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फाइमोसिस के लक्षण, प्रकार और ट्रीटमेंट की प्रक्रिया - Phimosis In Hindi

फाइमोसिस या फिमोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिंग की ऊपरी स्किन (Foreskin) बहुत ज्यादा टाइट हो जाती है और नीचे करने पर वह पीछे की तरफ नहीं हट पाती है। जिन पुरुषों का खतना नहीं होता है, उनमें इस बीमारी के होने की संभावना बहुत अधिक होती है। इससे प्रभावित व्यक्ति के पेनिस की स्किन एक समय के बाद इतनी ज्यादा टाइट हो जाती है कि वह पीछे की तरफ नहीं जा पाती और ऐसी स्थिति में खतना करवाना ही एकमात्र विकल्प बचता है।

फाइमोसिस या फिमोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिंग की ऊपरी स्किन (Foreskin) बहुत ज्यादा टाइट हो जाती है और नीचे करने पर ... और पढ़ें

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फाइमोसिस क्या है? - Phimosis meaning in Hindi

बच्चों के जन्म के बाद शुरू के कुछ सालों में Glans (पेनिस  का सिरे वाला हिस्सा) और ऊपरी स्किन आपस में जुड़ी होती है। लेकिन स्किन पीछे न हटने के कारण बार-बार इंफेक्शन होने लगता है। इसके कारण लिंग के ऊपर की त्वचा सख्त हो जाती है। इन सभी के कारण फाइमोसिस नाम का रोग होता है इसकी वजह से मरीज को पेशाब करने में परेशानी होती है और साथ ही साथ यौन संबंधित बीमारी होने का खतरा भी बना रहता है। 

विशेषज्ञों के अनुसार अगर फाइमोसिस का इलाज समय पर नहीं हुआ तो यह प्रोस्टेट कैंसर का कारण बन सकता है और ऐसी स्थिति में मरीज के पास सर्जरी ही एक मात्र विकल्प बचता है। यह पुरुषों में होने वाला एक गुप्त रोग है, जिसकी वजह से मरीज इस बारे में बात करने से शर्माते और कतराते हैं।

ling ke upar ki skin kaise hataye
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• बीमारी का नाम

फाइमोसिस

• सर्जरी का नाम

खतना - फोरस्किन हटाने की सर्जरी

• अवधि

15 से 30 मिनट

• सर्जन

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फाइमोसिस के प्रकार - Types of Phimosis in Hindi

फाइमोसिस दो प्रकार के होते हैं।  

  • फिजियोलॉजिकल फाइमोसिस: यह बीमारी आमतौर पर बच्चों में होती है। जैसे-जैसे वह बड़े होते हैं, उनकी फोरस्किन पीछे हटने लगती है। इसे पीछे हटने लायक बनने में लगभग 7 साल का समय लगता है, लेकिन कभी-कभी कुछ मामलों में 7 साल से ज्यादा का समय भी लग सकता है। 
  • पैथोलॉजी फाइमोसिस: यह रोग संक्रमण, सूजन, लालिमा या घाव और उसके निशान की वजह से होता है।

फाइमोसिस उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनका खतना नहीं हुआ होता। इससे होने वाले खतरे को रोकने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। बच्चों में फाइमोसिस होना आम है, जिसके लिए किसी भी प्रकार के खास इलाज की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि समय के साथ यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन अगर यही बीमारी वयस्क को हो जाए तो इसे आम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि इसके भीषण जटिलताएं देखने को मिल सकती है।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से गुज़र रहे हैं?

फाइमोसिस कितना सामान्य है?

फाइमोसिस उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनका खतना नहीं हुआ होता है। इससे होने वाले खतरे को रोकने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चों में फाइमोसिस होना आम है, जिसके लिए किसी उपाय की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि समय के साथ ये अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन अगर यही बीमारी वयस्क को हो जाए तो इसे आम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यह उत्तेजना तथा पेनिस के सामने वाली स्किन के इंफेक्शन से हो सकता है। 

अक्सर बच्चा जब दो साल का हो जाता है, तो उसके लिंग की त्वचा इसी तरह की होती है। दो साल की उम्र के पश्चात लिंग के ऊपर की स्किन अपने आप नीचे आ जाती है। 

लेकिन कुछ मामलों में त्वचा को अलग होने में कुछ ज्यादा समय भी लग सकता है। यदि आप इसे उसी क्षण समस्या समझेंगे तो इससे आपको ही परेशानी होगी।

यदि बच्चे के लिंग की त्वचा स्वयं नीचे नहीं जा रही है, तो आपको इसके लिए किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो इससे नुकसान उस बच्चे को होगा। इस संबंध में तुरंत एक अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें।

फिमोसिस के कारण - Causes of Phimosis in Hindi

किसी भी बीमारी के कारणों का पता चल जाए तो आसानी से रोकथाम का उपाय कर सकते हैं। यही बात फाइमोसिस पर भी लागू होती है। इसके भी कुछ कारण हैं जिन्हें जानने के बाद हम इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।

  • कई बार फाइमोसिस एजिंग (बढ़ती उम्र) के कारण भी हो सकता है।
  • डायबिटीज के कारण पेनिस के टिप पर इंफेक्शन हो सकता है जो आगे जाकर फाइमोसिस का कारण बन सकता है।
  • सेक्स करते समय फोरस्किन ज्यादा देर तक पीछे रहने की वजह से फाइमोसिस की समस्या हो सकती है।
  • प्राइवेट पार्ट में पियरसिंग करवाने से भी फाइमोसिस हो सकता है।
  • डायपर की वजह से बच्चों में अक्सर फाइमोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए समय-समय पर बच्चे का डायपर बदलते रहना चाहिए।
  • साफ-सफाई न होने की वजह से भी फाइमोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • जिसको बार-बार यूरिन मार्ग में इंफेक्शन होता है उसे फाइमोसिस होने की संभावना ज्यादा होती है।
  • जब स्किन इंफेक्शन होता है तो उससे फाइमोसिस होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। इसका इलाज स्किन संबंधित इलाज से किया जा सकता है।
  • एक्जिमा से पीड़ित व्यक्ति को फाइमोसिस होने के चांसेस अधिक होते हैं। इसलिए अगर आपको एग्जिमा है तो तुरंत उसका इलाज कराएं।
  • बिना प्रोटेक्शन के यौनिक गतिविधियां करने से कई सारे इंफेक्शन हो सकते हैं, फाइमोसिस इनमें से एक है।
  • फाइमोसिस ‘लाइकेन प्लेनुस’ नामक बीमारी की वजह से भी हो सकता है। अगर आप इससे पीड़ित हैं तो इसका इलाज कराएं और साथ ही अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान भी रखें।
  • घाव का निशान: इंफेक्शन से स्किन पर निशान पड़ने की वजह से स्किन खिंच सकती है। टाइट टिश्यू खींचते समय इसे और टाइट बना सकते हैं जो आगे फाइमोसिस होने का कारण बन सकता है।

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फाइमोसिस का निदान - Diagnosis of Phimosis in Hindi

फाइमोसिस का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज की पिछली मेडिकल हिस्ट्री जानता है। जिससे डॉक्टर को यह जानने में मदद मिलती है कि क्या मरीज को पहले कभी पेनिस में इंफेक्शन या चोट तो नहीं आई थी। साथ ही वह यौन गतिविधियों के समय होने वाले लक्षणों और प्रभावों के बारे में भी पूछ सकते हैं।

फाइमोसिस की स्थिति को अच्छे से समझने के लिए पेनिस और उसकी ऊपरी स्किन के साथ-साथ शारीरिक परीक्षण भी किया जाता है, जो बहुत ही आसान होता है और बहुत ही कम समय में पूरा भी हो जाता है। 

फाइमोसिस की जांच करने के लिए डॉक्टर कुछ अन्य दूसरे जरूरी जांच भी लिख सकते हैं जो नीचे दिए हुए हैं:

  • पेशाब में इंफेक्शन की जांच करने के लिए यूरिन टेस्ट 
  • पेनिस में बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टर फोरस्किन से स्वैब की मदद से सैंपल लेकर उसकी जांच करते हैं।
  • वयस्क मरीज जिनके पेनिस की ऊपरी स्किन ज्यादा टाइट हो जाती है उनके शुगर लेवल की जांच करने के लिए यूरिन और खून के सैंपल लिए जाते हैं।

फाइमोसिस का इलाज - Phimosis Treatment in Hindi

ऐसी स्थिति में अक्सर डॉक्टर खतना करने का सुझाव देते हैं। इसे कई लोग पेनिस स्किन सर्जरी भी कहते हैं। अगर दो साल के बाद भी फाइमोसिस की समस्या बनी रहती है और खासकर अगर इसके कारण पेनिस इंफेक्शन या मूत्र पथ में इंफेक्शन हो तो डॉक्टर से मिलकर इसके बेहतर इलाज का सुझाव लें।

फाइमोसिस के लिए खतना का विकल्प

अगर क्रीम लगाने के बाद भी फाइमोसिस की समस्या ठीक ना हो तो खतना करने का फैसला लिया जाता है। खतना एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके जरिए फोरस्किन को काटकर हटाया जाता है। यह प्रक्रिया चोट आदि के कारण होने वाले फाइमोसिस का उपचार करने के लिए बहुत जरूरी है।

खतना की मदद से बार-बार मूत्र पथ या फोरस्किन में इन्फेक्शन, टाइट फ्रेनुलम, बैलानीइटिस, बालनोपोस्टहाइटिस, पेराफिमोसिस होने के कारण होने वाले फाइमोसिस का भी इलाज किया जाता है। अगर फाइमोसिस के कारण आपको पेशाब करने में तकलीफ होती है तो भी खतना करवाने की जरूरत पड़ सकती है।

डॉकटर फोरस्किन को हटाने के लिए सर्जरी के दौरान उसे एक उपकरण से पकड़ते हैं और स्किन को काटकर पेनिस से अलग कर देते हैं। फिर glans (पेनिस  का सिरे वाला हिस्सा) के नीचे की त्वचा को पेनिस की स्किन के साथ सिलाई करने के बाद जख्म को पेट्रोलियम जैली या किसी दूसरे एंटीबायोटिक मलहम से भरी हुई रुई के टुकड़े के साथ बैंडेज बांध देते हैं। 

खतना की जगह प्लास्टिक सर्जरी का प्रयोग भी किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान फोरस्किन में एक या एक से ज्यादा छेद कर दिए जाते हैं। जिससे स्किन आसानी से पीछे हट जाती है।

फाइमोसिस का उपचार के लिए खतना

फाइमोसिस का उपचार करने के लिए तीन प्रकार से खतना किए जा सकते हैं –

  • ओपन खतना – इस प्रक्रिया में तेज धारदार वाले उपकरण की सहायता से लिंग के चमड़ी को हटा दिया जाता है, इस दौरान रोगी एनेस्थीसिया के प्रभाव में होता है और उसे दर्द नहीं होता है लेकिन, अधिक मात्रा में खून बहता है। बाद में इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक होता है और कुछ दिनों तक रोगी को पैंट आदि नहीं पहनने की सलाह दी जाती है। कुछ दिनों के लिए अपने काम से अवकाश भी लेना पड़ता है।
  • लेजर खतना – यह फाइमोसिस का उपचार करने की एडवांस और दर्द रहित सर्जरी है, इसमें कोई कट नहीं लगाया , कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है और इन्फेक्शन की कोई संभावना नहीं होती है। खतना करने के बाद रोगी घर जा सकता है और अगले दिन से ऑफिस भी जा सकता है। रिकवरी में कोई दर्द नहीं होता है। इसमें लेजर किरण की मदद से लिंग की ऊपरी चमड़ी को अलग किया जाता है।
  • स्टेपलर खतना – यह भी लेजर सर्जरी की तरह एडवांस प्रक्रिया है, लेकिन लेजर सर्जरी की तुलना में इसमें रिकवर होने में थोड़ा अधिक समय लगता है।

फिमोसिस ट्रीटमेंट से सम्बंदित पूछे जाने वाले सवाल

बच्चों और व्यस्कों की फाइमोसिस की सर्जरी में क्या अंतर है?

बच्चों का खतना करते समय उनके पेनिस में एक सुन्न करने वाली दवा इंजेक्शन द्वारा लगाई जाती है। यह सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान होने वाले दर्द को कम कर देती है। लेकिन जब वयस्कों का खतना किया जाता है तब उनकी सर्जिकल प्रक्रिया के लिए जनरल अनेस्थेटिक की मदद से बेहोश किया जाता है। 

क्या प्लास्टिक सर्जरी या खतना का कोई विकल्प है?

अगर क्रीम लगाने के बाद भी फाइमोसिस की समस्या ठीक ना हो तो खतना करने का फैसला लिया जाता है। खतना एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके जरिए फोरस्किन को काटकर हटाया जाता है। यह प्रक्रिया चोट आदि के कारण होने वाले फाइमोसिस का उपचार करने के लिए बहुत जरूरी है।

खतना की मदद से बार-बार मूत्र पथ (Urinary tract) या फोरस्किन में इंफेक्शन होने के कारण होने वाले फाइमोसिस का भी इलाज किया जाता है। अगर फाइमोसिस के कारण आपके बच्चे को पेशाब करने में तकलीफ होती है तो भी खतना करवाने की जरूरत पड़ सकती है। भविष्य में फाइमोसिस से बचने के लिए माँ-बाप अक्सर 2 साल की उम्र में ही अपने बच्चों का खतना करवा देते हैं।

फाइमोसिस की रोकथाम (Prevention of Phimosis in Hindi)?

फाइमोसिस होने का सबसे बड़ा कारण शरीर का गंदा रहना है। कुछ खास बातों का पालन कर आसानी से फाइमोसिस की रोकथाम की जा सकती है। 

  • रोजाना लिंग की सफाई करें, ताकि वहां कोई गंदगी, इंफेक्शन या बीमारी न फैले। 
  • खानपान का ध्यान रखें, क्योंकि खान-पान का हमारे शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। 
  • नियमित तौर पर व्यायाम करें। 
  • व्यायाम हमारी मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ इम्मयूनिटी सिस्टम को भी बेहतर बनता है।
  • फाइमोसिस बीमारी वायरस या बैक्टेरिया के संक्रमण की वजह से भी हो सकता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आप इनके संपर्क में न आएं।
  • डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। खासकर अगर आपने हाल ही में पैराफाइमोसिस सर्जरी कराई है तो आप को तब तक डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं। 
  • जिनका खतना नहीं हुआ है उन्हें रोज अपनी फोरस्किन को पीछे हटाकर उसके नीचे के पेनिस के हिस्से को अच्छे धोना एवं साफ करना चाहिए।
  • पेनिस में टैल्कम पावडर या किसी दूसरे प्रकार के डिओडोरेंट आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 
  • माता-पिता को अपने बच्चे के फोरस्किन को तब तक जबरदस्ती पीछे हटाने का प्रयास नहीं करना चाहिए जबतक फोरस्किन खुद इसके लिए तैयार न हो जाए।
  • जबरदस्ती फोरस्किन को पीछे हटाने की वजह से पेनिस में गंभीर दर्द पैदा हो सकता है और साथ ही खाल छिल भी सकती है।

फाइमोसिस का घरेलू इलाज (Home remedies for Phimosis in Hindi)?

किसी भी बीमारी से बचने के लिए शरीर का स्वस्थ रहना सबसे अधिक आवश्यक है और यह एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के बाद ही मुमकिन है। इसके लिए आपको नियमित तौर पर व्यायाम करना होगा और खान-पान की चीज़ों में बहुत सेलेक्टिव होना पड़ेगा। साथ ही शराब, सिगरेट और दूसरे नशीले पदार्थों तथा सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले चीजों से दूर रहना होगा। 

अगर आप रोजाना व्यायाम करते हैं और अपनी जीवनशैली को ठीक रखते हैं तो काफी हद तक आप खुद को फाइमोसिस से बचा सकते हैं। इसके बावजूद भी अगर आपको प्रॉब्लम हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और साथ ही अपने खान-पान और सेहत का भी ख्याल रखें। 

फाइमोसिस के इलाज का कितना खर्च आता है?

औसतन, भारत में खतना सर्जरी का खर्च 30,000 रु. से लेकर 35,000, रु. आता है जो विभिन्न प्रकार के कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि सर्जरी का प्रकार, सर्जरी का कारण, सर्जिकल देखभाल की आवश्यकता आदि।

फाइमोसिस के लक्षण - Symptoms of Phimosis in Hindi?

किसी भी दूसरी बीमारी की तरह फाइमोसिस के भी कुछ लक्षण होते हैं, जो इसके होने का संकेत देते हैं। यदि आपको भी ऐसे संकेत दिखते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। 

  • आमतौर पर फाइमोसिस में दर्द नहीं होता है, लेकिन सेक्स या पेशाब करते समय दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। फाइमोसिस के कारण स्किन फटने लगती है और उत्तेजना में कमी भी देखने को मिल सकती है। 
  • पेशाब करते समय होने वाले दर्द यूरिन इंफेक्शन का कारण एवं फाइमोसिस का लक्षण भी हो सकता है। फिमोसिस के कारण स्किन की सफाई करने में परेशानी होती है और इसके कारण इंफेक्शन आसानी से हो जाता है। 
  • पेनिस में सूजन फाइमोसिस का लक्षण हो सकता है। फाइमोसिस होने की वजह से पेनिस पर लाल धब्बे बन जाते हैं। पेनिस में दर्द होना और पेशाब करते समय जलन महसूस करना, फाइमोसिस के लक्षण हैं। पेशाब से बदबू आना भी फाइमोसिस का लक्षण है। 
  • पेशाब के दौरान फोरस्किन फूलना और सूजन आ जाना, पेनिस के अगले हिस्से का रंग बदलते रहना भी फाइमोसिस के लक्षण है। फाइमोसिस होने के कारण सेक्स करते समय दर्द या कठिनाई हो सकती है।
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Dr. Milind Joshi
25 Years Experience Overall
Last Updated : October 19, 2024

हमारे मरीजों की प्रतिक्रिया

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