ल्यूप्रोन ओवरलैप प्रोटोकॉल (लॉन्ग डाउन-रेगुलेशन प्रोटोकॉल), एंटागॉनिस्ट प्रोटोकॉल (Antagonist protocol) और पुअर रिस्पॉन्डर प्रोटोकॉल (Poor responder protocol), ये कुछ प्रोटोकॉल्स हैं जिन्हें IVF उपचार के दौरान उपयोग किया जाता है। आईवीएफ इलाज के शुरूआती चरण में प्रत्येक महिला को एक निश्चित प्रोटोकॉल से गुजरना पड़ता है।
आप अपने डॉक्टर से सुन सकते हैं कि आपके साथ लॉन्ग डाउन-रेगुलेशन प्रोटोकॉल (Lupron) का उपयोग किया जाएगा। क्योंकि इस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है।
इन प्रोटोकॉल्स का उपयोग महिला के अंडाशय को उत्तेजित करने या ओवुलेशन रोकने के लिए किया जाता है, जिसका उद्देश्य एक स्वस्थ भ्रूण का निर्माण करने के लिए एक या एक से अधिक अंडो की प्राप्ति करना है।
आप इसे इस प्रकार समझ सकते हैं-
प्रत्येक प्रोटोकॉल के अंतर्गत कुछ दवाइयां होती हैं जिन्हें सबसे अच्छा परिणाम प्राप्त करने के लिए संयोजन (combination) के रूप में दिया जा सकता है। प्रत्येक रोगी के लिए एक यूनिक प्रोटोकॉल का चयन किया जाता है।
प्रत्येक प्रोटोकॉल्स में महिला को कुछ ड्रग (मौखिक या इंजेक्शन के रूप में) दिए जाते हैं। लॉन्ग डाउन-रेगुलेशन प्रोटोकॉल में ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन (leuprolide acetate injection), आम भाषा में ल्यूप्रोन, दिया जा सकता है।
ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन क्या है?
ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन या ल्यूप्रोन एक GnRH एगोनिस्ट है जो ज्यादातर प्रोस्टेट कैंसर, एंडोमेट्रियोसिस और फाइब्रॉएड के लक्षणों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग डॉक्टर फर्टिलिटी दवा के तौर पर भी करते हैं।
ल्यूप्रोन का उपयोग IVF में डाउन रेगुलेशन प्रोटोकॉल के रूप में होता है। डिम्बग्रंथि उत्तेजना प्रक्रिया के दौरान प्रीमैच्योर ओवुलेशन रोकने के लिए इस दवा को दिया जाता है।
यह तुरंत कार्य नहीं करता है। इसे अपना असर दिखाने के लिए लगभग एक हफ्ता का समय चाहिए होता है।
ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन कैसे कार्य करता है?
ल्यूप्रोन दो तरह से कार्य करता है। पहले यह पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करता है और बाद में इस ग्रंथि को दबाता है।
जब महिला को ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) की जरूरत होती है तो यह पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित कर देता है। फिर बाद में यह पिट्यूटरी ग्रंथि को दबाकर इन हारमोंस के उत्पादन को रोक देता है।
उत्तेजना वाले चरण से लेकर दबाने वाले चरण तक पहुँचने के लिए ल्यूप्रोन को कुछ हफ्ते लगते हैं। यही कारण है कि इसे अन्य दवाओं के शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले ही दे दिया जाता है।
ल्यूप्रोन की जरूरत क्यों होती है?
आमतौर पर निम्न तीन उद्देश्यों के लिए ल्यूप्रोन इंजेक्शन की जरूरत होती है:
- पिट्यूटरी ग्रंथि को दबाने और ओव्यूलेशन को रोकने के लिए
- एग रिट्रीवल से पहले ट्रिगर शॉट के रूप में (क्योंकि अन्य प्रजनन दवाओं के मुकाबले ल्यूप्रोन ट्रिगर शॉट से डिम्बग्रंथि हाइपरस्टिम्यूलेशन का खतरा कम होता है)
- जब किसी महिला पर अन्य प्रजनन दवाएं ठीक से कार्य नहीं करती हैं।
ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन आमतौर पर फ्रोजेन एम्ब्रायो ट्रान्सफर और एग डोनेशन साइकिल के दौरान महिला को दिया जाता है, चूंकि इस दौरान महिला के ओवुलेशन को रोकने की जरूरत पड़ती है।
आजकल IVF चक्र की शुरुआत में ल्यूप्रोन का उपयोग बहुत कम किया जाता है। लेकिन यह उन महिलाओं में ट्रिगर शॉट का कार्य कर सकता है जिन्हें डिम्बग्रंथि हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम का खतरा रहता है। उन महिलाओं में HCG ट्रिगर शॉट की जगह ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन दिया जाता है।
ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स
यह एक तरह से, कुछ समय के लिए महिला के शरीर को रजोनिवृत्ति की स्थिति में डाल देता है। इसलिए ज्यादातर महिलाओं में मेनोपाज से संबंधित साइड इफेक्ट नजर आते हैं। यह हो सकते हैं:
- घबराहट
- मुंहासे
- शरीर में दर्द
- पेट खराब होना
- सिर दर्द
- हॉट फ़्लैश
- मूड स्विंग
- डिप्रेशन
- मतली
- योनि में सूखापन और जलन
- वजन बढ़ना
- चक्कर आना
- जोड़ों का दर्द
- एडिमा
- स्तन में कोमलता आना
- हाँथ-पैर में झुनझुनी
अगर आप तीव्र साइड इफेक्ट्स का अनुभव करती हैं तो इस बारे में डॉक्टर से सवाल करें।
ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन की कीमत
3.75mg का ल्यूप्रोन इंजेक्शन ₹4, 000.00 से लेकर ₹5, 000.00 तक का हो सकता है। भारत में इसके कई निर्माता हैं। प्रत्येक कंपनी अलग-अलग दाम में बेचती है।
आपको ल्यूप्रोन इंजेक्शन का कितना डोज कितने दिनों तक लगेगा यह डॉक्टर तय करता है।
निष्कर्ष
आईवीएफ चक्र के दौरान ल्यूप्रोलाइड एसीटेट इंजेक्शन का मुख्य उद्देश्य जारी ओवुलेशन को रोकना है। यह ल्यूप्रोन ओवरलैप प्रोटोकॉल के अंतर्गत दिया जाता है। हालांकि, अब चक्र के शुरुआत में इसका उपयोग बहुत कम किया जाता है।
इस इंजेक्शन को केवल डॉक्टर की सलाह अनुसार लेना चाहिए। गलत विधि और मात्रा में इसका सेवन करने पर कई जटिलताएं नजर आ सकती हैं।
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|