जांच
आपको हर्निया है या नहीं इस बात की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर नीचे बताए गए जांच करने का सुझाव देते हैं।
पेट का अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड में हाई फ्रीक्वेंसी वेव (High Frequency Wave) की मदद से आपके शरीर के आंतरिक अंगों की तस्वीर को कंप्यूटर के माध्यम से देखा जाता है। हर्निया के लक्षण दिखाई देने पर पेट का अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
सीटी स्कैन: इस प्रकार के टेस्ट में एक्स-रे (X-rays) की सहायता से कंप्यूटर पर शरीर के सभी अंगों की आंतरिक जांच की जाती हैं।
एमआरआई: इस टेस्ट में भी मैग्नेटिक (Magnetic) और रेडियो वेव (Radio Wave) की मदद से शरीर के सभी अंगों की आंतरिक जांच की जाती हैं।
अगर ऊपर बताए गए तरीकों से जांच करने के बाद हियातल हर्निया (Hiatal Hernia) पाए जाने की स्थिति में डॉक्टर अंदरूनी अंगों की जांच अच्छी तरह से करने के लिए दो तरह के टेस्ट कर सकते हैं।
गैस्ट्रोग्राफिन या बेरियम एक्स-रे: यह एक्स रे मरीज के पेट के अंगों की आंतरिक तस्वीर साफ तरीके से दिखाता है। इस टेस्ट को करने से पहले डॉक्टर मरीज को डायट्रीजोएट मेगलुमिन (Diatrizoate Meglumine) और डायट्रीजोएट सोडियम (Diatrizoate Sodium or Gastrografin) या एक लिक्विड बेरियम का सोलुशन (Liquid Barium Solution) पीने को कहते हैं।
एंडोस्कोपी: इस टेस्ट में डॉक्टर गले की नली के जरिए एक पतली ट्यूब को पेट में डालते हैं। इस ट्यूब के अंत में एक छोटा सा कैमरा लगा होता है जिसकी मदद से पेट के भीतर छोटे-छोटे अंगों की तस्वीर को कंप्यूटर स्क्रीन पर आसानी से देखा जाता है।
सर्जरी
बहुत से ऐसे मामले हैं जिसमें हर्निया खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन कई मरीजों को हर्निया को ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। हर्निया के इलाज के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्रिस्टीन केयर के सर्जन लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करने से पहले मरीज से उनकी एलर्जी और चल रहे दूसरे इलाज के बारे में पूछते हैं। इससे सर्जरी के दौरान या फिर इसके बाद मरीज को किसी भी तरह की कोई दिक्कत या परेशानी ना हो इस बात को सुनिश्चित किया जाता है। मरीज जब सर्जरी के तैयार हो जाते हैं तब डॉक्टर उन्हें जेनेरल एनेस्थीसिया देते हैं। फिर उसके बाद, सर्जरी की जाने वाली जगह को साफ करके उसके आस पास के बाल को काटकर हटा देते हैं। जिसकी वजह से मरीज को इंफेक्शन होने का खतरा खत्म हो जाता है। इसके बाद, शरीर के जिस हिस्से की सर्जरी करनी होती है, वहां पर सर्जन एक छोटा सा कट लगाते हैं। कई बार एक से ज्यादा भी कट लगते हैं जो की पूरी तरह से बीमारी की स्थिति पर निर्भर करता है।
मरीज के पेट को फुलाने और उसे सर्जरी के लिए तैयार करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड पंप किया जाता है। ऐसा करने के लिए डॉक्टर पेट पर लगे कट के जरिए एक बहुत ही पतली और हल्की ट्यूब को पेट के अंदर डालते हैं जिसे लेप्रोस्कोप (Laparoscope) के नाम से जाना जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में डॉक्टर पेट में छोटे कट लगाते हैं और लेप्रोस्कोप को पेट के भीतर डालते हैं। ‘लेप्रोस्कोप’ एक हाई टेक्नोलॉजी कैमरा है जो आंतरिक अंग को बारीकी से देखने में मदद करता है। इसके बाद, डॉक्टर लेप्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल करके हर्निया की सर्जरी करते हैं। लेप्रोस्कोप का काम पूरा होने के बाद उसे शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है। इस सर्जरी में लगभग 30 मिनट का समय लगता है। सर्जरी खत्म होने के बाद मरीज को 24 घंटे के अंदर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है।