periods me blood clots

पीरियड्स नेचुरल है, ये कोई समस्या या बीमारी नहीं, लेकिन इसमें थोड़ी सी असामान्यता (Abnormality) परेशानी का सबब बन जाती है। नॉर्मल ब्लीडिंग, कम दर्द, 3 से 5 दिन तक ब्लीडिंग सामान्य पीरियड्स के लक्षण हैं। अब अगर पीरियड्स में खून के थक्के (Blood clots) आने लगें तो लाजिम है कि कोई भी महिला हो डरेगी ही। लेकिन पीरियड्स में खून का थक्का आना सामान्य होता है, इससे कोई दिक्कत नहीं होती है। 

पीरियड्स में खून के थक्के आने के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Blood clots in periods)

पीरियड्स में खून के थक्के अगर छोटे हैं और कभी-कभी ही पीरियड्स में इसका सामना करना पड़ता है तो यह सामान्य है, यह चिंता का विषय नहीं है। अगर हर महीने पीरियड्स में नियमित रूप से खून के थक्के आएं तब डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हो जाता है।

पीरियड्स में असामान्य खून के थक्कों का आकार एक चौथाई बड़ा होता है और ये कम अंतराल में आते हैं। ये स्थिति बिलकुल भी सामान्य नहीं होती। ऐसा होने पर हर दो घंटे में पैड या टैम्पोन बदलना होता है। ऐसे में लापरवाही करने पर एमरजेंसी की स्थिति भी बन जाती है।

पीरियड्स में खून के थक्के आने का कारण क्या है? (Causes of blood clots in periods)

पीरियड्स में खून के थक्के क्यों आते हैं, यह एक जिज्ञासा का विषय है। हालांकि इस बारे में कम ही महिलाएं सोचती हैं। ज्यादातर उन महिलाओं को दिक्कत होती हैं, जो चाइल्डबियरिंग (बच्चे पैदा करने की उम्र में हैं) अवस्था में हैं। इस उम्र में यूटेरस लाइन (पीरियड्स में खून बनके) बहने लगती है। इस लाइन को एंडोमेट्रियम (endometrium) भी कहते हैं। एस्ट्रोजन हार्मोन को रिस्पॉन्स देने के लिए एंडोमेट्रियम बड़ा और चौड़ा हो जाता है। इससे फर्टिलाइज हुए एग को सपोर्ट मिलता है। अगर प्रेग्नेंसी नहीं होती है तो दूसरे हार्मोन यूटेरस लाइन के साथ बहने लगते हैं। इसे ही पीरियड्स (Menstruation) कहते हैं।

जब ये लाइन खून, म्यूकस और टिश्यू के साथ मिक्स होकर बहती हैं तब ये mixture यूटेरस से निकल कर सर्विक्स में और सर्विक्स के बाद वजाइना से बाहर आ जाता है। पीरियड्स के दौरान शरीर में एंटीकोगुलेंट (Anticoagulant) बनता है, यह खून को पतला कर ब्लड क्लॉट कम करने में मदद करता है। जब Anticoagulant बनना कम हो जाते हैं तो खून के थक्के (Blood clots) आना शुरू हो जाते हैं। 

पीरियड्स पर हार्मोन का असर पड़ता है और इससे पीरियड्स में हैवी फ्लो भी हो जाता है। हैवी फ्लो के कारण पीरियड्स में खून के थक्के आना शुरू हो जाते हैं। खून के थक्के आने के निम्न कारण भी हो सकते हैं;

यूटेरस में रूकावट (Uterine obstruction):- यूटेरस की दीवार पर एक्स्ट्रा दबाव आने पर पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग और क्लॉट्स आने लगते हैं। 

फाइब्रॉइड:- यूटेरस में फाइब्रॉइड के कारण भी हैवी ब्लीडिंग होने लगती है। यूटेरस में नॉन-कैंसर ट्यूमर बनने और हार्मोनल बदलाव के कारण भी पीरियड्स में खून के थक्के आने लगते हैं।

एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis):- इस में यूटेरस लाइन यूटेरस के बाहर बनने लगती है, इससे भी पीरियड्स में ब्लड क्लॉट आने लगते हैं।

एडिनोमायोसिस (Adenomyosis):- यूटेरस लाइन जब यूटेरस में ही हद से ज्यादा बढ़ने लगती है तब भी पीरियड्स के समय खून के थक्के आने लग जाते है।

हार्मोनल असंतुलन:- एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का बैलेंस बिगड़ने से यूटेरस लाइन आकार में चौड़ी होने लगती है, जिससे बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है और साथ ही खून के थक्के (Blood clots) भी आने लगते हैं। 

मिसकैरिज:- प्रेग्नेंसी होने पर जब किसी वजह से मिसकैरिज हो जाता है तब भी ब्लीडिंग के साथ क्लॉट्स आने लगते हैं।

वॉन विलेब्रांड:- इस डिसऑर्डर के कारण भी पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है और साथ ही ब्लड क्लॉट आने लगते हैं।

पीरियड्स में खून के थक्के आने की समस्या की जांच कैसे की जाती है? (Diagnosis of blood clots in period)

पीरियड्स में खून के थक्के आने की जांच करने के लिए डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री जांच करते हैं। इसमें वह आपसे पेल्विक सर्जरी, बर्थ कंट्रोल और प्रेग्नेंसी से जुड़ी बातें पूछ सकते हैं। इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर इमेजिंग टेस्ट, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।

पीरियड्स में खून के थक्के आने का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment of blood clots in period)

पीरियड्स में खून के थक्के को रोकने के लिए हैवी ब्लीडिंग कम करने की तरफ ध्यान दिया जाता है।

हार्मोनल थैरेपी

यूटेरस लाइन की ग्रोथ को कम करने के लिए बर्थ कंट्रोल पिल्स, Intrauterine device और दूसरी दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। 

सर्जरी 

कुछ केस में सर्जरी करने की जरूरत पड़ जाती है। वैसे तो dilation and curettage (D and C) प्रोसेस का इस्तेमाल मिसकैरिज के बाद किया जाता है लेकिन खून के थक्के को रोकने के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

अगर फाइब्रॉइड के कारण खून के थक्के आ रहे हैं तो फाइब्रॉइड को हटाने के लिए मायोमेक्टामी सर्जरी की जाती है। अगर यूटेरस में फाइब्रॉइड छोटा है तो लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भी की जा सकती है। कभी-कभी फाइब्रॉइड को हटाने के लिए हिस्टेरेक्टॉमी भी करना पड़ती है, इसमें पुरे यूटेरस को निकाल दिया जाता है। 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|