इन दिनों ओपन सर्जरी के मुकाबले लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का चलन ज्यादा हो गया है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान छोटा चीरा लगाया जाता है जो इसे ओपन सर्जरी के मुकाबले कम नुकसानदेह बनाता है। पित्ताशय की पथरी (gallbladder stone), हर्निया (hernia), गर्भाशय का हटना (uterus removal), एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis), या हिस्टेरेक्टॉमी (hysterectomy) में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ही की जाती है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी के मुकाबले कम समय में पूरी हो जाती है और रोगी को रिकवर होने में भी कम समय लगता है।
सर्जरी के बाद रोगी को कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। सर्जरी के बाद आहार, नींद और व्यायाम में बदलाव लाना बहुत जरूरी होता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद सोने में दिक्कत हो रही है तो आप नीचे दी गई स्लीपिंग पोजीशन ट्राई कर सकते हैं।
लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरोक्टॉमी के बाद कैसे सोएं?
किसी भी तरह की सर्जरी के बाद आराम करना बहुत आवश्यक है। एक अच्छी नींद न केवल रिकवर होने में मदद करती है बल्कि, सर्जरी के स्ट्रेस से भी छुटकारा दिलाती है। लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरोक्टॉमी के बाद मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा सोना चाहिए।
कुछ चीजें जो सर्जरी के बाद आपके नींद में बाधा डाल सकती हैं, वो इस प्रकार हैं-
- सर्जरी के दौरान दी गयी बेहोशी की दवा
- टांके का दर्द
- तनाव
- सूजन
- जी मिचलाना
- खाँसी
- सोते समय करवट बदलने में असहजता
लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी के बाद सोने के लिए सबसे अच्छी पोजीशन क्या है?
- पीठ के बल सोएं- हिस्टेरेक्टॉमी के बाद सोने के लिए सुपाइन (supine) पोजीशन सबसे बेहतर है। सुपाइन पोजीशन में चेहरा ऊपर की ओर और व्यक्ति का पूरा शरीर सीधा रहता है। इस दौरान आप घुटनों के नीचे तकिया लगा सकते हैं। ऐसा करने से शरीर के निचले भाग का भार घाव पर नही पड़ेगा। आप गले के नीचे भी एक तकिया रख सकते हैं। गले के नीचे छोटी साइज की तकिया रखें। बड़ी आकार की तकिया रखेंगे तो शरीर ऊपर-नीचे हो जाएगा जिससे घाव में दर्द हो सकता है। ज्यादा देर तक एक ही पोजीशन में न सोएं। बीच-बीच में उठते-बैठते रहें और सोते वक्त अपनी पोजीशन में बदलाव अवश्य करें। ऐसी पोजीशन में न सोएं जो दर्द देती हो।
- किसी एक साइड सोएं- सोने का यह तरीका बहुत आसान और आरामदायक है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद इस पोजीशन में सोने से रोगी जल्दी रिकवर हो सकता है और सोते वक्त उसे दर्द भी नही होता है। इस पोजीशन में सोते समय अपने श्रोणि (pelvis) के बीच एक तकिया रख लें। पेट को आराम पंहुचाने के लिए पीठ के पीछे भी तकिया रख सकते हैं। इस पोजीशन में सोते समय पैरों को सीधा रखें। हांथों को कहीं भी रख सकते हैं।
- स्लीपिंग वेज (sleeping wedge) – प्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद अच्छी नींद चाहते हैं तो वेज का सहारा ले सकते हैं। पेल्विक लेप्रोस्कोपी के बाद आम तकिये का इस्तेमाल कर ऊंचाई में सोने से दर्द बढ़ सकता है। स्लीपिंग वेज का आकार ढलान की तरह रहता है जो पीठ के निचले हिस्से पर पड़ रहे प्रेशर को कम कर देता है। इसोफेजियल रिफ्लक्स (Esophageal reflux) या स्लीप एपनिया (sleep apnea) से पीड़ित महिलाएं स्लीपिंग वेज का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस तरह की बीमारी में सोते वक्त शरीर का ऊपरी भाग (upper trunk) ऊंचाई में होना चाहिए।
पढ़ें- हिस्टेरेक्टॉमी कैसे होती है
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद रिकवर होने के अन्य तरीके क्या हैं?
- पहले से ही तैयार रहें- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के पहले ही खुद को तैयार कर लेना चाहिए। सर्जरी के बाद एनेस्थीसिया का प्रभाव, बेचैनी और दर्द होना नार्मल बात है। ये समस्याएं हर छोटी-बड़ी सर्जरी में देखने को मिलती हैं लेकिन, इनसे निपटने के लिए मानसिक रूप से पहले ही तैयार हो जाना चाहिए। सर्जरी के पहले ऐसा कोई कार्य नही करना चाहिए जो बाद में परेशानी खड़ी करे, जैसे नशा या गलत खान-पान।
- टांके वाले स्थान को साफ रखें- सर्जरी वाले स्थान को साफ रखें और ढीला सूती कपड़ा पहनें। टाइट कपड़े पहनने से घाव में चोट लग सकती है। ढीला कपड़ा पहनने से हवा आसानी से आती-जाती है जिससे घाव जल्दी सूख जाता है।
- आराम करें- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में कम समय लगता है और अधिक चीर-फाड़ भी नही होता है। आपको सर्जरी वाले दिन ही छुट्टी दे दी जाती है। सब कुछ इतना जल्दी और आसानी से होता देख रोगी शरीर का ख्याल रखना भूल जाते हैं। यही कारण है कि, सर्जरी का घाव लंबे समय तक रहता है और कई सारे साइड इफ़ेक्ट भी नजर आने लगते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद आधिक से अधिक समय आराम करने में बिताना चाहिए। सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक दिमागी या फिजिकली काम न करें। स्ट्रेच वाले कार्य तो भूल से भी न करें। बीच-बीच में बिस्तर से उठाकर धीमी गति से चलें। ऐसी पोजीशन में न रहें जो पेट मे दर्द उतपन्न करे।
- सर्जन का सुझाव मानें- आपके सर्जन ने जो कुछ भी कहा है उसका पालन करें। समय-समय पर दवा लें और उचित भोजन करें। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद एक साथ खूब सारा नही खाना चाहिए। दिन भर थोड़ा-थोड़ा खाते रहें और तरल पदार्थ का सेवन अधिक करें।
ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को बुलाएं-
सर्जरी के बाद हल्का दर्द होना आम बात है। कुछ दिनों तक एनेस्थेसिया का प्रभाव जारी रहता है जिससे सुस्ती नजर आ सकती है। लेकिन अगर आप नीचे दिए गए लक्षणों का अनुभव करते हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। जैसे-
- कब्ज या एसिडिटी
- तेज बुखार
- असहनीय दर्द और सूजन
- टांके के आस-पास सूजन का बढ़ना और त्वचा का लाल होना
- उल्टी
- लगातार थकान
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद आराम से सो पाना मुश्किल भरा होता है। किसी भी पोजीशन में लंबे समय तक सोने से दर्द हो सकता है। पेनकिलर लेने के बाद भी हल्का दर्द बना रह सकता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (गर्भाशय का निकलना या पित्ताशय की पथरी) के बाद शरीर में हुए बदलाव को झेलने के लिए शरीर को थोड़ा समय लगता है। इसी कारण से कुछ दिनों तक केवल आराम करने को कहा जाता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद पेट के बल सोने से दर्द इतना बढ़ जाता है कि आपको तुरंत हॉस्पिटल जाने की जरूरत पड़ सकती है। कुछ दिनों तक पेट के बल न सोएं क्योंकि, ऐसी ही छोटी-छोटी गलतियों के कारण रिकवर होने में अधिक समय लग जाता है।
Pristyn Care क्लीनिक में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए एडवांस उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। आप अपनी समस्या हमारे गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (gastroenterologist) से शेयर कर सकते हैं। Pristyn Care में आज ही ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुक करें और अपना इलाज कराएं।
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|