फिस्टुला होने पर क्या खाएं और क्या नहीं

फिस्टुला यानी भगंदर काफी दर्दनाक रोग है। इस रोग में रोगी के गुदा द्वार के आस-पास सुरंग का निर्माण हो जाता है। यह सुरंग दो नसों या अंगों में जोड़ आ जाने की वजह से बनती है। प्राकृतिक रूप से इस तरह की सुरंग मानव शरीर में नहीं पाई जाती है। फिस्टुला होने पर रोगी के मल द्वार के आस-पास की सुरंगों से मावाद बहता रहता है और खून भी निकलता है।

मलत्याग करते समय रोगी को भारी कष्ट उठाना पड़ता है। उठने-बैठने, खेलने-कूदने, दौड़ने, सोने आदि कई कार्य करने में रोगी को दर्द का सामना करना पड़ता है। मानो पूरा जीवन नरक बन जाता है। 

वैसे फिस्टुला के दर्द से राहत पाने के लिए कई तरह के घरेलू नुस्खे हैं लेकिन, उनसे फिस्टुला को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। ये घरेलू नुस्खे केवल दर्द और सूजन को कम करने का काम करते हैं। फिस्टुला का पूर्णतः इलाज सर्जरी से ही संभव है।

गैरहाल, फिस्टुला के दौरान आहार में विशेष ध्यान देना पड़ता है। अगर इस दौरान आप आहार में ऐसी चीजें शामिल करते हैं जिससे मल कठोर हो सकता है तो मल त्याग के दौरान आपको भारी दर्द से गुजरना पड़ सकता है। आइये जानते हैं कि भगंदर होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाएं?

फिस्टुला में  क्या खाएं? – Fistula me kya khana chahiye

फाइबर युक्त आहार

भगंदर से पीड़ित रोगी को फाइबर का अधिक सेवन करना चाहिए। भोजन पचाने के लिए फाइबर बहुत आवश्यक होता है। यह स्टूल को मुलायम बनाता है जिससे कब्ज दूर होता है।

भगंदर ठीक न होने तक फाइबर का सेवन करते रहना चाहिए। ताजी हरी सब्जियों और फलों में फाइबर आसानी से मिल जाता है।

तरल पदार्थ का सेवन करें

फिस्टुला के दौरान कब्ज को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी होता है। इसलिए, इस दौरान रोगी को भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा फलों के जूस, सब्जियों के जूस आदि को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। तरल पदार्थों के सेवन से मल मुलायम बनता है जिससे मलत्याग के दौरान दर्द नहीं होता है। 

चाय, कॉफी आदि कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन करने से बचे।

अनाज 

भगंदर रोगी अनाज में जौ, गेहूं, और पुरानी शाली चावल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा अगर अनाज में दलिया शामिल कर लेते हैं तो कब्ज नहीं होगा और पाचन दुरुस्त रहेगा।

दाल

अरहर, मूंग या मसूर की दाल फिस्टुला रोगी को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुँचाती हैं।

फल और सब्जियां

Fistula me kya khaye in hindi – फलों में उच्च्च मात्रा में पानी और फाइबर पाया जाता है जिससे पाचन दुरुस्त रहता है और रोगी को कब्ज नहीं होता है। पपीता, सेब, केला, आंवला, अमरुद, खीरा, अन्य फाइबर युक्त फल आदि का सेवन कर सकते हैं। अगर कब्ज रहता है तो नियमित रूप से तीन अमरुद का सेवन करें। इससे कब्ज दूर होगा और मल त्याग के दौरान होने वाले दर्द को कम किया जा सकेगा।

पढ़ें- फिस्टुला और फिशर में क्या अंतर है?

फिस्टुला होने पर रोगी को अपने आहार में उन सभी सब्जियों को शामिल करना चाहिए जो फाइबर के अच्छे स्रोत हों और पचने में ज्यादा समय न लें।
लौकी, कद्दू, पपीता, मूली के पत्ते, शाग, सूरन, बथुआ, चौलाई, मेथी भाजी, आदि कई हरी पत्तेदार सब्जियां फिस्टुला में फायदेमंद होती हैं।

अन्य 

  • हल्का भोजन करें
  • माठा पिए
  • काला नमक और आजवाइन खाएं
  • घी खाएं
  • भरपूर मात्रा में पानी पिएं

फिस्टुला होने पर क्या नहीं खाएं – परहेज – Fistula me kya nahi khana chahiye

अल्कोहल का सेवन न करें

शराब या कैफीनयुक्त पदार्थ का सेवन बिलकुल भी न करें। इनका सेवन करने से शरीर में डिहाइड्रेशन होने लगता है जिससे मल कड़ा हो जाता है और कब्ज की शिकायत हो जाती है। कब्ज भगंदर रोगियों के लिए मलत्याग के दौरान कष्ट का कारण बन सकता है।

अनाज

मैदा या नया चावल बिलकुल न खाएं। ये आंत में जाकर चिपक जाते हैं जिससे कब्ज होता है।

दाल

मटर, उड़द और काला चना की दाल नहीं खाना चाहिए। ये दालें पेट में गैस और कब्ज का कारण बनती हैं।

फल और सब्ज़ियाँ

फिस्टुला में कटहल, कच्चा आम, बैगन, आलू, शिमला मिर्च, अरबी, आड़ू, और मालपुआ नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा पेट को भारी बनाने वाले कोई भी फल या सब्जी न खाएं।

अन्य

फिस्टुला में तिल का सेवन कई बड़ी परेशानियां खड़ी कर सकता है। गुड़ और सूखी सब्जियां भी नुकसानदायक हैं। रसीली और हरी सब्जी फायदेमंद है। तीखा, खट्टा, तैलीय, मसालेदार, अचार, घी, नमकीन, कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड, फास्ट फूड, और बेकरी का कोई भी पदार्थ न खाएं। 

किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन परेशानी बढ़ा सकता है। अल्कोहल सिगरेट आदि से लंबी दूरी बनाएं। नशीले पदार्थ स्टूल कड़ा बनाते हैं और इनके सेवन से डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। कैफीन युक्त पदार्थ भी डिहाइड्रेशन की समस्या खड़ी कर देते हैं। इन पदार्थों से भी परहेज करें। चाय, कॉफी और चॉकलेट में कैफीन उच्च स्तर में पाया जाता है।

पढ़ें – वजाइनल फिस्टुला क्या है? इलाज और बचाव

सावधानियाँ:

  • देर रात भोजन न करें। समय पर भोजन करना अनिवार्य है। देर रात भोजन करने से अपच हो सकता है। इसलिए, भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय दें। 
  • बाहर का खाना न खाएं। फिस्टुला से ठीक होने के लिए सिर्फ स्वच्छता से बनाया गया भोजन करना चाहिए।
  • तनाव में रहना अधिक घातक हो सकता है। तनाव ग्रसित रहने से कब्ज और अपच की समस्या होती है। इसलिए तनाव बिलकुल न लें।
  • केवल इलेक्ट्रोलाइट युक्त जूस पिएं। नारियल पानी, संतरे का जूस, नींबू पानी आदि। इस तरह के जूस बॉडी का पी.एच लेवल कम नहीं होने देते और पेट के लिए अच्छा साबित होते हैं। डॉक्टर से पूछ कर इलेक्ट्रोलाइट टेबलेट का भी उपयोग कर सकते हैं। 
  • पाचन सुधारने वाले और पेट को मजबूत बनाने वाले योगासन कर सकते हैं। अगर योग करते वक्त दर्द होता है तो न करें।

Pristyn Care में फिस्टुला का लेजर उपचार 

फिस्टुला का हमेशा के लिए इलाज सिर्फ सर्जरी से किया जा सकता है। आजकल फिस्टुला का इलाज दर्द रहित हो गया है। लेजर सर्जरी के जरिए कुछ ही मिनटों में रोगी का इलाज हो जाता है और कुछ ही दिनों में रोगी स्वस्थ हो जाता है। लेजर ट्रीटमेंट की प्रक्रिया में रोगी को किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है और चमड़ी में किसी भी प्रकार का कोई कट नहीं लगाया जाता है।

अगर आप फिस्टुला का लेजर उपचार करवाने की सोच रहे हैं तो Pristyn Care एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

पढ़ें- फिस्टुला का घरेलू इलाज

आखिर Pristyn Care ही क्यों?

कुछ कारण हैं जो अन्य अस्पताल की तुलना में Pristyn Care को बेहतर बनाते हैं। जैसे-

अनुभवी सर्जन – हमारे सभी सर्जन फिस्टुला की कई सर्जरी का हिस्सा रह चुके हैं और उन्हें वर्षों का अनुभव है। अनुभवी सर्जन के कारण इलाज में किसी भी प्रकार की बर्बरता नहीं होती है और रोगी को किसी भी तरह के साइड-इफ़ेक्ट का सामना नहीं करना पड़ता है।

एडवांस उपकरण – इलाज के दौरान उपयोग किए गए सभी उपकरण एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस होते हैं जिससे सक्सेस रेट बढ़ जाता है और रोगी को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है।

फ्री फॉलो-अप – हम अपने मरीजों को फ्री फॉलो-अप की सुविधा देते हैं।

इंश्योरेंस का पूरा लाभ – अगर आप इंश्योरेंस होल्डर हैं तो आपको पूरा लाभ दिया जाएगा।

डायग्नोसिस में छूट – जहाँ अन्य अस्पतालों में लेजर सर्जरी का खर्च अधिक होता है वहीं, हम डायग्नोसिस टेस्ट 30% तक की छूट पर करते हैं।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|