बबिता प्रेग्नेंसी के समय डिलीवरी को लेकर थोड़ा घबराई हुई थी। वह प्रार्थना कर रही थी कि किसी भी तरह उसकी नॉर्मल डिलीवरी हो जाए। इसलिए वह डॉक्टर (स्त्री रोग विशेषज्ञ) के पास गई। डॉक्टर ने उसे कहा कि अच्छी डाइट और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करने से नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं बढ़ जाती है। बबिता नौ महीने महीने प्रेग्नेंट थी, वह नहीं जानती थी कि प्रेग्नेंसी में भी एक्सरसाइज की जा सकती है, यहां तक कि नवें महीने में भी। तब डॉक्टर ने उसे कहा कि महिला और बच्चे की स्थिति सामान्य होने पर कुछ एक्सरसाइज की जा सकती हैं, इससे नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है।
ध्यान रखें कि ये सभी एक्सरसाइज या व्यायाम डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करें।
स्वीमिंग
अगर आप स्वीमिंग करना जानती है तो प्रेग्नेंसी के नवे महीने में भी स्वीमिंग कर सकती है। इससे मां और बच्चे दोनों को नुकसान नहीं होता हैं। अगर स्वीमिंग करना नहीं आती तब डॉक्टर से जरूर पता करें कि इस स्टेज पर स्वीमिंग सीखने से कुछ नुकसान तो नहीं होगा। स्वीमिंग करने से दिल और फेफड़े (Lungs) की कार्यक्षमता बढ़ती है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा हो जाता है। अगर नियमित रूप से स्वीमिंग की जाएं तो मांसपेशियों (muscles) की क्षमता बढ़ती हैं। इससे शरीर की सहनशीलता भी बढ़ती है, जिससे डिलीवरी के समय होने वाले लेबर पैन को बर्दाश्त करना थोड़ा आसान हो जाता है।
स्ट्रेचिंग
स्ट्रेचिंग से शरीर में लचीलापन (Flexibility) आता है। मसल्स की फ्लेक्सिब्लिटी बेहतर होने से डिलीवरी के दौरान दर्द कम होता है। स्ट्रेचिंग से तनाव मुक्त रहने में भी मदद मिलती है। स्ट्रेचिंग की किसी भी क्रिया को 10 से 30 सेकंड तक बनाए रखा सकता है। इसमें इस बात का भी ध्यान रहें कि स्ट्रेचिंग करते समय शरीर पर धीमे धीमे दबाव डालें, अगर स्ट्रेचिंग की किसी प्रक्रिया से दर्द हो रहा है तो खुद के साथ जबरदस्ती न करें।
वाकिंग
टहलना (Walking) सेहत के लिए अच्छा है। इसके कई फायदें होते हैं। प्रेग्नेंसी में भी वाकिंग करने से फायदें होते हैं, लेकिन वॉकिंग नॉर्मल स्पीड में करना चाहिए, प्रेग्नेंसी में जल्दी-जल्दी वाकिंग करने से फायदें होने के बजाय नुकसान होते हैं। वॉक करने से शरीर में स्फूर्ति और एनर्जी बनी रहती हैं।
वॉल पुश अप
प्रेग्नेंसी में वॉल पुश अप करना भी फायदेमंद है। इसे करने के लिए दीवार की तरफ मुंह कर खड़े रहें। पैरों को आरामदायक पॉजिशन में ही रहने दें और हथेलियों को दीवार पर रखें। बॉडी को दीवार की तरफ धकेलें। ऐसा करने पर हथेली और मुंह के बीच दूरी बनी रहना चाहिए। इसमें पीठ एकदम सीधी रहना चाहिए। इसे 5 से 6 बार कर सकते है। इस एक्सरसाइज के करने से भी नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
लेग लिफ्टिंग
इस एक्सरसाइज को पीठ के बल लेट कर किया जाता है। इसके बाद पैरों को सीधा ऊपर की तरफ उठाएं। वैसे तो लेग लिफ्टिंग कई तरीके से की जाती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी में किस तरह से लेग लिफ्टिंग एक्सरसाइज करना हैं, इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इस एक्सरसाइज को करने से पेट और पीठ मजबूत दोनों की मसल्स मजबूत होती हैं। इसे 10 से 12 बार करना चाहिए।
वॉल स्क्वाट
इस एक्सरसाइज को फिटनेस बॉल के जरिए करना है। इस एक्सरसाइज को करते समय पैर और बॉडी की पॉजिशन का ध्यान रखें। इसे करने के लिए पीठ पर फिटेनस बॉल को लगा लें, इसके बाद दीवार की तरफ पीठ कर शरीर को धीरे धीरे नीचे और फिर ऊपर लाएं। इसे करने से पीठ दर्द दूर होने के साथ साथ नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है।
उकडू बैठना
उकडू बैठने से पेल्विक मजबूत हो जाता है। इससे बच्चे को डिलीवरी के समय आने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं, पैरों को कंधो जितना खुला रख कर हाथों को अपने शरीर के सामने स्थिर रखने की कोशिश करें। अब एड़ी पर वजन रखें और पीठ को सीधे रखते हुए उकडू बैठें। इस चीज का ध्यान रखें कि घुटने न झुकें।
बटरफ्लाई एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को करने से पेल्विक मजबूत होता है। इससे जांघ और कूल्हे के मसल्स खुल जाते हैं, जिससे डिलीवरी में आसानी होती है। इसे करने के लिए फर्श पर सीधी पीठ कर बैठें और पैरों को सामने की तरफ सीधा रखें। घुटनों को धीरे से मोड़ कर पैरों को पेल्विक (पेड़ू) की तरफ ले आएं। इसके बाद पैरों के तलवों को एक साथ लगा कर घुटनों को विपरीत दिशा में ले जाएं। घुटनों को ऊपर ले जा कर धीरे से दबाएं। दो से तीन बार इस एक्सरसाइज को जरूर करें।
बिल्ली और ऊंट एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को करने से पेट की मसल्स मजबूत होने के साथ पोस्चर भी संतुलित रहता है। इसमें पेट, पीठ और कूल्हों की स्ट्रेचिंग भी हो जाती हैं। एक्सरसाइज को करने के लिए नीचे झुक जाएं। हाथ और घुटनों के जरिए बिल्ली की तरह हो जाएं। सिर को ढीला छोड़ दें, पीठ को ऊपर की तरफ उठाएं। अगर खिंचाव महसूस हो तो इसे न करें। अगर न हो तो 15 से 20 सेकंड तक इसी स्टेज में रहें। इसके बाद पीठ को सीधा कर फर्श की ओर पेट को झुका कर पीठ को थोड़ा स्विंग करें। छत की ओर कूल्हों को उठाएं।
ब्रिजिंग एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को करने से भी पेल्विक (पेड़ू) मजबूत होता है, इससे कूल्हों और जांघ की ताकत बढ़ती है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए पीठ की तरफ से लेट जाएं, घुटनों को मोड़ कर कूल्हों को कुछ इंच आगे रखें। कूल्हों के मसल्स को सिकोड़ लें और पैरों के पंजो से जोर लगा कर कूल्हों को ऊपर की तरफ उठायें। कुछ देर ऐसे ही रहें और फिर कूल्हों को नीचे ले आएं।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को करने से तनाव से मुक्ति मिलती है। इससे लेबर पैन को झेलने में मदद मिलती है। प्रेग्नेंसी में ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस एक्सरसाइज को करने से ऑक्सीजन की जरूरत पूरी होने के साथ जोड़ों और मांसपेशियों (Joint and muscle) के दर्द में राहत मिलती है।
इसे करने के लिए पीठ सीधे रख कर बैठ जाएं, दाहिने हाथ को पेट पर रख कर बाएं हाथ को अपनी छाती पर रखें। अब सिर्फ नाक से सांस लें। जब आप ऐसा करेंगे तब पेट दाहिने हाथ को ऊपर की तरफ धकेल देगा। छाती को हिलने नहीं दें। अब मुंह से सांस बाहर निकालें।
कीगल व्यायाम
जिन महिलाओं को यूटीआई की समस्या होती हैं उनके लिए यह व्यायाम सबसे बेहतर माना जाता है। क्योंकि यह पेशाब के फ्लो को रोकने में मदद करती है। यह व्यायाम शरीर की मांसपेशियों और खासकर पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है और वहां ब्लड सर्कुलेशन को तेज करती है।
यह व्ययायाम गर्भवती महिला के मांसपेशियों को डिलीवरी के लिए तैयार करती है जो नार्मल डिलीवरी के लिए बहुत फायदेमंद है। इस व्यायाम को कम से कम दस बार करना चाहिए और हर बार कीगल की पोजीशन में कम से कम पंद्रह सेकेंड तक रहें।
प्रेग्नेंसी केनौंवे महीने में नॉर्मल डिलीवरी के लिए कुछ सावधानियां रखना जरूरी है;
- जहां प्रदूषण और धूल हो, तब एक्सरसाइज न करें।
- संतुलित मात्रा में पानी पियें, पानी की कमी से नॉर्मल डिलीवरी की संभावना कम हो जाती है और डॉक्टर सिजेरियन का सहारा लेते हैं।
- किसी भी एक्सरसाइज के समय ज्यादा चक्कर या थकान होने से एक्सरसाइज करना बंद कर डॉक्टर से सलाह लें।
- प्रेग्नेंसी में खुद का ख्याल रखने के लिहाज से आलसी न बनें, एक्टिविटी करते रहें।
- ज्यादा भारी सामान जैसे भरी हुई बाल्टी न उठायें।
- ज्यादा गर्म पानी से बाथ और सोना बाथ भी न लें।
गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह का व्यायाम करने से अगर आपके शरीर पर ज्यादा दबाव बने या फिर दर्द हो तो तुरंत उस व्यायाम को करना बंद कर दें। कोई भी व्यायाम जबरदस्ती नहीं करनी है। ध्यान रहे की आप जब भी व्यायाम करें तो आपके साथ कोई दूसरा व्यक्ति मौजूद हो। इन सबसे खास, कोई भी व्यायाम करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर मिले और उनसे अपने व्यायाम के बारे में बताएं और उनकी सलाह को फॉलो करें।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|