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About Uterine Fibroid

यूटेराइन फाइब्रॉयड्स को गर्भाशय रसौली के नाम से भी जाना जाता है। यह महिलाओं के गर्भाशय में होने वाला एक असामान्य वृद्धि है। इससे पीड़ित महिला के गर्भाशय में गांठ पनप जाती है। यह गर्भाशय की दीवारों पर पनपने वाला एक प्रकार का ट्यूमर है जिसकी संख्या एक या एक से अधिक हो सकती है। हालांकि, ये ट्यूमर कैंसर का कारण नहीं बनते हैं।

ओवरव्यू

know-more-about-Uterine Fibroids-treatment-in-Hyderabad
जोखिम
  • गर्भपात
  • बांझपन
  • जटिल गर्भावस्था
  • लाल रक्त कोशिकाओं की कम संख्या (एनीमिया की स्थिति)
इलाज में देरी न करें, क्योंकि-
  • प्रोलैप्स से अल्सर और कैंसर हो सकता है
  • हेवी ब्लीडिंग से अनीमिया हो सकता है
  • खून की कमी से थकान हो सकती है
दर्द रहित इलाज क्यों?
  • दर्द नहीं होता है
  • ब्लीडिंग का खतरा कम होता है
  • बहुत ही प्रभावशाली इलाज है
  • उसी दिन इलाज और डिस्चार्ज
मॉडर्न इलाज में देरी न करें
  • मॉडर्न और एडवांस ट्रीटमेंट
  • रिकवरी काफी जल्दी होती है
  • संक्षिप्त और सुरक्षित प्रक्रिया
  • जटिलताओं की संभावना कम
प्रिस्टीन केयर क्यों चुनें?
  • विश्वसनीय सर्जन
  • डीलक्स रूम की सुविधा
  • गोपनीय परामर्श उपलब्ध
  • सर्जरी के बाद फ्री फॉलो-अप मीटिंग
  • सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट पर 30% छूट
Gynecologist showing scans to a female patient

उपचार

जांच

आमतौर पर यूटेराइन फाइब्रॉयड्स के कुछ खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसके मुख्य लक्षणों में दर्द और ब्लीडिंग होना शामिल है जो कि गर्भाशय से जुड़ी दूसरी भी अन्य बीमारियों के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में यूटेराइन फाइब्रॉयड्स की उपस्थिति, उसकी संख्या और गंभीरता की पुष्टि करने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ मरीज की जांच करते हैं। सबसे पहले डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और लक्षणों से संबंधित कुछ प्रश्न पूछते हैं। उसके बाद, इस बीमारी को गहराई से समझने के लिए कुछ जांच करने का सुझाव दे सकते हैं जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:-

01. अल्ट्रासाउंड अल्ट्रासाउंड से यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का पता लगाया जाता है। जांच की इस प्रक्रिया की मदद से सबम्यूकोसल फाइब्रॉयड्स का पता लगाने के साथ-साथ उन फाइब्रॉयड्स का भी पता लगाया जा सकता है जो गर्भाशय ग्रीवा में मौजूद होते हैं।

02. एमआरआई स्कैन एमआरआई स्कैन के जरिए डॉक्टर फाइब्रॉयड्स के आकार, संख्या और उनके सटीक लोकेशन का पता लगाते हैं। जांच की यह प्रक्रिया बहुत आवश्यक होती है।

03. डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर मरीज के पेट में लेप्रोस्कोप नामक उपकरण डालते हैं जिससे गर्भास्य के बाहर मौजूद फाइब्रॉयड्स का पता लगाया जाता है। स्थिति को ध्यान में रखते हुए डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी के बाद डॉक्टर बायोप्सी का भी सुझाव दे सकते हैं।

04. हिस्टेरेस्कोपी इस प्रक्रिया के दौरान हिस्टेरोस्कोप नामक उपकरण को मरीज के गर्भाशय में डाला जाता है। हिस्टेरोस्कोप की एक छोर पर कैमरा लगा होता है जिसकी मदद से डॉक्टर गर्भाशय में मौजूद फाइब्रॉयड्स की पुष्टि करते हैं। आवश्यकता होने पर हिस्टेरोस्कोपी के बाद बायोप्सी भी की जा सकती है।

05. ब्लड टेस्ट डॉक्टर मरीज का ब्लड टेस्ट भी कर सकते हैं ताकि दूसरी बीमारी की उपस्थिति की पुष्टि की जा सके। कई बार ब्लड टेस्ट के साथ-साथ कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट (CBC Test) भी किया जा सकता है।

इन सभी जांचों के परिणामों के आधार पर डॉक्टर सर्जरी की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।

सर्जरी

  • गर्भाशय की रसौली का इलाज करने के लिए लेप्रोस्कोपिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं| इसके लिए दो किस्म की सर्जरी में से किसी एक का इस्तेमाल किया जा सकता है

१. हिस्टेरेक्टॉमी २. म्योमेक्टोमी

Pristyn Care क्यों चुनें?

Delivering Seamless Surgical Experience in India

01.

Pristyn Care कोविड-फ्री है

हमारी क्लीनिक में मरीज की सेहत और सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए हमारी सभी क्लिनिक और हॉस्पिटल को नियमित रूप से सैनेटाइज किया जाता है।

02.

सर्जरी के दौरान सहायता

A dedicated Care Coordinator assists you throughout the surgery journey from insurance paperwork, to commute from home to hospital & back and admission-discharge process at the hospital.

03.

अच्छी टेक्नोलॉजी के साथ मेडिकल सहायता

सर्जरी से पहले होने वाली सभी चिकित्सीय जाँच में रोगी को मेडिकल सहायता दी जाती है। हमारी क्लीनिक में बीमारियों का उपचार के लिए लेजर एवं लेप्रोस्कोपिक प्रक्रियाओं का उपयोग होता है, जो USFDA द्वारा प्रमाणित हैं।

04.

सर्जरी के बाद देखभाल

We offer follow-up consultations and instructions including dietary tips as well as exercises to every patient to ensure they have a smooth recovery to their daily routines.

अधिकांश पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का इलाज जरूरी है?

यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का इलाज जरूरी है। लंबे समय तक इसके लक्षणों को नजरअंदाज करने या समय पर इसका इलाज नहीं कराने पर इसका आकार और संख्या लगातार बढ़ता है। नतीजतन इसके लक्षण और गंभीर हो सकते हैं तथा असहनीय दर्द और हेवी ब्लीडिंग हो सकती है। इन सबके कारण आपको दूसरी अनेकों गंभीर समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।

यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का इलाज कैसे होता है?

यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का इलाज कई तरह से किया जा सकता है जिसमें दवाओं का सेवन, जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव, घरेलू नुस्खे और सर्जरी शामिल हैं। जब नॉन सर्जिकल इलाज से कोई फायदा नहीं होता है तो सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप हैदराबाद में बच्चेदानी में गांठ की बेस्ट सर्जरी कराना चाहते हैं तो हमसे संपर्क कर सकती हैं।

यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का बेस्ट इलाज क्या है?

जब नॉन सर्जिकल इलाज से कोई फायदा नहीं होता है तो डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं। यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का इलाज करने के लिए कई तरह की सर्जरी का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी/म्योमेक्टोमी को इसक बेस्ट इलाज माना जाता है। हैदराबाद में बच्चेदानी में गांठ का बेस्ट ऑपरेशन कराने और अपनी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकती हैं।

यूटेराइन फाइब्रॉयड्स की सर्जरी में कितना खर्च आता है?

यूटेराइन फाइब्रॉयड्स की सर्जरी का खर्च तय नहीं है। इस सर्जरी का खर्च काफी चीजों पर निर्भर करता है। यूटेराइन फाइब्रॉयड्स की सर्जरी के खर्च को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:-

फाइब्रॉयड्स का आकार और संख्या,सर्जरी का प्रकार,स्त्री रोग विशेषज्ञ का अनुभव,हॉस्पिटल की विश्वसनीयता,सर्जरी से पहले किए जाने वाले जांच,सर्जरी के बाद की दवाएं,सर्जरी के बाद फॉलो-अप्स मीटिंग

अगर आप हैदराबाद में बच्चेदानी में गांठ की कॉस्ट इफेक्टिव और एडवांस सर्जरी कराना चाहती हैं तो हमसे संपर्क करें। हमारी क्लिनिक में लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी से यूटेराइन फाइब्रॉयड्स इलाज किया जाता है।

यूटेराइन फाइब्रॉयड्स की सर्जरी को पूरा होने में कितना समय लगता है?

हमारी क्लिनिक में मॉडर्न और एडवांस लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी से यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का इलाज किया जाता है। आमतौर पर इस सर्जरी को पूरा होने में लगभग 2-4 घंटे का समय लगता है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

हैदराबाद में यूटेराइन फाइब्रॉयड्स का बेस्ट इलाज कराएं

मेडिकल साइंस में विकास होने के कारण आज हैदराबाद में यूटेराइन फाइब्रॉइड्स का बेस्ट इलाज संभव है। अगर आप यूटेराइन फाइब्रॉयड्स से पीड़ित हैं और बिना किसी परेशानी का सामने किए कम से कम समय अपनी बीमारी का बेस्ट इलाज कराना चाहती हैं तो एक अनुभवी और विश्वसनीय स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी का चयन कर सकती हैं। इस सर्जरी के दौरान छोटे-छोटे कट लगते हैं, ब्लीडिंग का खतरा नहीं होता है, रिकवरी बहुत जल्दी होती और सर्जरी के दौरान या बाद में जटिलताओं का खतरा भी लगभग शून्य होता है। यह एक सुरक्षित और सफल सर्जिकल प्रक्रिया है।

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