अब आपका माता-पिता बनने का सपना भारत के भरोसेमंद “प्रिस्टीन केयर” के फर्टिलिटी ट्रीटमेंट सेंटर में साकार होगा। जहां आपको किफ़ायती दर पर आईवीएफ ट्रीटमेंट पैकेज प्रदान किया जाता है। हमारे फर्टिलिटी विशेषज्ञों से सहायता प्राप्त करें और अच्छी सफलता दर के साथ IVF करवाएं।
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IVF kya hota hai in Hindi: आईवीएफ (IVF), इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, एक विशेष प्रक्रिया है, जिसके द्वारा उन व्यक्तियों या कपल्स की सहायता की जा सकती है, जो प्राकृतिक रूप से बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होते हैं। ऐसे कपल्स आईवीएफ के द्वारा संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को शरीर के बाहर एक प्रयोगशाला में किया जाता है। प्रयोगशाला में अंडों और शुक्राणु को मिलाया जाता है, जिससे बच्चे के जन्म की शुरुआत होती है। वर्तमान समय में आईवीएफ प्रक्रिया काफी लोगों के लिए सहायक सिद्ध हुई है, जो अन्य उपचार प्रक्रिया के संबंध में सफल नहीं होते है। IVF प्रक्रिया फैलोपियन ट्यूब की समस्याओं, एंडोमेट्रियोसिस, शुक्राणु की कम गिनती (Low sperm count) और अन्य प्रजनन समस्याओं के लिए एक उपयुक्त विकल्प साबित हो सकता है।
आईवीएफ एक सुरक्षित प्रक्रिया है, जो गर्भधारण करने की संभावनाओं को बढ़ा देता है। यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जिनके मन में संतान प्राप्ति की इच्छा है लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा इस प्रक्रिया के द्वारा सिंगल मदर या समलैंगिक महिलाओं को भी गर्भधारण करने में मदद मिलती है। कुछ मामलों में स्पर्म डोनर की भी आवश्यकता पड़ सकती है। इसके द्वारा अब हर व्यक्ति को स्वस्थ संतान की प्राप्ति हो सकती है। यह एक सफल प्रक्रिया है, जिसके साइड इफेक्ट बहुत कम है, इसलिए वर्तमान में इसकी लोकप्रियता अधिक है।
• बीमारी का नाम
टेस्ट ट्यूब बेबी
• सर्जरी का नाम
आईवीएफ
• अवधि
3-4 सप्ताह
• सर्जन
फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट
वास्तविक कीमत जाननें के लिए जानकारी भरें
भारत में, आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की सफलता दर वर्तमान में 70% से 80% के बीच है, और क्षेत्र में चिकित्सा प्रगति के साथ इस दर में लगातार सुधार हो रहा है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आईवीएफ की सफलता विभिन्न कारकों के आधार पर काफी भिन्न हो सकती है।
एक महत्वपूर्ण कारक उपचार से गुजरने वाली महिला की उम्र है, क्योंकि उम्र के साथ प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। आमतौर पर, एक निश्चित आयु सीमा पार कर चुकी महिलाओं की तुलना में कम उम्र की महिलाओं में आईवीएफ के माध्यम से गर्भधारण की संभावना अधिक होती है। बांझपन का कारण आईवीएफ की सफलता में योगदान देने वाला एक अन्य कारक है। कुछ कारक जैसे अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब या एंडोमेट्रियोसिस सफलता की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। आईवीएफ प्रक्रिया में उपयोग किए गए अंडे और शुक्राणु दोनों की गुणवत्ता भी परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है, बांझपन का रूप, चाहे वह प्राथमिक हो (पहले कभी गर्भधारण न किया गया हो) या माध्यमिक (पहले गर्भधारण किया हो लेकिन दोबारा गर्भधारण करने में असमर्थ), उपचार की सफलता दर को भी प्रभावित कर सकता है। कुल मिलाकर, आईवीएफ की सफलता कई कारकों से प्रभावित हो सकती है, और आईवीएफ पर विचार करने वाले व्यक्तियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर सफलता की विशिष्ट संभावनाओं को समझने के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ गहन चर्चा करें।
भारत में आयु के अनुसार औसत आईवीएफ सफलता दर का सारांश नीचे दी गई तालिका में दिया गया है:
आयु वर्ग | औसत आईवीएफ सफलता दर |
28 years | 45-55% |
31 years | 40-50% |
Under 35 Years | 35-45% |
Over 40 years | 15-20% |
आईवीएफ, यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती हैं। पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 3 सप्ताह का समय लगता है और इसमें कई चरण शामिल होते हैं। हालांकि, रोगी को एक बात का खास ध्यान देने होगा कि यह चरण आमतौर पर सभी के लिए एक समान ही होते हैं, लेकिन परिस्थितियों पर आधारित इनमें थोड़ी भिन्नता आ सकती है। चलिए आईवीएफ प्रक्रिया के चरण के बारे में जानते हैं –
पहला चरण: दवा लेना
इस चरण में डॉक्टर बर्थ कंट्रोल पिल्स या फिर एस्ट्रोजन की दवा लेने को कहते हैं। इन दवाओं के कारण पीरियड्स में समस्या नहीं आती है, जिसके कारण ओवेरियन सिस्ट होने का खतरा भी टल जाता है। इस तरीके से डॉक्टर इलाज पर अधिक नियंत्रण रख सकते हैं और इसके कारण परिपक्व अंडों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
चरण 2: अंडों का बनना
सामान्यतः, पीरियड्स के दौरान केवल एक अंडा ही परिपक्व होता है और उसी दौरान रिलीज भी होते हैं। लेकिन आईवीएफ प्रक्रिया में, विशेषज्ञ मरीजों को हार्मोन का इंजेक्शन देते हैं, जिससे कई अंडे एक साथ परिपक्व हो जाते हैं। इसके कारण गर्भधारण करने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। कितनी दवाओं की आवश्यकता होगी इसका निर्णय रोगी के स्वास्थ्य स्थिति समेत कई कारकों पर निर्भर करेगा।
इस प्रक्रिया के दौरान, मरीज के अंडाशय की स्थिति को अल्ट्रासाउंड और हार्मोन स्तर को कुछ नैदानिक परीक्षणों के माध्यम से जांचा जाता है। जब अंडे तैयार हो जाते हैं, तो मरीज को एक इंजेक्शन देते हैं, जिससे अंडों का निर्माण तेजी से होने लगता है।
चरण 3: अंडे प्राप्त करना
इसे अंग्रेजी भाषा में एग रिट्रीवल कहते हैं। इस प्रक्रिया में विशेषज्ञ अल्ट्रासाउंड के साथ एक पतली सुई का प्रयोग करते हैं, जिसके द्वारा वह अंडाशयों से अंडे निकालते हैं। प्रक्रिया में रोगी को दर्द कम हो और असहजता का सामना न करना पड़े, इसलिए सर्जन एनेस्थीसिया का प्रयोग करते हैं। इस प्रक्रिया को इंजेक्शन देने के 36 घंटों के बाद ही किया जाता है।
चरण 5: शुक्राणु (स्पर्म) का संग्रह – Sperm collection
यदि मरीज अपने साथी के शुक्राणु का उपयोग कर रही हैं, तो यह अंडे प्राप्ति के समय ही संग्रहीत किया जा सकते हैं। शुक्राणु का संग्रह अस्पताल या क्लीनिक में कहीं भी हो सकता है। कभी कभी घर से भी सैंपल कलेक्शन की सुविधा भी प्रदान की जाती है। यदि डोनर स्पर्म या भी फिर फ्रोजन स्पर्म का प्रयोग होता है, तो इसके आगे की प्रक्रिया को लैब में किया जा सकता है।
इसमें डोनर स्पर्म की अशुद्धियों को साफ किया जाता है, जिससे वह प्रक्रिया के लिए तैयार हो जाते हैं।
चरण 6: अंडों का फर्टिलाइजेशन
अंडे और शुक्राणु को बच्चेदानी में फिर्टिलाइज किया जाता है, जिसके बाद उन्हें एक इनक्यूबेटर में विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके पश्चात प्राकृतिक गर्भाधान की तरह भ्रूण का विकास शुरू हो जाता है। कुछ मामलों में, इंट्रा साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) तकनीक का प्रयोग होता है, जिसमें स्पर्म को प्रत्येक परिपक्व अंडों में सीधे इंजेक्शन के द्वारा डाल दिया जाता है। सिर्फ परिपक्व अंडों का ही फर्टिलाइजेशन हो पाता है।
चरण 7: भ्रूण के विकास की जांच
अगले पांच से छह दिनों तक, डॉक्टर भ्रूण के विकास की सतर्कता से जांच करते हैं। सबसे सुरक्षित और परिपक्व भ्रूण को गर्भधारण के लिए चुना जाता है और बाकी के अंडों का विकास नहीं हो पाता है। अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण को भविष्य के उपयोग के लिए फ्रीज कर दिया जाता है।
चरण 8: भ्रूण का ट्रांसफर – Embryo Transfer
भ्रूण स्थानांतरण या ट्रांसफर आईवीएफ का अंतिम चरण है जहां विकसित भ्रूण को गर्भाशय में डाला जाता है। डॉक्टर एक कैथेटर नाम के उपकरण और अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके भ्रूण को सुरक्षित रूप से गर्भ में डाल देते हैं। स्थानांतरण के बाद, महिला को कुछ समय तक वहीं उसी स्थान पर लेटने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे भ्रूण के सफल ट्रांसफर की संभावनाएं बढ़ जाती है।
चरण 9: गर्भावस्था टेस्ट
भ्रूण स्थानांतरण के बाद लगभग 9 से 14 दिनों बाद, गर्भावस्था की जांच के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण का सकारात्मक परिणाम गर्भावस्था की पुष्टि करता है। इसके बाद, डॉक्टर मरीज के संपूर्ण स्वास्थ्य का मूल्यांकन करते हैं और प्रसवपूर्व देखभाल के लिए कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश देते हैं। यदि परीक्षण का परिणाम नकारात्मक आता है, तो एक और आईवीएफ सत्र का सुझाव डॉक्टर के द्वारा दिया जा सकता है।
आईवीएफ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट भारत की सबसे सामान्य सहायक प्रजनन तकनीक है। भारत में हर साल लगभग 2-2.5 लाख IVF प्रक्रियाएं होती हैं। इस प्रक्रिया में, महिला के ओवेरियन संग्रहित किए गए अंडों को एक पेट्री डिश में लिया जाता है। इसके बाद, पुरुष के शुक्राणुओं को पुनर्निर्माण किया जाता है और फिर अंडे के साथ मिलाए जाते हैं। इसके बाद, पर्याप्त संख्या में अच्छी क्वालिटी के एम्ब्रियो चयनित किए जाते हैं और उन्हें उत्पन्न करने के लिए महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है।
प्रिस्टीन केयर के प्रजनन केंद्र भारत भर में उच्च मान्यता प्राप्त कर चुके हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य विश्वसनीय IVF ट्रीटमेंट प्रदान करना है जिसकी सहायता से लोग संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त कर पाते हैं। प्रिस्टीन केयर ने कई मैरिड कपल्स की सहायता की है जिससे वह संतान सुख प्राप्त कर पाने में सक्षम हो पाए हैं। प्रिस्टीन केयर प्रजनन केंद्रों में हम किफायती दरों पर विश्व-स्तरीय IVF और अन्य प्रजनन उपचार प्रदान करते हैं ताकि उपचार अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच पाए। इसके अलावा, हम उपचार के अनुभव के हर कदम पर प्रक्रिया की पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखते हैं।
प्रिस्टीन केयर के पास एक शानदार फर्टिलिटी टीम है जो अपने अनुभव और कुशलता से इलाज करने के लिए जाने जाते हैं। वह सभी विशेषज्ञ पुरुषों में नपुंसकता, महिलाओं को बांझपन, अज्ञात कारणों वाली बांझपन आदि के मामलों में सफल IVF उपचार प्रदान करने में माहिर हैं।
प्रिस्टीन केयर IVF केंद्र और पूरी प्रजनन उपचार टीम अपने हर मरीज को एक सफल, सुरक्षित और सुदृढ़ यात्रा सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्ध है। सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर के साथ हम मेडिकल सहायता भी देते हैं, जिससे आपको बहुत लाभ मिल सकता है। हमारे डॉक्टर आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित हैं और मरीजों के अनुभव को तनाव मुक्त और सुविधाजनक बनाने में मदद करते हैं।
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जो भी महिला आईवीएफ की प्रक्रिया का चुनाव करती है, वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होनी चाहिए। इसके कारण इलाज की सफलता दर और भी ज्यादा अच्छी हो जाती है। यदि रोगी इलाज से पहले कुछ विशिष्ट तैयारी कर लेते हैं, तो इससे उनको बहुत लाभ मिलेगा। प्रक्रिया से पहले महिलाओं को कुछ चीजों का खास ख्याल रखना होगा, जिसके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है-
जो महिलाएं या कपल प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, वह आईवीएफ प्रक्रिया का चुनाव करते हैं। फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाले कई कारक हो सकते हैं, लेकिन निम्नलिखित स्थितियों वाले लोग आईवीएफ को निःसंतान का एक प्रभावी समाधान मान सकते हैं:
प्रिस्टीन केयर व्यापक रूप से विश्वसनीय है और भारत में टेस्ट-ट्यूब शिशुओं (Test Tube Baby) के आईवीएफ उपचार के लिए सबसे भरोसेमंद सेंटर है। प्रिस्टीन केयरमें कस्टमाइज्ड फर्टिलिटी ट्रीटमेंट ने फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे सैकड़ों दम्पतियों की मदद की है। प्रिस्टीन केयरमें, यहाँ किफ़ायती दर पर सबसे अच्छा और विश्व स्तरीय आईवीएफ ट्रीटमेंट प्रदान करते हैं। हमारा प्रत्येक प्रजनन उपचार केंद्र(fertility treatment center) विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे से व्यवस्थित किया गया है| ताकि एक दंपति को गर्भधारण करने के लिए स्वाभाविक रूप से सबसे अनुकूल परिणाम प्राप्त करने में मदद मिल सके| इसके अलावा, हम आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान प्रत्येक चरण में अत्यधिक पारदर्शिता बनाए रखते हैं।
प्रिस्टीन केयर को भारत में सबसे बेहतरीन आईवीएफ ट्रीटमेंट सेंटर होने पर गर्व है। हमारे प्रत्येक फर्टिलिटी डॉक्टरों की टीम पुरुष बांझपन, महिला बांझपन, अस्पष्टीकृत बांझपन, कम डिम्बग्रंथि रिजर्व, आदि के मामलों के लिए सफल आईवीएफ ट्रीटमेंट करने में वर्षों का अनुभव रखते हैं।
प्रिस्टीन केयर आईवीएफ ट्रीटमेंट टीम उन सभी रोगियों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो एक आशा और विश्वास के साथ हमसे संपर्क करते हैं। हमारा उपचार आपको अभिभावक बनने की सुंदर यात्रा शुरू करने में मदद करने के लिए तैयार किए गए हैं। हमारे पास अनुभवी डॉक्टरों की टीम है और हमारे हेल्थ कोऑर्डिनेटर की टीम को भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है ताकि प्रत्येक दंपति(पति-पत्नी) को तनाव मुक्त और परेशानी मुक्त अनुभव प्राप्त हो।
आईवीएफ ट्रीटमेंट (आईवीएफ उपचार) एक लंबी प्रक्रिया है, जिसे पूरा होने में लगभग 6-8 सप्ताह का समय लगता है। हम आपको नीचे आईवीएफ की प्रक्रिया (During IVF) के बारे में शुरू से लेकर अंत तक बताया गया हैं:-
प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की कोशिश फेल होने के बाद जब आप प्रजनन विशेषज्ञ यानी फर्टिलिटी डॉक्टर से मिलते हैं तो डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं, आपके लक्षणों से संबंधित कुछ प्रश्न पूछते हैं और फिर विशिष्ट परीक्षण करने का सुझाव देते हैं।
परीक्षण के बाद, आवश्यकता अनुसार डॉक्टर आईवीएफ ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं। यहाँ से आईवीएफ ट्रीटमेंट की प्रक्रिया (fertilization process) शुरू होती है।
आमतौर पर हर महीना एक महिला के अंडाशय से एक अंडा उत्पन्न होता है। हालांकि, आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए एक से अधिक अंडे की आवश्यकता होती है, क्योंकि इससे आईवीएफ सफल होने की संभावना बढ़ती है।
अंडाशय में अंडे की संख्या बढ़ाने के लिए डॉक्टर महिला को कुछ हार्मोनल दवाइयां और इंजेक्शन देते हैं। ये दवाइयां और इंजेक्शन महिला के गर्भाशय को उत्तेजित करती हैं जिससे गर्भाशय में अंडों की संख्या बढ़ती है।
अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए डॉक्टर महिला को 4-6 या 6-12 दिनों तक हार्मोनल दवाएं और इंजेक्शन देते हैं। यह समय महिला की उम्र और ओवरऑल स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
यह इंजेक्शन अंडों को मैच्योर बनाता है। इस प्रक्रिया के 33-36 घंटों के बाद डॉक्टर एग रिट्रीवल यानी अंडाशय से अंडे निकालने की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर महिला के अंडाशय से मैच्योर एग को निकालते हैं। इसे पूरा होने में लगभग 20-30 मिनट का समय लगता है। इस प्रक्रिया के दौरान लगभग 8-16 अंडो को निकाला जाता है।
अंडे निकालने के बाद, उसी दिन डॉक्टर पुरुष साथी से स्पर्म भी कलेक्ट करते हैं। हर आईवीएफ सेंटर में एक समर्पित कमरा होता है जहां पुरुष हस्तमैथुन करके अपने स्पर्म को एक छोटे से डब्बे में डालकर क्लिनिक में जमा करते हैं।
दाता स्पर्म या फ्रोजेन स्पर्म की स्थिति में डॉक्टर पहले से ही लैब में स्पर्म को तैयार कर लेते हैं। स्पर्म लेने के बाद, डॉक्टर उसे वाश करके उसका शुद्धिकरण करते हैं।
अंडा लेने और स्पर्म का शुद्धिकरण करने के बाद, डॉक्टर एक इनक्यूबेटर (अंडे सेने वाली मशीन) में अंडा और स्पर्म को फर्टिलाइजेशन के लिए रखते हैं।
फर्टिलाइजेशन के बाद अंडा एक भ्रूण में विकसित होता है। उसके बाद, डॉक्टर उस भ्रूण को एक अलग इन्क्यूबेटर में रखकर 5-6 दिनों तक उसके विकास को मॉनिटर करते हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टर विकसित भ्रूण को इन्क्यूबेटर से बाहर निकालकर यूटेराइन वॉल पर इम्प्लांट करते हैं। यह एक छोटी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में अधिक से अधिक 15-20 मिनट का समय लगता है। एम्ब्र्यो ट्रांसफर (Embryo transfer in Hindi) करने के कुछ घंटों के बाद महिला अपने घर जा सकती है।
आईवीएफ ट्रीटमेंट के 2 सप्ताह बाद, डॉक्टर महिला को क्लिनिक बुलाकर खून की जांच करते हैं। इस जांच के दौरान खून में एचसीजी (HCG) की मौजूदगी की पुष्टि की जाती है।
आईवीएफ गर्भधारण (IVF pregnancy) सफल होने पर जांच का रिजल्ट पॉजिटिव आता है और खून में एचसीजी की मौजूदगी पाई जाती है। आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद गर्भधारण होने पर डॉक्टर मरीज को प्रेगनेंसी टिप्स देते हैं।
स्वस्थ संतान प्राप्ति के लिए आपको अपना उपचार भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रजनन केंद्रों से करवाने की सलाह दी जाती है। आईवीएफ उपचार के लिए फर्टिलिटी सेंटर चुनने से पहले, रोगियों को कुछ कारकों पर विचार करना चाहिए जैसे –
फर्टिलिटी सेंटर की सफलता दर: फर्टिलिटी सेंटर की सफलता दर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। उनके द्वारा किए गए सफल इलाजों की संख्या आपकी बहुत मदद कर सकता है। सफलता की कहानियां आपको उनकी वेबसाइट से भी मिल सकती है।
दी जाने वाली सेवाएं: एक अच्छा प्रजनन केंद्र आईवीएफ, आईयूआई, आदि सहित प्रजनन उपचार की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं। अपने शोध के दौरान, सुनिश्चित करें कि आप प्रजनन केंद्र द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की जांच कर लें। साथ ही, जांचें कि वे कौन सी सेवाओं में विशेष रूप से विशेषज्ञ हैं।
उनकी चिकित्सा टीम: किसी भी प्रजनन उपचार की प्रभावकारिता काफी हद तक प्रजनन विशेषज्ञ पर निर्भर करती है। फर्टिलिटी सेंटर की मेडिकल टीम की योग्यता, अनुभव और प्रमाणन को देखकर ही शोध करें। सुनिश्चित करें कि आप सही सेंटर का चुनाव करें।
क्लिनिक में सुविधाएं और तकनीक: क्लिनिक को अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों से सुसज्जित होना चाहिए। आप फर्टिलिटी सेंटर में दी जाने वाली सुविधाओं और उनके इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में जानकारी उनकी वेबसाइट पर प्राप्त कर सकते हैं। आप उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं की बेहतर समझ प्राप्त करने के लिए उन केंद्र पर भी जा सकते हैं।
फर्टिलिटी सेंटर का स्थान: क्लिनिक के स्थान और आपके घर से उस क्लीनिक की दूरी की जांच करें। आईवीएफ उपचार के लिए कई सत्रों की आवश्यकता होती है, इसलिए एक ऐसा क्लीनिक चुनें जो आपके घर के पास हो और आप वहां से आसानी से आ जा सके।
उपचार में लगने वाला खर्च: इलाज में लगने वाले खर्च की जानकारी पहले से प्राप्त कर लें। सुनिश्चित करें कि केंद्र आपसे अत्यधिक शुल्क न ले। अंतिम निर्णय लेने से पहले विभिन्न केंद्रों की कीमतों की तुलना ज़रूर करें।
रिव्यू: रिव्यू पढ़कर आपको काफी चीजों के बारे में जानकारी मिल जाएगी।
प्रिस्टीन केयर फर्टिलिटी सेंटर एक विश्वसनीय फर्टिलिटी सेंटर है जो ऊपर बताई गई बातों पर विशेष ध्यान देता है। हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों को सबसे उत्तम और सर्वश्रेष्ठ इलाज प्रदान करना है। हमारे फर्टिलिटी विशेषज्ञों के साथ अपना अपॉइंटमेंट तुरंत बुक करें।
आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए खुद को तैयार करने से पहले आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि इससे आईवीएफ के सफल होने की संभावना अधिक से अधिक और जटिलताओं या साइड इफेक्ट्स का खतरा कम से कम होता है।
आईवीएफ प्रक्रिया के अंतिम चरण, अर्थात एग रिट्रीवल की प्रक्रिया के बाद, अधिकांश महिलाएं तुरंत अपनी सामान्य गतिविधियों पर लौट सकती हैं। एंब्रियो के ट्रांसफर प्रक्रिया के बाद मरीजों को हल्के लक्षण महसूस हो सकते हैं। प्रत्येक रोगी को अलग अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं और यह लक्षण गर्भावस्था का संकेत दे सकते हैं। सामान्यतः मरीजों को हल्का सूजन और दर्द का अनुभव हो सकता है। यह लक्षण सामान्यतः कुछ समय के बाद स्वयं ही ठीक हो जाता है। एक और लक्षण है स्तन में ज्यादा चुभन, जो शरीर में उच्च स्त्री हार्मोन के कारण होता है।
कुछ महिलाएं अंडों के ट्रांसफर के बाद पीरियड्स के समान ही हल्की रक्त हानि और स्पॉटिंग का सामना कर सकती हैं। अक्सर यह तब हो सकता है जब एंब्रियो को गर्भाशय की परत से जोड़ा जाता है। यदि मरीज को भारी रक्त हानि या गंभीर दर्द का अनुभव होता है, तो रोगी को इसकी सूचना जल्द से जल्द डॉक्टर को देनी होगी। इस स्थिति में कब्ज भी एक सामान्य समस्या है, जिसका कुछ लोगों को प्रक्रिया के बाद सामना करना पड़ सकता है। इसके पीछे का कारण हार्मोन में परिवर्तन या प्रोजेस्टेरोन सप्लीमेंट का उपयोग हो सकता है, जो बायो मूवमेंट पर प्रभाव डाल सकते हैं। पर्याप्त पानी पीने और फाइबर युक्त आहार खाने से इस लक्षण को कम किया जा सकता है।
अगर आप निःसन्तान हैं तो आप अपने डॉक्टर से विचार विमर्श करके, किसी भी फर्टिलिटी इलाज को चुन सकते हैं। यदि डॉक्टर आपको IVF कराने की सलाह देता है तो उसके लिए निम्न कारण हो सकते हैं:
आईवीएफ एक सुरक्षित प्रजनन तकनीक है, और इसे एक विशेषज्ञ प्रजनन विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में किया जाता है, जिसके कारण प्रक्रिया में शामिल जटिलताओं की संभावना बहुत कम हो जाती है। हालांकि, पूरी प्रक्रिया के दौरान, इलाज के विभिन्न चरणों में कुछ जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे:
“अब हमारा बेटा, आरव, एक साल का हो गया है और हम बहुत खुश हैं|”
अंजलि( बदला हुआ नाम 37 वर्षीय) और सुरेश कुमार(बदलाव हुआ नाम 38 वर्षीय) के लिए आईवीएफ उनकी आखिरी उम्मीद बन गए थी। तीन बार IUI करवाने के बाद, उनको प्रिस्टीन केयर के डॉक्टर ने IVF का सुझाव दिया।
“हमने तो उम्मीद छोड़ दी थी, फिर प्रिस्टीन केयर के डॉक्टर ने IVF का सुझाव दिया,” अंजलि याद करते हुए बताती हैं|
“हम दोनों को आशा नहीं थी लेकिन IVF ट्रेटमेंट हमारे लिए एक चमत्कार साबित हुआ।”
सुरेश कहता, “जब हमें पता चला की रेखा ने IVF से गर्भधारण कर लिया है, हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था।”
अंजलि बताती हैं, “ प्रिस्टीन केयर की क्लीनिक में हमारा आईवीएफ ट्रीटमेंट हुआ, उसके अलावा हमने अपनी प्रेगनेंसी और डिलीवरी के लिए भी यहाँ के डॉक्टर्स से परामर्श लिया। एक पूरी टीम थी हमारे साथ, हमारी प्रेगनेंसी से पहले भी और बाद में भी – जिससे हम दोनों को बहुत आत्मविश्वास और संतुष्टि मिली।”
दंपति कहते हैं कि “प्रिस्टीन केयरमें आईवीएफ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हमारे लिए एक बड़ी राहत थी। डॉक्टर ने हमें किसी प्रकार का झूठा आश्वासन नहीं दिया, उन्होने केवल अपने सर्वश्रेष्ठ पेशेवर अनुभव के साथ हमारा मार्गदर्शन किया। इसके साथ ही हमारे अंदर आशा की किरण जगाई। और चीजें इतनी आश्चर्यजनक रूप से एक वास्तविकता में बदल गईं, जिसकी हमने कभी उम्मीद भी नहीं की थी। हमारे वैवाहिक जीवन को एक नया अर्थ मिला है। इसकी हमें बहुत खुशी है इसके लिए हम हमेशा प्रिस्टीन केयर के आभारी रहेंगे”…………
भारत में आईवीएफ ट्रीटमेंट का खर्च 1,25,000 से 1,80,000 रुपये तक आ सकता है। इस इलाज का खर्च अलग अलग शहरों में अलग अलग आता है। आईवीएफ ट्रीटमेंट की कुल लागत विभिन्न कारकों निर्भर करती है जैसे –
प्रिस्टीन केयर में सर्वश्रेष्ठ प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श करें और आईवीएफ ट्रीटमेंट में लगने वाले खर्च का अनुमान प्राप्त करें।
आईवीएफ और अन्य फर्टिलिटी उपचारों के लिए सबसे अच्छा फर्टिलिटी सेंटर का चुनाव पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है। चलिए आपको बताते हैं कि भारत में आईवीएफ के लिए प्रिस्टीन केयर को क्यों चुनना चाहिए –
सर्वश्रेष्ठ फर्टिलिटी विशेषज्ञों से इलाज: भारत के शीर्ष प्रजनन केंद्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रजनन विशेषज्ञ हैं। वह अपने क्षेत्रों में अत्यधिक अनुभवी हैं और वह इलाज उत्तम सफलता दर के साथ करते हैं।
अत्यधिक सफलता दर: एक बात का आपको खास ख्याल रखना है कि अच्छे प्रजनन केंद्रों की सफलता दर बहुत अधिक होती है। इसलिए, शीर्ष फर्टिलिटी केंद्रों में अपना इलाज प्राप्त करें और सफल परिणाम पाएं।
आधुनिक व्यवस्था से उपचार: भारत में सबसे अच्छे प्रजनन केंद्रों में अत्याधुनिक तकनीक और उपकरण का प्रयोग होता है। यह बेहतर निदान और उपचार में मदद करता है। उन्नत तकनीक आईवीएफ जैसे फर्टिलिटी उपचारों की सटीकता और प्रभावशीलता में सुधार करने में मदद करती हैं।
नैतिक प्रथाओं का उपयोग: भारत में शीर्ष प्रजनन केंद्र नैतिक और कानूनी दिशा निर्देशों का पालन करते हैं और रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। साथ ही इलाज के हर चरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं।
जटिलताओं का कम जोखिम: सर्वोत्तम प्रजनन केंद्रों का उद्देश्य न्यूनतम जटिलताओं के साथ उपचार प्रदान करना है। वह सुनिश्चित करते हैं कि प्रक्रियाएं सुरक्षित हैं और प्रक्रिया के पूरा होने के दौरान या बाद में रोगी को किसी भी जटिलता का सामना नहीं करना पड़ता है।
इन सभी बातों का हम प्रिस्टीन केयर में विशेष ध्यान रखते हैं। हमारा प्रयास हर मरीज को उत्तम इलाज प्रदान करना है।
आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता दर काफी हद तक महिला की उम्र पर निर्भर करती है। जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, आईवीएफ की सफलता दर धीरे-धीरे कम होती जाती है। बढ़ती उम्र के साथ अंडाशय की अच्छे अंडे बनाने की क्षमता कम हो जाती है। आमतौर पर 35 साल की उम्र के बाद ओवेरियन रिजर्व में गिरावट शुरू हो जाती है और 40 वर्षों के बाद यह काफी कम हो जाती है, जिससे आईवीएफ उपचार के परिणाम भी प्रभावित होते हैं। सफलता दर रोगी के स्वास्थ्य और अंडे के बनाने की क्षमता पर निर्भर करता है।
आईवीएफ या फिर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को विश्व भर में सबसे प्रभावी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के तौर पर देखा जाता है। जब गर्भ धारण करने के सभी विकल्प विफल होते हैं, तब आईवीएफ उन कपल्स के लिए एक सकारात्मक विकल्प के तौर पर उभर कर सामने आ सकता है, जो प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण नहीं कर पाते हैं। आईवीएफ उपचार के बहुत सारे लाभ हैं, जिनके बारे में नीचे संक्षेप में बताया गया है –
समग्र रूप से, आईवीएफ उन लोगों के लिए एक ऐसा समाधान है, जिसके द्वारा उन कपल्स को संतान प्राप्ति हो पाती है, जो इस प्रक्रिया के लिए प्राकृतिक तरीके से तैयार नहीं होते हैं। एक तरफ जहां सारे फर्टिलिटी विकल्प से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते हैं, वहीं दूसरी तरफ आईवीएफ संतान प्राप्ति का एक उत्तम विकल्प उभर कर सामने आ रहा है।
इंश्योरेंस कवरेज उन बीमारियों के लिए दिया जाता है, जिसे चिकित्सा आवश्यकता की सूची में रखा जाता है। आईवीएफ कोई चिकित्सा आवश्यकता नहीं है, इसलिए रोगी को आईवीएफ के लिए बीमा कवरेज नहीं मिलेगा। जिसके कारण रोगी को पूरे इलाज का खर्च स्वयं ही वहन करना पड़ता है।
हालांकि अब कुछ बीमा कंपनियां है, जो आईवीएफ के लिए बीमा कवरेज प्रदान करती हैं। आईवीएफ में कई सत्रों की आवश्यकता पड़ सकती है और प्रत्येक सत्र में हार्मोन की जांच, नैदानिक परीक्षण, क्लीनिक का खर्च, ऑपरेशन थियेटर का खर्च, और अन्य खर्च होते हैं। इन जांच और थियेटर के खर्च को कुछ बीमा कंपनी अपनी पॉलिसी में कवर कर रही हैं।
इसके अतिरिक्त यदि रोगी इंश्योरेंस से आईवीएफ ट्रीटमेंट नहीं करवा पाता है, तो वह इस इलाज के लिए दूसरे विकल्प के बारे में भी विचार करता है जैसे – चाइल्ड लोन, बजाज फाइनेंस स्कीम का चुनाव, और पर्सनल लोन। प्रिस्टीन केयर में हम आईवीएफ के लिए एक किफायती और प्रभावी इलाज प्रदान करते हैं, जिसके द्वारा भारत के सभी लोग संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त कर पाएं। इसके साथ साथ हम इलाज के लिए आसान किस्तों में बिना ब्याज के भुगतान का विकल्प भी प्रदान करते हैं। हमारे विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह लें और संतान प्राप्ति के लिए पहला कदम बढ़ाएं।
आईवीएफ उपचार की प्रभावकारिता को बढ़ाने के लिए फर्टिलिटी विशेषज्ञ रोगी को कुछ विशेष बदलाव करने का सुझाव दे सकते हैं। यह बदलाव रोगी के लिए एक अहम भूमिका निभाते हैं, क्योंकि इसके द्वारा गर्भधारण करने में बहुत सहायता मिलती है। डॉक्टर रोगी को अपने डाइट और जीवनशैली में निम्नलिखित बदलाव करने का सुझाव देते हैं –
आईवीएफ और आईयूआई दोनों ही फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है और इन प्रक्रियाओं का सुझाव अक्सर तभी दिया जाता है जब कोई वैवाहिक जोड़ा प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण नहीं कर पाता है। हालांकि दोनों ही प्रक्रिया लोगों को संतान प्राप्ति का सुख प्रदान करती है, लेकिन दोनों के बीच कुछ अंतर है, जिसके बारे में नीचे बताया गया है –
इन दोनों प्रक्रियाओं का प्रभाव अलग अलग होता है। डॉक्टर रोगी के स्वास्थ्य का आकलन कर इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि कौन सी प्रक्रिया रोगी के लिए बेहतर है।
पहला सवाल जो दिमाग में आता है – आईवीएफ असफल क्यों होता है ? भ्रूण की गुणवत्ता में कमी – आईवीएफ साइकिल असफल होने का सामान्य कारण भ्रूण की गुणवत्ता में खराबी है। कई भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरण के बाद प्रत्यारोपित होने में सक्षम नहीं होते हैं क्योंकि उन भ्रूणों में आगे विकसित होने की क्षमता नहीं होती है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रियाओं की एक जटिल श्रृंखला है जिसका उपयोग प्रजनन क्षमता में मदद करने या आनुवंशिक समस्याओं को रोकने और बच्चे के गर्भाधान में सहायता के लिए किया जाता है। आईवीएफ के दौरान, अंडाशय से परिपक्व अंडे एकत्र (पुनर्प्राप्त) किए जाते हैं और एक प्रयोगशाला में शुक्राणु द्वारा निषेचित किए जाते हैं।
आईवीएफ महिलाओं के लिए उनके 20 और 30 के दशक की शुरुआत में सबसे सफल है। उसके 30 के दशक के मध्य तक पहुँचने के बाद सफलता दर लगातार कम होने लगती है।
क्योंकि इस उम्र में स्पर्म सबसे ज्यादा फ्रेश और मैच्योर होता है. मां बनने के लिए अब उम्र की कोई सीमा नहीं रही| तकनीक और लाइफ स्टाइल में आए बदलावों ने अब कुछ देर से मां बनने के सपने को भी साकार करना शुरू कर दिया है, यही वजह है कि 34-36 साल की उम्र में भी महिलाएं अब स्वस्थ बच्चे को जन्म दे रही हैं|
आईवीएफ में शरीर के बाहर वीर्य के जरिए डिंब का गर्भाधान होता है. इसके बाद भ्रूण को गर्भाश्य में डाला जाता है| क्योंकि यह शरीर के बाहर होता है इसलिए इसे ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ के नाम से भी जाना जाता है| आईवीएफ का सहारा ज्यादातर 35 साल से अधिक उम्र की महिलाएं लेती हैं, क्योंकि वे कुदरती तरीके से गर्भ धारण नहीं कर पातीं|
आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद इंप्लांट के लगभग दो हफ्ते बाद भी महिलाओं को अक्सर ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है। इसके अलावा हार्मोंस में उतार-चढ़ाव की वजह से प्रेग्नेंसी में सिरदर्द होना भी आम बात है। अगर आपको आईवीएफ के दो सप्ताह के बाद सिरदर्द की शिकायत होने लगी है, तो यह प्रेग्नेंसी का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
आईवीएफ की सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे उम्र और बांझपन के कारण। कुल मिलाकर, अधिकांश इच्छित माता-पिता के लिए पहली बार आईवीएफ सफलता दर अक्सर 25-30% के बीच गिरती है । हालांकि, कई आईवीएफ चक्रों के बाद यह संभावना बढ़ जाती है।
35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए पहली कोशिश में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) द्वारा गर्भवती होने में सक्षम होने का राष्ट्रीय औसत (अर्थात, पहला अंडा पुनर्प्राप्ति) 55% है।
आईवीएफ (In vitro fertilization) के अंतर्गत महिला के 10 से 15 अंडे बनाए जाते हैं और फिर उसे बाहर निकालकर पुरुष के वीर्य के साथ मिलाकर उनका फर्टिलाइजेशन किया जाता है| जिसके बाद एक सही समय पर उसे महिला के यूटरस में ट्रांसफर कर दिया जाता है|
आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता दर काफी हद तक महिला की उम्र पर निर्भर करती है। जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, आईवीएफ की सफलता दर धीरे-धीरे कम होती जाती है। बढ़ती उम्र के साथ अंडाशय की अच्छे अंडे बनाने की क्षमता कम हो जाती है। आमतौर पर 35 साल की उम्र के बाद ओवेरियन रिजर्व में गिरावट शुरू हो जाती है और 40 वर्षों के बाद यह काफी कम हो जाती है, जिससे आईवीएफ उपचार के परिणाम भी प्रभावित होते हैं। सफलता दर रोगी के स्वास्थ्य और अंडे के बनाने की क्षमता पर निर्भर करता है।
भारत में सामान्यतः आईवीएफ तकनीक से प्रजनन की कुल लागत 65,000 से 95,000 रुपए तक है जबकि अफोर्डेबल आईवीएफ तकनीक से प्रजनन की कीमत 40,000 रुपए तक होती है। आमतौर पर सामान्य आईवीएफ में 10 से 12 अंडों का निर्माण किया जाता है जबकि अफोर्डेबल आईवीएफ में तीन से चार अंडों का निर्माण करते हैं।
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