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यूट्रीन फाइब्रॉइड को गर्भाशय फाइब्रॉइड के नाम से भी जाना जाता है। फाइब्रॉइड महिला के गर्भाशय में एक असामान्य वृद्धि होता है और यह हमेशा कैंसरजनक नहीं होता है। फाइब्रॉइड गर्भाशय की दीवार के बाहर या अंदर भी विकसित हो सकता है। यूट्रीन फाइब्रॉइड का आकार एक मटर के दाने से लेकर अंगूर जितना बड़ा हो सकता है और कुछ दुर्लभ मामलों में इसका आकार अंगूर से भी बड़ा हो सकता है। स्थिति की गंभीरता के आधार पर, गर्भाशय में एक या एक से अधिक फाइब्रॉइड हो सकते हैं जिसके कारण पेट में दर्द और पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग होती है। यूट्रीन फाइब्रॉइड एक गंभीर बीमारी है, इसलिए समय पर इसका उचित जांच और इलाज आवश्यक है। लंबे समय तक इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना या समय पर इसका इलाज नहीं कराना मरीज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
यूट्रीन फाइब्रॉइड 35 वर्ष की लगभग 30% महिलाओं और 50 वर्ष की लगभग 20%-80% महिलाओं को प्रभावित करता है। आमतौर पर यूट्रीन फाइब्रॉइड 16-50 वर्ष की उम्र में तब विकसित होता है जब महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। एक बार यूट्रीन फाइब्रॉइड विकसित होने के बाद यह मेनोपॉज के बाद तक बढ़ता रहता है और जैसे-जैसे एस्ट्रोजन का स्तर कम होता है, फाइब्रॉइड सिकुड़ता है। विशेषज्ञ का मानना है कि महिला का वजन अधिक होने का कारण यूट्रीन फाइब्रॉइड का खतरा बढ़ जाता है। एक शोध के अनुसार, भारत में प्रजनन समय के दौरान 25% महिलाओं को यूट्रीन फाइब्रॉइड से पीड़ित पाया गया है। अगर आप भी यूट्रीन फाइब्रॉइड से पीड़त हैं तो अनुभवी और विश्वसनीय स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर इसका उचित जांच और इलाज कराना चाहिए।
आमतौर पर यूट्रीन फाइब्रॉइड के लक्षण महसूस नहीं होते हैं, इसलिए डॉक्टर मरीज की शारीरिक जांच करते हैं। जांच के दौरान, डॉक्टर मरीज के गर्भाशय में अनियमितता या असामान्य वृद्धि का पता लगाते हैं। अगर डॉक्टर को गर्भाशय में कुछ अनियमितताएं महसूस होती हैं तो यूट्रीन फाइब्रॉइड के लिए आगे कुछ नैदानिक परीक्षण का सुझाव देते हैं।
अल्ट्रासाउंड — गर्भाशय फाइब्रॉइड की पुष्टि करने के लिए अल्ट्रासाउंड सबसे आम निदान है। अल्ट्रासाउंड के दौरान ध्वनि तरंगों का उपयोग करके गर्भाशय की स्पष्ट रूप से विजुअलाइज किया जाता है जिससे फाइब्रॉइड के आकार की पुष्टि होती है। डॉक्टर पेट के क्षेत्र में अल्ट्रासाउंड डिवाइस का उपयोग करते हैं या उसे योनि के अंदर डालते हैं ताकि गर्भाशय की स्थिति का स्पष्ट चित्र प्राप्त किया जा सके।
खून जांच — अगर आप पीरियड्स के दौरान अनियमित रक्त प्रवाह के मुद्दे से परेशान हैं तो रक्त गणना की जांच करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर रक्त से संबंधित लैब टेस्ट का आदेश देते हैं। यूट्रीन फाइब्रॉइड के अधिकांश मामलों में, पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग के कारण महिला को एनीमिया की शिकायत होती है।
एमआरआई — इस परीक्षण की मदद से डॉक्टर को यूट्रीन फाइब्रॉइड के आकार और सटीक स्थान का पता चलता है। एमआरआई का इस्तेमाल ज्यादातर उन महिलाओं के लिए किया जाता है जिसका गर्भाशय बड़ा होता है और जो मेनोपॉज के करीब होती हैं।
हिस्टेरोस्कोपी — इस सर्जिकल प्रक्रिया का इस्तेमाल गर्भाशय के अंदर देखने और यूट्रीन फाइब्रॉइड का निदान तथा इलाज करने के लिए किया जाता है। हिस्टेरोस्कोपी एक पतली ट्यूब की मदद से किया जाता है जिसे हिस्टेरोस्कोप के नाम से जाना जाता है और इसके ऊपर एक कैमरा लगा होता है। हिस्टेरोस्कोपी के दौरान, डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय को ठीक तरह से जांच करने के लिए हिस्टेरोस्कोप को मरीज की योनि के अंदर डालते हैं। यूट्रीन फाइब्रॉइड के शुरुआती मामलों में हिस्टेरोस्कोपी का इस्तेमाल एक ऑपरेटिव प्रक्रिया के रूप में भी किया जाता है।
डॉक्टर हिस्टेरोस्कोपी को एक ऑपरेटिव तकनीक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं या अगर मरीज के यूट्रीन फाइब्रॉइड छोटे होने की स्थिति में कुछ दवाएं भी निर्धारित कर सकते हैं। लेकिन अगर एक महिला के गर्भाशय में ढेरों बड़े आकार के फाइब्रॉइड्स हैं तो दवाओं के कारगर साबित होने की संभावना बहुत कम होती है। ऐसे मामलों में, हिस्टेरेक्टॉमी की सर्जिकल प्रक्रिया ही सबसे सुरक्षित विकल्प बचता है। हिस्टेरेक्टॉमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके दौरान एक महिला के गर्भाशय को बाहर निकाल दिया जाता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया में गर्भाशय ग्रीवा, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या गर्भाशय के किसी अन्य फाइब्रॉइड से प्रभावित हिस्से को बाहर निकालना शामिल है। इसलिए, हिस्टेरेक्टॉमी को आंशिक या पूर्ण रूप से किया जा सकता है और यह मरीज के फाइब्रॉइड्स की स्थिति और गंभीरता पर निर्भर करता है। हिस्टेरेक्टॉमी को कई तरह से किया जा सकता है, लेकिन लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी को सबसे बेस्ट तरीका माना जाता है। यह पूर्ण रूप से एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिससे यूट्रीन फाइब्रॉइड का परमानेंट इलाज बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।
लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ मरीज को लोकल या जनरल एनेस्थीसिया देते हैं जिससे सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द का खतरा खत्म हो जाता है। आमतौर पर इस सर्जरी को पूरा होने में लगभग 45 मिनट का समय लगता है, लेकिन इसका समय यूट्रीन फाइब्रॉइड की संख्या और आकार के कारण बढ़ भी सकता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान मरीज को टांके नहीं आते हैं। सर्जरी खत्म होने के बाद मरीज को मात्र 1 दिन के लिए हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता पड़ती है। लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी के बाद रिकवरी बहुत तेजी से होती है और मरीज को रिकवरी के दौरान कम से कम दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सर्जरी के एक दिन बाद, मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी के मात्र दो दिन बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को फिर से शुरू कर सकती हैं, लेकिन कुछ बातों का खास देना ध्यान होता है। अगर आप यूट्रीन फाइब्रॉइड्स से पीड़ित हैं और इसका बेस्ट एवं परमानेंट इलाज पाना चाहती हैं तो एक अनुभवी और विश्वसनीय स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी का चुनाव करना चाहिए। यह एक संक्षिप्त, सुरक्षित, सरल और सफल प्रक्रिया है।
यूट्रीन फाइब्रॉइड का बेस्ट इलाज लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी है। इस सर्जरी के दौरान स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भाशय को बाहर निकाल देते हैं। लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी की प्रक्रिया में गर्भाशय ग्रीवा, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या गर्भाशय के किसी अन्य फाइब्रॉएड से प्रभावित हिस्से को बाहर निकालना शामिल है। अगर आप यूट्रीन फाइब्रॉइड से पीड़ित हैं और इसका बेस्ट इलाज पाना चाहती हैं तो एक अनुभवी और कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी का चुनाव करें।
हां. लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी से यूट्रीन फाइब्रॉइड्स का परमानेंट इलाज संभव है। इस सर्जरी के दौरान स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भाशय को बाहर निकाल देते हैं। अगर आप यूट्रीन फाइब्रॉइड से मात्र एक दिन में हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहती हैं तो लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी का चुनाव करें। लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी एक संक्षिप्त, सुरक्षित, बहुत ही आसान और सफल प्रक्रिया है, इसलिए आपको ज्यादा घबराने की आवश्यकता नहीं है।
नहीं. यूट्रीन फाइब्रॉइड की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी यानी लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी को शुरू करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ मरीज को लोकल या जनरल एनेस्थीसिया देते हैं जिससे सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द का खतरा खत्म हो जाता है। इस सर्जरी के दौरान मरीज को हल्का या लगभग न के बराबर दर्द होता है। सर्जरी खत्म होने के बाद मरीज को मात्र एक दिन के लिए हॉस्पिटल में रुकना पड़ता है। फिर अगले दिन वे अपने घर जाने के लिए पूरी तरह से फिट हो जाती हैं। इतना ही नहीं, लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी के दो दिन बाद से मरीज अपने दैनिक जीवन के कामों को फिर से शुरू भी कर सकती हैं।
यूट्रीन फाइब्रॉइड्स की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का खर्च काफी चीजों पर निर्भर करता है जैसे कि फाइब्रॉइड्स की संख्या, आकार और गंभीरता, महिला की उम्र और सेहत, स्त्री रोग विशेषज्ञ का अनुभव और विश्वसनीयता, क्लिनिक या हॉस्पिटल का लोकेशन और यूट्रीन फाइब्रॉइड की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में उनका ट्रैक रिकॉर्ड, सर्जरी के बाद हॉस्पिटलाइजेशन और फॉलो-अप्स आदि। लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि दूसरे क्लिनिक या हॉस्पिटल की तुलना में प्रिस्टीन केयर क्लिनिक में लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी को काफी कम खर्च में किया जाता है।