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अंडाशयों में बनने वाले सिस्ट को ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है। ओवेरियन सिस्ट को अंडाशय सिस्ट या ओवरी में गाँठ के नाम से भी जाना जाता है। ओवेरियन सिस्ट एक थैली में भरे हुए तरल पदार्थ यानी की एक गाँठ की तरह होते हैं। महिलाओं में दो अंडाशय होते हैं, ये दोनों गर्भाशय के दोनों तरफ स्थित होते हैं। यही कारण है की अंडाशय में सिस्ट बनने की वजह से अंडे बाहर नहीं आ पाते हैं। अंडों के बाहर नहीं आने के कारण महिलाओं में बांझपन की समस्या पैदा होती है। ओवेरियन सिस्ट की समस्या होने पर आपको तुरंत किसी अच्छे गायनेकोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए। समय पर इस बीमारी का उचित इलाज न कराने या इसे नजरअंदाज करने पर दूसरी और ढेरों गंभीर बीमारियां पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है।
पेल्विक जांच करने के बाद अगर आपके अंडाशय में सूजन दिखाई देता है तो यह ओवेरियन सिस्ट हो सकता है। सूजन दिखने पर अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) की मदद से सिस्ट ज्ञात किया जाता है। अल्ट्रासाउंड डिवाइस के जरिए हाई फ्रिकवेंसी साउंड वेव (High Frequency Sound Wave) शरीर के अंदर डाली जाती है जिससे शरीर के आंतरिक बनावट की सारी जानकारी कंप्यूटर स्क्रीन पर मिल जाती है।अल्ट्रासाउंड के अलावा, सीटी स्कैन (CT Scan) और एमआरआई (MRI) टेस्ट भी किया जा सकता है।
ओवरी में सिस्ट का पता लगने के बाद डॉक्टर तुरंत इलाज के लिए नहीं कहते हैं। सिस्ट का साइज छोटा होने पर यह कुछ हफ्तों में खुद नष्ट हो सकते हैं। डॉक्टर कुछ हफ्ते बाद आपको दोबारा चेकअप कराने के लिए कह सकते हैं। अगर सिस्ट नष्ट नहीं हो रहे हैं और इनका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है तो प्रेगनेंसी टेस्ट, ओवेरियन कैंसर टेस्ट और हार्मोन टेस्ट किया जाता है और फिर उसके बाद डॉक्टर उचित इलाज के माध्यम का चुनाव करते हैं।
कई बार ओवेरियन सिस्ट स्वयं ही सिकुड़ जाते हैं और अंडाशय पूरी तरह सामान्य हो जाता है। इसलिए अगर आपके सिस्ट बड़े आकार के नहीं हैं तो डॉक्टर आपको कुछ महीने इन्तजार करने के लिए कह सकते हैं। इस दौरान आपको पेल्विक अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह भी दे सकते हैं जिससे वह सिस्ट के आकार में हुए कोई भी परिवर्तन को माप सके। अगर फिर भी सिस्ट का आकार छोटा नहीं होता है तो इसका पक्का इलाज डॉक्टर दो तरीके से कर कर सकते हैं। सिस्ट का इलाज करने के लिए डॉक्टर किस मेथड का चयन करते हैं यह पूरी तरह से आपके सिस्ट के आकार और संख्या पर निर्भर करता है।
अगर सिस्ट का आकार और संख्या एब्नार्मल (Abnormal) है तो डॉक्टर के पास सर्जरी के अलावा कोई दूसरा आप्शन नहीं बचता है| ओवेरियन सिस्ट को नष्ट करने के लिए दो प्रकार की सर्जरी मौजूद हैं।
अगर सिस्ट का आकार ज्यादा बड़ा नहीं है तो इसे लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की मदद से खत्म किया जाता है। सर्जरी करने से पहले गायनेकोलॉजिस्ट रोगी को जेनेरल एनेस्थीसिया देते हैं ताकि सर्जरी के दौरान रोगी को दर्द का सामना न करना पड़े। सर्जन, नाभि के ठीक नीचे एक छोटा होल बनाते हैं। जिसके जरिए वे रोगी के पेट में लेप्रोस्कोप डालते हैं। लैप्रोस्कोप एक मेडिकल मशीन है जो एक पतली ट्यूब की तरह होती है जिसके अंत में एक कैमरा होता है। अंगों को बेहतर तरीके से देखने के लिए पेट में कार्बन-डाइऑक्साइड गैस डाली जाती है और फिर सिस्ट का पता लगाने के लिए लैप्रोस्कोप उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है।
सिस्ट का पता लगने के बाद गायनेकोलॉजिस्ट कट लगाते हैं और फिर लैप्रोस्कोप को उस कट के जरिए मरीज के शरीर के अंदर डालते हैं। कैंसर पाने की स्थिति में दोनों अंडाशय को हटाने की आवश्यकता पड़ सकती है। सिस्ट को खत्म करने के बाद लैप्रोस्कोप को भी मरीज के शरीर से बाहर निकाल लिया लाता है और कट वाली जगह को टाँके या स्टेपल की मदद से बंद कर दिया जाता है। सर्जरी की इस प्रक्रिया के तुरंत बाद मरीज को पूर्ण रूप से ठीक होने के लिए आइवी (IV) के जरिए तरल पदार्थ और दवाए दी जाती हैं।
बड़े सिस्ट को हटाने के लिए इस सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। ओपन सर्जरी के दौरान सर्जन मरीज के पेट में एक बड़ा सा कट लगाते हैं ताकि वह शरीर के सभी अंगों को आसानी से देख सकें। यही कारण है की इस प्रक्रिया को ओपन सर्जरी भी कहा जाता है। सर्जरी करने से पहले गायनेकोलॉजिस्ट मरीज को जेनेरल एनेस्थीसिया देकर बेहोश कर देते हैं ताकि सर्जरी के दौरान मरीज को किसी भी तरह की कोई दिक्कत या परेशानी न आए।
इस प्रकिया में एब्डोमेन में एक बड़ा चीरा लगाया जाएगा और एब्डोमिनल मसल्स को हटाकर आपके पेट को खोल दिया जाता है। फिर डॉक्टर आसानी से आपके सिस्ट को हटा देते हैं। वहीं अगर ओवेरियन कैंसर की समस्या हुई तो गायनेकोलॉजिस्ट ओवरी को ही बाहर निकाल देते हैं। सर्जरी पूरी होने के बाद टांके या स्टेपल की मदद से चीरा को बंद कर दिया जाता है।
सर्जरी को पूरा होने में लगभग 1-2 घंटे का समय लगता है। सर्जरी के बाद आपको सात से आठ दिन तक पेट में हल्के दर्द की समस्या हो सकती है। इससे निपटने के लिए डॉक्टर मरीज को कुछ खास तरह की दवाएं देते हैं। सर्जरी के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग दो सप्ताह तक का समय लग सकता है।
पीरियड्स के दौरान महिलाओं के ओवरी में अंडो का निर्माण होता है जिसे फॉलिकल (Follicle) कहते हैं। यह एक थैली की तरह अंडाशय के अंदर मौजूद होते हैं जो समय आने पर फट जाते हैं। लेकिन कभी कभी यह थैली नहीं फटती और इसके अंदर मौजूद लिक्विड मटेरियल जमा होकर सिस्ट का निर्माण करते हैं।
अंडों के निकलने के बाद फॉलिकल स्वयं नष्ट हो जाते हैं। अगर यह खत्म नहीं होते तो इनके अंदर मौजूद पदार्थ लगातार बढ़ते हुए एक जगह इकट्ठा होते हैं। इन्हीं पदार्थों का अतिरिक्त मात्रा में इकट्ठा हो जाना कार्पस ल्यूटियम सिस्ट (Corpus Luteum Cyst) कहलाता है। यह सिस्ट हर महीने ओवुलेशन (Ovulation) के बाद उत्पन्न होता है और एक-दो हफ्ते में नष्ट हो जाता है। कई बार यह सिस्ट 2 से 3 महीने तक भी बना रहता है जिसके कारण अंदर ही अंदर रक्तस्राव होने लगता है।
कॉम्प्लेक्स सिस्ट
कॉम्प्लेक्स सिस्ट सामान्य नहीं है और इनका आपके मेंस्ट्रुअल साइकिल से कोई संबंध नहीं है। कॉम्प्लेक्स सिस्ट तीन प्रकार के होते हैं जिन्हे हम डर्मोइड सिस्ट, सिस्टाडेनोमास सिस्ट और एंडोमेट्रियोमा सिस्ट के नाम से जानते हैं।
सिंपल सिस्ट
सिंपल सिस्ट बहुत ही सामान्य समस्या हैं। जब आपका अंडाशय अंडे को रिलीज नहीं कर पाता है या फिर अंडे को रिलीज करने के बाद जब आपके अंडाशय में एक कूप का विकास होता है तब सिंपल सिस्ट भी विकसित होते हैं। यह आपकी नार्मल मेंस्ट्रुअल साइकिल के कारण होते हैं इसलिए इन्हे फंक्शनल सिस्ट भी कहा जाता है। आमतौर पर फंक्शनल सिस्ट के लक्षण नहीं होते हैं।
सिस्टाडेनोमास सिस्ट
ये सिस्ट अंडाशय के अंदर नहीं बल्कि बाहरी सतह पर मौजूद होते हैं। इस तरह के सिस्ट से कैंसर होने का खतरा नहीं होता है।
एंडोमेट्रियोमा सिस्ट
गर्भाशय के अंदर बनने वाले टिश्यू का लिंक कभी कभी गर्भाशय के बाहर भी हो जाता है। यह टिश्यू ओवरी से जुड़े होते हैं जिसके कारण सिस्ट बनते हैं|
डर्मोइड सिस्ट
ओवेरियन सिस्ट का यह एक ऐसा प्रकार है जिसमें थैली के भीतर बाल, वसा और अन्य टिश्यू मौजूद हो सकते हैं| जब ओवरी में अधिक मात्रा में छोटे छोटे सिस्ट बनने लगते हैं तब ओवरी का आकार बड़ा होने लगता है। इसे ही पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) कहते हैं। यह बहुत खतरनाक समस्या है तथा इसका सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह बांझपन का कारण बन सकती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होने पर असामान्य तरीके से वजन बढ़ने लगता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम बहुत खतरनाक समस्या है तथा इसका सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह बांझपन का कारण बन सकती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होने पर असामान्य तरीके से वजन बढ़ने लगता है।
चॉकलेट सिस्ट
एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होने की स्थिति में हर मासिक चक्र के दौरान ओवरी में खून जमा हो जाता है। जो आगे जाकर चॉकलेट सिस्ट का कारण बनता है। चॉकलेट सिस्ट होने पर मासिक धर्म के समय काफी दर्द होता है तथा गर्भाधारण में भी शिकायत आती है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी इसका सबसे बढ़िया इलाज है।
ओवेरियन सिस्ट एक गंभीर समस्या है जिसे जरा सा भी नजरअंदाज करना ढेरों परेशानियों का कारण बन सकता है। इसलिए इस दौरान आपको काफी सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता होती है। इसका इलाज करवाने के लिए आपको किसी अच्छे और अनुभवी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ताकि इलाज के दौरान या इलाज के बाद आपको किसी तरह की कोई परेशानी न हो। कई बार इलाज कराने के बाद आप खुद में काफी लक्षणों को महसूस कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में आपको बिना देरी किए अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। हम आपको नीचे इन्ही खास लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।
आपातकालीन स्थिति होने पर आपको तुरंत एम्बुलेंस को कॉल करना चाहिए। अगर सर्जरी की मदद से आप अपने ओवेरियन सिस्ट का परमानेंट इलाज करवाना चाहती हैं तो Pristyn Care एक बेहतर विकल्प है।
बहुत से ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से ओवेरियन सिस्ट की सर्जरी के लिए प्रिस्टीन केयर बेहतर एक बेहतर विकल्प माना जाता है।
प्रशिक्षित सर्जन की टीम — हमारे पास एक्सपीरियंस्ड सर्जन की टीम है जो ओवेरियन सिस्ट की सर्जरी सफाई से करते हैं जिससे रोगी के स्वस्थ होने की पूरी संभावना होती है|
एडवांसड टेक्नोलॉजी से इलाज होता है— हमारे सर्जन ओवेरियन सिस्ट की सर्जरी, नवीनतम और एडवांसड टेक्नोलॉजी की मदद से करते हैं। जिसकी वजह से मरीज को इलाज के दौरान या बाद में किसी भी तरह की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है और इलाज के बाद रिकवरी भी बहुत तेज होती है।
सही चुनाव—हमारे सर्जन मरीज कि समस्या को अच्छे से समझने के बाद इस बात पर ध्यान देते हैं कि किस प्रक्रिया के जरिये ओवेरियन सिस्ट का इलाज किया जा सकता है| अगर ओवेरियन सिस्ट को बिना सर्जरी के ही खत्म किया जा सकता है तो डॉक्टर मरीज को कुछ दवाओं का सेवन करने कि सलाह देते हैं। वहीं अगर सिस्ट को खत्म करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है तो हमारे सर्जन सर्जरी कि मदद से सिस्ट कि समस्या को हमेशा के लिए खत्म कर देते हैं।
अपने शहर में करा सकते हैं इलाज— हमारे सर्जन भारत के 20 से ज्यादा शहरों में मौजूद हैं। इसलिए आपको इलाज के लिए ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं होगी|
फ्री फॉलो अप— सर्जरी के बाद हम अपने मरीज को फ्री फॉलो अप (Follow up) की सुविधा भी प्रदान करते हैं। इसके साथ मरीज के आने जाने का खर्चा भी उठाते हैं।
इंश्योरेंस की सुविधा— हमारे पास इंश्योरेंस की टीम है जिसकी मदद से आप ओवेरियन सिस्ट की सर्जरी 100% की छूट पर करा सकते हैं।
ओवेरियन सिस्ट होने के बाद भी महिला गर्भवती हो सकती है| लेकिन यह सिस्ट के आकार पर निर्भर करता है। सिस्ट का आकार छोटा होने पर प्रेगनेंसी हो सकती है। हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान इसका आकार बढ़ सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान सिस्ट की समस्या किसी भी तरह की डिलीवरी प्रॉब्लम (Delivery problem) को जन्म नहीं देती है। डिलीवरी के दौरान डॉक्टर सर्जरी कर सिस्ट को आसानी से निकल सकते हैं।
विशेषज्ञ घरेलू नुस्खे से ओवेरियन सिस्ट का इलाज करने की इजाजत बिलकुल भी नहीं देते हैं। इसके लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्त्री-रोग विशेषज्ञ से मिलकर उन्हें अपनी समस्या के बारे में बताना चाहिए।
इस प्रक्रिया में लगभग 1-2 घंटा लगते हैं। सर्जरी के दौरान कोई दर्द नहीं होता है।
ओवेरियन सिस्ट अर्थात् अंडाशय में गांठ होने का सरल अर्थ- ओवरी एक तरल पदार्थ से भरी थैली होती है जबकि सिस्ट का मतलब गांठ होता है। जब तक सिस्ट या गांठ एक बड़ा आकार ना ले लें, तब तक अंडाशय में गांठ बनने के कोई विदित लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
आमतौर पर ओवेरियन सिस्ट हानिकारक नहीं होता और बिना किसी इलाज के अपने आप ही खत्म हो जाता है। कई महिलाओं में सिस्ट का विकास उनके रिप्रोडक्टिव पीरियड के दौरान होता है। सिस्ट के कारण ओवेरियन कैंसर हो भी सकता है और नहीं भी। कई सिस्ट कैंसर का रूप नहीं लेते लेकिन कुछ मामलों में ऐसा संभव है।
अगर सिस्ट बड़ा है या उसका आकार बढ़ता जाये तो ऑपरेशन या लैप्रोस्कोपी के द्वारा ओवरी से सिस्ट निकाल दिया जाता है। हालाकि ओवरी में सिस्ट रोकने का कोई उपाय नहीं है।
आपके अंडाशय से एक पुटी को हटाने के लिए एक डिम्बग्रंथि सिस्टेक्टोमी सर्जरी है। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी तकनीक है जो आपके निचले पेट में केवल कुछ छोटे चीरों का उपयोग करती है।