीएफ को ही कुछ सालों पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता है। अगर आसान भाषा में कहें तो टेस्ट ट्यूब बेबी का विकसित नाम आईवीएफ है। जब बांझपन के इलाज की शुरुआत हुई थी तब इसे टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता था।
सबसे पहला टेस्ट ट्यूब बेबी वर्ष 1978 में पैदा हुआ था। इस प्रक्रिया को रॉबर्ट एडवर्ड्स और पैट्रिक स्टेप्टो ने पूरा किया था। इस टेस्ट टैब बेबी ने बांझपन के इलाज की नींव रखी और आज इसे आईवीएफ टेक्नोलॉजी के रूप में जाना जाता है। आईवीएफ का पूरा नाम इन विट्रो फर्टिलाइजेशन है।
यह एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसके दौरान स्त्री रोग विशेषज्ञ पुरुष के स्पर्म और महिला के एग्स यानी अंडे को लैब में फर्टिलाइज करते हैं। फर्टिलाइजेशन के बाद विकसित भ्रूण को महिला के गर्भ में इम्प्लांट कर दिया जाता है। आईवीएफ को उन महिलाओं के लिए एक वरदान की तरह माना जाता है जो कुछ कारणों से गर्भधारण करने में सक्षम नहीं होती हैं।
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कई बार जीवनशैली में बदलाव करके और समस्या के मुताबिक़ सही दवाइयों का सेवन करके महिला बिना किसी मेडिकल टेक्नोलॉजी के प्राकृतिक ढंग से गर्भवती हो सकती है, लेकिन कई बार इसके लिए आईयूआई, आईवीएफ या अन्य आर्टिफीसियल रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी की प्रक्रियाओं में से किसी एक का चयन करना पड़ता है।
यदि आप महिला/पुरुष हैं और अपने बांझपन से का उपचार कराकर संतान सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें फोन कर सकते हैं या अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं। कई बार महिला इसलिए गर्भवती नहीं हो पाती है, क्योंकि पुरुष के शुक्राणु में कोई कमी होती है, इसलिए हमारे अनुभवी फर्टिलिटी डॉक्टर महिला और पुरुष दोनों की जाँच करेंगे और परिस्थिति के अनुसार उचित उपचार करेंगे या करवाने की सलाह देंगे।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|