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प्रेगनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात - Week 11 Pregnancy Abortion

प्रिस्टीन केयर में, 11वें सप्ताह में प्रेगेनेंसी को समाप्त करने के लिए सुरक्षित, प्रभावी और गोपनीयता के साथ सर्जिकल गर्भपात किया जाता हैं। हमारे पास भारत के सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ की टीम हैं, जिनके पास सुरक्षित प्रक्रिया और कानूनी गर्भपात विशेष अनुभव रखते है। 11वें सप्ताह के गर्भपात के लिए अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेने के लिए आज ही हमारी टीम से संपर्क करें।

प्रिस्टीन केयर में, 11वें सप्ताह में प्रेगेनेंसी को समाप्त करने के लिए सुरक्षित, प्रभावी और गोपनीयता के साथ सर्जिकल गर्भपात किया जाता हैं। ... और पढ़ें

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    Dr. Monika Dubey (L11rBuqCul)

    Dr. Monika Dubey

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    24 Years Experience

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    Dr. Samhitha Alukur (83t9oYCWt5)

    Dr. Samhitha Alukur

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11वें सप्ताह की प्रेगेनेंसी में क्या होता है?

11वें सप्ताह में गर्भवती महिला की प्रेगेनेंसी तीसरे महीने में प्रवेश कर जाती है। 11 वें सप्ताह में गर्भवती महिला को सामान्यता प्रारंभिक प्रेगेनेंसी का अनुभव होता है, जैसे कि बेबी बंप के आसपास दर्द, मतली, स्वभाव में बदलाव, स्तनों में दर्द आदि। 11वें सप्ताह में, बच्चा एक अंजीर के आकार का हो जाता है, जो लगभग 41 मिमी होता है। उंगलियां और पैर के नाखून बढ़ने शुरू हो जाता हैं। कान की आकृति भी बननी शुरू हो जाती हैं।

इस समय, डॉक्टर महिलाओं को अपने स्वास्थ और गर्भ में पल रहे भ्रूण के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण करवाने का सुझाव देते हैं।

गर्भपात का कारण चाहे जो भी हो, 11वें सप्ताह की प्रेगेनेंसी को लगभग हमेशा सर्जिकल गर्भपात तरीकों का उपयोग करके समाप्त किया जाता है। प्रिस्टीन केयर में, हम प्रेगेनेंसी के 11वें सप्ताह में सुरक्षित और प्रभावी सर्जिकल गर्भपात प्रदान करते हैं। हमारे विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञों से परामर्श करने के लिए, आज ही हमारे हेल्थ केयर कोऑर्डिनेटर की टीम से संपर्क करें!

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11वें सप्ताह में गर्भपात के क्या कारण हैं? - Abortion Cases

प्रेगनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात कई कारणों से किया जा सकता है। गर्भपात कराने के मुख्य कारणों में महिला एवं भ्रूण के स्वास्थ से संबंधित समस्याएं, बच्चे को पालने के लिए महिला का आर्थिक और भावनात्मक रूप से तैयार न होना इत्यादि। आइए इसके पीछे के कुछ सामान्य कारणों को विस्तार से जानते हैं कि आखिर एक महिला को प्रेगनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात क्यों करवाना पड़ता है:

  • अनियोजित गर्भावस्था: गलत समय पर प्रेगनेंसी या अनियोजित गर्भधारण, गर्भपात कराने की मुख्य वजह हो सकती है जिसके कारण कई महिलाएं 11वें सप्ताह में गर्भपात कराने का निर्णय करती हैं।
  • महिला के स्वास्थ्य के लिए खतरा: यदि गर्भावस्था महिला के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती है, तो डॉक्टर महिला को गर्भपात कराने का सुझाव दे सकते हैं।
  • भ्रूण का विकास न होना: कई बार गर्भाशय में भ्रूण का विकास ठीक से नहीं हो पाता है जिसके कारण महिला को प्रेगनेंसी के दौरान स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर द्वारा प्रेगनेंसी को समाप्त करने का सुझाव दिया जाता है।
  • बच्चे के पालन-पोषण के लिए धन की कमी: एक महिला या दंपति को बच्चे के पालन-पोषण के लिए आर्थिक रूप से तैयार होने की आवश्यकता होती है। ताकि बच्चे के जन्म के बाद उचित स्वास्थ्य देखभाल और बच्चे की पढ़ाई में लगने वाले खर्च का प्रबंध किया जा सके। लेकिन जब महिला या दंपति आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होते, तो वे अपनी प्रेगनेंसी को समाप्त करने के लिए गर्भपात करवाने का निर्णय लेते हैं।
  • भावनात्मक तैयारी: बच्चे की देखभाल के साथ पालन-पोषण करने में सक्षम होने के साथ ही एक महिला को भावनात्मक रूप से तैयार होना चाहिए। यदि वह मानसिक रूप से तैयार नहीं है, तो स्थिति में महिला प्रेगनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात कराने का निर्णय ले सकती है।

एक महिला चाहे किसी भी कारण से गर्भपात क्यों न करवा रही हो, उसके निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए। इसके अलावा, गर्भपात कराने वाली महिला को सही दिशा में आगे बढ़ने और गर्भपात कराने के बाद शारीरिक और मानसिक प्रभावों से निपटने के लिए अपने मित्रों एवं परिवार के सदस्यों या अपने स्वास्थ्य सेवा सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए।

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सप्ताह 11 प्रेगेनेंसी गर्भपात से पहले नैदानिक ​​परीक्षण

डॉक्टर प्रेगनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात करने से पहले महिला की स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन करते हैं, जिससे ये जानने में मदद मिलती है कि महिला का 11वें सप्ताह में गर्भपात करना सुरक्षित है या नहीं और उसे गर्भपात करवाने से कोई स्वास्थ्य समस्याएं तो नहीं होगी, इसलिए डॉक्टर महिला को गर्भपात करवाने से पहले नैदानिक ​​परीक्षण करवाने की सिफारिश करते है। नैदानिक परीक्षण से डॉक्टर को ये जानने में मदद मिलती है कि महिला की गर्भावस्था की सही स्थिति क्या है और इसके साथ ही गर्भाशय के आंतरिक स्वास्थ्य स्थिति का पता चलता है जिससे गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान आने वाली जटिलता से बचाव किया जा सकता है। 11वें सप्ताह में गर्भपात से पहले किए जाने वाले कुछ सामान्य नैदानिक ​​परीक्षण इस प्रकार हैं:

  • शारीरिक परीक्षण (Body Test): शारीरिक परीक्षण के दौरान डॉक्टर महिला के मेडिकल इतिहास के आकलन करने के साथ गर्भपात कराने के कारणों से संबंधी जानकारी लेते हैं। इन मूल्यांकन के दौरान गर्भवती महिला गर्भपात से संबंधित प्रश्न भी पूछ सकती हैं।
  • गर्भावस्था परीक्षण (प्रेगनेंसी टेस्ट): गर्भावस्था का पता लगाने के लिए यह मानक परीक्षण है। यह डॉक्टर के क्लिनिक में किया जा सकता है।
  • अल्ट्रासाउंड टेस्ट: अल्ट्रासाउंड टेस्ट गर्भ में पल रहे भ्रूण की आयु (गर्भावस्था का महिना) जानने में मदद करता है। यह गर्भ में पल रहे भ्रूण की स्वास्थ्य स्थिति का आकलन, उसके विकास की गति और गर्भाशय की आंतरिक स्थिति का पता लगाने में भी मदद करता है।
  • रक्त परीक्षण: महिला के रक्त समूह और आरएच कारक को निर्धारित करने के लिए गर्भपात से पहले  रक्त परीक्षण किया जा सकता है।
  • एसटीडी परीक्षण: डॉक्टर गर्भपात से पहले एसटीडी (यौन संचारित रोग) की जांच कराने का सुझाव देते हैं ताकि यह पता चल सके कि महिला को सिफलिस, गोनोरिया, क्लैमाइडिया और एचआईवी से संबंधित गंभीर यौन समस्याएं तो नहीं हैं। क्योंकि इन बीमारियों के होने से गर्भपात की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और यहां तक ​​कि सामान्य रूप से महिला के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है।

11वें सप्ताह में गर्भपात के लिए सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य देखभाल केंद्र

महिला का गर्भपात चाहे किसी भी कारण से क्यों न किया जा रहा हो, लेकिन उन्हें हमेशा लाइसेंस प्राप्त क्लिनिक और अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ की देखरेख में सर्जिकल गर्भपात करवाना चाहिए। प्रिस्टीन केयर में, भारत के सर्वश्रेष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञों की एक टीम है, जिनके पास प्रेगनेंसी को समाप्त कराने की इच्छुक महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात करने का विशेष अनुभव है। हमारे सभी क्लीनिक को सर्जिकल गर्भपात करने के लिए लाइसेंस प्राप्त हैं और गर्भपात कराने वाली महिला के लिए सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध की जाती है। हमारे यहाँ शारीरिक जाँच एवं निदान एडवांस तकनीक से किया जाता हैं, और गर्भपात के लिए एडवांस सर्जिकल तकनीक का उपयोग किया जाता हैं।

प्रिस्टीन केयर की टीम के लिए महिलाओं की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस बात का विशेष ध्यान करते हैं कि गर्भपात कराने वाली महिला को सही देखभाल मिले। हम गर्भपात के भावनात्मक प्रभावों को भी समझते हैं और इसलिए गर्भपात से पहले हम महिला को भावनात्मक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। हम गर्भपात कराने वाली महिलाओं के लिए आरामदायक उपचार की प्रक्रिया उपलब्ध करते हैं:

  • 1971 एमटीपी अधिनियम के नवीनतम संशोधन का पालन करते हुए, सुरक्षित, कानूनी और कुशल प्रक्रियाओं के माध्यम से गर्भपात किया जाता है।
  • हमारे क्लीनिकों में एडवांस तकनीक से निदान और सर्जिकल गर्भपात किया जाता है।
  • गर्भपात के दौरान विशेषज्ञ देखभाल के लिए अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ उपलब्ध रहती हैं।
  • गर्भपात प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती।
  • सर्जिकल गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान विशेष चिकित्सा सहायता दी जाती है।
  • 11वें सप्ताह में गर्भपात कराने के लिए प्रिस्टीन केयर के अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञों के साथ परामर्श करने के लिए, आज ही हमारी टीम से संपर्क करें।

सर्जरी के बाद प्रिस्टीन केयर द्वारा दी जाने वाली निःशुल्क सेवाएँ

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सर्जरी के बाद मुफ्त चैकअप

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प्रेगेनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात की तैयारी कैसे करें?

गर्भपात से पहले शारीरिक और भावनात्मक तैयारी के लिए तैयारी महत्वपूर्ण है। 11वें सप्ताह तक गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहा भ्रूण काफी बड़ा हो जाता है, और गर्भवती महिला को 3 महीने से अधिक समय तक हो चुका होता है, इसलिए इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि अब महिला भ्रूण के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ चुकी होती है। इसलिए, गर्भपात के दुष्परिणामों से निपटने के लिए शारीरिक रूप के साथ-साथ भावनात्मक रूप से तैयार होने की आवश्यकता होती है। प्रेगेनेंसी के 11वें सप्ताह के गर्भपात की तैयारी के कुछ तरीकों में शामिल हैं:

  • गर्भपात प्रक्रिया की जानकारी लें: 11 सप्ताह में, डॉक्टर आमतौर पर गर्भपात के लिए सक्शन और इवेक्यूएशन या डाइलेशन और क्यूरेटेज (डी एंड सी) तरीकों का उपयोग करते हैं। इन प्रक्रियाओं से गुजरने से पहले महिला के लिए इन्हें समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
  • डॉक्टर से प्रश्न पूछें: गर्भपात की प्रक्रिया या सामान्य रूप से स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी प्रश्न का पहले ही समाधान किया जाना चाहिए। सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने से प्रक्रिया के बारे में आशंकाओं को दूर करने और एक सहज अनुभव प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  • गाड़ी की व्यवस्था करें: महिला को सर्जिकल गर्भपात के तुरंत बाद गाड़ी चलाने से बचने की सलाह दी जाती है, और इसलिए, उसे पहले से ही आने-जाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • मेडिकल रिपोर्ट साथ में लाएं: किसी भी तरह के स्वास्थ्य जोखिम या परेशानी से बचने के लिए सभी स्वास्थ्य जांच की रिपोर्ट, अन्य आवश्यक दस्तावेज़ साथ में रखना चाहिए।
  • सभी नैदानिक ​​परीक्षण करवाएं: गर्भपात प्रक्रिया से पहले सभी आवश्यक नैदानिक ​​परीक्षण करवाना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर को कई कारकों का आकलन करने के लिए परीक्षण रिपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है।
  • उपवास दिशानिर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें: सर्जिकल गर्भपात प्रक्रिया से पहले, डॉक्टर उपवास के संबंध में कुछ निर्देश दे सकते हैं। इसके अलावा, गर्भपात से पहले शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करें।
  • दवाई के उपयोग के संबंध में निर्देशों का पालन करें: यदि डॉक्टर प्रक्रिया से पहले किसी भी दवा से परहेज करने का सुझाव देता है, तो महिला को निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करना चाहिए। किसी भी जटिलता से बचने के लिए दवाई के उपयोग के संबंध में निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।
  • भावनात्मक समर्थन लें: गर्भपात के भावनात्मक प्रभावों से निपटने के लिए महिला को परिवार और दोस्तों से बात करनी चाहिए। भावनात्मक रूप से तैयार रहने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सहायता ले सकती है।

प्रेगेनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात कैसे किया जाता है?

प्रेगेनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात कराने के लिए डॉक्टर सर्जिकल गर्भपात का सुझाव देते हैं। 11वें सप्ताह में दवाईयों से गर्भपात नहीं किया जा सकता है। 11वें सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने के लिए दो प्रकार की सर्जरी – सक्शन एस्पिरेशन ऑफ सक्शन क्योरटेज और डाइलेशन एंड क्योरटेज का सुझाव दिया जाता है और इस स्तर पर प्रेगेनेंसी को बाहर निकालने के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं। इन तरीकों का इस्तेमाल 14 से 16 सप्ताह तक की प्रेगेनेंसी को समाप्त करने के लिए किया जा सकता है। इन दोनों ही प्रक्रियाएं बाह्य महिला के आधार पर की जाती हैं, और महिला को अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं होती है। गर्भपात की प्रक्रिया का चयन डॉक्टर महिला के स्वास्थ्य के मूल्यांकन के निर्भर पर करते है। आइए सर्जिकल गर्भपात की दोनों प्रक्रियाओं पर विस्तार से चर्चा करें:

सक्शन या एस्पिरेशन : प्रेगेनेंसी को हटाने की यह सर्जिकल तकनीक रूप से  12 से 14 सप्ताह की प्रेगेनेंसी को समाप्त करने के लिए सुझाई गई है। सर्जिकल गर्भपात की प्रक्रिया केवल कुछ मिनटों तक चलती है, और एनेस्थीसिया का प्रभाव समाप्त हो जाने पर महिला घर जा सकती है। सक्शन क्योरटेज या वैक्यूम एस्पिरेशन प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में की जाती है:

  • योनि में एक स्पेकुलम डाला जाता है, और गर्भाशय ग्रीवा को डाइलेटर्स से खोला जाता है, जो पतली छड़ें होती हैं।
  • फिर गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से गर्भाशय में एक ट्यूब डाली जाती है।
  • गर्भाशय से भ्रूण के उत्तकों को बाहर निकालने और उसे खाली करने के लिए एक सक्शन डिवाइस का उपयोग किया जाता है।

डाइलेशन और क्यूरेटेज: डाइलेशन और क्यूरेटेज (डी एंड सी) प्रक्रिया, एक सर्जिकल गर्भपात तकनीक है जिसे अक्सर 11वें सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने का सुझाव दिया जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में 5 से 10 मिनट का समय लगता है। आइए देखें कि यह प्रक्रिया कैसे काम करती है:

  • डॉक्टर योनि को खोलने या फैलाने के लिए स्पेकुलम का उपयोग करते हैं।
  • इसके बाद, गर्भाशय ग्रीवा को पकड़ने के लिए एक क्लैंप लगाया जाता है, जिससे प्रक्रिया करते समय आसानी होती है।
  • फिर, एक क्यूरेट, जो एक सक्शन या स्क्रैपिंग उपकरण है, गर्भाशय से प्रेगेनेंसी के ऊतकों को निकालने के लिए नियोजित किया जाता है।

11वें सप्ताह के गर्भपात के बाद कैसे ठीक हों? - Recovery after Abortion

सर्जिकल गर्भपात के बाद, महिला को मामूली रक्तस्राव से धब्बे के निशान देखने को मिल सकते है। सर्जिकल प्रक्रिया के बाद मासिक धर्म के दौरान पेट में हल्की सी ऐंठन भी हो सकती है। सामान्यता गर्भपात के बाद 4 से 6 सप्ताह के अंदर पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। अक्सर, महिलाओं को सर्जिकल गर्भपात कराने के बाद चिंता या उदासी के साथ-साथ अपराध बोध का भी अनुभव होता है। महिलाओं को गर्भपात के बाद के इन प्रभावों से निपटने और आरामदायक रिकवरी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। परेशानी मुक्त पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए गर्भपात के इन प्रभावों का प्रभावी प्रबंधन महत्वपूर्ण है। 11वें सप्ताह के गर्भपात के बाद के प्रभावों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के कुछ तरीकों में शामिल हैं:

  • गर्भपात के बाद आराम करना बहुत जरूरी होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई महिला गर्भपात बाद कितना स्वस्थ महसूस करती है, क्योंकि गर्भपात के बाद पूरी तरह से आराम करना आवश्यक है। गर्भपात के बाद ज़ोरदार गतिविधियों और व्यायाम बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
  • यदि गर्भपात के बाद अत्यधिक दर्द बना रहता है और रक्तस्राव कम नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में महिला को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • सर्जिकल गर्भपात के बाद कुछ हफ्तों तक स्तन में कोमलता और सूजन आना सामान्य बात है। गर्भपात के कारण होने वाली स्तनों की सूजन से निपटने के लिए महिला को स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
  • किसी भी जटिलता से बचने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देश का गंभीरता से पालन किया जाना चाहिए। यदि डॉक्टर ने रिकवरी के दौरान विशेष तरह का डाइट प्लान लेने के लिए सलाह किया है तो किसी भी हाल डाइट प्लान को टालना नहीं चाहिए।
  • गर्भपात के बाद यौन संबंध तभी बनाएं, जब गर्भशाय में दर्द के लक्षण कम न हो जाएं और महिला यौन संबंध बनाने के जल्दबाजी बिल्कुल भी न करें, फॉलो-अप अपोइंटमेंट के दौरान डॉक्टर से यौन संबंध बनाने से जुड़ी जानकारी के लिए सलाह जरूर लें।

11 वें सप्ताह में गर्भपात से जुड़े जोखिम और जटिलताएँ - Abortion Risks

किसी भी अन्य सर्जिकल प्रक्रिया की तरह, गर्भपात की सर्जरी के संभावित जोखिम एवं खतरा बना रहता है। लेकिन सर्जिकल गर्भपात के बाद किसी भी तरह की जटिलताएँ बहुत कम देखने को मिलती हैं, किसी भी समस्या से बचने के लिए महिला को उनके बारे में पता होना चाहिए। गर्भपात कराने वाली महिलाओं को गर्भपात के जोखिमों और जटिलताओं को समझने में मदद करने के लिए, हमने 11वें सप्ताह के गर्भपात के बाद होने वाली सामान्य समस्याओं की एक सूची बनाई है, जो इस प्रकार हैं:-

  • संक्रमण: गर्भपात की सर्जरी के बाद संक्रमण भी हो सकता है, जिससे संभावित रूप से बुखार, दर्द या डिस्चार्ज से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। संक्रमण के किसी भी लक्षण का पता लगाने और इसे रोकने के लिए तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।
  • गर्भाशय ग्रीवा में घाव : गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय का निचला हिस्सा, गर्भपात प्रक्रिया के दौरान टूट या घाव रह सकता है। इसके परिणामस्वरूप रक्तस्राव, असुविधा या दर्द हो सकता है। किसी भी गर्भाशय ग्रीवा की चोट की पहचान और प्रबंधन के लिए चिकित्सा निगरानी महत्वपूर्ण है।
  • गर्भाशय चिरा या कट लगाना: गर्भपात के दौरान गर्भाशय की दीवार(परत) में चीरा या कट लगाया जाता है। इससे आंतरिक रक्तस्राव, दर्द और अन्य जटिलताएँ हो सकती हैं। 
  • अत्यधिक रक्तस्राव: गर्भपात के बाद रक्तस्राव एक सामान्य घटना है। लेकिन, यदि रक्तस्राव अत्यधिक भारी या लंबे समय तक हो जाए, तो यह जटिलताओं का संकेत हो सकता है। गंभीर रक्त हानि को रोकने के लिए निरंतर निगरानी और डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता होती है।
  • गर्भशाय में अतिरिक्त टिश्यू ठहरना: कभी-कभी, गर्भपात के बाद, सभी भ्रूण ऊतक गर्भाशय से पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाते हैं। जिसके कारण रक्तस्राव, संक्रमण और अन्य जटिलताओं उत्पन्न हो सकती है। गर्भशाय में अतिरिक्त टिश्यू ठहरने के कारण दोबारा सर्जरी की आवश्यक हो सकती हैं।
  • दवाओं से एलर्जी: इस प्रक्रिया के दौरान या बाद में दी जाने वाली दवाइयों से एलर्जी प्रतिक्रिया या अन्य प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकताहैं। यदि किसी महिला में असामान्य लक्षण अनुभव होते हैं तो तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

इस बात का विशेष ध्यान दें कि गर्भपात से संबंधित जटिलताओं के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए क्योंकि उपचार में देरी से परिस्थितियाँ और भी जटिल बना सकती हैं।

क्या 11वें सप्ताह में गर्भपात कराना कानूनी रूप से वैध है?

हाँ, भारत में गर्भवती महिलाएँ कानूनी तौर पर 11 सप्ताह की प्रेगेनेंसी को समाप्त करने के लिए सर्जिकल गर्भपात करा सकती हैं। प्रेगेनेंसी के 24वें सप्ताह में गर्भपात कराने के लिए कानून की अनुमति लेनी पड़ती है। हालाँकि, कुछ स्थितियाँ हैं जिनके तहत इसकी अनुमति है:

  • यदि गर्भवती महिला की जान ख़तरे में है या उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हैं।
  • यदि गर्भवती की उम्र 18 वर्ष से कम है और जिसके कारण उसे मानसिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे स्थिति में कानूनी की अनुमति एवं अभिभावक(माता-पिता) की सहमति लेना आवश्यक होता हैं।
  • यदि अनचाही प्रेगेनेंसी या अनाचार के कारण हुई हो और बच्चा होने से महिला के शरीर या दिमाग को खतरा हो।
  • केवल वे डॉक्टर ही इस प्रक्रिया को कर सकते हैं जो गर्भपात करने के लिए अधिकृत और कुशल हैं। भारत में गर्भपात कानून लगभग पूरे देश में एक जैसे हैं, लेकिन अलग-अलग राज्यों में ये अलग-अलग हो सकते हैं। यह जानना महत्वपूर्ण है कि ये कानून बदल सकते हैं, इसलिए जो लोग गर्भपात चाहते हैं उन्हें नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिए डॉक्टर या वकील से बात करनी चाहिए।

प्रेगेनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात का खर्च

भारत के सभी क्लीनिकों और अस्पताओं में गर्भपात का खर्च अलग-अलग हो सकता है। प्रेगनेंसी के 9वें सप्ताह में  गर्भपात की अनुमानित खर्च की राशि 10,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये के बीच हो सकती है, लेकिन गर्भपात का कुल खर्च महिला के स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर अलग- अलग हो सकता है। गर्भपात का खर्च विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें महिला द्वारा चयनित जगह(शहर), डॉक्टर की फीस, गर्भपात से पहले आवश्यक शारीरिक ​​​​परीक्षणों का शुल्क, किसी अतिरिक्त सर्जिकल प्रक्रिया का शुल्क आदि शामिल हैं।

ये सभी कारक सामूहिक रूप से गर्भपात के खर्च को प्रभावित करते हैं। किसी विशेष मामले के लिए अन्य कारक भी कुल व्यय को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, गर्भपात कराने वाली महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे गर्भपात कराने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ गर्भपात के खर्च से संबंधी आवश्यक जानकारी पर चर्चा करें। ऐसा करके, वे सही निर्णय लेने में मदद मिल सकती हैं, और गर्भपात के लिए खुद को वित्तीय रूप से तैयार कर सकते हैं। प्रिस्टीन केयर में, हम किफायती कीमत पर प्रेगनेंसी के 9वें सप्ताह में सुरक्षित और प्रभावी गर्भपात करते हैं। गर्भपात कराने के लिए हमारे स्त्री रोग विशेषज्ञों से परामर्श लें या अपने नजदीक स्वास्थ्य सेवा केंद्र में गर्भपात की अनुमानित खर्च की राशि जानने के लिए, आज ही हमारी टीम से संपर्क करें।

11वें सप्ताह के गर्भपात के लिए बीमा कवरेज

गर्भपात के लिए स्वास्थ्य बीमा कवरेज इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भपात क्यों किया जा रहा है। सामान्यता, भारत में स्वास्थ्य बीमा कंपनियां अपनी बीमा या मेडिक्लेम पॉलिसियों में गर्भपात को कवर नहीं करती हैं, क्योंकि कई महिलाएं व्यक्तिगत कारणों से गर्भपात कराने का निर्णय लेती हैं। क्योंकि इस प्रक्रिया को चिकित्सीय आवश्यकता नहीं माना जाता है, इसलिए इसे बीमा कवरेज से बाहर रखा गया है, इसलिए महिला को गर्भपात के खर्च का पूरा भुगतान करना पड़ सकता है।

लेकिन, महिला के स्वास्थ्य की गंभीरता के आधार पर, स्वास्थ्य बीमा कंपनियां अपनी योजनाओं में गर्भपात के खर्च को कवर कर सकती हैं, खासकर यदि प्रक्रिया चिकित्सकीय रूप से आवश्यक कारणों से की गई हो। यदि इनमें गर्भवती महिला या भ्रूण के स्वास्थ्य के लिए जोखिम, भ्रूण की असामान्यताएं आदि शामिल हो सकते हैं। प्रेगनेंसी के 11वें सप्ताह में गर्भपात के लिए कवरेज से संबंधित जानकारी के लिए महिला को अपने स्वास्थ्य बीमा सलाहकार से संपर्क करना चाहिए।

गर्भपात के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रेगेनेंसी के 11वें सप्ताह में कौन-सा गर्भपात सुरक्षित है?

प्रेगेनेंसी के 11वें सप्ताह में, डॉक्टर आमतौर पर प्रेगेनेंसी को हटाने के लिए सर्जिकल गर्भपात प्रक्रिया का सुझाव देते हैं। 11वें सप्ताह में प्रेगेनेंसी मेडिकल गर्भपात को प्रभावी नहीं माना जाता है, और मेडिकल गर्भपात से जटिलताओं की संभावना अधिक होती है। 11वें सप्ताह की प्रेगेनेंसी को समाप्त करने के लिए सक्शन एस्पिरेशन या डाइलेशन और क्यूरेटेज तरीकों का सुझाव दिया जाता है।

क्या 11वें सप्ताह के गर्भपात में एनेस्थीसिया का उपयोग किया जाता है?

हाँ, प्रेगेनेंसी की सर्जिकल गर्भपात की प्रक्रिया शुरु करने से पहले एनेस्थीसिया दिया जाता है, ताकि सर्जरी के दौरान दर्द की रोकथाम से रोकथाम किया जा सके।

क्या 11 सप्ताह में गर्भपात गंभीर जटिलताएँ पैदा कर सकता है?

सर्जिकल गर्भपात से किसी गंभीर जटिलता उत्पन्न होने की अत्यधिक संभावना नहीं है। डॉक्टर आम तौर पर प्रक्रिया में पूरी सटीकता का उपयोग करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि महिला की सुरक्षा से कोई समझौता न हो। फिर भी, जटिलताओं का खतरा बना रहता है, जैसे संक्रमण, बुखार, अत्यधिक रक्तस्राव, नजदीकी अंग को नुकसान आदि।

क्या नाबालिग गर्भपात करा सकती है?

हाँ, भारत में नाबालिग गर्भपात करा सकती है लेकिन नाबालिक के गर्भपात के लिए उसके अभिभावकों (माता-पिता) की सहमति से और कानूनी स्वीकृति लेनी आवश्यक होती है।

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Medically Reviewed By
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Dr. Monika Dubey
24 Years Experience Overall
Last Updated : April 12, 2025

हमारे मरीजों की प्रतिक्रिया

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