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टॉन्सिल्लेक्टोमी क्या है- प्रकार, प्रक्रिया और खर्च – Tonsillectomy in Hindi
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लॉकडाउन के समय मनीषा की बेटी आयूषी के गले में चार दिनों से निरंतर दर्द था। मनीषा ने दर्द को चकमा देने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रही। जब दर्द तेज हो गया तो मनीषा ने Pristyn Care के डॉक्टर राहुल से मुलाकात करना उचित समझा। लॉकडाउन में अस्पताल जाने से डर रही मनीषा ने Pristyn Care के एप के जरिए डॉक्टर राहुल से मुफ्त में एक अपॉइंटमेंट लिया और वीडियो कॉल के जरिए आयूषी का गला दिखाया। आयूषी के गले में उपस्थित टॉन्सिल्स में सूजन आ गया था।
डॉक्टर को यह समझते देरी नहीं लगी और उन्होंने मनीषा को टॉन्सिल्स के खतरे से रू-ब-रू करवाया। मनीषा ने टॉन्सिल इन्फेक्शन का नाम पहली बार सुना था। इस बार पर मनीषा ने घबराते हुए डॉक्टर राहुल से कहा “ये क्या है? मेरी बेटी ठीक तो हो जाएगी न?”
तसल्ली दिलाते हुए- डॉक्टर राहुल ने मनीषा को पहले जांच करवाने को कहा और टॉन्सिलाइटिस पाए जाने पर Tonsillectomy के जरिए इलाज करवाने को कहा। आइये जानते हैं टॉन्सिल्लेक्टोमी क्या होता है?
टॉन्सिल्लेक्टोमी क्या है? - What is tonsillectomy in Hindi?
मानव कंठ में दो टॉन्सिल्स पाए जाते हैं। शिशुओं को संक्रमण से बचाने में इनका काफी सराहनीय किरदार होता है। लेकिन, जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ने लगती है ये संक्रमित हो जाते हैं। संक्रमित टॉन्सिल्स को टॉन्सिलाइटिस कहते हैं। टॉन्सिलाइटिस की ज्यादातर समस्या बच्चों में पाई जाती है। बड़े भी इस समस्या से परिचित हो सकते हैं।
पीड़ित बच्चे को कई प्रकार के कष्टों से जूझना पड़ता है और कई प्रकार के उपाय आजमाने के बाद राहत न मिलने पर टॉन्सिल्लेक्टोमी ही एकमात्र इलाज बचता है। टॉन्सिल्लेक्टोमी की प्रक्रिया बहुत ही साधारण होती है।
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टॉन्सिल्लेक्टोमी कितने प्रकार का होता है और इसे करने की क्या प्रक्रिया है? - What are the Types and Procedure of Tonsillectomy in Hindi?
टॉन्सिल्लेक्टोमी करने के पांच तरीके हैं। सभी तरीके खुद में बेहतर हैं। आइये उनके नाम और प्रकिया के बारे में जानते हैं।
कोल्ड स्केल्पल या कोल्ड नाइफ सर्जरी (Cold Scalpel or Cold Knife Surgery)
संक्रमित टॉन्सिल्स हटाने के लिए एक प्रकार का चाकू (जिसे कोल्ड स्केल्पल या कोल्ड नाइफ कहते हैं) का उपयोग होता है। इसके नाक से पता चलता होगा कि चाकू या टॉन्सिल्स को पहले ठंडा किया जाता होगा। जबकि, ऐसा नहीं हैं। यह नाम मात्र है। स्केल्पल की धार बहुत तेज होती है। इससे टॉन्सिल्स झट से कट जाते हैं। टॉन्सिल्स काटते समय पेशेंट को सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाता है। सर्जरी के अंत में थोड़ी बहुत ब्लीडिंग होती है।
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अल्ट्रासोनिक या हार्मोनिक डिसेक्शन (Ultrasonic or Harmonic Dissection)
टॉन्सिल्लेक्टोमी की इस सर्जरी में स्केल्पल हाई फ्रीक्वेंसी पर कम्पन करता है और टॉन्सिल्स पर लगाते ही टॉन्सिल्स कट जाते हैं। स्केल्पल की फ्रीक्वेंसी 55,000 cycle प्रति सेकंड होती है। डॉक्टरों की यह एक लोकप्रिय प्रक्रिया है जिसमें टॉन्सिल्स सही आकार में कटते हैं। पूरी प्रक्रिया के दौरान रोगी के टॉन्सिल्स को शून्य किया जाता है। प्रक्रिया के बाद थोड़ी ब्लीडिंग होती है जो सामान्य है।
इलेक्ट्रोकाउटरी टॉन्सिल रिमूवल (Electrocautery Tonsil Removal)
टॉन्सिल्लेक्टोमी करने की यह प्रक्रिया रिकवरी के दौरान दर्दनाक हो सकती है। इसमें इलेक्ट्रिक करंट की मदद से टॉन्सिल्स को हटाया जाता है और cauterization की मदद से ब्लीडिंग को रोक दिया जाता है। cauterization एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें टिश्यू को जला दिया जाता है जिससे ब्लीडिंग रुक जाती है। इस प्रक्रिया के बाद रिकवर होने में ज्यादा समय लग सकता है वहीं, रिकवरी के दौरान भारी दर्द का अनुभव हो सकता है। इसके अलावा टॉन्सिल्लेक्टोमी की इस प्रक्रिया के इस्तेमाल से टॉन्सिल्स के आस-पास के टिश्यू भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
माइक्रोडब्रिडर टॉन्सिल्लेक्टोमी (Microdebrider Tonsillectomy)
माइक्रोडब्रिडर टॉन्सिल्लेक्टोमी में टॉन्सिल्स के टिश्यू को शेव किया जाता है। इस वजह से टॉन्सिल्लेक्टोमी की इस प्रक्रिया के बाद टॉन्सिल्स दोबारा से उग सकते हैं। इस प्रक्रिया के बाद रिकवर होने में कम समय लगता है और कम दर्द होता है। लेकिन, अगर आपके टॉन्सिल्स इलाज के बाद दोबारा संक्रमित हो गए हैं तो इस प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह प्रक्रिया ज्यादातर उन लोगों के लिए इस्तेमाल की जाती है जिनके टॉन्सिल्स जरूरत से ज्यादा बड़े होते हैं और उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है।
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बाय-पोलर रेडियोफ्रीक्वेंसी एबलेशन (Bipolar Radiofrequency Ablation)
टॉन्सिल्लेक्टोमी की इस प्रक्रिया में रेडियोफ्रीक्वेंसी वेव्स (radiofrequency waves) से charged सेलाइन लेयर (saline layer) टिश्यू के मॉलिक्यूलर बांड (molecular bond) को तोड़ देता है और आस-पास की टिश्यू को बिना नुकसान पहुंचाएं टॉन्सिल्स को अलग कर देता है। इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर रोगी को जनरल एनेस्थीसिया (anesthesia) देते हैं।
टॉन्सिलाइटिस अलग करने की यह सर्जरी बहुत अच्छी होती है। सर्जरी के बाद रोगी को रिकवर होने में बहुत कम समय लगता है और दूसरे सर्जरी की तुलना में रिकवरी के समय बहुत कम दर्द होता है।
टॉन्सिल्लेक्टोमी की कौन सी प्रक्रिया सबसे बेहतर होती है? - Which procedure of tonsillectomy is much better that others in hindi?
यह बात एक ENT डॉक्टर ही बताएंगे। सारी प्रक्रिया खुद में बेहतर हैं। टॉन्सिलाइटिस के कंडीशन के मुताबिक़ सर्जन किसी भी प्रक्रिया का सही चयन करते हैं। इसलिए, खुद से टॉन्सिलाइटिस की जांच करवाए बिना टॉन्सिल्लेक्टोमी की सबसे अच्छी प्रक्रिया का बयान देना गलत है।
टॉन्सिल्लेक्टोमी में कितना खर्च आता है? – How much does a tonsillectomy cost in Hindi?
टॉन्सिल्लेक्टोमी की प्रक्रिया का खर्च कई बातों को निर्भर होता है, जैसे:-
- प्रक्रिया के लिए टॉन्सिल्लेक्टोमी के किस प्रकार का चयन हुआ है।
- टॉन्सिल्लेक्टोमी के दौरान किस तरह के उपकरणों का उपयोग हो रहा है।
- सर्जन को कितने वर्षों का अनुभव है
- सर्जरी के दौरान कितने डॉक्टर या सर्जन है
- टॉन्सिल्लेक्टोमी करने वाले अस्पताल का सक्सेस रेट
- अस्पताल की व्यवस्था
- इलाज किस जगह और किस अस्पताल में हो रहा है
- टॉन्सिल्लेक्टोमी के लिए आपके क्षेत्र में कितने सर्जन हैं
टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद रिकवरी के लिए सावधानियां: - Precautions for Tonsillectomy Recovery in Hindi
टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद रोगी को कई तरह की सावधानियों का पालन ध्यान पूर्वक करना होगा। अगर सावधानियां नहीं बरती गई तो रिकवरी का समय बढ़ सकता है।
- दवाइयां- दर्द होने पर रोगी सर्जन द्वारा बताई गई पेन किलर का इस्तेमाल कर सकता है।
- तरल पदार्थ- टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए आप तरल पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। आप चाहे तो पानी और बर्फ का सेवन कर सकते हैं। ये रिकवरी में मदद करते हैं।
- आहार- सर्जरी के बाद ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिन्हें निगलने में आसानी हो। सेब का जूस या सूप एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। इसके अलावा आप अपने आहार में आइसक्रीम भी शामिल कर सकते हैं।
अम्लीय, मसालेदार, कठोर या कुरकुरे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि इससे दर्द या रक्तस्राव हो सकता है। टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद उन्हीं आहार को अपनी डाइट में शामिल करें जिन्हें चबाने में कोई परेशानी न हो। कठोर खाद्य पदार्थों के देवन से दर्द और ब्लीडिंग बढ़ सकता है। गर्म पेय या गरम खाद्य पदार्थों का सेवन बिलकुल भी न करें।
- रेस्ट- टॉन्सिल्लेक्टोमी ही नहीं किसी भी सर्जरी के बाद आराम करना बहुत जरूरी है। टॉन्सिल्स हटवाने के बाद 2 सप्ताह तक किसी भी खेल-कूद में हिस्सा न लें। इसके साथ बाहर और प्रदूषण वाली जगह में आने से बचें। टॉन्सिल्लेक्टोमी के दो हफ्ते बाद आप आराम से बिना दर्द की गोली खाए सो सकते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो डॉक्टर से परामर्श करें।
टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद इन लक्षणों के नजर आने पर तुरंत ही डॉक्टर से मिलें
- ब्लीडिंग- टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद थूक के साथ हल्का-फुल्का खून निकलना सामान्य है। अगर स्थिति विपरीत है और अधिक मात्रा में रक्तस्त्राव हो रहा है तो ऐसी स्थिति में आपको देरी न करते हुए तुरंत ही डॉक्टर से मिलना चाहिए।
- बुखार- इलाज के बाद तेज बुखार आने पर डॉक्टर से बात करें।
- डिहाइड्रेशन- डिहाइड्रेशन के लक्षण (जैसे- कम पेशाब, प्यास, कमजोरी, सिरदर्द, चक्कर आना या आलसपन) नजर आने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें। डिहाइड्रेशन के चलते स्वास्थ्य बहुत बिगड़ सकता है। इसके साथ डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- सांस लेने में परेशानी होने पर - सर्जरी के बाद एक हफ्ते तक खर्राटे आना सामान्य बात है। लेकिन, अगर बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही है तो तुरंत ही डॉक्टर से बात करें।
टॉन्सिल्लेक्टोमी के बारे में जानकर मनीषा को ढाढ़स हुआ और उसने आयूषी की जांच के लिए डॉक्टर राहुल से अपॉइंटमेंट लिया। lockdown के दौरान पूरी सुरक्षा के साथ आयूषी अपने मम्मी के साथ अस्पताल गई और जांच करवाई। डॉक्टर की आशंका अब हकीकत में बदल चुकी थी।
आयूषी को टॉन्सिलाइटिस ही था। लेकिन, समझदारी से काम लेते हुए मनीषा ने बिना घबराए आयूषी के टॉन्सिल्स को निकलवाने का फैसला लिया। डॉक्टर राहुल ने एक घंटे के भीतर सर्जरी कर डाली और आयूषी को अस्पताल से छुट्टी दे दी।
अगर आप भी टॉन्सिल्लेक्टोमी करवाना चाहते हैं तो Pristyn Care आपके लिए मददगार हो सकता है।
टॉन्सिल्लेक्टोमी के लिए Pristyn Care ही क्यों?
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|