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मायोपिया और हाइपरोपिया आँखों को प्रभावित करने वाली दो सामान्य बीमारियां हैं, जिससे पीड़ित मरीज को एक निश्चित दूरी पर मौजूद वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं। एक सामान्य आँख रेटिना पर वस्तु का प्रतिबिंब बनातीहै, लेकिन मायोपिया या हाइपरोपिया से प्रभावित आँख क्रमशः वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के सामने और रेटिना के पीछे बनाती है।

मायोपिया और हाइपरोपिया के बीच क्या फर्क है — Difference between Myopia & Hyperopia In Hindi

मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया के बीच का अंतर यह है कि मायोपिया से पीड़ित व्यक्ति पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है, लेकिन दूर की वस्तुओं को नहीं। हाइपरोपिया से पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है, लेकिन पास की वस्तुओं को नहीं। मायोपिया के मामले में दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं और हाइपरमेट्रोपिया के मामले में पास की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं।

मायोपिया और हाइपरोपिया के बीच के अंतर को विस्तार से समझने के लिए निचे दिए हुए चार्ट को पढ़ें। इस चार्ट को पढ़ने के बाद, आप मायोपिया और हाइपरोपिया के कारण, लक्षण, इनके इलाज और दूसरे पहलुओं के बीच के अंतर को अच्छी तरह से समझ पाएंगे।

मायोपिया का क्या मतलब होता है— Myopia Meaning In Hindi

मायोपिया दृष्टि से संबंधित एक बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर मरीज को पास की वस्तुएं साफ और दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। मायोपिया की स्थिति में आँखों में जाने वाली रौशनी रेटिना पर केंद्रित होने के बजाय, रेटिना के आगे यानी सामने केंद्रित होती है।

मायोपिया कई कारणों से हो सकता है, जिसमें अनुवांशिकता, आँखों का सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आना, शरीर के सर्कैडियन लय और दूसरे कई कारण शामिल हैं।

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इस बीमारी से प्रभावित आंख की गेंद का आकार बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, आंखों के लेंस की फोकल लंबाई भी कम हो जाती है। मायोपिया को तीन भागों में बांटा जा सकता है।

  1. कम मायोपिया: अपवर्तक त्रुटि -3.00 डी से अधिक या बराबर होती है।
  2. मध्य मायोपिया: अपवर्तक त्रुटि -3.00 से -6.00 डी से कम होती है।
  3. उच्च मायोपिया: अपवर्तक त्रुटि -6.00 डी से कम होती है।

अवतल लेंस (डायवर्जिंग लेंस) की मदद से एक मायोपिक आंख को ठीक किया जा सकता है। इसमें एक नकारात्मक अपवर्तक शक्ति होती है जो मायोपिया की गंभीरता के अनुसार बढ़ती है।

हाइपरोपिया का क्या मतलब होता है — Hyperopia Meaning In Hindi

हाइपरोपिया दृष्टि को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर मरीज को दूर की वस्तुएं साफ और पास की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। हाइपरोपिया की स्थिति में आँखों में जाने वाली रौशनी रेटिना पर केंद्रित न होकर, रेटिना के पीछे केंद्रित होती है।

हाइपरोपिया कई कारणों से होता है, जिसमें अनुवांशिकता, उच्च रक्तचाप, सिलिअरी मांसपेशियों का ठीक से काम नहीं करना, आई बॉल के आकार का बढ़ना और दूसरे भी कई अन्य कारण शामिल हैं।

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इस बीमारी से पीड़ित होने पर, आँख की गेंद का आकार कम हो जाता है। इतना ही नहीं, आंखों के लेंस की फोकल लंबाई भी बढ़ जाती है। हाइपरोपिया को तीन भागों में बांटा जा सकता है।

  1. कम हाइपरोपिया: अपवर्तक त्रुटि +2.00 डी से अधिक या बराबर होती है।
  2. मध्य हाइपरोपिया: अपवर्तक त्रुटि +2.00 से +5.00 डी से कम होती है।
  3. उच्च हाइपरोपिया: अपवर्तक त्रुटि +5.00 डी से कम होती है।

उत्तल लेंस (कन्वर्जिंग लेंस) की मदद से हाइपरमेट्रोपिक आई को ठीक किया जा सकता है। इसमें एक सकारात्मक अपवर्तक शक्ति होती है, जो मायोपिया की गंभीरता के अनुसार बढ़ती है।

मायोपिया और हाइपरोपिया के बीच मुख्य अंतर — Main Difference Between Myopia & Hyperopia In Hindi

मायोपिया और हाइपरोपिया के बीच अनेकों अंतर हैं। हम आपको नीचे इन दोनों दृष्टि संबंधित बीमारियों के बीच के कुछ अंतरों के बारे में बता रहे हैं। इन्हें पढ़ने के बाद, मायोपिया और हाइपरोपिया के बीच के खास अंतर को आप आसानी से समझ जाएंगे।

  1. मायोपिया से पीड़ित व्यक्ति केवल कम दूरी की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है। दूसरी ओर, हाइपरमेट्रोपिया से पीड़ित व्यक्ति केवल दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है।
  2. मायोपिया को निकटदर्शीता और निकट दृष्टि दोष के रूप में भी जाना जाता है जबकि हाइपरोपिया को हाइपरमेट्रोपिया और दूर दृष्टि दोष के रूप में भी जाना जाता है।
  3. मायोपिक आंख के मामले में, आई बॉल का आकार बढ़ जाता है। हाइपरमेट्रोपिक आंख के मामले में, आई बॉल का आकार कम हो जाता है।
  4. मायोपिया में, आंखों के लेंस की फोकल लंबाई कम हो जाती है, जबकि हाइपरमेट्रोपिया में, आंख के लेंस की फोकल लंबाई बढ़ जाती है।
  5. मायोपिया में, वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के सामने बनता है, जबकि हाइपरमेट्रोपिया में वस्तु  का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है।
  6. मायोपिया अनुवांशिकता, सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने और शरीर के सर्कैडियन लय के कारण होता है। दूसरी ओर, हाइपरमेट्रोपिया अनुवांशिकता, उच्च रक्तचाप और सिलिअरी मांसपेशियों के सही से काम नहीं करने के कारण होता है।
  7. मायोपिया में दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं, जबकि हाइपरमेट्रोपिया में पास की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं।
  8. मायोपिया का इलाज करने के लिए निगेटिव पॉवर के अवतल लेंस का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरी ओर, हाइपरमेट्रोपिया का इलाज करने के लिए पॉजिटिव पॉवर के उत्तल लेंस का इस्तेमाल किया जाता है।

मायोपिया और हाइपरोपिया का इलाज कैसे किया जाता है — Treatment For Myopia & Hyperopia In Hindi

इन दोनों स्थितियों का इलाज नॉन-सर्जिकल और सर्जिकल – दोनों ही प्रक्रियाओं से किया जाता है। इनके नॉन-सर्जिकल इलाज में चश्मा और कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल तथा सर्जिकल इलाज में लेजर इन सीटू किरेटोमिल्युसिस (लेसिक), लेजर असिस्टेड सबएपिथेलियल किरेटोमिल्युसिस, फोटोरिफ्रेक्टिव केरटेक्टोमी और इंट्राऑकुलर लेंस प्रत्यारोपण आदि शामिल हैं।

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मायोपिया और हाइपरोपिया का नॉन-सर्जिकल इलाज एक ऑप्टोमेट्रिस्ट के द्वारा किया जाता है। लेकिन इनका सर्जिकल इलाज एक अनुभवी और कुशल नेत्र रोग विशेषज्ञ के द्वारा किया जाता है। आमतौर पर जब मायोपिया या हाइपरोपिया अपनी शुरुआती स्टेज में होते हैं तो डॉक्टर चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस के इस्तेमाल का सुझाव देते हैं।

लेकिन बहुत से लोगों को चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल पसंद नहीं है। ऐसे में नेत्र रोग विशेषज्ञ सर्जरी का सुझाव देते हैं। वैसे तो मायोपिया और हाइपरोपिया की सर्जरी को कई तरह से किया जाता है, लेकिन लेसिक सर्जरी को इनका बेस्ट इलाज माना जाता है। लेसिक सर्जरी के दौरान, नेत्र रोग विशेषज्ञ कॉर्निया में एक छोटा सा कट लगाकर उसे एक नया आकार देते हैं, जिससे ये दोनों बीमारियां दूर हो जाती हैं।

हमारे प्रिस्टीन केयर क्लिनिक में मायोपिया, हाइपरोपिया और एस्टिग्मेटिज्म का इलाज मॉडर्न और एडवांस लेसिक सर्जरी से किया जाता है। हमारे अनुभवी और विश्वसनीय नेत्र सर्जन इस सर्जरी को पूरा करते हैं। 

हमारे नेत्र रोग विशेषज्ञ को दृष्टि संबंधित बीमारी की गहरी समझ और लेजर सर्जरी में सालों का अनुभव प्राप्त है। ये अपने अनुभव और मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी की मदद से मायोपिया और हाइपरोपिया जैसी बीमारियों का बेहतर इलाज करते हैं।

अगर आप अपने शहर के बेस्ट क्लिनिक में कम से कम खर्च में मात्र एक दिन में मायोपिया या हाइपरोपिया से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो प्रिस्टीन केयर आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। 

मायोपिया और हाइपरोपिया तथा इनके इलाज के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप हमारे विश्वसनीय नेत्र रोग विशेषज्ञ के साथ परामर्श कर सकते हैं।

निष्कर्ष

मायोपिया की प्रवृति यह है कि इससे पीड़ित व्यक्ति केवल नजदीक की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है। जबकि हाइपरोपिया की प्रवृति ऐसी है कि इससे पीड़ित व्यक्ति केवल दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है।

आंखों की इन दोनों स्थितियों को सही करने के लिए एक अलग प्रकार के लेंस की आवश्यकता होती है। मायोपिया के लिए नकारात्मक अवक्षेपक शक्ति वाले अवतल लेंस और हाइपरोपिया के लिए सकारात्मक अपवर्तक शक्ति वाले उत्तल लेंस की आवश्यकता होती है। इन दोनों बीमारियों का इलाज एक अनुभवी और कुशल ऑप्टोमेट्रिस्ट या नेत्र रोग विशेषज्ञ के द्वारा किया जाता है।

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Updated on 24th August 2022