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मोलर गर्भावस्था वह अवस्था है, जिसमें निषेचन के बाद, भ्रूण असामान्य रूप से विकसित होता है और अंगूर के एक गुच्छे की तरह दिखाई देता है, जिसे हाइडेटिडिफॉर्म मोल कहा जाता है। यह गर्भनाल की विकास संबंधी एक गंभीर बीमारी है, जिसका पता आमतौर पर शुरुआती तिमाही के दौरान चलता है और ज्यादातर मामलों में इसके कारण गर्भ खराब हो जाता है।
मोलर प्रेगनेंसी (मोलर गर्भावस्था) भ्रूण को बनने या विकसित होने से रोकती है और इससे गर्भपात होता है। इसलिए, इसका निदान होना बहुत जरूरी है। नीचे जानिए मोलर प्रेगनेंसी का निदान किस प्रकार किया जा सकता है|
मेडिकल की उन्नत तकनीकी पद्धतियों की मदद से मोलर प्रेगनेंसी (molar pregnancy) का इलाज संभव है। इलाज से पहले सही समय पर मोलर गर्भावस्था के लक्षणों का पता लगाना जरूरी होता है। इसके लक्षणों की जानकारी मिलने पर एवं विभिन्न जांच पद्धतियों से इसकी पुष्टि होने पर डॉक्टर से सलाह लेना ही सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। क्योंकि मोलर प्रेगनेंसी, सामान्य प्रेगनेंसी जैसी नहीं होती इसीलिए इसमें बढ़ने वाले ऊतकों(Tissues) को हटाया जाना जरूरी होता है। हालांकि, इसके इलाज का सबसे बेहतर तरीका डॉक्टर आपकी शारीरिक स्थिति को देख कर ही बता सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में सर्जिकल उपचार्फ (Surgery Treatment) की मदद से अविकसित भ्रूण या गर्भनाल की गांठ को निकाल दिया जाता है। सर्जरी की विभिन्न प्रक्रिया नीचे बताई गई हैं –
डाइलेशन एंड क्यूरेटेज (dilation and curettage) की प्रक्रिया– डाइलेशन एंड क्यूरेटेज (dilation and curettage) की प्रक्रिया को आम भाषा में डी एंड सी (D&C) भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में महिला के कुल्हे में जनरल एनेस्थीसिया (general anesthetic) दिया जाता है, ताकि प्रक्रिया के दौरान उसके पैर स्थिर रहें और उसे कुछ अनुभव न हो। इससे कमर के नीचे का भाग सुन्न पड़ जाता है।
इसके बाद एक पतली नली या ट्यूब के ज़रिए गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को विस्तारित किया जाता है और अन्य यंत्रों की मदद से गर्भाशय के अंदर मौजूद ऊतकों को निकाला जाता है।
इस प्रक्रिया में कम से कम एक घंटे का समय लग सकता है और डी एंड सी के बाद महिला घर जा सकती है।
हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) प्रक्रिया- यदि मोलर गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को जेस्टेशनल ट्रॉफोब्लास्टिक नेपलाशिया (gestational trophoblastic neoplasia or GTN ) हो जाता है तो हिस्टेरेक्टॉमी प्रक्रिया की मदद से उसके गर्भाशय को निकाल दिया जाता है। ऐसा तब किया जाता है जब मोलर प्रेगनेंसी से पीड़ित महिला की दोबारा गर्भाधारण की इच्छा नहीं होती।
एचसीजी (HCG) की मॉनिटरिंग- मोलर टिश्यू को हटा दिए जाने के बाद डॉक्टर आपके एचसीजी स्तर की जांच को सामान्य होने तक दोहराएगा। अगर आपके रक्त में एचसीजी मौजूद है, तो आपको अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता हो सकती है। अगर इसके बाद भी एचसीजी का स्तर सामान्य नहीं होता और मोलर प्रेगनेंसी नहीं रुकती है, तो इसके बढ़ते हुए प्रभाव को मद्देनजर रखते हुए डॉक्टर आपको कीमियोथैरेपी की सलाह दे सकता है।
जी हाँ, मोलर प्रेगनेंसी की सर्जरी को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत कवर किया जाता है। अधिकांश बीमा कंपनियां बवासीर और अन्य स्त्री रोगों के लिए विशेष कवरेज प्रदान करती हैं। लेकिन आपको कितना बीमा कवरेज मिलेगा, यह आपके द्वारा खरीदी गई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पर निर्भर करता है।
एक बात जो आपको जाननी चाहिए वह यह है कि मोलर प्रेगनेंसी के लिए चिकित्सा उपचार बीमा पॉलिसी में शामिल नहीं होता। केवल सर्जिकल उपचार के खर्च को स्वास्थ्य बीमा में कवर किया जाता है और स्वास्थ्य बीमा का दावा करने के लिए आपको कम-से-कम 24 घंटे के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। आप कैशलेस भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं या अपने स्वास्थ्य बीमा कंपनी से प्रतिपूर्ति के दावे भी प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आपका बीमा का दावा स्वीकृत हो जाता है, तो आप नैदानिक परीक्षण, दवाएं, अस्पताल में रहने, बिस्तर शुल्क और अन्य उपभोग्य सामग्रियों सहित उपचार की पूरी लागत को कवर करने में सक्षम होंगे। कुछ बेहतरीन और सबसे लोकप्रिय स्वास्थ्य बीमा कंपनी ओरिएंटल, रेलिगेयर हेल्थ, मणिपाल सिग्ना इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, केयर हेल्थ, न्यू इंडिया इंश्योरेंस, स्टार हेल्थ एंड एलाइड, बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस हैं|
नहीं, मोलर प्रेगनेंसी सामान्य नहीं है। गर्भवती महिलाओं में इसकी उपस्थिति बहुत कम पाई जाती है। एक शोध के अनुसार, भारत में करीब 10,000 गर्भवती महिलाओं में मोलर प्रेगनेंसी की दर 19.1 प्रतिशत दर्ज की गई है । फिर भी अगर इसके लक्षण देखने में आते हैं, तो इसका इलाज करना जरूरी है।
मोलर प्रेग्नेंसी तब होती है जब एक निषेचित अंडे में कोई समस्या होती है, जिसका अर्थ है कि गर्भधारण के बाद बच्चे और प्लेसेंटा का विकास उस तरह से नहीं होता जैसा उन्हें करना चाहिए। एक मोलर गर्भावस्था जीवित नहीं रह पाएगी । यह संयोग से होता है और बहुत दुर्लभ है।
एक बार मोलर प्रेग्नेंसी का पता चलने के बाद गर्भ से मोलर टिश्यू को हटाना पड़ता है। कुछ महिलाएं जिनकी आंशिक मोलर गर्भावस्था होती है, उनके पास दवा उपचार होता है जो गर्भ को अनुबंधित करता है और असामान्य कोशिकाओं से छुटकारा पाता है । इसे चिकित्सा प्रबंधन या चिकित्सा निकासी कहा जाता है।
आपको 6 सप्ताह तक कुछ रक्तस्राव होगा और यह पहली बार में भारी और लाल हो सकता है। अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ नर्स को बताएं कि क्या रक्तस्राव कम नहीं होता है या यदि यह भारी हो जाता है। मोलर प्रेग्नेंसी को हटाने के बाद एचसीजी नामक हार्मोन के स्तर की जांच के लिए आपके नियमित रक्त परीक्षण या मूत्र परीक्षण होते हैं।
मोलर प्रेग्नेंसी बहुत जल्दी शुरू होने वाले प्रीक्लेम्पसिया से जुड़ी होती है। चूंकि अत्यधिक परिसंचारी एंटी-एंजियोजेनिक कारक प्रीक्लेम्पसिया में एक रोगजनक भूमिका निभा सकते हैं, इसलिए हमने अनुमान लगाया कि मोलर प्लेसेंटा सामान्य प्लेसेंटा की तुलना में अधिक एंटी-एंजियोजेनिक प्रोटीन का उत्पादन करते हैं।
अगर आपको एक बार मोलर प्रेगनेंसी हो जाती है तो आपको दुबारा इस प्रेगनेंसी के रिस्क से बचने के लिए दुबारा प्रेगनेंट होने के लिए कम से कम एक साल का इंतजार करना पड़ेगा। अगर किसी महिला को मोलर प्रेगनेंसी है तो उसे ठीक किया जा सकता है और उस महिला के भविष्य में बढ़िया प्रेगनेंसी के चांस और अधिक बढ़ जाते हैं।
वैसे तो मोलर प्रेगनेंसी से बचाव करने का कोई खास तरीका नहीं होता है लेकिन आपको अपनी डॉक्टर द्वारा सुझाई टिप्स का पालन करना होता है ताकि आपकी अगली प्रेगनेंसी ठीक से जा सके। और अगर आपको यह हो जाती है तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं हैं क्योंकि आप इससे पूरी तरह ठीक हो सकती हैं।