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लेप्रोस्कोपिक सर्जरी: प्रक्रिया और फायदे (Laparoscopic surgery in Hindi)
लेप्रोस्कोपी एक सर्जिकल और डायगोनोस्टिक प्रक्रिया है. जिसके जरिए हर्ट, पित्ताशय, फेफड़े , किडनी , अपेंडिक्स, हर्निया आदि से लेकर बड़ी आंत से जुड़ी समस्याओं का मात्र कुछ छोटे से कट (आधा इंच से भी कम) के जरिए लेप्रोस्कोप की मदद से निदान और ऑपरेशन किया जाता है।
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लेप्रोस्कोपी क्या है?
कैंसर या ट्यूमर का पता लगाने के लिए लेप्रोस्कोपी का इस्तेमाल एक बायोप्सी (Biopsy) के रूप में भी किया जाता है। साथ ही इसकी मदद से महिला के गर्भवती न होने के कारणों का भी पता लगया जाता है।
अपने अनेकों खासियत की वजह से यह सिर्फ एक इलाज की पद्धति ही नहीं है, बल्कि कई बीमारियों के जांच की प्रक्रिया भी है।
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लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या है? What is Laparoscopic Surgery In Hindi
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, ऑपरेशन करने की एक एडवांस प्रक्रिया है, जिसमें आधा इंच से भी छोटे कट की मदद से सर्जरी को पूरा किया जा सकता है, नतीजन रोगी को कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है और 2 से 3 दिनों के भीतर वह चलने-फिरने लगता है (कई मामलों में एक सप्ताह तक का भी समय लग सकता है)। इसमें एक छोटे से कट के जरिए लेप्रोस्कोप और अन्य सर्जिकल उपकरण की मदद से सर्जरी की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इन्फेक्शन नहीं होता है और बड़ा जख्म नहीं बनता है। यह ओपन सर्जरी के मुकाबले कई गुना अच्छी होती है।
पढ़ें- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी या ओपन सर्जरी में कौन है बेहतर?
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कैसे की जाती है (How Is Laparoscopic Surgery Performed in Hindi)
सर्जरी के पहले:
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कराने से पहले मरीज को डॉक्टर से मिलना होता है और उनसे बात करके यह तय करना पड़ता है कि वह प्रक्रिया के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह से तैयार हैं या नहीं।
सर्जरी वाले दिन के एक सप्ताह पहले से ही डॉक्टर रोगी को उसके खान-पान और दवा दारू में परिवरतन करने को कह सकते हैं। साथ ही यह भी पूछा जाता है कि क्या व्यक्ति को किसी चीज से एलर्जी है या उसे रक्त से संबंधित कोई रोग तो नहीं है।
सर्जरी करने से ठीक पहले मरीज को अपना चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस और शरीर से सोने-चांदी या दूसरे गहनों को उतारने के लिए कहा जाता है।
सर्जरी के दौरान:
जब मरीज सर्जरी के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाता है तब उसे जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है , इसके बाद सर्जन प्रभावित क्षेत्र को साफ करते हैं और उस जगह के आसपास की बाल को हटाता भी है। ऐसा ना करने पर मरीज को इंफेक्शन होने के चांसेस रहते हैं।
अब प्रभावित हिस्से पर छोटा सा कट (1/2 इंच से भी कम) लगाया जाता है। कई बार तीन से चार छोटे-छोटे कट लगाए जा सकते हैं, यह मरीज की बीमारी और उस बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है।
मरीज के पेट को फुलाकर उसे सर्जरी के लिए तैयार करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस अंदर डाला जाता है, इसके लिए लेप्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है। इससे अंदर का दृश्य साफ़ दिखाई देता है।लेप्रोस्कोप एक पतली ट्यूब है जिसके अंत में एक छोटा सा कैमरा लगा होता है।
पढ़ें- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद कैसे सोएं
अब एक कट के जरिए डॉक्टर लेप्रोस्कोप को अंदर डालता है, ताकि अंदर का दृश्य कंप्यूटर स्क्रीन पर दिख सके। अन्य दूसरे कट के जरिए एडवांस सर्जिकल उपकरण डाले जाते हैं और ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
सर्जरी खत्म होने पर आंतरिक माँसपेशियों या अंगों में जरूरत अनुसार डॉक्टर टाँकें लगाते हैं और बाद में लेप्रोस्कोप समेत अन्य दूसरे उपकरण को बाहर निकाल लेते हैं।
चूंकि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की मदद से कई बीमरियों का उपचार होता है, इसलिए इसे पूरा करने में कितना समय लगेगा यह बीमारी और उसकी गंभीरता पर निर्भर होता है। आमतौर पर यह आधा घंटा से लेकर 2 घंटे के भीतर हो जाती है। निश्चित समय बीमारी के प्रकार पर निर्भर करता है।
सर्जरी के बाद:
सर्जरी के बाद कट को टांके से बंद कर दिया जाता है। मरीज को हॉस्पिटल में कुछ समय तक रखा जाता है, और सर्जरी के गंभीरता के अनुसार उसे 24 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे (Pros Of Laparoscopic Surgery In Hindi)
कम रक्तश्राव (Less Bleeding)
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के समय बहुत कम ब्लीडिंग होती है। दरअसल, ओपन सर्जरी की अपेक्षा इसमें कट का आकार बहुत छोटा होता है।
कम दर्द होना (Less Pain)
कट का साइज छोटा होने की वजह से सर्जरी के बाद होने वाले दर्द का रिस्क कम हो जाता है। अगर हल्का-फुल्का दर्द होता भी है तो वह डॉक्टर द्वारा दी गई दवा के सेवन से चंद मिनट्स में खत्म हो जाता है।
कोई निशान नहीं (No Scars)
जख्म का आकार बहुत छोटा होता है, नतीजन कोई निशान नहीं बनता है।
इन्फेक्शन होने की बहुत कम संभावना(Low Chance of Infection)
घाव छोटा होने की वजह से इन्फेक्शन होने का खतरा बहुत कम होता है, हालांकि यदि रोगी डॉक्टर द्वारा निर्देशित आज्ञा की अवहेलना करता है तो इन्फेक्शन होने के चांसेस होते हैं।
हॉस्पिटल में कम समय तक रुकना (Short Stay in Hospital)
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद रिकवरी बहुत जल्दी होती है, जिससे मरीज को हॉस्पिटल में ज्यादा समय तक रुकने की कोई जरुरत नहीं पड़ती है। सामान्य तौर पर मरीज को उसी दिन या फिर उसके अगले दिन डिस्चार्ज (Discharge) कर दिया जाता है।
रिकवरी का समय तेज होने की वजह से इस सर्जरी के कुछ दिन के बाद ही मरीज अपने दैनिक जीवन को शुरू कर सकता है। जबकि ओपन सर्जरी में रिकवरी बहुत धीमी होती है और मरीज को काफी दर्द का सामना भी करना पड़ता है।
ओपन सर्जरी की तुलना में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ज्यादा सुरक्षित होती है। इस सर्जरी के बाद मरीज को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। सर्जरी के 2-3 दिन के अंदर ही मरीज चलने फिरने लगता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद ध्यान देने वाली बातें
- कुछ दिनों तक अधिक चलना या दौड़ना वर्जित है।
- सर्जरी के बाद मरीज को व्यायाम नहीं करना चाहिए।
- मरीज को भारी सामान नहीं उठाना चाहिए।
- ऐसी गतिविधियां नहीं करनी चाहिए, जिनमें ताकत लगती है या फिर पेट पर असर पड़ता है।
- सर्जरी के तुरंत बाद गाड़ी नहीं चलानी चाहिए।
- कुछ दिनों तक कोल्ड्रिंक नहीं पीनी चाहिए।
- इंफेक्शन से बचने के लिए ऑपरेशन वाले स्थान को स्वच्छ रखना चाहिए।
- सर्जरी के बाद गंदगी से दूर रहना चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|