उम्र बढ़ने पर इंसान का रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होता है जिसके कारण वह काफी बीमारियों की चपेट में आ सकता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस Rheumatoid Arthritis In Hindi उन्हीं बीमारियों में से एक है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। प्रिस्टीन केयर के इस ब्लॉग में हम आपको रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है, इसके कारणों और लक्षणों तथा इलाज के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है — What Is Rheumatoid Arthritis In Hindi
रूमेटाइड आर्थराइटिस एक बीमारी है जिसकी स्थिति से रोग-प्रतिरोधक क्षमता अपने ही शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है जिससे शरीर के जोड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। Meaning Of Rheumatoid Arthritis In Hindi शरीर के जोड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ने के कारण जोड़ों की परतें खराब होने लगती हैं। नतीजतन, ढेरों समस्याएं पैदा होती है जिसमें जोड़ों में सूजन, घुटने में दर्द और तेज दर्द, हड्डियों का घिसना और जोड़ों में विकृति होना आदि शामिल हैं।
मुख्य रूप से रूमेटाइड आर्थराइटिस शरीर के जोड़ों को प्रभावित करता है। कुछ मामलों में यह एक ही समय पर शरीर के एक से अधिक जोड़ों को अपनी चपेट में ले सकता है। यह बीमारी खासकर कलाई, हाथ, घुटने और कूल्हे के जोड़ों में देखने को मिलती है। हालांकि, यह शरीर के किसी भी हिस्से के जोड़ में हो सकता है।
इतना ही नहीं, रूमेटाइड आर्थराइटिस शरीर के दूसरे टिशू को भी प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण दिल, फेफड़ों आंखों, खून या नसों में समस्याएं पैदा हो सकती हैं। शोध के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं में अधिक पाई जाती है। यह बीमारी बूढ़े लोगों में बहुत आम बात है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस के क्या कारण होते हैं — What Are The Causes Of Rheumatoid Arthritis In Hindi
जब प्रतिरक्षा प्रणाली साइनोवियम पर आक्रमण करता है तो रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या पैदा होती है। साइनोवियम एक झिल्ली की परत है जो जोड़ों के चारों तरफ होती है। जब इसमें किसी कारण सूजन आ जाती है तो कार्टिलेज और जोड़ों के बीच की हड्डी खराब होने लगती है।
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इन सबके कारण टेंडन्स और लिगामेंट्स में खिंचाव पैदा होता है जिसके कारण वो कमजोर हो जाते हैं। नतीजतन, जोड़ धीरे-धीरे अपना आकार और स्थिरता खोने लगते हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
01. उम्र
यह बीमारी किसी भी उम्र के इंसान को प्रभावित कर सकती है। लेकिन 50-60 से अधिक उम्र के लोगों में इसका खतरा सबसे अधिक होता है। इसलिए इसके कारणों में उम्र को सबसे पहले रखा जाता है।
02. आनुवंशिकी
अगर आपके माता या पिता को रूमेटाइड अर्थराइटिस था तो आपको भी यह बीमारी होने का खतरा हो सकता है। शोध के मुताबिक आनुवंशिकी भी रूमेटाइड आर्थराइटिस के मुख्य कारणों में से एक हो सकता है।
03. लिंग
शोध के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में रूमेटाइड आर्थराइटिस के मामले अधिक देखे जाते हैं। साथ ही, जिन महिलाओं ने कभी शिशु को जन्म नहीं दिया है उनमें यह समस्या होने का खतरा अधिक होता है।
04. सिगरेट का सेवन
सिगरेट का सेवन करने से अनेकों बीमारियां पैदा होती हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस भी उन्हीं में से एक है।
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इन सबके अलावा दूसरे भी ऐसे ढेरों कारण हैं जो रूमेटाइड आर्थराइटिस को बढ़ावा दे सकते हैं। इसमें वजन बढ़ना या मोटापा, हड्डियों में इंफेक्शन होना, जीन और हार्मोन में परिवर्तन और चोट लगना आदि शामिल हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस के क्या लक्षण होते हैं — What Are The Symptoms Of Rheumatoid Arthritis In Hindi
हर बीमारी की तरह रूमेटाइड आर्थराइटिस के भी कुछ खास लक्षण होते हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:-
- वजन घटना
- बुखार आना
- कमजोरी होना
- कम भूख लगना
- अधिक पसीना आना
- थकान महसूस करना
- शरीर के किसी एक हिस्से में दर्द होना
- आँखें प्रभावित होने पर आंखों का सुख जाना
- जोड़ों में सूजन आना और उनका मुलायम होना
- दिल या फेफड़ें प्रभावित होने पर सीने में दर्द होना
- शरीर के एक से अधिक जोड़ों में दद और अकड़न होना
- दोनों हाथों या दोनों घुटनों में एक जैसे लक्षण दिखाई देना
अगर आप ऊपर दिए हुए लक्षणों को खुद में अनुभव करते हैं तो आपको जल्द से जल्द एक विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर इस बारे में उनसे बात करनी चाहिए।
रूमेटाइड आर्थराइटिस होने पर डॉक्टर से कब मिलें — When To See A Doctor With Rheumatoid Arthritis In Hindi
अगर आप ऊपर बताए गए लक्षणों को खुद में पिछले 4-6 महीनों से देख रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर निदान की मदद से आपकी बीमारी, उसके प्रकार और गंभीरता का पता लगाकर उचित इलाज कर सकते हैं। इससे भविष्य में होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का निदान कैसे किया जाता है — Diagnosis Of Rheumatoid Arthritis In Hindi
रूमेटाइड आर्थराइटिस के शुरुआती स्टेज में इसका निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। क्योंकि इसके लक्षण दूसरी बीमारियों के लक्षण की तरह दिखाई देते हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस का निदान करने के लिए डॉक्टर जांच की कुछ प्रक्रियाओं का सुझाव दे सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं।
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01. शारीरिक जांच
इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर मरीज के शरीर के प्रभावित हिस्से में सूजन, लालिमा और गर्मी (हीट) की जाँच करते हैं। साथ ही, मरीज से उनके लक्षणों के बारे में कुछ प्रश्न भी पूछ सकते हैं।
02. खून जांच
खून जांच की मदद से डॉक्टर मरीज के खून में रूमेटाइड फैक्टर (आरएफ) एंटीबॉडी की मात्रा का पता लगाते हैं। साथ ही, खून में सीपीसी की भी जांच करते हैं।
03. इमेजिंग टेस्ट
डॉक्टर मरीज के जोड़ों में रूमेटाइड आर्थराइटिस के विकास को ट्रैक करने के लिए एक्स-रे करते हैं। साथ ही, उनकी स्थिति की गंभीरता का पता लगाने के लिए एमआरआई और अल्ट्रासाउंड भी कर सकते हैं।
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इन सबके अलावा भी डॉक्टर मरीज को कुछ जांच कराने का सुझाव दे सकते हैं जिसमें एरिथ्रोसाइट सेंडीमेंटेशन रेट, सी – रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट, एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट, कम्प्लीट ब्लड काउंट, मेटाबॉलिक पैनल यूरिक एसिड, हेपटाइटिस के लिए जांच और जोड़ों का द्रव विश्लेषण आदि शामिल हैं। इन जांचों के रिजल्ट के आधार पर डॉक्टर इलाज का चयन करते हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज कैसे किया जाता है — Rheumatoid Arthritis Treatment In Hindi
रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज कई तरह से किया जाता है। डॉक्टर इलाज के कौन से माध्यम का उपयोग करते हैं यह पूरी तरह से मरीज की सेहत, स्थिति के कारण, लक्षण और गंभीरता पर निर्भर करता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज घरेलू नुस्खों, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, तेलों और औषधियों तथा होम्योपैथिक दवाओं एवं सर्जरी से किया जा सकता है।
अगर आप खुद में रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों को अनुभव करते हैं या इस बीमारी से पीड़ित हैं तो जल्द से जल्द एक अनुभवी रुमेटोलॉजिस्ट या हड्डी रोग विशेषज्ञ (आर्थोपेडिक सर्जन) से परामर्श करना चाहिए ताकि जल्द से जल्द इसका उचित इलाज किया जा सके।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का घरेलू इलाज — Home Remedies For Rheumatoid Arthritis In Hindi
रूमेटाइड गठिया का इलाज सर्जरी के बिना Rheumatoid Arthritis Treatment Without Surgery in Hindi भी किया जा सकता है। अगर आप इस समस्या से परेशान हैं और घर बैठे इसका प्रभावशाली इलाज करना चाहते हैं तो कुछ खास घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकते हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस के घरेलू उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
01. खुद को वार्म रखें
रूमेटाइड आर्थराइटिस एक गंभीर समस्या है जिससे पीड़ित होने पर ठंड के मौसम में आपको काफी दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप सर्दी के मौसम में इस बीमारी के दर्द से बचना चाहते हैं तो खुद को गर्म (Warm) रखने की कोशिश करें।
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मौसम ठंडा होने के कारण आपके जोड़ों में जकड़न और तेज दर्द हो सकता है। इसलिए बिस्तर से बाहर निकलने और खुले वातावरण में जाने से बचें।
02. घी का उपयोग करें
रूमेटाइटिड आर्थराइटिस होने पर आपको तेल का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन आप घी और ऑलिव ऑयल का उपयोग कर सकते हैं। गाय के घी और ऑलिव ऑयल में फैटी एसिड के गुण पाए जाते हैं जो जोड़ों में तरलता बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे आपके जोड़ों का दर्द काफी कम हो सकता है।
03. संतरे का सेवन
संतरे में विटामिन सी पाया जाता है जो त्वचा के लिए कोलॉजिन बनाता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। लेकिन विटामिन सी हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसलिए अगर आप घर बैठे अपने रूमेटाइटड आर्थराइटिस का बेहतर इलाज करना चाहते हैं तो संतरे का सेवन करें। यह आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ दर्द से भी राहत दिलाता है।
04. दूध का सेवन
दूध भी Rheumatoid Arthritis Home Remedies In Hindi रूमेटाइटड आर्थराइटिस के प्रभावशाली घरेलू नुस्खों में से एक है। अगर आप इस समस्या के कारण उत्पन्न दर्द से मुक्ति पाना चाहते हैं तो दूध और दूध से बने खान-पान की चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें।
05. फैटी एसिड से भरपूर चीजों को डाइट में शामिल करें
विशेषज्ञ डॉक्टर का कहना है कि फैटी एसिड से भरपूर खान-पान की चीजों का सेवन करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस से छुटकारा पाया जा सकता है। मछली, अखरोट और अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए आप इन्हें अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
इन सबके अलावा, आप अदरक, ग्रीन टी और हर्बल टी का सेवन भी कर सकते हैं, लहसुन के रस को कपूर में मिलाकर दर्द से प्रभावित क्षेत्र में उस मिश्रण से मालिश कर सकते हैं और सुबह के समय हल्की धुप में सनबाथ भी कर सकते हैं। इन सबसे भी बहुत फायदा होता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज — Ayurvedic Treatment For Rheumatoid Arthritis In Hindi
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, तेलों, थेरेपी और औषधियों से भी रूमेटाइटड आर्थराइटिस का इलाज किया जा सकता है। रूमेटाइटड आर्थराइटिस के आयुर्वेदिक इलाज में निम्नलिखित शमिल हैं:-
01. पंचकर्म से रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज
पंचकर्म से रूमेटाइड आर्थराइटिस का बेहतर इलाज किया जा सकता है। यह एक आयर्वेदिक थेरेपी है जिसके दौरान तेल की मदद से जोड़ों में मौजूद दर्द की सिकाई की जाती है। पंचकर्म को कई तरह से किया जा सकता है।
02. आयुर्वेदिक तेलों से रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज
रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज करने के लिए ढेरों आयुर्वेदिक तेलों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:-
A. महानारायल तेल
यह कई प्रकार की जड़ी-बूटियों से बना होता है। यह रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज करने वाले सबसे प्रभावशाली तेलों में से एक माना जाता है।
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B. कोट्टामचुकादि तेल
यह भी रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप अपने जोड़ों के दर्द से परेशान हैं और उससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद कोट्टामचुकादि तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक से दो महीने तक इस तेल से दिन में दो बार मालिश करने से जोड़ों का दर्द दूर हो सकता है।
C. मुरिवेन्ना तेल
यह भी रूमेटाइड आर्थराइटिस के प्रभावशाली आयुर्वेदिक तेलों में से एक है। जोड़ों में दर्द से प्रभावित क्षेत्र में इस तेल से मालिश करने पर दर्द दूर हो जाता है। आप दिन में दो बार इस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
D. ऑलिव ऑयल
आयुर्वेद के मुताबिक, कैरोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है और साथ ही साथ गठिया की समस्या से बचा भी जा सकता है। ऑलिव ऑयल के साथ लहसुन का सेवन करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
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03. रूमेटाइड आर्थराइटिस की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
A. अमलतास
यह एक पेड़ है जिसकी 10-20 ग्राम पत्तियों को घी या सरसो के तेल में मिलाकर या पकाकर खाने से रूमेटाइड आर्थराइटिस से आराम मिलता है।
B. सुखी अदरक
सुखी अदरक में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं जिससे जोड़ों में होने वाले दर्द से और सूजन से आराम मिलता है। लगभग आधा गिलास हल्का गर्म पानी में सुखी अदरक को मिलाकर पीने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। आप दिन में दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।
C. हरड़ और गुडुची
गुडुची के साथ हरड़ का सेवन करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण उत्पन्न दर्द से राहत मिलती है। अपने जोड़ों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए आप सुखी अदरक और गुडुची को पीसकर उसमें 5 ग्राम हरड़ का पाउडर मिलाकर उसका सेवन कर सकते हैं।
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04. रूमेटाइड आर्थराइटिस की आयुर्वेदिक औषधियां
निम्नलिखित आयुर्वेदिक औषधियों के द्वारा रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज संभव है। रूमेटाइड आर्थराइटिस की आयुर्वेदिक औषधियों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
A. योगराज गुग्गुल
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करने के बाद आप योगराज गुग्गुल की गोलियों का सेवन कर सकते हैं।
B. रसनादि कषायम
यह रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज करने वाली एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक लिक्विड औषधि है। रासनादि कषायम का सेवन करने के लिए 10-20 मिलीलीटर इस औषधि को उतनी ही मात्रा पानी में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
C. आमवातरी रस
यह रूमेटाइड आर्थराइटिस की एक बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा है। आयुर्वेदिक डॉक्टर के साथ परामर्श करने के बाद आप इस दवा का सेवन कर सकते हैं।
D. सिंहनाद गुग्गुल
यह भी रूमेटाइड आर्थराइटिस की प्रभावशाली आयुर्वेदिक दवाओं में से एक है। सिंहनाद गुग्गुल की गोलियों का सेवन करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
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अगर आप रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज आयुर्वेदिक तेल, जड़ी-बूटियों या औषधियों से करना चाहते हैं तो ऊपर दिए हुए इलाज के माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे इनमें से किसी भी दवा का उपयोग करने से पहले एक बार आयुर्वेदिक डॉक्टर से अवश्य परामर्श करें। अपने मन मुताबिक किसी भी चीज का इस्तेमाल आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का होम्योपैथिक इलाज — Homeopathy Treatment For Rheumatoid Arthritis In Hindi
होम्योपैथी में रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज संभव है। कुछ खास Rheumatoid Arthritis Treatment In Homeopathy in Hindi होम्योपैथिक दवाओं की मदद से इस समस्या का इलाज किया जा सकता है। होम्योपैथिक दवाएं निर्धारित करने से पहले डॉक्टर मरीज से रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों के बारे में पूछते हैं और इसके मुख्य कारणों का पता भी लगाते हैं। उसके बाद, रूमेटाइड आर्थराइटिस का होम्योपैथिक इलाज शुरू करते हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की होम्योपैथिक दवाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:-
01. पल्सेटिला प्रेटेंसिस
इसे विंड फ्लावर के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा उन लोगों के लिए बहुत प्रभावशाली साबित होती है जिनके हाथ-पैर का दर्द बढ़ता है, जिन्हें बेचैनी होती है और ठंड लगती है, जिन्हें रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से, गर्दन, जांघ कूल्हे के जोड़ों और घुटने के जोड़ों में तेज दर्द होता है।
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आमतौर पर ये लक्षण खाने के बाद, गर्मी के कारण या दर्द वाले हिस्से के बल सोने पर बढ़ जाते हैं। अगर आप खुद में इन लक्षणों को अनुभव करते हैं तो एक अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद पल्सेटिला प्रेटेंसिस का उपयोग कर सकते हैं।
02. कैल्केरिया फॉस्फोरिका
ठंड या नमी के मौसम रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण उतपन्न होने वाला दर्द बढ़ जाता है। अगर आप अपनी टांगों में दर्द और अकड़न, हड्डियों में दर्द, चलते-फिरते या ऊपर चड़ते समय दर्द, पैरों का सुन्न होना या शरीर के दूसरे जोड़ों में तेज दर्द आदि अनुभव करते हैं तो कैल्केरिया फॉस्फोरिक होम्योपैथिक दवा आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
03. एपिस मेलीफिका
यह होम्योपैथिक दवा उन लोगों के लिए प्रभावशाली मानी जाती है जिन्हें एडिमा है, जिन्हें हल्का छूने पर भी तेज दर्द होता है, घुटनों में सूजन और दर्द होता है, जिनका हाथ और उंगलियां सुन्न हो जाती हैं, पैरों में अकड़न और सूजन होती है एवं टांगों तथा पीठ में तेज दर्द होता है।
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रूमेटाइड आर्थराइटिस से प्रभावित हिस्से पर दबाव पड़ने, उसे छूने या उसके बल सोने पर पर ये लक्षण खराब हो जाते हैं। हालांकि, ठंडे पानी से नहाने और खुली हवा में आने से इनमें सुधर होता है।
04. लेडम पैलस्टर
इस दवा का इस्तेमाल खासकर रूमेटाइड डिजीज और जोड़ों के दर्द का इलाज करने के लिए किया जाता है। इसके आलावा भी इसका इस्तेमाल काफी स्थितियों का इलाज करने के लिए किया जा सकता है। इसमें गाउट के साथ मोतियाबिंद होना, हाथों और पैरों में दर्द होना, गठिया का पैरों से शुरू होकर ऊपरी अंगों तक जाना, कंधे में तेज दर्द होना, जोड़ों का टूटना या उनमें दरार होना और तलवों में दर्द होना एवं टखनों में सूजन आना आदि शामिल हैं।
05. बेलाडोना
इसे डेडली नाइटशेड भी कहा जाता है। यह सबसे अधिक तंत्रिका तंत्र पर असर करता है। इस दवा का इस्तेमाल ढेरों लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें दर्द और ऐंठन, गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द, पैरों, कूल्हे और पीठ में दर्द तेज दर्द, गठिया के कारण उत्पन्न दर्द एक से दूसरे हिस्से में फैलना, उंगलियों में जलन और सूजन और हाथों एवं पैरों का ठंडा पड़ना आदि शमिल हैं। अगर आप रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित हैं और ऊपर दिए हुए लक्षणों को खुद में अनुभव करते हैं तो होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद बेलाडोना दवा का सेवन कर सकते हैं।
अगर आप रूमेटाइड आर्थराइटिस के दर्द से परेशान हैं और होम्योपैथिक दवाओं से इसका इलाज करना चाहते हैं तो एक अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ऊपर बताई गई दवाओं का सेवन कर सकते हैं।
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लेकिन ध्यान रहे, बिना डॉक्टर से परामर्श किए किसी भी दवा का सेवन आपकी बीमारी को ठीक करने के बजाय उन्हें और खराब कर सकता है। डॉक्टर आपके ओवरऑल हेल्थ, आपकी बीमारी, उसके प्रकार और गंभीरता के आधार पर दवाओं और उनकी खुराख को तय करते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आप किसी भी दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की दवाएं — Medicines For Rheumatoid Arthritis In Hindi
रूमेटाइड आर्थराइटिस के शुरुआती इलाज के तौर पर डॉक्टर कुछ खास दवाओं को निर्धारित कर सकते हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस की दवाओं में नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लमेटरी दवाएं, इम्यूनोसूप्रेसेंट्स, कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डिजीज-मॉडिफायिंग अंतिरुमेटिक दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं के साइड इफ्केट्स भी हो सकते हैं, इसलिए बिना डॉक्टर से परामर्श किए इन दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की सर्जरी — Rheumatoid Arthritis Surgery In Hindi
जब नॉन सर्जिकल इलाज से कोई फायदा नहीं होता है तो रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज करने के लिए डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस की सर्जरी Surgery For Rheumatoid Arthritis In Hindi को जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान सर्जन जोड़ों के क्षतिग्रस्त या खराब हिस्से को प्रोस्थेटिक के साथ बदल देते हैं। जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी को रूमेटाइड आर्थराइटिस का सबसे बढ़िया इलाज माना जाता है।
अधिकतर मामलों में रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या घुटनों और कूल्हे में देखने को मिलती है। जब रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या घुटनों में होती है तो उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर नी रिप्लेसमेंट सर्जरी का उपयोग करते हैं और अगर यही समस्या कूल्हे में होती है तो हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है।
घुटने या कूल्हे में रूमेटाइड आर्थराइटिस होने पर आपका जीवन दुखों से भरा हो सकता है। क्योंकि इसके कारण आपका चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। लेकिन नी रिप्लेसमेंट सर्जरी या हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की मदद से आप आप फिर से अपने जीवन को खुशियों से भर सकते हैं।
इन दोनों सर्जिकल प्रक्रियाओं के बाद आपके घुटने और कूल्हे सही से काम करने लगते हैं और आपको चलने-फिरने, उठने-बैठने, सोने या अपने दैनिक जीवन के कामों को करने में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है। अगर अपने घुटने या कूल्हे के दर्द से कम से कम समय में छुटकारा पाना चाहते हैं तो एक अनुभवी और कुशल हड्डी रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद नी रिप्लेसमेंट सर्जरी या हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का चयन कर सकते हैं।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|