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सिस्टोस्कोपी एक चिकित्सीय प्रक्रिया है जिसमे डॉक्टर मूत्रमार्ग (एक ट्यूब जो मूत्र को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करती है) और मूत्राशय (जहाँ पर मूत्र एकत्रित होता है) के आंतरिक परत की जाँच करते हैं। इस प्रक्रिया में सिस्टोस्कोप नामक एक विशेष यंत्र का इस्तेमाल होता है, जिसमे आगे की तरफ कैमरा और लेंस लगा होता है। इसे मूत्रमार्ग में डालकर मूत्राशय कि जाँच कि जाती है।
सिस्टोस्कोपी का उपयोग मूत्राशय और मूत्रमार्ग को प्रभावित करने वाली स्थितियों के निदान, निगरानी और उपचार के लिए किया जाता है।
सिस्टोस्कोपी की प्रक्रिया के पहले डॉक्टर आपको बाथरूम जाने को बोलेंगे जिससे मूत्राशय को खाली किया जा सके। रोगी को मूत्राशय के संक्रमण से बचाने के लिए वे एंटीबायोटिक्स दे सकते है। फिर डॉक्टर किसी स्प्रे या जेल से मूत्राशय को सुन्न कर देंगे जिससे सिस्टोस्कोप कि प्रक्रिया दर्दनाक नहीं होती है। सिस्टोस्कोप को मूत्रमार्ग में डालने से पहले सिस्टोस्कोप को लुब्रिकेट किया जाता है।
सिस्टोस्कोपी दो प्रकार कि होती है – फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कोपी और रिजिड सिस्टोस्कोपी।
फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कोपी तब कि जाती है जब डॉक्टर को मूत्राशय को देखकर रोगी कि स्थिति को पता लगाना होता है और रिजिड सिस्टोस्कोपी में रोगी के मूत्राशय के ऊतक को सैंपल के तौर पर लेना होता है। फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कोपी में लचीले और पतले सिस्टोस्कोप का प्रयोग होता है जबकि रिजिड सिस्टोस्कोपी में मोटे और चौड़े सिस्टोस्कोप का प्रयोग होता है।
सिस्टोस्कोपी कि प्रक्रिया में जब सिस्टोस्कोप मूत्राशय में प्रवेश करता है तो डॉक्टर उसमे लगे लेंस और कैमरा के माध्यम से मूत्राशय कि जानकारी लेते है। यदि लोकल अनेस्थिसिया का उपयोग होता है तो सिस्टोस्कोपी कि प्रक्रिया में 5 से 10 मिनट लगते है और यदि जनरल अनेस्थिसिया का उपयोग होता है तो प्रक्रिया 15 से 30 मिनट में पूरी हो जाती है।
सिस्टोस्कोपी के बाद आप दर्द, हेमट्यूरिया, जलन, आदि जैसी असुविधाओं को महसूस कर सकते हैं। हालांकि, ये लक्षण 1-2 दिनों में धीरे-धीरे कम होने लगेंगे और एक सप्ताह बाद आप तरह से ठीक हो जाएंगे।
सिस्टोस्कोपी की प्रक्रिया के बाद कुछ दिनों तक पेशाब में खून आना आम है। चिंता न करें, यह प्रक्रिया के बाद एक सप्ताह के भीतर खुद ही दूर हो जाएगा।
आमतौर पर सिस्टोस्कोपी एनेस्थीसिया के प्रभाव में किया जाता है। प्रक्रिया के दौरान आपका मूत्रमार्ग क्षेत्र सुन्न हो जाएगा और प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होगा।
कैथेटर की हमेशा आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन सर्जरी के पहले और बाद में यूरोलॉजिस्ट मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करने के लिए कैथेटर की जरूरत पड़ती है।
सिस्टोस्कोपी के बाद अस्पताल में रुकना कब तक जरूरी होता है, यह एनेस्थीसिया के उपयोग के प्रकार पर निर्भर करता है। लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग होने पर इसका प्रभाव 4-6 घंटों के भीतर कम हो जाएगा और फिर आप घर जा सकते हैं। जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग होने पर आपको रात भर अस्पताल में रहना पड़ सकता है।
ढेर सारा पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें। दर्द और जलन से राहत पाने के लिए, नम और गर्म वाशक्लॉथ का उपयोग करें और इसे अपने मूत्रमार्ग के पास रखें। असुविधाओं को कम करने के लिए आप हॉट पैक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर उस क्षेत्र को गुनगुने पानी में भिगो सकते हैं। असुविधाओं और दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयाँ भी देंगे जिनके सेवन से आपको काफी लाभ होगा
आमतौर पर सिस्टोस्कोपी यूटीआई, मूत्र असंयम, गुर्दे की पथरी और मूत्राशय से संबंधित अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। इससे इन परिस्थितियों के मूल कारणों का पता लगाया जा सकता है।
आमतौर पर एनेस्थीसिया का प्रभाव खत्म होने के बाद ही आपको अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी, लेकिन फिर भी यह सलाह दी जाती है कि कम से कम एक दिन तक ड्राइव न करें।