IVF pregnancy ke baad delivery tak precautions

गर्भावस्था जिसे गर्भावधि भी कहा जाता है, एक ऐसा समय है जिस दौरान महिला के गर्भाशय में एक या एक से अधिक जीवन का विकास हो रहा होता है। इस दौरान महिला को खुद के स्वास्थ्य का खयाल तो रखना ही पड़ता है, साथ ही पेट में पल रहे बच्चे की भी देखभाल करनी होती है।

आईवीएफ गर्भावस्था में आपको सामान्य गर्भावस्था की तुलना में अधिक देखभाल और सावधानी बरतने की जरूरत होती है। विशेष रूप से गर्भावस्था के शुरूआती तीन महीनों में। शुरूआती तीन महीनों में आपको यह सुनिश्चित करना होता कि आपका शरीर गर्भस्थ शिशु को सावधानी पूर्वक 9 माह तक संभालने में सक्षम है।

आईवीएफ गर्भावस्था के बाद सुरक्षा सावधानियां

यदि आप आईवीएफ या किसी अन्य सहायक प्रजनन तकनीक की मदद से गर्भवती हुई हैं, तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा, जैसे:

दवाइयां समय पर लें

आईवीएफ गर्भावस्था के प्रारंभिक तीन महीनों तक डॉक्टर महिला को प्रोजेस्टेरोन समेत कई अन्य दवाइयां देते हैं। यह दवाइयां आपके गर्भावस्था को सुचारू रूप से जारी रखने में मदद करती हैं, इसलिए इनका डोज मिस न करें.

ये दवाएं चक्कर और उल्टी ला सकती हैं, ऐसी स्थिति में आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

एक्सरसाइज करें

आपको हल्की एक्सरसाइज या योग करना चाहिए। इससे डिप्रेशन और चिंता से मुक्ति मिलेगी। गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महिलाओं का वजन बढ़ जाता है जिससे बाद में कई तरह की समस्याएं होती हैं। एक्सरसाइज से आप वजन नियंत्रण में रख पाएँगे।

सामान्य दिनचर्या का पालन करें

आईवीएफ गर्भावस्था के बाद जरूरी नहीं है कि आप दिनभर बिस्तर में बैठे रहें। आपको शुरूआती 3 या 6 महीने तक अपनी सामान्य दिनचर्या का पालन करना है। आप सीढ़ियाँ चढ़ना, खाना बनाना समेत कई अन्य सामान्य कार्यों को कर सकती हैं।

आप वजन भी उठा सकती हैं, लेकिन 8-10 किलो से अधिक नहीं। माइक्रोवेव से एक छोटी दूरी बनाए क्योंकि यह रेडिएशन उत्सर्जित करता है। गर्मी पैदा करने वाली वस्तुएं जैसे: हीटर, स्टोव, गैस इत्यादि के इस्तेमाल के दौरान इनसे थोड़ी दूरी बनाकर रखें। गर्म और उमस भरे वातावरण में काम करने से बचें।

पढ़ें- आईवीएफ की सफल प्रक्रिया के लिए सही उम्र क्या है?

बैलेंस डाइट लें

गर्भावस्था में महिला को फोलिक एसिड, लौह, कैल्शियम, विटामिन डी, डीएचए और आयोडीन समेत कई अन्य पोषक तत्वों की जरूरत होती है। अपनी डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जिसमें यह पोषक तत्व मौजूद हों। डॉक्टर की सलाह पर आप डायटरी सप्लीमेंट्स का सेवन भी कर सकते हैं।

आईवीएफ गर्भावस्था के शुरूआती 3 महीनों में महिला को कई बार उल्टी और जी मिचलाना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए तले-भुने पदार्थ, अधपका भोजन और बाहर का खाने से बचना चाहिए। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से एक डाइट चार्ट बनवा लें। आर्टिफीसियल स्वीटनर का सेवन कम से कम करें।

कैफीन, शराब और ड्रग्स

शराब, कैफीन, सिगरेट और ड्रग्स प्रत्यक्ष रूप से आपकी गर्भावस्था को प्रभावित करते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन करने वाली महिलाओं में मिसकैरेज, समय से पहले डिलीवरी या डिलीवरी के दौरान जटिलताओं की संभावना बढ़ जाती है। यह बच्चे में मानसिक या शारीरिक दोष भी उत्पन्न कर सकता है।

इसलिए दिन में अधिकतम दो कप चाय या कॉफ़ी पिएँ। शराब और सिगरेट को तुरंत अलविदा कहें।

स्ट्रेस से दूरी बनाएं

गर्भावस्था के दौरान तनाव लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। इससे आपको एक गंभीर उच्च रक्तचाप की बीमारी प्रीक्लेम्पिया (preeclampsia) हो सकती है। यदि ब्लड प्रेशर लगातार हाई रहता है तो इससे बच्चे का वजन प्रभावित होगा और समय से पूर्व जन्म की संभावना बढ़ जाएगी, जो खतरनाक है।

पढ़ें- Pristyn Care में आईवीएफ का सक्सेस रेट कितना है?

इसलिए तनावपूर्ण बातों पर ध्यान न दें। खुशमिजाज बनें और गुस्सा कम करें। तनाव से मुक्ति पाने के लिए रोजाना सुबह-शाम 10 मिनट प्राणायाम करें।

स्वस्थ वजन बनाएं

हालांकि, आईवीएफ की प्रक्रिया आपके साथ तभी की जाती है जब आपका वजन सामान्य होता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान वजन कम या ज्यादा हो सकता है। वजन ज्यादा हो गया है तो कम करें, कम हो गया है तो ज्यादा करें। यदि गर्भावस्था के दौरान महिला का बीएमआई 18.5 से 24.9 के बीच है तो गर्भस्थ शिशु का विकास अच्छी तरह से होगा।

डॉक्टर से जांच कराएं

सफल डिलीवरी के लिए गर्भस्थ शिशु एवं महिला का स्वस्थ होना जरूरी है. इसलिए इन दिनों डॉक्टर द्वारा निर्देशित समय पर उनकी क्लीनिक में जाकर अपने गर्भावस्था की जांच जरूर कराएं. 

डॉक्टर से बात कब करें?

यदि आईवीएफ गर्भावस्था के दौरान निम्न स्थितियां उत्पन्न होती हैं तो डॉक्टर को सूचित करना चाहिए:

  • देखने में परेशानी होना या धुंधली दृष्टि
  • भारी मात्रा में ब्लीडिंग
  • लगातार सिर दर्द या चेहरे में सूजन
  • पेट में तेज दर्द या ऐंठन
  • पेशाब के दौरान जलन या कम पेशाब निकलना
  • लगातार थकान और चक्कर आना
  • यीस्ट इन्फेक्शन, वैरिकोज वेंस, छाती में जलन, बवासीर, कब्ज या बहुत अधिक थकान बनने पर डॉक्टर को सूचित करें।

निष्कर्ष

आईवीएफ एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें हर कदम पर एहतियात बरतने और मानसिक रूप से स्वस्थ होने की आवश्यकता होती है.  इसलिए आपको ऊपर बताई गईं सुरक्षा सावधानियों का पालन करना चाहिए, जिससे सुरक्षित डिलीवरी की संभावना बढ़ जाए।

यदि आप सामान्य रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं तो Pristyn Care की मदद ले सकती हैं। आईवीएफ उपचार के प्रत्येक चरण में हम आपका साथ देते हैं और हमारे डॉक्टर लगातार मरीज के संपर्क में रहते हैं।

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|