white discharge in hindi

व्हाइट डिस्चार्ज को लेकर कई महिलाओं के मन में भ्रम हैं। व्हाइट डिस्चार्ज का होने को बीमारी समझ लिया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। जिस तरह पीरियड्स का होना जरूरी है, वैसे ही व्हाइट डिस्चार्ज का होना भी। पीरियड्स शुरू होने का मतलब शरीर खुद को गर्भधारण (Pregnancy) करने के लिए तैयार कर रहा है। व्हाइट डिस्चार्ज भी महिला स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। वजाइना से बहने वाले डिस्चार्ज को श्वेत प्रदर और सफेद पानी भी कहते है। व्हाइट डिस्चार्ज प्रेग्नेंसी के लिए स्वस्थ शरीर होने की ओर संकेत करता है। ये रोग कब बन जाता है, हम इस बारे में बात करेंगे? लेकिन सबसे पहले जानते है कि व्हाइट डिस्चार्ज कितने तरह का होता है?

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White discharge के प्रकार (Types of White discharge)

व्हाइट डिस्चार्ज कई प्रकार का होता हैं;

सफेद और गाढ़ा डिस्चार्ज (Milky white discharge):- नॉर्मली महिलाओं को सफेद और गाढ़ा डिस्चार्ज होता हैं। ऐसा होने पर घबराने की जरूरत नहीं है। अगर इस तरह के व्हाइट डिस्चार्ज होने से जलन, बदबू या खुजली हो तब यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

पीला वैजाइनल डिस्चार्ज:- अगर पीले रंग का डिस्चार्ज हो रहा है तो यह बिल्कुल सामान्य नहीं है। यह किसी तरह का इंफेक्शन भी हो सकता है। पीला डिस्चार्ज सेक्स से होने वाले इंफेक्शन की ओर इशारा करता है। ऐसा होने पर डॉक्टर को दिखाने में देरी न करें।

भूरा वैजाइनल डिस्चार्ज:- भूरा डिस्चार्ज अनियमित पीरियड्स की ओर इशारा करता है। ज्यादा उम्र की महिलाओं को मेनोपॉज के कारण भी भूरे रंग का डिस्चार्ज होता हैं। अगर भूरे रंग का डिस्चार्ज बहुत ज्यादा हो रहा है तो किसी अच्छे गायनेकोलॉजिस्ट को दिखाना बहुत जरूरी है। यह सर्वाइकल कैंसर का लक्षण भी हो सकता है। (और पढ़े: प्रेगनेंसी के दौरान ब्राउन डिस्चार्ज होने के कारण और उपाय )

हरा वैजाइनल डिस्चार्ज:- हरे रंग का डिस्चार्ज बैक्टीरियल और सेक्सुअल इंफेक्शन का संकेत देता है। अगर हरा डिस्चार्ज हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। हरे रंग का डिस्चार्ज ट्रिचोमोनिएसिस इंफेक्शन की वजह से भी होता है। 

 

White discharge से जुड़ी बीमारियां (Disease related to White discharge)

व्हाइट डिस्चार्ज होना सामान्य है। ये क्यों और किसलिए होता है, ये जानना जरूरी है। सामान्य तौर पर व्हाइट डिस्चार्ज फर्टिलिटी का सूचक है। यह पीरियड्स शुरू होने के कुछ दिन पहले यानी ओव्यूलेशन के समय होता है। अब अगर डिस्चार्ज बहुत ज्यादा हो रहा है तो शरीर पर इसका बुरा असर दिख सकता है। अगर व्हाइट डिस्चार्ज सही तरीके से न हो तो ल्यूकोरिया, यीस्ट इंफेक्शन, गोनोरिया, ट्रिचोमोनिएसिस जैसे रोग हो सकते हैं। 

White discharge के लक्षण (Symptoms of White discharge)

  • व्हाइट डिस्चार्ज से जुड़ी बीमारियों के अलग अलग लक्षण हैं लेकिन सामान्यतः ज्यादा डिस्चार्ज होने पर ये लक्षण दिखाई देते हैं, ज्यादा काम न करने पर भी बहुत थकान होना। ज्यादा समय तक गीला समय महसूस करना और खुजली होना। अगर ये सभी लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं और इसका पूरी तरह से इलाज करवाएं।
  • वजाइना में यीस्ट इंफेक्शन होने पर खुजली के साथ सूजन, सेक्स के दौरान जलन और दर्द होना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 
  • गोनोरिया होने पर पेट और पेल्विक में दर्द, हैवी पीरियड्स, बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 
  • ट्रिचोमोनिएसिस होने पर हरे या ग्रे रंग का डिस्चार्ज, प्राइवेट पार्ट्स में सूजन, जल्दी-जल्दी यूरिन आने की परेशानी होती हैं।

 

White discharge के कारण (Causes of White discharge)

व्हाइट डिस्चार्ज होने के अलग अलग कारण हो सकते हैं। सामान्य तौर पर होने वाले व्हाइट डिस्चार्ज फर्टिलिटी होने के कारण होता है। लेकिन जब व्हाइट डिस्चार्ज से जुड़ी दूसरी कोई बीमारी है तब कई कारण हो सकते हैं;

  • बैक्टीरियल इंफेक्शन:- महिलाओं में व्हाइट डिस्चार्ज से जुड़े बैक्टीरियल इंफेक्शन होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे असुरक्षित सेक्स (Unprotected sex), यूरिन करने के लिए गंदे पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल, साफ-सफाई की कमी, एनल इंफेक्शन। 
  • असुरक्षित सेक्स:- व्हाइट डिस्चार्ज से जुड़ी बीमारी गोनोरिया unprotected sex के कारण होती है। 
  • कई अलग तरह के एंटीबायोटिक्स खाने के कारण भी हार्मोन पर गलत असर पड़ता है, जिससे वजाइनल डिस्चार्ज से जुड़ी समस्याएं हो जाती है। अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए रोज बर्थ कंट्रोल पिल्स खाने से भी हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। इससे भी व्हाइट डिस्चार्ज से जुड़ी समस्या होती है।
  • कुछ महिलाएं साबुन से वजाइना साफ करती हैं। वजाइना स्किन बहुत सॉफ्ट होती है। साबुन में मौजूद केमिकल स्किन को नुकसान पहुंचा देते हैं। 
  • मल्टीपल पार्टनर से भी व्हाइट डिस्चार्ज से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।

White discharge का घरेलू इलाज (Home remedies of White discharge)

हाइजीन का ध्यान न रखने और लापरवाहियां करने से भी व्हाइट डिस्चार्ज से जुड़ी बीमारियां होती हैं, इसलिए हाइजीन का ध्यान जरूर रखें।

  • रोजाना अंडरगार्मेंट्स बदलें।
  • यूरिन के बाद वजाइना को साफ जरूर करें।
  • अगर व्हाइट डिस्चार्ज ज्यादा या खुजली पैदा कर रहा है तो खट्टे पदार्थ जैसे अचार नहीं खाना चाहिए।
  • ज्यादा व्हाइट डिस्चार्ज होने से हड्डियां कमजोर होती है और पेट में तकलीफ होती है, इससे बचने के लिए केला, दही खाना चाहिए। 

चाहे तो कुछ घरेलू उपाय भी अपना सकते है;

  • गूलर के फूल को पीसकर उसमें शहद और मिश्री मिलायें। इस मिश्रण को दो से तीन बार लेने व्हाइट डिस्चार्ज की समस्यायों में फायदा मिलता है।
  • थोड़ा गुड़ लें और उसी मात्रा में कच्चे केले को सुखाकर चूर्ण बना लें। इन दोनों को मिलाकर दिन में तीन बार लेने से व्हाइट डिस्चार्ज में आराम मिलता है।
  • व्हाइट डिस्चार्ज होने पर पेट का ध्यान जरूर रखें। डाइजेशन बिगड़ने पर भी व्हाइट डिस्चार्ज ज्यादा होता है।
  • दही को भिंडी में उबाल कर सेवन करने से भी वजाइनल इंफेक्शन में राहत मिलती है।
  • तुलसी की पत्तियों का जूस बनाएं और उसमें शहद मिला कर पियें। इससे भी व्हाइट डिस्चार्ज में राहत मिलती है।
  • डाइट और हैबिट में बदलाव करने के बाद भी अगर व्हाइट डिस्चार्ज से जुड़ी बीमारियों में राहत न मिलें तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

 

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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|