ovarian hemorrhagic cyst

ओवेरियन सिस्ट फ्लूड से भरी एक थैली होती है जो ओवरी में या इसकी सतह पर पाई जाती है। महिलाओं में दो ओवरी (अंडाशय) होती हैं। दोनों ही आकार में बादाम की तरह होती हैं। ओवरी चाइल्डबियरिंग एज में एग बनाना शुरू कर देती है। बहुत सी महिलाओं को ओवरी में सिस्ट होती हैं, कुछ केस में ये छोटी होती है, जिससे कोई डिस्कंफर्ट और नुकसान नहीं होता। लेकिन कई बार यह समस्या बीमारी का रूप भी ले लेती है। जब इन सिस्ट से खून बहने लगता है तो इसे हेमोरेजिक सिस्ट कहा जाता है। दायीं तरफ ओवरी में हेमोरेजिक सिस्ट होने को राइट ओवेरियन हेमोरेजिक सिस्ट और बायीं तरफ ओवरी में हेमोरेजिक सिस्ट होने पर इसे लेफ्ट ओवेरियन हेमोरेजिक सिस्ट कहा जाता है।

 

 

ओवेरियन हेमोरेजिक सिस्ट के लक्षण (Symptoms of ovarian hemorrhagic cyst) 

कई बार सिस्ट होने पर किसी तरह के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। हालांकि किसी बड़े ओवेरियन सिस्ट होने के कारण निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं;

  • पेड़ू (पेल्विक) में दर्द। (Pain in pelvic)
  • पेट भारी महसूस होना।
  • पेट में सूजन 
  • इंटरकोर्स के दौरान दर्द (Painful intercourse)
  • जी मिचलाना और उल्टी (Nausea and vomiting)
  • कमर या thighs में दर्द
  • ब्रेस्ट में कोमलता (Breast tenderness)

 

 

डॉक्टर को कब दिखाएं?

  • जब पेट या पेल्विक में दर्द हो।
  • बुखार या उल्टी के साथ दर्द हो। 
  • इन लक्षणों के अलावा सांस तेज होने लगें, चिपचिपी स्किन और कमजोरी महसूस हो   तब डॉक्टर से बिना देरी किए सलाह लें।

 

ओवेरियन हेमोरेजिक सिस्ट के प्रकार और कारण (Causes and Types of ovarian hemorrhagic cyst)

ओवेरियन सिस्ट कई तरह की होती हैं जैसे कि डर्मोइड सिस्ट, एन्डोमीट्रीओसिस सिस्ट। इनके अलावा भी सिस्ट के निम्न प्रकार हैं;

फोलीसाइल सिस्ट

पीरियड्स के दौरान sac में एग का आकार बढ़ने लगता है, इसे फोलीसाइल कहते है। यह sac ओवरी के अंदर मौजूद होता है। नॉर्मली जब ओवरी एग रिलीज करती है तो यह फैलोपिन ट्यूब में जाती है। जब sac या फोलीसाइल ओपन हो कर एग रिलीज नहीं कर पाती तब फोलीसाइल में मौजूद फ्लूड सिस्ट बनना शुरू हो जाता है। इसे ही फोलीसाइल सिस्ट कहा जाता है।

कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट

जब फोलीसाइल अपना एग रिलीज करती है, जिसके बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन बनना शुरू हो जाते हैं ताकि गर्भधारण (Pregnancy ) हो। इस फोलीसाइल को कॉर्पस ल्यूटियम कहते है। जब यह फ्लूड फोलीसाइल में इकठ्ठा होने लगता है, कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट बनकर बढ़ने लगती है।

कुछ सिस्ट ऐसे भी होते हैं जो पीरियड्स के नॉर्मल फंक्शन से जुड़े नहीं होते। 

डर्मोइड सिस्ट 

यह सिस्ट ओव्यूलेशन की प्रक्रिया के दौरान होती है, इस सिस्ट को ओपन या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के जरिए निकाल दिया जाता है। इन सभी कारणों से ओवरी में सिस्ट हो सकती है।

 

ओवेरियन हेमोरेजिक सिस्ट के रिस्क क्या-क्या हैं? (Risk Factor of ovarian hemorrhagic cyst)

ओवेरियन सिस्ट होने की संभावनाएं तब बढ़ जाती है जब पहले से ही निम्न समस्याएं हों;

  • हॉर्मोन के स्तर में गड़बड़ी होने से भी ओवेरियन सिस्ट हो जाती है।
  • कुछ केस में जब ओव्यूलेशन होता है तो एग पर सिस्ट बन जाता है। 
  • पेल्विक में इंफेक्शन ठीक नहीं होने पर बढ़ जाता है, जिससे ओवरी में भी इंफेक्शन हो जाता है और सिस्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • अगर पहले भी ओवेरियन सिस्ट हुआ है तब दोबारा ओवेरियन सिस्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।

 

ओवेरियन हेमोरेजिक सिस्ट होने के जोखिम क्या-क्या हैं? (Complication of Ovarian Hemorrhagic Cyst)

कुछ केस में सिस्ट होने के लक्षण नहीं दिखाई देते। मेनोपॉज के बाद सिस्ट होने से कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए समय-समय पर पेल्विक टेस्ट करवाना चाहिए।

ओवरी में मरोड़ (torsion) होना

ओवेरियन हेमोरेजिक सिस्ट होने से ओवरी में मरोड़ भी आ सकती है। ऐसा होने पर जी मिचलाना, उल्टी, पेल्विक में बहुत ज्यादा दर्द होता है। अगर ओवरी में मरोड़ आ जाती है तो इससे ओवरी में ब्लड फ्लो या तो कम हो जाता है या पूरी तरह से रुक जाता है।

सिस्ट टूटने से बहुत ज्यादा दर्द और internal bleeding हो सकती है। अगर सिस्ट बड़ा हो तो तकलीफ और बढ़ जाती है।

 

ओवेरियन सिस्ट को होने से कैसे रोकें? (How to prevent Ovarian cyst?)

ओवेरियन सिस्ट होने से नहीं रोका जा सकता। हालांकि समय-समय पर जांच कराने से ओवेरियन सिस्ट के होने की जानकारी जल्दी मिल जाती है। ओवेरियन सिस्ट और ओवेरियन कैंसर के लक्षण कुछ हद तक एक समान होते हैं। जब भी सिस्ट से जुड़े कोई भी लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से तुरंत जांच करवाएं। अगर पीरियड्स में किसी तरह का बदलाव, पेल्विक में बहुत तेज दर्द, वजन अचानक घटने से, पेट भरा-भरा महसूस हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

 

ओवेरियन सिस्ट की जांच (Diagnosis of Ovarian cyst)

रूटीन पेल्विक एग्जाम के जरिए सूजन महसूस होती है तब डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करने का सुझाव दे सकते हैं। अल्ट्रासाउंड के जरिए सिस्ट की जानकारी आसानी से मिल जाती है। इसके साथ ही हार्मोन स्तर की जांच भी की जाती है। 

लेप्रोस्कोपी जांच भी की जाती है। इसमें लेप्रोस्कोप (thin and lighted instruments) के जरिए डॉक्टर ओवरी की जांच करते हैं। जरूरत पड़ने पर लेप्रोस्कोप के जरिए सर्जरी भी की जाती है।

CA 125 ब्लड टेस्ट भी किया जाता है, जिससे डॉक्टर ओवेरियन कैंसर के होने का पता लगाते हैं। 

 

ओवेरियन सिस्ट का इलाज (Treatment of Ovarian cyst)

डॉक्टर सिस्ट का इलाज कई तरीकों से करते हैं। इलाज के लिए उम्र, सिस्ट का प्रकार और साइज, लक्षण जैसे कारकों को ध्यान रखा जाता है। 

कुछ समय के लिए इंतजार:- बहुत से केस में ओवेरियन सिस्ट अपने आप खत्म हो जाता है। इसलिए डॉक्टर कुछ समय के लिए इंतजार करने को कहते हैं। जिसके बाद दोबारा जांच करने पर अगर सिस्ट बढ़ जाता है तब इलाज शुरू किया जाता है।

दवाई:- डॉक्टर Hormonal contraceptives यानी बर्थ कंट्रोल पिल्स देते हैं, जिससे कोई दूसरी सिस्ट ओवरी में न हो। लेकिन इससे ओवेरियन सिस्ट सिकुड़ती नहीं है। 

सर्जरी:- सिस्ट का साइज बढ़ जाने पर डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह भी देते हैं। कुछ सर्जरी में सिर्फ सिस्ट को ही निकाला जाता है जबकि कुछ में डॉक्टर सिस्ट के साथ प्रभावित ओवरी को भी निकाल देते हैं। अगर सिस्ट का कारण ओवेरियन कैंसर है तब डॉक्टर हिस्टेरेक्टॉमी करने की सलाह भी दे सकते हैं, जिसमें यूटेरस, ओवरी और फैलोपिन ट्यूब जैसे सभी अंगों या कुछ अंगों को निकाल देते हैं।

 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

 

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Updated on 13th June 2025