प्रेगनेंसी हर महिला के जीवन के सभी खूबसूरत पलों में से एक है। हर महिला अपने जीवन में इस खास पल का अनुभव करना चाहती हैं। प्रेगनेंसी एक लंबी प्रक्रिया है जिसकी शुरुआत उतनी ही खूबसूरत और खुशियों से भरी हुई है जितना की इसका अंत जब शिशु जन्म लेता है। इस प्रक्रिया के दौरान प्रेगनेंट महिला को काफी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन इनसे पहले उन्हें इस बात को कंफर्म करना सबसे पहला और जरूरी स्टेप होता है की क्या वे प्रेगनेंट हैं?
बाजार में कई तरह के उपकरण और दवाइयां मौजूद हैं जिनके जरिए प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है। लेकिन इनके अलावा भी कुछ उपाय हैं जिनकी मदद से आप घर बैठे अपनी प्रेगनेंसी का पता लगा सकती हैं। प्रेगनेंसी की शुरूआती लक्षणों को देखकर आप इस बात का पता लगा सकती हैं की आप प्रेगनेंट हैं या नहीं।
प्रेगनेंसी के लक्षण — Pregnancy Ke Lakshan — Symptom of Pregnancy in Hindi
आज हम आपको उन सभी लक्षणों के बारे में बताएंगे जो प्रेगनेंसी की तरफ इशारा करते हैं। लेकिन आप भी इस बात का ध्यान रखें की हम आपको बस प्रेगनेंसी के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं। कई बार ये लक्षण प्रेगनेंसी के अलावा किसी दूसरी वजह से भी दिखाई दे सकते हैं। इसलिए किसी भी स्थिति में लक्षण को देखने के बाद अपनी प्रेगनेंसी को कंफर्म करने के लिए डॉक्टर से जरूर मिलें। वे आपके सवाल का स्पष्ट रूप से जवाब देंगे। तो आइए हिंदी में Pregnancy Ke Lakshan के बारे में जानते हैं।
पीरियड न आना
प्रेगनेंसी के सभी शुरूआती और खास लक्षणों Pregnancy Ke Lakshan में से एक लक्षण है पीरियड्स का न आना। प्रेगनेंसी के शुरूआती आठ सप्ताह के अंदर मात्र एक बार ब्लीडिंग आना आपकी प्रेगनेंसी की तरफ इशारा करता है। प्रेगनेंसी के शुरूआती दिनों में पीरियड रुक जाता है और सामान्य प्रेगनेंसी के दौरान इसका रूकना जरूरी भी है। लेकिन कई बार पीरियड थकान या तनाव के कारण भी रुक जाता है, ऐसी स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर बात करनी चाहिए।
पेट में सूजन होना
पीरियड्स न होने से पहले, प्रेगनेंसी के सबसे कॉमन लक्षणों में से एक लक्षण पेट में सूजन, तनाव और मरोड़ होना भी है। Pregnancy Ke Lakshan in First Week यह प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के बढ़ने के कारण होता है। हार्मोन बढ़ने की वजह से पाचन में समस्या आती है जिसके कारण आंत में गैस फंस जाता है और आपको पेट में सूजन, तनाव, मरोड़ या बेचैनी जैसी समस्याएं होती हैं। पेट में गैस होने की वजह से आपको दूसरी भी काफी परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए इस समय आपको अपने डाइट पर खास ध्यान देना चाहिए।
स्तन का साइज बदलना
स्तन के टिश्यूज हार्मोन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। यही कारण है की आपके प्रेगनेंट होते ही स्तनों में तुरंत बदलाव होने शुरू हो जाते हैं जिनकी वजह से उनमें सूजन या भारीपन आ जाता है। प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही आपके स्तन के आकार में बदलाव शुरू हो जाता है। यह प्रेगनेंसी का एक सामान्य लक्षण Pregnancy Ke Lakshan है और आपको इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
निप्पल का रंग बदलना
प्रेगनेंसी के दौरान आपको अपने निप्पल में बदलाव दिखाई दे सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में हार्मोन में बदलाव होते हैं जिसकी वजह से मेलैनोसाइट्स जो की एक तरह की स्किन सेल्स हैं – प्रभावित होते हैं। इसके प्रभावित होने के कारण मेलेनिन का उत्पादन होता है जो स्किन के रंग को गहरा कर देता है और यही वजह है की आपके निप्पल का रंग भी बदला हुआ दिखाई देता है। आपके निप्पल का रंग बदलना भी Pregnancy Ke Lakshan में से एक है।
ब्लीडिंग और ऐंठन होना
जब यूटेरस में एग्स फर्टिलाइज होते हैं तो कंसीव करने के बाद आपको हल्की ब्लीडिंग और शरीर में ऐंठन हो सकती है। Pregnancy Ke Lakshan in First Week in Hindi कंसीव करने के एक सप्ताह के बाद आपके शरीर में ये दोनों Pregnancy Ke Lakshan लक्षण दिखाई देते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसी कोई बात हो रही है तो आपको बिलकुल घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन ज्यादा ब्लीडिंग या शरीर में ऐंठन या दर्द होने पर डॉक्टर से जरूर मिलें।
मूड स्विंग होना
जैसा की हम पहले ही बता चुके हैं की प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके रिजल्ट के तौर पर आप एक तरफ छोटी से छोटी बातों पर मुस्कुराती हैं तो दूसरी तरफ आप छोटी से छोटी बात पर दुखी भी हो सकती है और आपको रोना भी आ सकता है। MC Se Pehle Pregnancy Ke Lakshan Hindi – मूड स्विंग होना पीरियड्स से पहले होने वाले संकेतों में से एक है जो बहुत ही रहस्यमय तरीके से शुरू होता है। हार्मोन में असंतुलन होने की वजह से मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) प्रभावित होते हैं जिसकी वजह से आप ज्यादा भावुक हो जाती हैं। अपनी भावनाओं को लेकर अगर आपको किसी तरह की कोई समस्या हो तो स्त्री-रोग विशेषज्ञ से मिल सकती हैं।
बार बार भूख और प्यास लगना
प्रेगनेंसी में खून की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से पीरियड्स न होने की पहली तारीख से पहले ही आपको ज्यादा से ज्यादा प्यास महसूस होने लगती है। MC Se Pehle Pregnancy Ke Lakshan Hindi साथ ही हार्मोन में वृद्धि होने की वजह से आपको बार बार भूख भी लग सकती है। अगर आपके पीरियड्स रुक गए हैं और आपको बार बार भूख और प्यास लग रही है तो इसका मतलब यह हुआ की आप प्रेगनेंट हैं। इस बात की पुष्टि करने के लिए आप स्त्री-रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं।
कमजोरी होना
प्रेगनेंसी में कमजोरी और थकावट महसूस करना सामान्य लक्षण Pregnancy Ke Lakshan हैं। Pregnancy Ke Lakshan कमजोरी की वजह से कभी कभी आपको चक्कर भी आ सकता है। लेकिन आपको इन सबसे घबराने की जरूरत नहीं है, ज्यादा कमजोरी, थकावट या चक्कर आने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें।
थकावट होना
पूरे दिन थकावट महसूस करना और नींद की खुराक बढ़ना आपके प्रेगनेंट होने की ओर इशारा कर सकते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ने के कारण आपके शरीर में बहुत तरह के बदलाव होते हैं जिनकी वजह से आप में कमजोरी, थकान और ज्यादा नींद सोने की इच्छा जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसी स्थिति होने पर इसे कॉमन थकान या कमजोरी समझने के बजाय आप डॉक्टर से मिलकर जांच कराएं।
मुंह का स्वाद खराब होना
प्रेगनेंसी के कारण शरीर में तरह तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनके कारण आप अपने मुंह में एक अजीब सा स्वाद महसूस कर सकती हैं। आपको ऐसा लगेगा जैसे आपने कोई बहुत ही बेकार, घटिया या फिर बिना स्वाद वाली चीज खा ली हो। मुंह का ये खराब स्वाद इस बात की तरफ इशारा करता है की आप बहुत ही जल्द मां बनने का अनुभव प्राप्त करने वाली हैं।
जी मिचलाना
प्रेगनेंसी की सिचुएशन में सुबह के समय जी मिचलाना और शरीर में भारीपन महसूस करना Pregnancy Ke Lakshan में आम बात है। स्त्री-रोग विशेषज्ञ का यह मानना है की लगभग 80% महिलाओं को 2 से 8 सप्ताह के दौरान जी मिचलाने और उलटी होने की समस्या होती है। शरीर के अंदर ये सभी बदलाव एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की ज्यादा मात्रा में उत्पादन होने की वजह से होते हैं। अगर आप अपने अंदर ये बदलाव देख रही हैं तो आप प्रेगनेंट हो सकती हैं। इस बात को कन्फर्म करने के लिए आप Gynecologist से कंसल्ट कर सकती हैं।
चक्कर आना
प्रेगनेंसी के लक्षणों में चक्कर आना भी शामिल है। (Pregnancy Ke Lakshan in First Week in Hindi) यूटेरस में मौजूद एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ने की वजह से आपके ब्लड शुगर का लेवल कम हो जाता है जिसकी वजह से मस्तिष्क की कोशिकाओं पर जरूरत से ज्यादा भार यानि की प्रेशर पड़ता है और आपको चक्कर आने की समस्या सामने आती है। आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की कई बार चक्कर आने का कारण कुछ और भी हो सकता है। इस ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप Pregnancy Ke Lakshan Hindi में अच्छे से समझ पाएंगे।
शरीर में दर्द होना
हार्मोन में असंतुलन होने के कारण प्रेगनेंसी के दौरान आपको शरीर में दर्द की समस्या हो सकती है। लेकिन ये सामान्य लक्षण है जिससे आपको डरने या घबराने की जरुरत नहीं है। साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान गैस और कब्ज की भी शिकायत रहती है जिसकी वजह से आपको सिर में दर्द हो सकता है।
सीने में जलन होना
प्रेगनेंसी के लक्षणों में से एक लक्षण सीने में जलन होना भी है। आप प्रेगनेंसी के पहले महीने में अपने सीने में जलन महसूस कर सकती हैं। यह Pregnancy Ke Lakshan में सामान्य बात है। अगर आप अपने सीने में ज्यादा जलन महसूस करें तो डॉक्टर से तुरंत मिलें और उन्हें अपनी परेशानी के बारे में बताएं।
सांस लेने में तकलीफ होना
प्रेगनेंसी में प्रोजेस्टोरोन हार्मोन का उत्पादन और आपके शरीर का वजन बढ़ता है जिसकी वजह से आपको सांस लेने में दिक्कत आती है। सांस लेने में ज्यादा परेशानी होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें और उनकी राय लें। इसके अलावा, (Pregnancy Ke Lakshan) आपकी योनि से सफेद पानी भी निकल सकता है जिसे ल्यूकोरिया के नाम से जाना जाता है।
मुहांसे और फुंसी होना
MC Se Pehle Pregnancy Ke Lakshan Hindi पीरियड्स के निर्धारित समय से पहले कभी कभी मुहांसे और फुंसी होना आम बात है। लेकिन कंसेप्शन (गर्भाधान) के बाद हार्मोन में अचानक से वृद्धि होने के कारण मुहांसे और फुंसी ज्यादा बढ़ सकते हैं। हालांकि, इसका उलटा भी हो सकता है, पीरियड्स के निर्धारित समय से पहले मुहांसे और फुंसी पूरी तरह से खत्म भी हो सकते हैं जो प्रेगनेंसी की शुरुआत की तरफ इशारा करता है।
बार बार पेशाब लगना
बार बार पेशाब लगना आपकी प्रेगनेंसी की तरफ एक खास इशारा है। प्रेगनेंसी के दौरान यूटेरस यूरिनरी ब्लैडर पर प्रेशर डालना शुरू कर देता है और किडनी खून को छानने के लिए डबल काम करने लगती है जिसकी वजह से आपको बार बार पेशाब करने की जरूरत महसूस होती है। हार्मोन में बदलाव और ब्लड के ज्यादा उत्पादन के साथ बार बार पेशाब आना Pregnancy Ke Lakshan एक कॉमन लक्षण है जो प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने तक रहते हैं।
कब्ज होना
प्रेगनेंसी के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन आंत में कसाव पैदा करता है जिसके कारण आपको सौच करने में तकलीफ होती है। अचानक से हार्मोन के बढ़ने की वजह से मल सख्त और टाइट हो जाता है और पाचन सिस्टम खाने को अच्छी तरह से हजम नहीं कर पाता है। अगर पीरियड्स (MC Se Pehle Pregnancy Ke Lakshan Hindi) न होने के एक सप्ताह बाद तक आपको कब्ज की शिकायत रहती है तो ये आपकी प्रेगनेंसी की ओर इशारा करता है। आप प्रेगनेंसी टेस्ट करके इस बात को कंफर्म कर सकती हैं।
चीजों को जल्दी भूल जाना
प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनका प्रभाव आपके दिमाग पर पड़ता है। ऐसी स्थिति में आप चीजों को भूल सकती हैं या फिर यूं कहें की किसी भी चीज को याद रखने में आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है। शिशु के पोषण के लिए आपके शरीर में ज्यादा मात्रा में खून का निर्माण होता है जिसके कारण आपके पैरों में सूजन और दर्द भी होता है।
सूंघने की क्षमता बढ़ना
जैसा की हम पहले ही बात कर चुके हैं की प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में ढेरों हार्मोनल बदलाव Pregnancy Ke Lakshan होते हैं जिनकी वजह से आपकी सेहत, स्वाद, भावनाओं आदि में बदलाव आते हैं। ऐसे ही प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन असंतुलन होने के कारण आपके सूंघने की क्षमता भी बढ़ जाती है। आप दूर से ही किसी भी चीज को सूंघकर यह समझ सकती हैं की वो क्या चीज है।
प्रेगनेंसी के दौरान इन चीजों सेवन करें:-
अपने डाइट में विटामिन, प्रोटीन और फाइबर को शामिल करें
प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव Pregnancy Symptoms in Hindi होते हैं। इसलिए आपको अपने डाइट पर खास ध्यान देना चाहिए। विटामिन, प्रोटीन, फाइबर और दूसरे उन सभी तत्वों को अपने खान पान में शामिल करना चाहिए जो आपके और शिशु के लिए फायदेमंद है। आप दूध, दूध से बने दूसरे प्रोडक्ट, दाल, अंकुरित अनाज, अंडा और मांस आदि का सेवन करना चाहिए हैं। प्रेगनेंसी के दौरान कमजोरी, थकावट, आलसपन, दर्द, तनाव और सूजन What is Symptoms of Pregnancy in Hindi आदि सब इसके लक्षण हैं जिससे आपको डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। ऊपर बताई गई चीजों को अपने डाइट में शामिल करके आप इनसे राहत पा सकती हैं। Symptoms For Pregnancy in Hindi ऐसा करने से प्रेगनेंसी के लक्षण से आराम मिलता है और आपके शरीर में किसी तरह की कोई कमी महसूस नहीं होती है।
आयरन का सेवन करें
प्रेगनेंसी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आपको अपने खान पान में आयरन शामिल करना बहुत आवश्यक है। इसकी पूर्ति करने के लिए आप रोजाना हरी पत्तेदार सब्जियां, अनार, लीची, अंजीर, किशमिश का सेवन कर सकती हैं। साथ ही आप विटामिन-सी वाली चीजों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। क्योंकि ये शरीर में आयरन को अब्जॉर्ब करने में मदद करते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं symptoms for pregnancy in hindi जिसमें कमजोरी, पेट में गैस, कब्ज और जलन की समस्या तथा शरीर में ऐंठन होना आदि शामिल है। ऊपर बताई गयी चीजों के सेवन से आपको प्रेगनेंसी के pregnancy symptom in hindi लक्षणों से काफी हद तक आराम मिल सकता है।
खुद को हाइड्रेट रखें
जैसा की हम पहले ही बात कर चुके हैं, प्रेगनेंसी नौ महीने की एक प्रक्रिया है जिसके दौरान आपके शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं। हार्मोनल बदलाव होने के कारण शरीर में बहुत सारे What is the Symptoms of Pregnancy in Hindi प्रेगनेंसी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। ध्यान न देने की वजह से आपको इन सभी लक्षणों से परेशानी भी होती है। वैसे हर लक्षण के लिए बहुत से ऐसे उपाय मौजूद हैं जिनकी मदद से आप घर बैठे राहत पा सकती हैं। इसके लिए आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। Symptom of Pregnancy in Hindi इन लक्षणों में कब्ज और डिहाइड्रेशन की समस्या शामिल है।
कब्ज की समस्या और शरीर में पानी की कमी के कारण आपको कमजोरी, सिर में दर्द चक्कर आने और धुंधलापन जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। कब्ज की समस्या से बचने के लिए आपको फाइबर से भरपूर पदार्थ का सेवन करना चाहिए और डिहाइड्रेशन से बचने के लिए दिन भर में ज्यादा से ज्यादा पानी और डॉक्टर द्वारा सुझाया गए ज्यूस का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आपको कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खान पान की चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए इसकी पूर्ति के लिए आप फ्रूट, साबुत अनाज, सलाद, छिलके वाली मुंग दाल और दूसरी चीजों को अपने डाइट में शामिल कर सकती है। ये सभी symptoms or pregnancy in hindi प्रेगनेंसी के लक्षणों को कम करने तथा आपको राहत देने में मददगार साबित होते हैं।
फैटी एसिड का सेवन करें
प्रेगनन्सी के पांचवे महीने में symptom of pregnancy in hindi शिशु का मानसिक रूप से विकास बहुत तेजी से होता है। इसलिए आपको कुछ फैटी एसिड का सेवन करना चाहिए क्योंकि ये उसके मानसिक विकास के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अपने डाइट में चिकनाई वाली चीजों को जरूरत मुताबिक ही शामिल करें। इसके अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योंकि यह आपके लिए नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। What are the Symptoms of Pregnancy in Hindi प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर और शिशु में कई तरह के बदलाव आते हैं इसलिए यह जरूरी है की आप अपने डाइट का खास ध्यान रखें। प्रेगनेंसी के दौरान आप जिन भी चीजों का सेवन करती हैं वो आपके शिशु पर भी प्रभाव डालते हैं। इसलिए फायदेमंद चीजों का सेवन जरूरत मुताबिक करें और हानिकारक चीजों से दूर रहें।
अधिक से अधिक कैल्शियम को अपने डाइट में शामिल करें
प्रेगनेंसी के तीन से चार महीनों के बाद आपको अपने डाइट में अधिक से अधिक मात्रा में कैल्शियम को शामिल करना चाहिए। इस दौरान आपके गर्भ में पल शिशु के दिमाग और दांतों का विकास काफी तेज रफ्तार से होता है जिसमें कैल्शियम बहुत फायदेमंद होता है। Symptoms of Pregnancy Hindi कैल्शियम का सेवन आपके पीठ के दर्द को दूर कर आपको ब्रेस्टफीडिंग के लिए तैयार करता है। पूर्ण रूप से इसका फायदा उठाने के लिए आपको अपनी डाइट में दूध और दूध से बनी हुई दूसरी चीजें, मूंगफली, हरी पत्तेदार सब्जियों और खासकर पालक को शामिल करना जरूरी है। कैल्शियम का सेवन आपके शरीर में हो रहे बदलाव में राहत देने के साथ साथ what is pregnancy symptoms in hindi प्रेगनेंसी के लक्षणों को भी कम करता है।
हल्का व्यायाम और योग करें
प्रेगनेंसी के दौरान आपका फ्रेश, तरोताजा और एक्टिव रहना बहुत जरूरी है जिसके लिए व्यायाम और योग करना आवश्यक हैं। Symptoms For Pregnancy in Hindi यह आपके शरीर को फिट रखने के साथ साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने, मेटाबॉलिज्म बढ़ाने, शरीर को बीमारी से लड़ने के लिए तैयार करने तथा आपके मन को खुश और शांत रखने में मदद करते हैं। सुबह के समय व्यायाम करने से आप चुस्त और दुरुस्त रहते हैं। प्रेगनेंसी pregnancy symptom in hindi के दौरान भारी सामान उठाने और लंबे समय तक व्यायाम करने की सलाह नहीं दी जाती है लेकिन हल्का फूलका व्यायाम और योग करने की सलाह जरूर दी जाती है।
व्यायाम या योग के दौरान परिवार की किसी भी एक महिला को अपने साथ रखें। योग या व्यायाम करने की वजह से किसी भी तरह की दिक्कत आने पर उन्हें तुरंत बंद कर देना चाहिए और अपने डॉक्टर से मिलकर उसके बारे में बात करनी चाहिए। प्रेगनेंसी के चौथे, पांचवे और छठे महीने में खासकर अपने मन मुताबिक कोई भी योग या व्यायाम करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और pregnancy symptoms hindi प्रेगनेंसी के लक्षण के गंभीर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। रोज व्यायाम और योग करें लेकिन उससे पहले एक बार डॉक्टर से उनकी राय जरूर लें।
प्रेगनेंसी की शुरुआत में इन बातों का ध्यान रखें
प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण दिखने (Pregnancy Ke Lakshan in Hindi First Month) पर जैसे ही डॉक्टर से पुष्टि की जाती है, वैसे ही बच्चे के सपने और उसके लिए योजनाएं बनानी शुरू हो जाती हैं। प्रेगनेंसी में अपने खान पान का अच्छा ध्यान रखें और अनजाने में भी भारी सामान नहीं उठाएं। नीचे हम आपको कुछ कुछ जरूरी बातों के बारे में बता रहे हैं जिनकी मदद से आप खुद और अपने शिशु को सुरक्षित और सेहतमंद रख सकती हैं।
- प्रेगनेंसी के पहले महीने में भारी एक्सरसाइज करना मना होता है लेकिन हल्की फुल्की एक्सरसाइज की जा सकती है। डॉक्टर की सलाह से प्रेगनेंसी के पहले महीने में पिलेट्स एक्सरसाइज (Pilates Exercise) की जा सकती है। अगर आपको यह एक्सरसाइज नहीं आती तो किसी एक्सपर्ट से सीख सकती है।
- डिहाइड्रेशन न हो इसलिए आठ से दस ग्लास पानी पीएं। ऐसा करने से डायरिया भी नहीं होगा।
- डॉक्टर की सलाह से विटामिन सप्लीमेंट या विटामिन युक्त फूड्स का सेवन करें।
- खुद को खुश रखें और अच्छी किताबें पढ़ें। इससे मन खुश रहेगा और शिशु पर भी अच्छा असर पड़ेगा।
- पहले महीने में लंबा सफर न करें क्योंकि इससे मिसकैरिज की संभावना रहती है।
- हिल वाली सेंडिल न पहनें क्योंकि इससे यूटेरस पर असर पड़ता है। ऊंची सेंडिल से पैर मुड़ सकता है या फिर जमीन पर गिरने का खतरा रहता है।
- प्रेगनेंसी के पहले महीने में ज्यादा न झुकें क्योंकि इससे पेट पर दबाव पड़ सकता है।
- डॉक्टर के सलाह के बिना छोटी मोटी तकलीफों के लिए दवा न लें।
- सुबह की ताजा हवा में घूमें क्योंकि इससे मन खुश रहता है।
- कॉस्मेटिक सामान का इस्तेमाल करते समय सावधान रहें और ज्यादा केमिकल वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से बचे।
- हॉट टब बाथ या सॉना बाथ बिल्कुल ना लें। इसमें तापमान 70 डिग्री सेल्सियस से 100 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है जिससे मिसकैरिज का खतरा है।
अपनी प्रेगनेंसी की पुष्टि करने के लिए पूरी तरह से इन लक्षणों पर निर्भर रहना सही नहीं है। अगर आप अपने अंदर ऊपर बताए गए लक्षणों को देख रही हैं तब भी डॉक्टर से मिलना चाहिए। अपने मन मुताबिक कोई भी फैसला लेने से पहले एक स्त्री-रोग विशेषज्ञ से मिलें और उनसे अपने शरीर में हो रहे बदलाव और लक्षणों के बारे में बात करें। वे आपको सही सलाह देंगे जिससे आप और आपका शिशु दोनों स्वस्थ और सेहतमंद रहेंगे।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|