टॉन्सिल गले के पीछे और कान के नीचे स्थित नरम टिशू से बना एक जोड़ा है। यह लसिका प्रणाली का एक खास हिस्सा हैं, जिनका काम शरीर में संक्रमण से लड़ना है। जब टॉन्सिल्स संक्रमित हो जाते हैं तो इस स्थिति को मेडिकल की भाषा में टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है।
टॉन्सिलाइटिस का इलाज कई तरह से किया जाता है, लेकिन टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी से मात्र 1 दिन में इसका परमानेंट इलाज संभव है। अगर आप टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित हैं और मात्र एक दिन में इससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो प्रिस्टीन केयर का यह ब्लॉग आपके लिए खास है।
टॉन्सिल्स क्या हैं
टॉन्सिल्स शरीर के खास अंग हैं जो गले के दोनों तरफ स्थित होते हैं। ये बाहरी संक्रमण को शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं और शरीर की रक्षा-तंत्र में एक अहम भूमिका निभाते हैं। आमतौर पर एक टॉन्सिल का आकार 2.5 सेमी लंबा, 2 सेमी चौड़ा और 1.2 सेमी मोटा होता है।
टॉन्सिलाइटिस क्या है
टॉन्सिल्स में संक्रमण होने की स्थिति को ही टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है। टॉन्सिल में संक्रमण होने के कारण इनके आकार में बदलाव और सूजन आ जाती है। टॉन्सिलाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह किशोरावस्था (5-15 साल के बच्चों) में पाया जाता है।
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टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित मरीज को अपने दैनिक जीवन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि गले में तेज दर्द होना, कुछ भी निगलने में तकलीफ होना, कान और जबड़ों के निचले हिस्से में दर्द होना, गले में खराश होना, मुंह से बदबू आना, शरीर कमजोर होना, थकावट और चिड़चिड़ापन महसूस करना, छोटे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होना और लार टपकना आदि।
1 दिन में टॉन्सिलाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है?
टॉन्सिलाइटिस का इलाज कई तरह से किया जाता है। अगर आप माइल्ड टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित हैं तो ENT विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ खास दवाओं का सेवन करने और जीवनशैली में बदलाव लाने का सुझाव देते हैं। लेकिन जब इन दोनों उपचार से कोई फायदा नहीं होता है तो डॉक्टर टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी का सुझाव देते हैं।
टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी को कई तरह से किया जाता है। मरीज की स्थिति के आधार पर सर्जन टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी के प्रकार का चयन करते हैं। इस सर्जरी की शुरुआत में सर्जन मरीज को एनेस्थीसिया देते हैं, जिससे मरीज बेहोश हो जाता है। टॉन्सिलेक्टोमी के लिए सर्जन निम्नलिखित तकनीकों में से किसी एक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इलेक्ट्रोकॉटरी
इस प्रक्रिया के दौरान सर्जन हीट की मदद से टॉन्सिल्स को बाहर निकाल देते हैं और फिर ब्लीडिंग को रोक देते हैं।
हार्मोनिक स्केलपेल
इस प्रक्रिया के दौरान अल्ट्रासोनिक वाइब्रेशन की मदद से एक ही समय पर टॉन्सिल्स को काटकर बाहर निकाल दिया जाता है और ब्लीडिंग को रोक दिया जाता है।
कोल्ड नाइफ डिसेक्शन
इस प्रक्रिया में सर्जिकल स्केलपेल की मदद से टॉन्सिल को काटकर निकाल दिया जाता है, उसके बाद टांकों या इलेक्ट्रोकॉटरी की मदद से ब्लीडिंग को रोक दिया जाता है।
टॉन्सिलेक्टोमी की प्रकिया खत्म होने के बाद, मरीज को रिकवरी रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है, जहां डॉक्टर उनके ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कन और श्वसन दर को मॉनिटर करते है ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि मरीज सर्जरी के बाद बिलकुल ठीक है।
टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी के फायदे:-
दर्द नहीं होता है
टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी को एनेस्थीसिया के प्रभाव में किया जाता है। इसलिए इस सर्जरी के दौरान मरीज को जरा भी दर्द या दूसरी किसी तरह की तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता है।
ब्लीडिंग नहीं होती है
इस सर्जरी के दौरान सर्जन हीट की मदद से ब्लीडिंग को रोक देते हैं। अगर आप बिना दर्द या ब्लीडिंग का सामना किए टॉन्सिलाइटिस से बहुत ही आसानी से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो यह सर्जरी आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
टांके नहीं आते हैं
इस सर्जरी में मरीज को टांके नहीं आते हैं। इसलिए सर्जरी के दौरान इंफेक्शन या दूसरी किसी प्रकार की परेशानी का खतरा लगभग न के बराबर होता है।
जख्म और दाग नहीं होते हैं
टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी के बाद जख्म होने या दाग आने का खतरा भी लगभग शून्य होता है। यह सर्जरी पूर्ण रूप से सरल, सफल और सुरक्षित प्रक्रिया है।
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कम समय लगता है
इस सर्जरी को पूरा होने में लगभग आधा से एक घंटा का समय लगता है। यह एक दिन की प्रक्रिया है। इसलिए सर्जरी के बाद मरीज को हॉस्पिटल में रुकने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में डॉक्टर मरीज को एक दिन के लिए हॉस्पिटल में रुकने का सुझाव भी दे सकते हैं।
जटिलताओं का खतरा शून्य होता है
इस सर्जरी के दौरान या बाद में किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स या जटिलताओं का खतरा लगभग न के बराबर होता है। इसलिए ज्यादा डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन इस बात का अवश्य ध्यान रखना है कि इस सर्जरी को एक अनुभवी और विश्वसनीय ENT विशेषज्ञ डॉक्टर के द्वारा ही पूरा किया जाए। डॉक्टर के पास पर्याप्त अनुभव नहीं होने पर जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है।
रिकवरी जल्दी होती है
टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी काफी जल्दी होती है। मरीज सर्जरी के 2-4 दिनों के बाद अपने दैनिक जीवन के हल्के-फुल्के कामों को शुरू कर सकते हैं। हालांकि, सर्जरी के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 2-3 सप्ताह का समय लगता है।
बेस्ट और परमानेंट रिजल्ट
टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी का रिजल्ट बेस्ट और परमानेंट होता है। इस सर्जरी के बाद दोबारा टॉन्सिलाइटिस होने का खतरा खत्म हो जाता है।
अगर आप मात्र 1 दिन में टॉन्सिलाइटिस का परमानेंट इलाज पाना चाहते हैं तो आपको एक अनुभवी और विश्वसनीय ENT विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करने के बाद टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी का चुनाव करना चाहिए।
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हमारे सर्जन को टॉन्सिल की गहरी समझ और टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी में महारत हासिल है। ये सर्जन अब तक हजारों सफल टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी कर चुके हैं। दूसरे क्लिनिक/हॉस्पिटल की तुलना में हमारे क्लिनिक में टॉन्सिलेक्टोमी सर्जरी को काफी कम खर्च में किया जाता है।
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