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    Dr. Suram Sushama (hf3vg7lLA4)

    Dr. Suram Sushama

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    19 Years Experience

    location icon Pristyn Care Clinic, HSR Layout, Bangalore
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    Dr. Prerana Tripathi (JTV8yKdDuO)

    Dr. Prerana Tripathi

    MBBS, DO, DNB - Ophthalmology
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    13 Years Experience

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    Dr. Chanchal Gadodiya (569YKXVNqG)

    Dr. Chanchal Gadodiya

    MS, DNB, FICO, MRCS, Fellow Paediatric Opth and StrabismusMobile
    9 Yrs.Exp.

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    location icon Pristyn Care Clinic, Pune
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  • बीमारी के बारे में
    अवलोकन
    मोतियाबिंद के कारण | Causes of Motiyabind in Hindi
    जोखिम और जटिलताएं | Risks & Complications of Cataract in Hindi
    मॉडर्न इलाज में देरी न करें
    Severity/तीव्रता
    प्रिस्टीन केयर क्यों चुनें?
    तुरंत इंश्योरेंस कवर
    इंट्राऑकुलर लेंस के प्रकार (Types of IOLs in Hindi)
    मोतियाबिंद की सर्जरी कितने प्रकार से की जाती है? Types of Cataract Surgery in Hindi
    मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए (Motiyabind Ka Operation Kab Karna Chahiye)
    लेजर सर्जरी को मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज क्यों कहा जाता है?
    मोतियाबिंद लेंस की क्या कीमत होती है?
    मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए लेंस के प्रकार
    मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद किस लेंस का चयन करें?
    मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद परहेज
    मोतियाबिंद ऑपरेशन की तैयारी/ Motiyabind Surgery Preparation in Hindi
    मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान क्या उम्मीद करें
    मोतियाबिंद का घरेलू उपचार | Cataract Home Remedies in Hindi
    मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज | Cataract Ayurvedic Treatment in Hindi

    मोतियाबिंद क्या है? | Motiyabind kya hai

    मोतियाबिंद आंखों से जुड़ी एक सामान्य बीमारी है, जिसमें आँखों में मौजूद लेन्स अपनी पारदर्शिता खोने लगते हैं। इस वजह से मरीज को सबकुछ धुंधला नजर आने लगता है। अगर, शुरुआत में ही इस बीमारी के लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसे में चश्मे में बदलाव करके और कुछ दवाइयों के सहारे भी इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन, अगर समस्या ज्यादा बढ़ गई है तो इसे ठीक करने के लिए सर्जरी ही एकमात्र उपाय बचता है। आज के समय में तकनीति विकास के चलते ‘मोतियाबिंद’ का ऑपरेशन Pristyn Care से करवाना काफी आसान हो गया है।

    मोतियाबिंद के लक्षण | Symptoms of Motiyabind in Hindi

    • आंखों से धुंधला दिखना
    • रोशनी के आस-पास एक धुंधला-सा गोला दिखाई देना
    • रात के समय कुछ ठीक से नजर न आना
    • रात के समय कुछ ठीक से नजर न आना
    • रंगों की पहचान न कर पाना
    • रंगों का फीका दिखना

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    मोतियाबिंद के कारण | Causes of Motiyabind in Hindi

    • बढ़ती उम्र
    • मधुमेह
    • शराब अत्यधिक मात्रा में पीना
    • धूम्रपान
    • उच्च रक्त चाप/हाई ब्लड प्रेशर
    • आंख की कोई पुरानी चोट या सूजन
    • आंख की कोई पुरानी सर्जरी

    जोखिम और जटिलताएं | Risks & Complications of Cataract in Hindi

    • सर्जरी प्रक्रिया के दौरान – सर्जरी प्रक्रिया के दौरान कई बार किटाणु आँख में चले जाते हैं, जिसके कारण आंखों में इंफेक्शन हो सकता है। इसके लक्षणों के कारण आप प्रकाश और दृष्टि समस्याओं के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं या आंखों में दर्द और लालपन भी हो सकता है। इसलिए, इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर आपको तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
    • मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद- मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद इंफेक्शन होने की संभावना कम होती है, लेकिन अगर आपको किसी भी प्रकार का आंखों का इंफेक्शन होता है, तो डॉक्टर आपको आंखों के लिए एंटीबायोटिक इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं| कुछ मामलों में डॉक्टर को आपकी आंखों में मौजूद जैल जैसे पदार्थ यानी विट्रियस को हटाने की ज़रूरत भी पड़ सकती है, जिससे इंफेक्शन को फैलने से रोका जा सकता है।
    • मोतियाबिंद का ऑपरेशन टालने के परिणाम – अगर आप मोतियाबिंद का ऑपरेशन टालते हैं तो यह आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है| अगर आपको मोतियाबिंद की बीमारी है, डॉक्टर ने आपको सर्जरी कराने की सलाह दी है और अगर आप सर्जरी को लेकर टाल-मटोल कर रहे हैं| तो आपको अपनी लापरवाही के लिए बहुत भारी भुगतान चुकाना पड़ सकता है। मोतियाबिंद के कारण आपकी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। आप समझ सकते हैं कि अगर आप अपनी आंखों की रोशनी को हमेशा के लिए खो देते हैं तो इस कारण आप अपने सभी चीजों को करने या होते नहीं देख पाएंगे।

    मॉडर्न इलाज में देरी न करें

    • रिकवरी जल्दी होती है
    • मॉडर्न और एडवांस ट्रीटमेंट
    • संक्षिप्त और सुरक्षित प्रक्रिया
    • जटिलताओं की संभावना कम

    Severity/तीव्रता

    • प्रारंभिक मोतियाबिंद- यह मोतियाबिंद का प्रारंभिक चरण है जिसमें लेंस लगभग स्पष्ट होता है लेकिन लेंस की फोकस बदलने की क्षमता से समझौता किया जाता है। इससे धुंधली दृष्टि, रोशनी से चकाचौंध और आंखों में खिंचाव जैसे लक्षण दिखने लगेंगे।
    • अपरिपक्व मोतियाबिंद- इस स्तर पर, प्रोटीन लेंस पर जमा होने लगता है, जिससे यह बादलदार और थोड़ा अपारदर्शी हो जाता है। दृष्टि समस्याओं के साथ-साथ प्रकाश संवेदनशीलता जैसे अन्य लक्षण भी दिखाई देंगे। आस-पास देखने के लिए आपको चश्मे या एंटी-ग्लेयर लेंस की आवश्यकता हो सकती है।
    • परिपक्व मोतियाबिंद- इस अवस्था में मोतियाबिंद परिपक्व होने लगता है और लेंस की अस्पष्टता और कम हो जाती है। लेंस दूधिया सफेद या एम्बर रंग का दिखाई देगा और दृष्टि भी काफी प्रभावित होगी।
    • हाइपरमेच्योर मोतियाबिंद- यह मोतियाबिंद का सबसे गंभीर चरण है जिसमें लेंस को काफी नुकसान होता है। यदि सही समय पर नहीं हटाया जाता है, तो एक अति परिपक्व मोतियाबिंद आंख में सूजन पैदा कर सकता है या आंखों के दबाव को बढ़ा सकता है जिससे ग्लूकोमा हो सकता है।

    प्रिस्टीन केयर क्यों चुनें?

    • अनुभवी और कुशल सर्जन
    • गोपनीय परामर्श उपलब्ध
    • डीलक्स रूम की सुविधा
    • 100% इंश्योरेंस क्लेम
    • सर्जरी के बाद फ्री फॉलो-अप
    • फ्री पिकअप और ड्रॉप की सुविधा
    • सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट पर 30% छूट

    तुरंत इंश्योरेंस कवर

    • कोई एडवांस पेमेंट नहीं
    • सभी बीमा कवर किए जाते हैं
    • बीमा अधिकारियों के पीछे भागने की जरूरत नहीं
    • प्रिस्टीन टीम अस्पताल से जुड़े सभी पेपरवर्क पूरा करती है

    इंट्राऑकुलर लेंस के प्रकार (Types of IOLs in Hindi)

    मोतियाबिंद के रोगी को जो सबसे बड़ा निर्णय लेना होता है, उनमें से एक सही इंट्रोक्युलर लेंस (IOLs) का चयन करना होता है। दो प्राथमिक प्रकार के लेंस होते हैं, अर्थात्, पूर्वकाल कक्ष लेंस और पश्च कक्ष लेंस। पूर्वकाल कक्ष लेंस (ACIOL) को परितारिका के ऊपर रखा जाता है जबकि पश्च कक्ष लेंस (PCIOL) को अवशिष्ट पश्च कैप्सूल के ऊपर रखा जाता है जो लेंस की मूल स्थिति है। ACIOLs की तुलना में, PCIOLs एक बेहतर विकल्प है जब तक कि पश्च कैप्सूल बरकरार रहता है।

    बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के PCIOL हैं:

    • मोनोफोकल लेंस एक प्रकार का लेंस है जो रोगी को एक निश्चित दूरी पर या तो निकट या दूर स्पष्ट रूप से देखने की अनुमति देता है।
    • मल्टीफोकल लेंस वे होते हैं जो एक ही समय में निकट और दूर दृष्टि दोनों को ठीक कर सकते हैं।
    • ट्राइफोकल लेंस, जिसे ईडीओएफ (फोकस की विस्तारित गहराई) के रूप में भी जाना जाता है, लेंस के प्रकार हैं जो आस-पास, दूर और बीच की सभी मध्यवर्ती दूरी पर स्पष्ट दृष्टि प्रदान करते हैं।
    • टॉरिक लेंस एक विशेष प्रकार के लेंस होते हैं जो सभी दूरी पर आंख की गोलाकार और बेलनाकार शक्ति को ठीक करते हैं।

    सर्जन इन लेंस की गुणवत्ता और प्रभाव के विषय पर चर्चा करेंगे और सर्जरी के लिए सही प्रकार के आईओएल को चुनने में आपकी सहायता करेगें। आपको यह भी पता होना चाहिए कि आईओएल की लागत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के अंतर्गत नहीं आती है। क्योंकि इन सभी लेंसों की कीमत काफी भिन्न होती है जो मोतियाबिंद के इलाज की कुल लागत को और बढ़ा देगी।

    मोतियाबिंद की सर्जरी कितने प्रकार से की जाती है? Types of Cataract Surgery in Hindi

    मोतियबिंद का ऑपरेशन लेजर तकनीकी से की जाती है| जिसमें लेजर से मोतियाबिंद को तोड़कर और घोलकर पानी बना देते हैं और छोटा सा छेद करके इसको निकाल लेते हैं|  उसे छेद से आंख के अंदर एक लेंस डालते हैं जो आंख के अंदर जाकर खुल जाता है| मोतियाबिंद लेजर ऑपरेशन बिना किसी देरी के समय पर करवाना चाहिए क्योंकि पके हुए मोतियाबिंद को तोड़ने के लिए ज्यादा लेजर डालने की जरूरत पड़ती है| जो आगे चलकर आंख के टिशू को नुकसान पहुंचा सकता है| 

    मोतियाबिंद का ऑपरेशन अनेक प्रकार से की जाती है। लेकिन मरीज का इलाज किस पद्धति या तकनीक से  करना हैं, यह मरीज के आंखों के स्वास्थ्य, तकनीक की उपलब्धता और सर्जन की विशेषज्ञता आदि बातों पर निर्भर करता है।

    फेको इमल्सीफिकेशन:

    फेको इमल्सीफिकेशन से  मोतियाबिंद का ऑपरेशन बहुत सालों से किया जा रहा है। इस विधि में एक छोटे से चीरा के माध्यम से बीमारी का इलाज किया जाता है। इसमें किसी तरह का टॉका लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है और इसमें रोगी जल्दी ठीक होता है।

    माइक्रो-इंसिजन कैटेरेक्ट (मोतियाबिंद) सर्जरी (MICS):

    माइक्रो-इंसिजन कैटेरेक्ट सर्जरी की तकनीक में मोतियाबिंद का ऑपरेशन में आँखों के लेंस में छोटा चीरा लगाकर किया जाता है। चीरे का आकार लगभभग 1.8 मिमी से 2.2 मिमी हो सकता है। इस चीरे के माध्यम से आंखों के लेंस के आगे की परत को हटाया जाता है। इसमें भी टॉका या इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती है। वास्तव में यह एक उन्नत एवं अति विशिष्ट प्रोसीजर है जिससे आंखों की रोशनी सही हो जाती है और रिकवरी का समय कम से कम 4-7 दिनों का होता है।

    एडवांस्ड ब्लेड फ्री रोबोटिक-असिस्टैड कैटेरेक्ट (मोतियाबिंद) सर्जरी:

    एडवांस्ड ब्लेड फ्री रोबोटिक-असिस्टैड कैटेरेक्ट सर्जरी में लेजर तकनीक द्वारा मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाता है और इसे मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सबसे उन्नत तकनीक के रूप में जाना जाता है। इसकी खास विशेषताएं यह हैं कि यह 3डी मैपिंग द्वारा सर्जन को रोगी की आवश्यकता के अनुसार सर्जरी करने की सुविधा देते  है। इसमें किसी तरह के ब्लेड और या इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती और यह बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है। अन्य सर्जरी प्रक्रिया की तुलना में इसकी रिकवरी समय बहुत कम होती है।

    मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए (Motiyabind Ka Operation Kab Karna Chahiye)

    दी अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑफथेल्मोलॉजी (The American Academy of Ophthalmology) ने चार प्रश्नों की एक लिस्ट तैयार की है, जो इस बात का फैसला लेने में आपकी मदद कर सकते हैं की आपको मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करवाना चाहिए। नीचे दिए गए चार प्रश्न निम्नलिखित हैं:-

    1. क्या मोतियाबिंद आपके दैनिक जीवन के कामों को प्रभावित करता है?- मोतियाबिंद के ढेरों लक्षण हैं, लेकिन इन सब में सबसे खास दृष्टि का धीमा और धुंधला होना एवं एक आंख में डबल विजन होना है। क्लेरिटी और कॉन्ट्रास्ट की कमी होने के कारण उन लोगों को अपने दैनिक जीवन के कामों जैसे की पढ़ने, लिखने, सिलाई करने, खाना पकाने या गाड़ी चलाने आदि में सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि इसमें साफ और तेज दृष्टि की आवश्यकता होती है।
    2. क्या आपको मोतियाबिंद के कारण रात के समय गाड़ी चलाने में परेशानी होती है?- मोतियाबिंद के कारण आपको रौशनी के चारों तरह एक गोलाकार परछाईं दिखाई देती है। धीमी लाइट में चीजें साफ-साफ दिखाई नहीं देती हैं, जिसके कारण आपको रात के समय गाड़ी चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मोतियाबिंद की स्थिति गंभीर होने पर आपके आंख की दृष्टि ख़त्म भी हो सकती है, जिसकी वजह से आप उस विजन टेस्ट में फेल हो सकते हैं जो ड्राइवर लाइसेंस के लिए जरूरी है।
    3. क्या मोतियाबिंद आपको उन सभी गतिविधियों को करने से रोकता है जो आपको पसंद हैं?- अगर आपको स्कीइंग या अन्य बाहरी गतिविधियां पसंद हैं तो मोतियाबिंद से पीड़ित होने पर यह सब करनाआपके लिए परेशानी भरा हो सकता है। क्योंकि मोतियाबिंद के कारण तेज रौशनी के प्रति आपके आंखों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। मोतियाबिंद एक आंख से दूसरी आंख में विजुअल डिफरेंस (Visual Difference) पैदा कर सकता है। यह उस दूर दृष्टि को प्रभावित कर सकता है जिसकी एक गोल्फर को जरूरत होती है।
    4. क्या आप अन्य तरीकों से अपने मोतियाबिंद का प्रबंधन कर सकते हैं?- अगर आपने अभी मोतियाबिंद की सर्जरी नहीं कराने का फैसला किया है तो आप कुछ सामान्य टूल्स की मदद से अपनी दृष्टि को स्थिर रख सकते हैं। इसके लिए आपको अपने घर में ब्राइट लाइट और कॉन्ट्रास्टिंग कलर को शामिल करना चाहिए। साथ ही, ग्लेयर को कम करने के लिए आप पोलराइज्ड सनग्लासेस और एक वाइड-ब्रिम्ड हैट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

    मैग्नीफाइंग ग्लेयर की मदद से आप अपने दैनिक जीवन के कामों को बहुत आसानी से कर सकते हैं। अगर मोतियाबिंद आपके दैनिक जीवन के कामों में परेशानियां खड़ी नहीं करता है तो आप अपने ऑपरेशन को कुछ समय के लिए स्थगित कर सकते हैं।

    लेकिन अगर मोतियाबिंद के कारण आपको अपने दैनिक जीवन के कामों को करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो फिर आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर ऑपरेशन के बारे में बात करनी चाहिए। आमतौर पर मोतियाबिंद का विकास बहुत धीमी गति से होता है। यही कारण है कि कई बार लोगों को यह समझ में भी नहीं आता है कि वह इस बीमारी से पीड़ित हैं।

    जब मोतियाबिंद पूरे लेंस में फैल जाता है या जब आपको कम दिखाई देने लगता है तब डॉक्टर से मिलने के बाद आपको यह बात मालूम होती है की आप मोतियाबिंद से पीड़ित हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आप समय-समय पर अपने आंखों की जांच कराएं। साथ ही, आंखों में किसी भी तरह की कोई परेशानी होने पर तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें। 

    मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

    1. पहले दिन ड्राइव न करें।
    2. कुछ हफ्तों के लिए कोई भी भारी चीज़ ना उठाएं या कठिन गतिविधि न करें।
    3. प्रक्रिया के तुरंत बाद, अपनी आँख पर अतिरिक्त दबाव पड़ने से बचाने के लिए, झुकने से बचें।
    4. यदि संभव हो तो, सर्जरी के ठीक बाद न छींकें या उल्टी ना करें।
    5. सर्जरी के बाद आसपास टहलने में सावधानी बरतें और दरवाजे या अन्य वस्तुओं से न टकराएं।
    6. संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए, पहले सप्ताह के दौरान तैराकी या गर्म टब का उपयोग करने से बचें।
    7. सर्जरी के बाद पहले कुछ हफ्तों के दौरान अपनी आँख को मैल, धूल और हवा जैसी उत्तेजक चीजों के संपर्क में मत आने दें।
    8. अपनी आँख को रगड़ें नहीं, जिसका आपको सामान्य तौर पर भी ध्यान रखना चाहिए।

    निदान | Motiyabind Diagnosis in Hindi

    नेत्र जांच 

    • दृश्य तीक्ष्णता और अपवर्तन परीक्षण- दृश्य तीक्ष्णता या विज़ुअल एक्यूटी का मतलब दृष्टि की स्पष्टता (Vision Clarity) और तीक्ष्णता (Sharpness) से है। एक ऑप्टोमेट्रिस्ट अक्षरों के चार्ट की मदद से आपकी दृश्य तीक्ष्णता को मापता है। यह किसी व्यक्ति की दूरी पर छोटे विवरणों को नोटिस करने की क्षमता की जांच करने का एक तरीका है।
    • द्विनेत्री भट्ठा-लैंप परीक्षा-इस परीक्षण में, एक सूक्ष्मदर्शी का उपयोग प्रकाश की एक तीव्र रेखा (स्लिट) को उत्सर्जित करने के लिए किया जाता है जो कॉर्निया, आईरिस, लेंस और बीच के स्थान को रोशन करता है। यह नेत्र चिकित्सक को आवर्धन के तहत आंख की संरचनाओं को देखने और प्रारंभिक चरण मोतियाबिंद सहित असामान्यताओं का पता लगाने की अनुमति देता है।
    • रेटिना परीक्षण- रेटिना की जांच करने के लिए, नेत्र चिकित्सक सबसे पहले आपकी पुतलियों को फैलाएगा और रेटिना के पिछले हिस्से की जांच करेगा। इससे डॉक्टर को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि प्रकाश किरणें रेटिना तक पहुंचने में सक्षम हैं या नहीं। आमतौर पर, मोतियाबिंद जैसी आंखों की समस्याओं का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने के लिए एक ऑप्थाल्मोस्कोप का उपयोग किया जाता है।

    लेजर सर्जरी को मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज क्यों कहा जाता है?

    • लेजर एनर्जी का इस्तेमाल होता है- लेजर सर्जरी के दौरान नेत्र सर्जन लेजर एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान खराब लेंस को तोड़ने के लिए लेजर को अल्ट्रासाउंड की तुलना में कम एनर्जी यानी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए कॉर्नियल सूजन का जोखिम कम हो जाता है जो दृष्टि को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। अगर सर्जन कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं तो कॉर्नियल सूजन कम होती है जिसके कारण आंख काफी तेजी से ठीक हो जाती है।
    • सर्जरी के तुरंत बाद तेज और साफ दृष्टि – लेजर सर्जरी के दौरान नेत्र सर्जन खराब लेंस को बाहर निकालकर उसकी जगह एक नया कृत्रिम लेंस लगा देते हैं। सर्जरी खत्म होने के तुरंत बाद ही मरीज की आंख का धुंधलापन दूर हो जाता है और वस्तुएं साफ-साफ दिखाई देने लगती हैं। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के बाद मरीज को तेज और साफ दृष्टि आने में 1-2 दिन का समय लग सकता है।
    • एक दिन की प्रक्रिया- मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी एक दिन की प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में मात्र 15-20 मिनट का समय लगता है। इस सर्जरी के बाद मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं पड़ती है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद डॉक्टर आवश्यक दवाएं देकर मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर देते हैं।
    •  कट नहीं लगता हैं और टांके नहीं आते हैं- मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के दौरान मरीज को कट यानी चीरा या टांके नहीं आते हैं। इस सर्जरी के दौरान डॉक्टर अल्ट्रासाउंड वेव्स से खराब लेंस को तोड़कर आंख से बाहर निकाल देते हैं। उसके बाद, एक नए कृत्रिम लेंस को फिट कर देते हैं। कट और टांके नहीं आने के कारण आंख में इंफेक्शन या दूसरी जटिलताओं का खतरा भी खत्म हो जाता है।
    • ब्लीडिंग और दर्द नहीं होता है- इस सर्जरी के दौरान मरीज को ब्लीडिंग और दर्द का सामना नहीं करना पड़ता है। मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी को एनेस्थीसिया के प्रभाव में पूरा किया जाता है। इसलिए इस सर्जरी के दौरान मरीज को जरा भी दर्द या दूसरी किसी तरह की परेशानियां नहीं होती है। अगर आप दर्द या ब्लीडिंग का सामना किए बिना मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज पाना चाहते हैं तो लेजर सर्जरी आपके लिए परफेक्ट विकल्प है।
    • जटिलताओं का खतरा शून्य होता है- मोतियाबिंद की पारंपरिक सर्जरी के दौरान कट लगते हैं, टांके आते हैं, रिकवरी में लंबा समय लगता सकता है और इंफेक्शन एवं दूसरी जटिलताओं का खतरा भी होता है। लेकिन लेजर सर्जरी के साथ ऐसी कोई बात नहीं है। यह एक एडवांस सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके दौरान मरीज को कट और टांके नहीं आते हैं। साथ ही, सर्जरी के दौरान या बाद में जटिलताओं का खतरा भी लगभग न के बराबर होता है।
    • रिकवरी जल्दी होती है- इस मॉडर्न और एडवांस सर्जरी के मात्र एक सप्ताह के बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को दोबारा शुरू कर सकते हैं। हालांकि, सर्जरी के बाद पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 3-4 सप्ताह का समय लग सकता है। मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी के दौरान कम एनर्जी का इस्तेमाल करने , कट नहीं लगने और टांके नहीं आने के कारण मरीज की रिकवरी बहुत जल्दी हो जाती है।
    • बेस्ट रिजल्ट आता है- मोतियाबिंद की दूसरी सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में लेजर सर्जरी का रिजल्ट बेस्ट और परफेक्ट आता है। इस सर्जरी की सफलता दर लगभग 100% होती है। मोतियाबिंद की लेजर सर्जरी से पहले आपको बीएस इतना ध्यान रखना है कि आप सर्जरी कराने के लिए एक अनुभवी और कुशल नेत्र रोग विशेषज्ञ का चयन करें।

    मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए बाजार में दवा या आई ड्रॉप उपलब्ध नहीं हैं। इस बीमारी का एकमात्र इलाज सर्जरी है। मोतियाबिंद की सर्जरी को कई तरह से किया जाता है। लेकिन लेजर सर्जरी को इसका सबसे सटीक इलाज माना जाता है। 

    लेजर सर्जरी एक एडवांस प्रक्रिया है जिसके दौरान नेत्र सर्जन की मानवीय भूमिका कम हो जाती है। इसलिए इस सर्जरी के सफल होने की संभावना 100% और सर्जरी के दौरान या बाद में जटिलताओं का खतरा लगभग शून्य होता है। लेजर सर्जरी से हर प्रकार के मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज किया जा सकता ह

    मोतियाबिंद लेंस की क्या कीमत होती है?

    जैसा की हमने आपको पहले ही बताया की लेंस का चुनाव मरीज अपनी लाइफस्टाइल के आधार पर करते हैं। अगर उन्हें आउटडोर रहना तथा यात्रा करना पसंद है तो वे अपनी नजदीकी दृष्टि के साथ समझौता करते हुए दूर दृष्टि वाले लेंस का चुनाव करते हैं। आमतौर पर मोतियाबिंद लेंस की कीमत 1000-25000 तक होती है। 

    इतना ही नहीं, लेंस की कीमत के अलावा और भी दूसरे खर्च आते हैं जैसे की आप कौन से डॉक्टर द्वारा किस हॉस्पिटल या क्लिनिक में अपने मोतियाबिंद की सर्जरी करवाते हैं तथा सर्जरी के बाद कौन से लेंस का चुनाव करते हैं। हर लेंस की कीमत अलग अलग होती है।

    इतना ही नहीं, अगर आप पारंपरिक तरीके से अपने एक आंख के मोतियाबिंद की सर्जरी कराते हैं तो पूरा खर्च लगभग 40,000 रुपए आता है। लेकिन अगर आप किसी अच्छे हॉस्पिटल में अनुभवी और कुशल डॉक्टर से मोतियाबिंद की सर्जरी मॉडर्न तकनीक द्वारा कराते हैं तो आपका पूरा खर्च लगभग 80,000-1.25 लाख तक आता है। 

    मॉडर्न तरीके से मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान आपको जरा भी दर्द या तकलीफ महसूस नहीं होता है। सर्जरी की यह प्रक्रिया इलाज का सबसे सरल और सफल तरीका है। 

    मोतियाबिंद सर्जरी का बीमा

    जी हाँ, आपको यह जानकर खुशी होगी कि भारत में मोतियाबिंद नेत्र शल्य चिकित्सा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के अंतर्गत आती है। क्योंकि मोतियाबिंद से स्थायी अंधापन हो सकता है, जो एक शारीरिक अक्षमता है, इसलिए इसका उपचार चिकित्सकीय रूप से आवश्यक माना जाता है। इस प्रकार, सभी बीमा प्रदाता मोतियाबिंद के उपचार के लिए एक निर्दिष्ट राशि की कवरेज प्रदान करते हैं जो आपकी पॉलिसी के आधार पर भिन्न हो सकती है।

    आम तौर पर, मोतियाबिंद सर्जरी की लागत लगभग 35,000 से 1,00,000 तक होती हैं। इस खर्च में परीक्षण की लागत, डॉक्टर की फीस, ओटी शुल्क, आवश्यक दवाएं, अस्पताल में रहने आदि शामिल हैं।

    यदि आपके पास स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है, तो आप इसका उपयोग इन सभी खर्चों को अधिकतम करने के लिए कर सकते हैं। आम तौर पर मोतियाबिंद के इलाज के लिए बीमा का दावा करने के लिए 2 साल की प्रतीक्षा अवधि होती है। सौभाग्य से, रोग धीमी गति से आगे बढ़ता है, जिसका अर्थ है कि जब तक आप मोतियाबिंद सर्जरी के लिए दावा प्राप्त करने के योग्य नहीं हो जाते, तब तक आप उपचार प्राप्त करने में देरी कर सकते हैं।

    सुनिश्चित करें कि आप अपने बीमा प्रदाता से बात करें और अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए सभी नियमों और शर्तों की ठीक से जांच करें।

    मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए लेंस के प्रकार

    मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद आंख के लिए सही प्रकार के लेंस का होना आवश्यक है। मोतियाबिंद के लिए प्रमुख प्रकार के लेंस में इंट्राऑकुलर लेंसेस (Intraocular Lenses – IOL) शामिल हैं। ये कृत्रिम लेंस हैं जो प्राकृतिक आंखों के लेंस की जगह उच्च-गुणवत्ता वाले सिंथेटिक्स से बनाए गए हैं।

    ये लेंस आपकी आंखों को पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। 1949 में पहली बार इंट्राऑकुलर लेंस का इस्तेमाल किया गया था। लगभग सभी मोतियाबिंद की सर्जरी में इंट्राऑकुलर लेंस का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि ये आंख को जल्दी साफ और तेज दृष्टि देने में मदद करते हैं।

    इंट्राऑकुलर लेंस में विभिन्न प्रकार के विकल्प हो सकते हैं। आप अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इनमें से किसी एक को खुद के लिए चुन सकते हैं।

    नेत्र रोग विशेषज्ञ को मेडिकल की भाषा में ऑपथैल्मोलॉजिस्ट कहा जाता है। यह मोतियाबिंद की सर्जरी करने के लिए सबसे उपयुक्त डॉक्टर हैं। ऑपथैल्मोलॉजिस्ट एक मेडिकल डॉक्टर है, जिसे मोतियाबिंद का निदान करने और दवाओं के साथ साथ सर्जरी द्वारा इस बीमारी का इलाज करने में विशेषज्ञता प्राप्त होती है। 

    एक नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास उचित ज्ञान और उचित प्रशिक्षण होता है, जिसके आधार पर वह आपके मोतियाबिंद का निदान करने के साथ-साथ यह भी सुझाव देने योग्य है कि आपको मोतियाबिंद की सर्जरी कब करानी चाहिए।

    नेत्र रोग विशेषज्ञ जरूरत पड़ने पर सर्जरी करने के लिए उपयुक्त डॉक्टर है और साथ ही प्रीऑपरेटिव और पोस्टऑपरेटिव आंखों की देखभाल करने में भी सक्षम है। अगर आप मोतियाबिंद की सर्जरी कराने की सोच रहे हैं तो इस बात का खास ध्यान रखें की आपकी सर्जरी एक नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा ही हो

    मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद किस लेंस का चयन करें?

    अगर आप इस बात को लेकर कन्फ्यूज हैं की मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद कौन से लेंस का चुनाव करना चाहिए या किस प्रकार का लेंस आपकी लाइफस्टाइल के लिए सबसे बेस्ट है तो अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि तकनीकी क्रांति ने आपके सामने इंट्राऑकुलर लेन्सेस के ढेरों विकल्प रखें हैं, जिसमें से आप अपनी जरूरत के मुताबिक लेंस का चुनाव कर सकते हैं।

    मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद निम्नलिखित लेंस का चयन किया जा सकता है:-

    • मोनोफोकल इंट्राऑकुलर लेंस – मोनोफोकल इंट्राऑकुलर लेंस मोतियाबिंद सर्जरी के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे आम प्रकार के लेंस हैं। ये एक खास फोकस दूरी के लिए आपकी दृष्टि को रिस्टोर (Restore) करते हैं। दूर की चीजों को साफ तरह से देखने के लिए मरीज चश्मे का इस्तेमाल कर सकते हैं। आमतौर पर लोग लेंस को डिस्टेंस विजन पर सेट करना पसंद करते हैं। क्योंकि यह यात्रा या ड्राइविंग करते समय स्पष्ट दृष्टि प्राप्त करने में मदद करता है। ऐसे लोग पढ़ते, लिखते या क्लोज अप एक्टिविटीज के समय चश्मे का इस्तेमाल करते हैं।
    • मल्टीफोकल इंट्राऑकुलर लेंस- अगर आप किसी भी दूरी के लिए चश्मा पहनने के विचार के विरोध में हैं तो मल्टीफोकल इंट्राऑकुलर लेंस आपके लिए बेस्ट विकल्प हो सकता है। यह नजदीक और दूर, दोनों ही दृष्टि को पाने में मदद करता है। इसकी मदद से आप हाई-क्वालिटी विजन प्राप्त कर सकते हैं, जो आपकी लाइफस्टाइल के लिए सबसे बेस्ट है। मल्टीफोकल इंट्राऑकुलर लेंस में कई तरह के फोकी (Foci) शामिल होते हैं, जिसकी वजह से दिमाग ऑटोमेटिकली एडजस्ट करना सीखता है। जिन लोगों को आंख की कोई भी दूसरी बीमारी नहीं होती है, वे डॉक्टर से परामर्श करने के बाद इस लेंस का चुनाव कर सकते हैं।
    • टोरिक इंट्राऑकुलर लेंस- मोनोफोकल या मल्टीफोकल इंट्राऑकुलर लेंस का इस्तेमाल उन लोगों के लिए संभव नहीं है, जिन्हे एस्टिग्मेटिज्म या आंख की कॉर्निया में गड़बड़ी है। क्योंकि यह कॉर्निया में समरूपता के कारण होने वाली आंख के बेलनाकार घटक को ठीक नहीं करता है। इसलिए एस्टिग्मेटिज्म और धुंधली दृष्टि से पीड़ित मरीज का इलाज करने के लिए टोरिक इंट्राऑकुलर लेंस सबसे बढ़िया विकल्प है। यह आंख की रिफ्रैक्टिव एरर को सही करता है, जिससे मरीज को तेज दृष्टि (Sharp Vision) प्राप्त होती है।

    आप डॉक्टर से परामर्श करने के बाद इस बात का पता लगा सकते हैं की टोरिक इंट्राऑकुलर लेंस की मदद से आपके एस्टीग्माटिज्म को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है या नहीं। मोतियाबिंद सर्जरी के लिए इस प्रकार के लेंस मोनोफोकल इंट्राऑकुलर लेंस के समान होते हैं, क्योंकि वे दूर या पास दोनों की दृष्टि प्रदान करते हैं, लेकिन दोनों एक साथ नहीं।

    अगर आप मोतियाबिंद की समस्या को मॉडर्न इलाज की मदद से हमेशा के लिए खत्म करना और बेहतर दृष्टि पाना चाहते हैं तो अपने शहर में प्रिस्टीन केयर से संपर्क कर सकते हैं। हमारे पास देश के सबसे अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञ मौजूद हैं, जो मोतियाबिंद की समस्या को मात्र कुछ मिनटों में बहुत ही आसानी से ठीक कर सकते हैं।मोतियाबिंद का समय पर सही इलाज नहीं करने पर यह अंधेपन का कारण बन सकता है। रिसर्च से यह बात सामने आई है की पूरी दुनिया में मोतियाबिंद अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है।

    मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज करने के अलावा, मोतियाबिंद की सर्जरी के दिन हम अपने मरीज को कैब फैसिलिटी देते हैं, जो सर्जरी के दिन उन्हें घर से हॉस्पिटल और सर्जरी के बाद हॉस्पिटल से घर वापस छोड़ती है। मरीज के हॉस्पिटल पहुंचने से पहले उनके लिए प्रिस्टीन टीम की तरफ से एक केयर बड्डी मौजूद रहता है, जो इलाज से जुड़े सभी पेपरवर्क को पूरा करता है।

    साथ ही, इलाज के बाद जब तक मरीज हॉस्पिटल में रूकते हैं, केयर बड्डी उनकी देखरेख और सभी जरूरी चीजों का ख्याल भी रखता है। अगर आप कम से कम खर्च और समय में अपने शहर के बेस्ट हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज पाना चाहते हैं तो अभी हमसे संपर्क करें।

    मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद परहेज

    वैसे तो किसी भी ऑपरेशन के बाद आपको कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। लेकिन मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद आपको खासकर कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि काफी हद तक ऑपरेशन के बाद किए जाना वाला परहेज इस बात का फैसला करता है की आपकी आंख कब ठीक होगी और आप कितनी जल्दी चीजों को अच्छी तरह से देखना शुरू कर सकते हैं।

    कई बार लापरवाही बरतने के कारण मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के बाद भी आंखों की रौशनी पूरी तरह से नहीं आती है। इसलिए यह आवश्यक है की आप मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद कुछ चीजों को लेकर परहेज करें।

    मोतियाबिंद एक बीमारी है जिससे पीड़ित होने की स्थिति में आपकी आंख का लेंस धुंधला और खराब हो जाता है। इसके धुंधले एवं खराब होने के कारण आपको चीजों को साफ तरह से देखने और खासकर अपने उन सभी दैनिक जीवन के कामों को करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसमें तेज और साफ दृष्टि की जरूरत पड़ती है जैसे की पढ़ना, रात में गाड़ी चलाना या टीवी देखना आदि।

    मोतियाबिंद की समस्या को दूर करने के लिए आंख का ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन की मदद से खराब लेंस को बाहर निकालकर उसकी जगह पर एक अच्छा कृत्रिम लेंस (Artificial Lens) लगा दिया जाता है। आमतौर पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद आपको कुछ ही घंटों के बाद साफ दिखाई देने लगता है। लेकिन कुछ मामलों में साफ दृष्टि (Sharp Vision) आने में कुछ समय लग सकता है।

    मोतियाबिंद ऑपरेशन की तैयारी/ Motiyabind Surgery Preparation in Hindi

    मोतियाबिंद सर्जरी की तैयारी डॉक्टर के साथ आपके पहले परामर्श से शुरू होती है। अपॉइंटमेंट के दौरान, नेत्र चिकित्सक आवश्यक परीक्षण करेंगे और यह निर्धारित करेंगे कि सर्जरी के दौरान कौन-सा लेंस इम्प्लांट उपयोग करना सबसे अच्छा होगा।

    • सर्जरी के दिन के लिए पूरी योजना तैयार की जाएगी और डॉक्टर आपको सलाह देंगे कि आप सर्जरी के बाद किसी को घर ले जाने के लिए कहें।
    • सर्जरी से एक रात पहले, आपको कुछ आई ड्रॉप या दवाएं लेनी होंगी। आपको सर्जरी से एक रात पहले शराब पीने से भी बचना चाहिए। यदि आपको धूम्रपान करने की आदत है, तो डॉक्टर आपको यह सुनिश्चित करने के लिए कम से कम एक महीने पहले छोड़ने के लिए भी कहेंगे कि धूम्रपान सर्जरी के दौरान और बाद में जोखिम में वृद्धि नहीं करता है।
    • इन सबके अलावा, आपको आधी रात के बाद खाने-पीने से भी बचना चाहिए (जब तक कि आपके डॉक्टर ने सलाह न दी हो)। इसके अलावा, ज्यादा से ज्यादा आराम करने की कोशिश करें और सर्जरी की प्रक्रिया के बारे में चिंता न करें।

    मोतियाबिंद की स्व- परीक्षण या जांच करना | Self-Diagnosis

    मोतियाबिंद का स्वयं जांच करने के लिए, आप वेबसाइट पर उपलब्ध विभिन्न स्व-परीक्षणों का उपयोग करने का प्रयास कर सकते हैं। इन परीक्षणों में केवल कुछ मिनट लगते हैं और आप यह पुष्टि करने में सक्षम होंगे कि आपको मोतियाबिंद है या नहीं।

    इसके अलावा, आप अपने नेत्र लेंस के अपारदर्शी होने और समय के साथ दृष्टि में गिरावट का अनुभव भी कर सकते हैं। यदि आप मोतियाबिंद के लक्षणों से अवगत हैं, तो इससे यह पहचानने में भी मदद मिलेगी कि मोतियाबिंद एक या दोनों आंखों में विकसित हो रहा है।

    मोतियाबिंद डॉक्टर द्वारा जांच करना | Diagnosis by Doctor

    मोतियाबिंद का टेस्ट करने के लिए और सबसे पहले आँख की रोशनी की जाँच करने के लिए Pristyn Care के नेत्र-विशेषज्ञ डॉक्टर (Ophthalmologist) आपकी आँखों की सम्पूर्ण जाँच करते है। इसमें आपकी आंखों के दबाव को मापने के लिए अलग-अलग दूरी और टोनोमेट्री से आपकी आंख की रोशनी की जांच करने के लिए एक चार्ट बनाएगे और फिर चेक करेगें।

    सबसे आम टोनोमेट्री परीक्षण आपके कॉर्निया को फ़्लैट करने के लिए दर्द रहित, हवा के पफ का उपयोग करता है और आपके आंखों के दबाव का परीक्षण करता है। डॉक्टर आपके आँख के प्यूपिल को बड़ा करने के लिए आपकी आंखों में दवाई की कुछ बूंद डालते हैं| इससे आपकी आंख के पीछे ऑप्टिक नर्व और रेटिना को जांचना आसान हो जाता है और आराम से देखा जा सकता है की कोई चोट तो नहीं लगी हुई। इसके अलावा मोतियाबिंद की जाँच करने के लिए डॉक्टर आपकी रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और रंग पहचानने की शक्ति को जाँचेगा।

    मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान क्या उम्मीद करें

    सर्जरी के दिन आरामदायक कपड़े पहनें और मेकअप, कॉस्मेटिक्स, परफ्यूम आदि न पहनें। सुनिश्चित करें कि आप अस्पताल या क्लिनिक में 30 मिनट पहले पहुंचें। सर्जन द्वारा सब कुछ तैयार करने के दौरान सर्जरी से पहले आपके कोई भी प्रश्न या संदेह पूछें। यदि आवश्यक हो, तो सर्जन आपको आराम करने में मदद करने के लिए एक शामक भी देगा, जबकि आप प्रक्रिया के दौरान जागते रहेंगे।

    सर्जन आपको ओटी (ऑपरेशन थिएटर) में ले जाएगें और सर्जरी शुरू हो जाएगी। आप सर्जरी के दौरान निम्नलिखित चीजों की अपेक्षा कर सकते हैं:

    • आंख में एक चीरा लगाया जाता है जिसके माध्यम से क्षतिग्रस्त या बादल वाले लेंस को हटा दिया जाता है।
    • एक बार प्राकृतिक लेंस निकालने के बाद, सर्जन कृत्रिम इंट्राओकुलर लेंस को आंख के अंदर रखेगा।
    • यदि आवश्यक हो, तो कॉर्निया को बंद करने के लिए चीरों का उपयोग किया जा सकता है।

    विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके एक ही प्रक्रिया की जा सकती है। इस तकनीक का निर्णय आंख के गहन निदान और परीक्षण के परिणामों के बाद किया जाता है।

    मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 

    • मोतियाबिंद सर्जरी के तुरंत बाद, आपको कुछ घंटों तक आंखों में कोई सनसनी नहीं होगी। धूल, गंदगी, हवा, धूप, और अन्य कणों से सुरक्षा के लिए सर्जन इलाज की गई आंख पर एक आंख का पैच लगाएगा जो आंख में जलन पैदा कर सकता है।
    • जब आप सुरक्षा कवच हटाते हैं, तो पहली बार में आपकी दृष्टि धुंधली हो सकती है। आंख को लेंस के साथ ठीक होने और समायोजित होने में कुछ समय लगेगा। सर्जरी के बाद रंग अधिक चमकीले लग सकते हैं क्योंकि आप एक नए, स्पष्ट कृत्रिम लेंस के माध्यम से देख रहे होंगे।
    • शुरूआती कुछ दिनों में आपको आंखों में खुजली या हल्की परेशानी भी हो सकती है। जब तक सर्जरी के ये प्रभाव मौजूद हैं, तब तक अपनी आंख को हर कीमत पर रगड़ने या धक्का देने से बचें।
    • डॉक्टर आपको अगले सप्ताह एक या दो सर्जरी के बाद फॉलो-अप के लिए वापस आने के लिए कहेंगे, और फिर एक महीने के बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि लेंस अच्छी तरह से समायोजित हो गया है और आपकी आंख पूरी तरह से ठीक हो गई है।
    • आंखों के संक्रमण को रोकने, आंखों के दबाव को नियंत्रित करने या सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ आई ड्रॉप और अन्य दवाएं भी लिखेंगे। पूरी तरह से ठीक होने में आमतौर पर लगभग 8 सप्ताह लगते हैं, जिसके दौरान आपको अपनी आंखों से बहुत सावधान रहना होगा।

    मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद परहेज

    मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद आपको हल्का-फुल्का आंखों में दर्द और खुजली की समस्या हो सकती है। आपको तेज रौशनी से भी परेशानी हो सकती है। लेकिन आपको इन सब से घबराने की जरूरत नहीं है। ऑपरेशन के बाद ऐसा होना आम बात है।

    खुजली होने पर आंख को खुजलाने से बचें, क्योंकि ऐसा करने से आपकी आंख में लगे नए लेंस को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही कुछ दिनों के लिए आपको वो स्पेशल चश्मा पहनना चाहिए, जिसे आपके डॉक्टर ने निर्धारित किया है। यह चश्मा आपके आंखों की सुरक्षा करता है। नींद सोते समय भी चश्मा पहने ताकि आपकी आंखों पर प्रेशर न पड़े।

    • आराम न होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें – अगर मोतियाबिंद ऑपरेशन के एक सप्ताह बाद भी आपको मोतियाबिंद के लक्षण महसूस हों और आपकी दृष्टि में किसी तरह का कोई सुधार न हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करें। ऐसी स्थिति में लापरवाही दिखाना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
    • रूटीन काम को करने से बचें- मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आपको काफी परहेज करने की आवश्यकता होती है। जैसे- ऑपरेशन के तुरंत बाद ड्राइविंग न करें और हमेशा चश्मा लगाकर रखें। इसके अलावा, किसी तरह का कोई भी एक्सरसाइज करने से बचें, रूटीन काम से ब्रेक लें और कुछ दिनों तक आराम करें ताकि आपकी आंख पर कम से कम जोर पड़े और आप जल्द-से-जल्द ठीक हो सकें। आपको कब एक्सरसाइज और अपने रूटीन काम को शुरू करना चाहिए, इस बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें।
    • आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें – आंखों में खुजली, जलन या दूसरी किसी भी तरह की कोई परेशानी होने पर उसे नहीं मलें। ऑपरेशन के बाद आंखों में खुजली होना आम बात है। इससे बचने के लिए डॉक्टर द्वारा बताए गए आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें। मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है की आई ड्रॉप को किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है।
    • नहाते समय आंखों को बंद रखें- नहाते समय अपनी आंखों को बंद रखें ताकि उनमें पानी न जाए। साथ ही, बिना डॉक्टर से सलाह लिए किसी भी तरह का आई मेकअप न करें। ऐसा करने से आपकी आंखों में जलन और दूसरी परेशानियां हो सकती हैं जो आपकी दृष्टि की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं। मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद सावधानी motiyabind operation ke bad savdhani बरतना उतना ही आवश्यक है जितना की खुद मोतियाबिंद का ऑपरेशन जरूरी है
    • खेल कूद से दूर रहें – ऑपरेशन के बाद कुछ दिनों तक उन सभी खेल कूद से दूर रहें जिसमें दौड़ना, भागना और चिल्लाना शामिल है। ऐसा करने से आपकी आंखों पर जोर पड़ता है जिसका आपकी दृष्टि पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद क्या परहेज करना चाहिए में बहुत देर तक टीवी नहीं देखना भी शामिल है। ऑपरेशन के बाद आपको लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे आपकी आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
    • खान-पान पर ध्यान दें- अगर आप यह सोच रहे हैं कि आंख के ऑपरेशन के बाद क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए तो हम आपको बता दें इस सर्जरी के बाद आपको अपनी डाइट पर खास ध्यान देना चाहिए। आमतौर पर मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद डॉक्टर खान-पान पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाते हैं। लेकिन फिर भी अपने खान-पान को लेकर उनसे एक बार अवश्य बात करें। कुछ मामलों में किसी खास तरह के पदार्थ का सेवन करने से मना भी किया जा सकता है।
    • हॉट वॉटर बाथ या स्विमिंग से बचें- मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद कम से कम दो सप्ताह तक हॉट वॉटर बाथ या स्विमिंग से बचें। ऐसा करने से आंखों में इंफेक्शन होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इंफेक्शन की वजह से आपकी समस्याएं और अधिक बढ़ सकती हैं। इसलिए इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।
    • सिगरेट का सेवन न करें- सबसे खास, अगर आप सिगरेट का सेवन करते हैं तो तुरंत उसका सेवन बंद कर दें। मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद अपनी आंखों को सिगरेट के धुएँ और तेज हवा से अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें, क्योंकि ये आपकी आंखों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

    मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद जल्दी ठीक होने के लिए आपको ऊपर दिए हुए सभी बिंदुओं का खास ध्यान रखना चाहिए। मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद परहेज करना बहुत आवश्यक है। साथ ही, जबतक आप आंखें पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती, तब तक अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। ताकि वह इस बात की पुष्टि करते रहें कि आपको किसी तरह की कोई समस्या नहीं है और आप बिल्कुल सही तरह से रिकवर हो रहे हैं।

    मोतियाबिंद का घरेलू उपचार | Cataract Home Remedies in Hindi

    मोतियाबिंद के प्रभाव को कम करने के लिए घरेलू इलाज काफी असरदार साबित हो सकता है| आँखों में संक्रमण बढ़ने से मोतियाबिंद होने की संभावना अधिक बढ़ जाती हैं इसलिए आँख के संक्रमण में शुरुआत से ही घरेलू उपचार लिया जाए तो मोतियाबिंद के जोखिम को कम किया जा सकता है|

    यदि कोई गंभीर रूप से मोतियाबिंद से ग्रसित है तो ऐसे में मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए घरेलू उपचार का सहारा लेना ठीक नहीं होगा क्योंकि घरेलू उपचार से केवल मोतियाबिंद की रोकधाम की जा सकता है इलाज नहीं| इसलिए आँखों में मोतियाबिंद होने पर घरेलू उचार नहीं बल्कि सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, अगर डॉक्टर मोतियाबिंद की सर्जरी करवाने की सलाह देते हैं तो बिना देरी के तुरंत मोतियाबिंद की सर्जरी करवानी चाहिए|

    मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज | Cataract Ayurvedic Treatment in Hindi

    प्राचीन काल से आँखों में मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक इलाज किया जाता रहा है और आज भी आँखों के सबसे गंभीर रोग मोतियाबिंद में आयुर्वेदिक इलाज काफी फायदेमंद माना जाता है| क्योंकि मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने के लिए आयुर्वेदिक इलाज के दौरान अनेक प्रकार की जड़ी-जूतियों एवं मोतियाबिंद की आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल किया जाता है जिनसे किसी भी प्रकार का साइडिफ़ेक्ट नहीं होता|

    अगर मोतियाबिंद पक चुका हैं यानि मोतियाबिंद पूरी तरह से आँख में फैल चुका हैं तो ऐसी स्थिति में आयुर्वेदिक इलाज करवाना ठीक नहीं क्योंकि मोतियाबिंद के शुरुआती चरण में आयुर्वेदिक इलाज लेना ठीक है लेकिन मोतियाबिंद पकने की स्थिति में ऑपरेशन करवाना ही सबसे बेहतर इलाज होता हैं|

    मोतियाबिंद का होम्योपैथिक इलाज | Cataract Homeopathic Treatment in Hindi

    आँखों में मोतियाबिंद के इलाज के लिए प्राकृतिक तत्‍वों से होम्‍योपैथिक दवाएं तैयार की जाती हैं। अमूमन होम्‍योपैथीक उपचार के कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होते हैं। हालांकि, मोतियाबिंद का होम्योपैथिक इलाज अनुभवी होम्‍योपैथीक चिकित्‍सक की देख-रेख में ही लेना चाहिए, क्‍योंकि हर दवा हर प्रकृति वाले व्‍यक्‍ति के लिए फायदेमंद साबित नहीं होती है। क्योंकि मोतियाबिंद की होम्‍योपैथीक दवाओं की अधिक खुराक लेने पर इनके दुष्‍प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।

    मोतियाबिंद में आंखों की देखने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्‍कत आती है। आमतौर पर मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी से किया जाता है। होम्‍योपैथी दवाओं से आंखों में धुंधलापन और नजर कमजोर करने वाले लक्षणों को कम कर मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है। होम्‍योपैथी दवाओं का कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होता, क्‍योंकि इसमें स्थिति के इलाज के लिए प्राकृतिक तत्‍वों की कम खुराक का इस्‍तेमाल किया जाता है। हालांकि, घर पर अपनी मर्जी से कोई होम्‍योपैथी दवा लेने की बजाय होम्‍योपैथी चिकित्‍सक से इलाज करवाना सुरक्षित और असरकारी रहता है|

    मोतियाबिंद सर्जरी पर कब विचार करें/When to consider Cataract Surgery

    मोतियाबिंद के लिए कोई चिकित्सा या गैर-सर्जिकल उपचार उपलब्ध नहीं हैं। मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए लेजर सर्जरी एकमात्र प्रभावी उपचार पद्धति है जिसमें प्राकृतिक लेंस को हटाने और आंख में एक कृत्रिम लेंस को प्रत्यारोपित करना शामिल है।

    इसलिए आपको जल्द से जल्द मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने पर विचार करना चाहिए। आम तौर पर, यह आपको तय करना है कि सर्जरी कब करवाना है। ज्यादातर मामलों में, मोतियाबिंद को हटाने की कोई जल्दी नहीं है जब तक कि वे आपके दैनिक जीवन को प्रभावित करना शुरू न कर दें। हालांकि, अगर आपको मधुमेह, उच्च रक्तचाप या मोटापे जैसी स्थितियां हैं, तो संभावना है कि आपका मोतियाबिंद तेजी से बढ़ेगा।

    आपको पता होना चाहिए कि अगर आप मोतियाबिंद के इलाज में देरी करते हैं, तो भी सर्जरी के बाद आपकी दृष्टि में सुधार नहीं होगा। इसलिए, आप प्रक्रिया के लाभों और जोखिमों पर विचार करने के लिए समय ले सकते हैं और मोतियाबिंद कैसे प्रगति कर रहे हैं यह देखने के लिए अक्सर निदान कर सकते हैं। फिर डॉक्टर आपको सलाह देंगे कि आपको कब सर्जरी करवानी चाहिए।

    Dr. Rahul Sharma (TEJFraQUZY)
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    सर्वाधिक बार पूछे जाने वाले प्रश्न

    मोतियाबिंद | Cataract meaning in hindi

    कैटरैक्ट को हिन्दी में मोतियाबिंद या मोतिया के नाम से जाना जाता है जो आँखों से सम्बंधित बहुत ही आम समस्या है। मोतियाबिंद में आँखों के लेंसों पर एक प्रकार का धुंधलापन-सा छा जाता है। मोतियाबिंद तब होता है जब आपकी आंखों में प्रोटीन के क्लम्प बनने लगते हैं और जो आँखों के लेंस को कोई भी इमेज रेटिना तक पहुंचने या भेजने से रोकते हैं। हमारा रेटिना लेंसों से आने वाली रौशनी को सिग्नल्स में बदलता है और यह ऑप्टिक नर्व को सिग्नल भेजता है जो उन्हें हमारे मस्तिष्क में ले जाता है और जिससे हम आसानी से किसी भी वस्तु की पहचान कर पाते हैं।

    मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज क्या है?

    फेम्टोसेकेंड लेजर सर्जरी को मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज माना जाता है, क्योंकि यह मोतियाबिंद का सबसे मॉडर्न और एडवांस सर्जिकल इलाज है। इस सर्जरी से किसी भी प्रकार के मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज कम से कम समय में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। अगर आप मोतियाबिंद से पीड़ित हैं और इसका बेस्ट इलाज पाना चाहते हैं तो आपको नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद फेम्टोसेकेंड लेजर-असिस्टेड सर्जरी का चुनाव करना चाहिए। इस सर्जरी के दौरान मरीज को टांके नहीं आते हैं और ब्लीडंग तथा दर्द भी नहीं होता है।

    क्या मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज संभव है?

    हां, फेम्टोसेकेंड लेजर सर्जरी से मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज संभव है। दवाओं या ड्रॉप से मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज संभव नहीं है। दवाओं या ड्रॉप की मदद से मोतियाबिंद के विकास दर को धीमा और सर्जरी की तारीख को आगे बढ़ाया जा सकता है। लेजर सर्जरी से ही मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज संभव है। मोतियाबिंद की फेम्टोसेकेंड लेजर सर्जरी एक दिन की सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसके बाद मरीज को हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। इस सर्जरी के दौरान आंख के सर्जन खराब लेंस को बाहर निकालकर उसकी जगह एक कृत्रिम लेंस लगा देते हैं।

    मोतियाबिंद की सर्जरी में कितना खर्च आता है?

    एक आंख के मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च लगभग 25000 रुपए से लकर 1 लाख रुपए तक आता है। लेकिन यह इस सर्जरी का फाइनल कॉस्ट नहीं है। क्योंकि मोतियाबिंद की सर्जरी का कॉस्ट काफी चीजों पर निर्भर करता है और इसमें बदलाव आ सकते हैं।

    • विदेशी मोनोफोकल लेंस की कीमत लगभग 28000-35000 रुपए तक होती है
    • भारतीय मल्टीफोकल लेंस की कीमत लगभग 45000-55000 रुपए तक होती है
    • विदेशी मल्टीफोकल लेंस की कीमत लगभग 70000-80000 रुपए तक होती है
    • ट्रायफोकल लेंस की कीमत लगभग 85000-95000 रुपए तक होती है

    इन सबके अलावा, मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च निम्नलिखित चीजों पर भी निर्भर करता है:-

    • मोतियाबिंद का प्रकार
    • स्थिति की गंभीरता
    • डॉक्टर की फीस
    • क्लिनिक की विश्वसनीयता
    • सर्जरी का प्रकार
    • सर्जरी के बाद हॉस्पिटलाइजेशन
    • सर्जरी के बाद डॉक्टर के साथ फॉलो-अप्स मीटिंग

    अगर आप मोतियाबिंद की सर्जरी के खर्च से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो अभी हमसे संपर्क कर सकते हैं।ds

    मोतियाबिंद की सर्जरी में कितना समय लगता है?

    मोतियाबिंद की सर्जरी को कई तरह से किया जाता है, लेकिन फेम्टोसेकेंड लेजर सर्जरी इसका सबसे बेस्ट इलाज है। यह मोतियाबिंद का मॉडर्न और एडवांस सर्जिकल इलाज है जिससे किसी भी प्रकार के मोतियाबिंद को बहुत ही आसानी से हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है। मोतियाबिंद की फेम्टोसेकेंड लेजर सर्जरी को पूरा होने में मात्र 10-20 मिनट का समय लगता है। सर्जरी ख़त्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज अपने घर जाने के लिए पूरी तरह से फिट हो जाते हैं।

    मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?

    मोतियाबिंद ऑपरेशन के मात्र 1 सप्ताह के बाद मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को शुरू कर सकते हैं। हालांकि, इस सर्जरी के बाद पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 3-4 सप्ताह का समय लगता है।

    मोतियाबिंद सर्जरी का परिणाम

    मोतियाबिंद सर्जरी का उद्देश्य बादल वाले लेंस को हटाना और व्यक्ति को बाद में स्पष्ट रूप से देखने की अनुमति देना है। हालांकि, मोतियाबिंद सर्जरी के बाद अधिकांश लोगों को स्पष्ट रूप से (कुछ दूरी पर) देखने के लिए चश्मे की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत से लोग प्रतिस्थापन के लिए एक मोनोफोकल लेंस चुनते हैं जो केवल एक ही दूरी पर दृष्टि को ठीक कर सकता है, या तो निकट या दूर।

    जिन लोगों की मोतियाबिंद की सर्जरी हुई है, उन्हें द्वितीयक मोतियाबिंद हो सकता है, जिसे पोस्टीरियर कैप्सूल ओपसीफिकेशन (पीसीओ) भी कहा जाता है। यह तब होता है जब मोतियाबिंद पूरी तरह से नहीं हटाया जाता है और बादल वाले लेंस का एक छोटा सा हिस्सा पीछे रह जाता है। नतीजतन, नया लेंस इम्प्लांट भी बादल बन जाता है।

    अच्छी खबर यह है कि पीसीओ का इलाज तकनीक से किया जा सकता है याग (यट्रियम-एल्यूमीनियम-गार्नेट) एक दर्द रहित 5 मिनट की प्रक्रिया है जो कैप्सूल पर मौजूद बादलों को सटीकता के साथ साफ कर सकती है। इस प्रकार, आपको मोतियाबिंद सर्जरी के परिणामों से समझौता करने के बारे में अधिक जोर देने की आवश्यकता नहीं है।

     

    सर्जरी के बिना मोतियाबिंद का इलाज | Cataract Treatment without Surgery in Hindi

    अधिकतर लोग सर्जरी के नाम से डरते हैं। यदि आप भी मोतियाबिंद से ग्रसित हैं और सर्जरी के नाम से बीमारी का इलाज कराने से पीछे हट रहे हैं तो आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर आप मोतियाबिंद की सर्जरी करवाने से डर रहे हैं और सर्जरी के बिना मोतियाबिंद का इलाज के बारे में सोच रहें हैं तो इससे आप अपनी आंखों की रोशनी को हमेशा के लिए खो सकते हैं| आपको बता दें कि मोतियाबिंद हटाने की प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है। यह भारत में की जाने वाली सबसे आम सर्जरी बन चुकी है जो पूरी तरह से सुरक्षित है। वर्तमान में ‘प्रिस्टीन केयर’ की तकनीकों के विकसित होने के कारण आंखों के लेंस को बदलने की प्रक्रिया में बहुत कम समय लगता है और बिना दर्द के बड़ी आसानी से मोतियाबिंद की सर्जरी की जाती हैं।

     

    मोतियाबिंद सर्जरी के कुछ सप्ताह बाद

    कुछ हफ्तों के बाद, जब दृष्टि स्थिर हो जाती है, तो डॉक्टर फिर से आपकी आंख की जांच करेंगे कि आपको चश्मे की जरूरत है या नहीं। रोगी के शरीर क्रिया विज्ञान और उपचार क्षमताओं के आधार पर ठीक होने में लगभग चार से छह हफ्ते लग सकते हैं, बशर्ते कि आप सर्जरी के बाद देखभाल के सभी निर्देशों का पालन करें और डॉक्टर द्वारा दी जाने वाले दवाइयों को समय पर लेते रहें| 

    मोतियाबिंद सर्जरी के बाद पहला सप्ताह

    पहले सप्ताह के दौरान, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप गलती से आंख को रगड़ें या  न करें, आंख को चश्मे या आईशील्ड से ढक कर रखा जाता है। यहां तक ​​​​कि बाहरी दबाव की थोड़ी सी मात्रा भी चीरे को फिर से खोल सकती है जिससे जटिलताएं हो सकती हैं। इस प्रकार, रोगी को इससे परहेज करने की सलाह दी जाती है- जैसे:-

    • झुकना यानी सिर को कमर के नीचे ले जाना
    • 10 पाउंड से अधिक वजन उठाना
    • गतिविधियों के दौरान तनाव, यहां तक ​ शौचालय पर भी
    • यदि आप इन बातों का पालन करते हैं और डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का उपयोग करते हैं, तो आपकी रिकवर जल्दी हो जाएंगी और जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे।

     

    मोतियाबिंद के प्रकार

    • न्यूक्लिअर कैटरेक्ट: न्यूक्लियर मोतियाबिंद लेंस के बीच में विकसित होता हैं और नाभिक/न्यूक्लियस, या केंद्र को पीले या भूरे रंग का बना देता है। इस प्रकार का मोतियाबिंद को न्यूक्लियर स्क्लेरोटिक मोतियाबिंद भी कहा जाता है, जो  मोतियाबिंद के मरीजों में सबसे अधिक देखा जाता है।
    • कॉर्टिकल कैटरेक्ट: कॉर्टिकल मोतियाबिंद कील के आकार का होता हैं और नाभिक/परमाणु के किनारों के चारों ओर होता हैं, जिसे कोर्टेक्स कहते हैं। यदि आपको इस तरह का मोतियाबिंद हैं, तो रात में ड्राइव करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। बहुत बार आपको समान रंगों को पहचानना या यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि कोई ऑब्जेक्ट कितना दूर है।
    • पोस्टीरियर कैप्सुलर कैटरेक्ट: पोस्टीरियर कैप्सुलर कैटरेक्ट बाकि दोनों प्रकारो की तुलना में काफी तेज़ी से होता है और लेंस के पीछे वाले हिस्से को प्रभावित करता है। लेंस के पीछे से, जिस स्थान से रौशनी लेंस तक पहुँचती है यह वहाँ होता है। यह प्रकार आपकी क्लोज-अप दृष्टि को प्रभावित करता हैं और अधिक प्रकाश में देख पाना कठिन बनाता हैं।
    • कन्जेन्सिअल कैटरेक्ट: इस प्रकार का मोतियाबिंद, बच्चे के जन्म के समय से होता है या जन्म के पहले वर्ष में विकसित होता है, लेकिन इस प्रकार का मोतियाबिंद बहुत ही कम देखने को मिलता है। इस तरह के मोतियाबिंद होने का कारण आपके जीन्स से जुड़ा होता है या एक प्रकार की बीमारी है जिसे रूबेला (मां को गर्भावस्था के दौरान) नाम से जाना जाता है|
    • सेकेंडरी कैटरेक्ट: जब किसी अन्य बीमारी के कारण मोतियाबिंद  होता है तो उसे सेकेंडरी कैटरेक्ट या माध्यमिक मोतियाबिंद कहते हैं। इस प्रकार का मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और डायबिटीज की वजह से हो सकता है। इसके अलावा स्टेरॉयड प्रेड्निसोने और अन्य किसी दवाई के कारण भी मोतियाबिंद हो सकता है।
    • ट्रॉमेटिक कैटरेक्ट: कई प्रकार की चोटें इस तरह के मोतियाबिंद का कारण बन सकती हैं। यदि आपकी आँख किसी गेंद से हिट हो जाती है, जल जाती है, किसी रसायन या स्प्लिंटर की वजह से चोट और घाव बन जाते हैं तो आपको इस तरह का मोतियाबिंद हो सकता है।
    • रेडिएशन कैटरेक्ट: आपको शायद पता न हो पर अपनी आँखों को भी सूर्य की पराबैंगनी (UV rays ) किरणों से बचना चाहिए। बहुत बार अगर आप बिना किसी सुरक्षा के तेज़ धूप में समय बिताते हैं तो भी आप मोतियाबिंद के शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा किसी व्यक्ति के कैंसर के विकिरण उपचार से गुजरने के बाद रेडिएशन मोतियाबिंद हो सकता हैं।

     

    मोतियाबिंद सर्जरी से पहले और बाद की तुलना

    मोतियाबिंद की सर्जरी कराने से पहले, आपकी दृष्टि धुंधली, धुंधली और धुंधली होगी। लेकिन मोतियाबिंद हटा दिए जाने और नए कृत्रिम लेंस को आंख में प्रत्यारोपित करने के बाद, आपकी दृष्टि साफ हो जाएगी। आप अपनी दृष्टि में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखेंगे।

    मोतियाबिंद के बेस्ट सर्जन कौन हैं?

    अगर आप मोतियाबिंद के सर्जन से अपना इलाज कराना चाहते हैं तो आपको प्रिस्टीन केयर से संपर्क करना चाहिए। प्रिस्टीन केयर भारत के सभी अनुभवी और विश्वसनीय नेत्र रोग विशेषज्ञ से जुड़ा हुआ है। प्रिस्टीन केयर के नेत्र रोग विशेषज्ञ को मोतियाबिंद की गहरी समझ और लेजर सर्जरी में महारत हासिल है। ये सर्जन अब तक हजारों मोतियाबिंद की सफल सर्जरी कर चुके हैं। प्रिस्टीन केयर क्लिनिक पूरी तरह से आधुनिक और उन्नत चिकित्सा तकनीकों से भरपूर हैं। प्रिस्टीन केयर क्लिनिक में मॉडर्न और एडवांस फेम्टोसेकेंड लेजर सर्जरी से मोतियाबिंद का परमानेंट इलाज किया जाता है।