बैरिएट्रिक सर्जरी मोटापे से निपटने के लिए एक प्रभावकारी इलाज है। यह उन लोगों के लिए वरदान है जो अत्यंत मोटापे से पीड़ित हैं और किसी ऐसी बीमारी से ग्रसित हैं, जिसके कारण उनकी जान भी जा सकती है। वजन घटाने की सर्जरी करवाएं और भारत में सर्वश्रेष्ठ बेरिएट्रिक सर्जनों की मदद से अपने स्वास्थ्य में सुधार लाएं।
बैरिएट्रिक सर्जरी मोटापे से निपटने के लिए एक प्रभावकारी इलाज है। यह उन लोगों के लिए वरदान है जो अत्यंत मोटापे से पीड़ित ... और पढ़ें
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बैरिएट्रिक सर्जरी (Bariatric Surgery meaning In Hindi) एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति अपने शरीर से अधिक वजन को घटाने में सफल हो पाते हैं। कुछ लोग स्वयं ही इस सर्जरी से गुजरने की इच्छा रखते हैं। लेकिन कुछ लोगों को सर्जन इस प्रक्रिया से गुजरने का सुझाव देते हैं। इससे भविष्य में होने वाली स्वास्थ्य संबंधित संभावित समस्याओं से पहले ही दूरी बनाई जा सकती है।
यदि आप अत्यंत मोटापे से पीड़ित हैं, तो आपके स्वास्थ्य प्रदाता या फिर चिकित्सक आपको वजन घटाने की सलाह दे सकते हैं। इस स्थिति में आपको बैरिएट्रिक सर्जरी का सुझाव भी दिया जा सकता है।
वास्तविक कीमत जाननें के लिए जानकारी भरें
इस बात में कोई शंका नहीं है कि अधिक मोटापा हर व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थिति के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। ऐसा कई बार देखा गया है कि जिन लोगों का वजन बहुत ज्यादा होता है, वह स्वयं ही इस स्थिति को नहीं संभाल पाते हैं। इस स्थिति में बैरिएट्रिक सर्जरी का सुझाव दिया जाता है, जो शरीर से अधिक वजन कम करने के लिए किया जाता है। यदि इस अधिक वजन का समय पर उपाय नहीं हुआ तो यह उनके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। प्रिस्टीन केयर में आप दूरबीन के द्वारा वजन घटाने का उपचार प्राप्त कर सकते हैं। हमारे द्वारा प्रिस्टीन केयर में बैरिएट्रिक सर्जरी कम से कम कट के साथ ज्यादा सफल परिणाम देने के लिए जाना जाता है। हम स्लीव गेस्ट्रोक्टॉमी, गैस्ट्रिक बाईपास, एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड, एंडोस्कोपिक गैस्ट्रिक बैलून, जैसे प्रक्रिया का प्रयोग करते हैं। अक्सर प्रक्रिया का निर्णय रोगी के स्वास्थ्य स्थिति एवं उनके प्रोफाइल को देख कर लिया जाता है।
भारत के विभिन्न शहरों में हमारे अपने क्लीनिक हैं और हमने आधुनिक बुनियादी ढांचे और हर प्रकार की सुविधाओं वाले अस्पतालों को अपने पैनल में जोड़ा है। हमारे पास जनरल और लैप्रोस्कोपिक सर्जनों की एक इन-हाउस टीम है। उन्होंने अपने अनुभव और कौशल से कई लोगों की वजन घटाने में मदद भी की है, जो उन्हें एक भरोसेमंद सर्जन बनाता है। हमारे सर्जनों के पास लगभग 10 और उससे अधिक वर्षों का हर प्रकार की बैरिएट्रिक सर्जरी करने का अनुभव है। इनके अनुभव की एक खास बात है, जो उनकी सफलता दर है। आप विशेषज्ञों के साथ नि:शुल्क परामर्श सत्र बुक कर सकते हैं और वजन घटाने के लिए एक सफल उपचार की योजना बना सकते हैं।
निदान
किसी भी प्रकार की सर्जरी के लिए आपको कई लोगों से मिलना पड़ता है जो स्वास्थ्य सेवा देने के लिए जाने जाते हैं जैसे – इंटर्निस्ट, आहार विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक/मनोवैज्ञानिक, और बेरिएट्रिक सर्जन।
टेस्ट/परीक्षण
ऑपरेशन थिएटर में ले जाने से पहले, नर्स मूत्र कैथेटर और एक आईवी लाइन लगाती है। इसके साथ साथ ऑपरेशन थिएटर में और भी अलग अलग उपकरणों को आपके शरीर पर लगाया जाता है, जो आपके शरीर का तापमान, रक्तचाप, नाड़ी दर, श्वसन दर और ऑक्सीजन के स्तर को मापते हैं।
ऑपरेशन थिएटर में सर्जिकल कपड़े से पूरे शरीर को ढक दिया जाता है। सिर्फ पेट के क्षेत्र को खुला छोड़ देते हैं। त्वचा को एक केमिकल से पूरी तरह साफ कर दिया जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा कम से कम हो जाता है। सर्जरी निम्नलिखित चरणों में की जाती है –
शरीर में एक चीरा या कई छोटे छोटे चीरे लगाए जाते हैं। यदि खुला लैपरोटोमी (ऑपरेशन) किया जा रहा है, तो पेट और आंत तक पहुंचने के लिए पेट में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है। चीरे का सटीक आकार और स्थान आपके डॉक्टर के द्वारा चुने गए बैरियाट्रिक सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है।
मिनिमली इनवेसिव लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया या दूरबीन सर्जरी के मामले में, सर्जन पेट में लगभग 1-2 इंच लंबे चार से छह छोटे चीरे लगाते हैं। मेसोथेलियम (पेट के अंगों को घेरने वाली ऊतक) में भी चीरा लगाया जाता है, जिससे सर्जरी में कोई समस्या नहीं आती।
सर्जरी का अगला चरण विशेष रूप से सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है। आपके डॉक्टर के द्वारा चुने गए सर्जरी में निम्नलिखित में से एक या अधिक चरण शामिल होने की संभावना है –
पेट और छोटी आंत में आवश्यकता के अनुसार सर्जरी हो जाने के बाद, उन चीरों को बैंडेज के साथ बंद कर दिया जाता है। पेट के अंदर एक अस्थायी नली भी डाली जाती है, जो शरीर के बाहरी हिस्से तक फैली हुई होती है, जो पाचन क्रिया में आपकी सहायता करता है।
ऑपरेशन के बाद बेहोशी की दवा को बंद कर श्वास नली को हटा दिया जाएगा। एनेस्थीसिया टीम एक बात का खास ख्याल रखेगी कि रिकवरी रूम में ले जाने से पहले आपको सांस लेने में कोई समस्या न हो।
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ऑपरेशन से पहले सर्जन आपको कुछ निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए कहते हैं, जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। कुछ दिशा निर्देश इस प्रकार हैं –
आपके अस्पताल में भर्ती होने के बाद, मेडिकल टीम द्वारा सर्जरी की तैयारी शुरू करने से पहले आपसे एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कराया जाएगा, जो सर्जरी से पहले अनिवार्य होता है।
वजन घटाने के ऑपरेशन के दौरान इन जटिलताओं का सामना आपको करना पड़ सकता है –
इनमें से अधिकांश जोखिमों को एक अनुभवी सर्जन पहले से ही पहचान सकते हैं और समय पर इसका इलाज ढूंढ सकते हैं। समय पर सही कदम आपको इन जटिलताओं से बचा सकता है।
आप सर्जरी के बाद थोड़े विचलित हो सकते हैं। सर्जरी के बाद अगले कुछ घंटों में आप रिकवरी मोड पर होंगे, जहां मशीनें आपके रक्तचाप, नाड़ी, ऑक्सीजन संतृप्ति और श्वसन दर के बारे में निरंतर अंतराल में आपको बताएगी। नर्स उन घावों की जांच भी करेंगी, जो ऑपरेशन के दौरान आपको दिए गए हैं और उसी के अनुसार दर्द की दवा भी दी जाएगी।
ऑपरेशन के बाद पेशाब की नली में लगी कैथेटर को हटा दिया जाएगा और नर्स यह सुनिश्चित करेंगी कि आपको पेशाब करने और मल त्याग करने में कोई समस्या न हो।
इस बात की अधिक संभावना है कि बेरिएट्रिक सर्जरी के बाद आपको कई दिनों तक अस्पताल में ही रहना पड़े। अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, नर्स और डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी करते हैं।
बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद मानसिक और शारीरिक तौर पर रिकवरी एक लंबी प्रक्रिया है। अर्थात, इस ऑपरेशन के बाद व्यक्ति को ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है। यदि रोगी जल्द से जल्द ठीक होना चाहता है तो उसे बहुत सारी चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, आपको अपने जीवन में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन करने होंगे, जिसका अर्थ है कि रोगी को एक नई जीवन शैली के अनुकूल होना होगा। इस प्रकार, वजन घटाने की सर्जरी के बाद एक मरीज औसतन 2 से 3 महीने में ठीक हो सकता है।
इस पूरे ठीक होने की प्रक्रिया के दौरान रोगी को बार बार डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए आना होगा। उन परामर्श सत्रों के दौरान डॉक्टर इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि सभी चीजें ठीक है। पहले महीने के सत्रों के बाद टांकों और ड्रेन को हटा दिया जाता है। डॉक्टर जख्मों का निरीक्षण करते हैं और संक्रमण के खतरे को देखते हैं। यदि सभी चीजें ठीक है, तो ड्रेसिंग को बदल दिया जाता है।
पूर्ण रूप से ठीक होने के लिए आपको अपने मेडिकल टीम के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता होती है। वह आपको अपने जीवन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने में भी सहायता कर सकते हैं।
आमतौर पर, बेरियाट्रिक सर्जरी कराने के बाद पहले दो वर्षों में एक मरीज शरीर के अतिरिक्त वजन का लगभग 66% से 80% तक कम कर सकता है। इस प्रतिशत की संख्या में उतार चढ़ाव आप देख सकते हैं। इस अस्थिरता का कारण आपके डॉक्टर के द्वारा चुनी गई प्रक्रिया है।
बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद शरीर के लिए कुछ पोषक तत्वों को समाहित करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है जैसे –
इन सभी आवश्यक पोषक तत्वों को अपने शरीर से खोने से बचने के लिए आपको मल्टीविटामिन और अन्य पूरक लेने होंगे, जो आपके शरीर में इन सभी की कमी होने से रोकता है।
नहीं, दूरबीन से ऑपरेशन के लगभग ओपन सर्जरी के जैसे ही जोखिम है। दोनों के बीच जो महत्वपूर्ण अंतर है, वह है चीरे का आकार। दूरबीन से ऑपरेशन के दौरान छोटा चीरा लगाया जाता है, जिसके कारण आप जल्द से जल्द ठीक होने लगते हैं और ऑपरेशन के कुछ समय बाद निशान भी खत्म होने लगते हैं।
भारत में बेरियाट्रिक सर्जरी की औसतन लागत (बेरिएट्रिक सर्जरी का खर्च) लगभग रु. 2,25,000 से 3,00,000 है। लागत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, इसलिए, यह प्रत्येक रोगी के लिए अलग भी हो सकती है।
हां, बैरिएट्रिक सर्जरी या वजन घटाने के लिए ऑपरेशन हेल्थ इंश्योरेंस या स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत आता है। इसके लिए रोगी को उपचार और किसी प्रमाणित डॉक्टर के द्वारा सुझाव का प्रमाण देना होगा। आसान भाषा में कहें तो रोगी को इस सर्जरी में बीमा का फायदा तभी मिलेगा, जब किसी डॉक्टर के द्वारा इसका सुझाव दिया जाएगा। इस संबंध में अधिक जानकारी आपको अपने बीमा प्रदाता के द्वारा मिल सकती है।
इस ऑपरेशन में बिल्कुल भी दर्द नहीं होता क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में एनेस्थिया का उपयोग होता है। लेकिन जब इस दवा का प्रभाव खत्म होता है, तो व्यक्ति को थोड़ा दर्द हो सकता है। इससे बचने के लिए डॉक्टर के द्वारा आपको कुछ दवाओं का सुझाव दिया जा सकता है, जिसे आपको कुछ समय तक खाने की सलाह दी जाएगी।
इस सवाल का जवाब आपके उपचार में उपयोग होने वाली सर्जरी पर निर्भर करता है। आमतौर पर, आपको 2-3 दिनों के लिए अस्पताल में रहना पड़ सकता है, जिसमें आपका डॉक्टर आपकी समय समय पर जांच करता रहता है कि आपका शरीर उपचार के बाद कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है।
आमतौर पर डॉक्टर आपको उसी दिन चलने की सलाह देंगे। यदि ऐसा नहीं भी कर पाए तो आपको कम से कम बेड के सहारे खड़े होने को कहते हैं। अगले दिन से आपको डॉक्टर थोड़ा-थोड़ा चलने की सलाह दे सकते हैं।
हर प्रकार के बैरिएट्रिक सर्जरी के अपने फायदे एवं नुकसान है। इसमें सर्जन रोगी के स्वास्थ्य का आकलन करते हैं और फिर उनके स्वास्थ्य के अनुसार सबसे उत्तम उपचार का चयन करते हैं।
1: स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी – इस प्रक्रिया को स्लीव के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें लगभग 80% पेट को बाहर निकाला जाता है। बचे हुए पेट को केले के आकार दे दिया जाता है।
इस प्रक्रिया की सफलता के लिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है जैसे – कम भोजन और तरल पदार्थ का सेवन। इससे आपके शरीर में कम कैलोरी आएगी, जिसके लिए आपके शरीर को अधिक मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। पेट का वह हिस्सा जो भूख के हार्मोन उत्पादन का मुख्य हिस्सा है, उसे सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है। इस प्रकार, रोगी को पहले जैसी भूख नहीं लगेगी और वह कम खाएगा। इन सभी के कारण व्यक्ति स्वस्थ रहेगा, एवं उसका रक्त शर्करा का स्तर भी सामान्य रहेगा।
स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी का अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है और यह मोटापे से संबंधित चिकित्सा स्थितियों के उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए एक उपयुक्त प्रक्रिया है। हालांकि, यह एक गैर-प्रतिवर्ती प्रक्रिया है, इसका अर्थ यह है कि इस प्रक्रिया के बाद शरीर पहले जैसा नहीं रह पाता।
2: रॉक्स-एन-वाई गैस्ट्रिक बाईपास (आरवाईजीबी) – कई मामलों में, रॉक्स-एन-वाई (वाई के रूप में) को ही गैस्ट्रिक बाईपास कहा जाता है, लेकिन गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी करने के लिए अन्य तरीके भी उपलब्ध हैं। इस प्रक्रिया का उपयोग उन लोगों पर किया जाता है जिनकी उम्र 50 वर्ष से ऊपर होती है। इस प्रक्रिया को करने के लिए दूरबीन का प्रयोग होता है, जो इसे पहले से ज्यादा सुरक्षित एवं कारगर बनाता है।
इस प्रक्रिया में पेट को दो भाग में विभाजित किया जाता है। पहला भाग पेटा का उपरी भाग होता है जो एक थैली के रूप में दिखता है और पेट के दूसरा बड़े हिस्से को बाईपास कर दिया जाता है। इसके बाद छोटी आंत को दो भाग में विभाजित किया जाता है। लगभग 18 इंच का चीरा, छोटी आंत में लगाया जाता है और पेट के उस छोटे भाग को छोटी आंत से जोड़कर बाईपास कर दिया जाता है। पेट का निचला या बड़ा हिस्सा भी छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है, ताकि पाचन क्रियाओं में समस्या न उत्पन्न हो।
जो पेट का छोटा हिस्सा होगा, वह कम खाने को अपने अंदर रख पाता है, जिसके कारण व्यक्ति कम कैलोरी खाता है। इसके अलावा, भोजन छोटी आंत के पहले हिस्से के संपर्क में नहीं आएगा, जिसका अर्थ है खाने में पोषक तत्वों को शरीर अपने अंदर समाहित करने में असमर्थ हो जाएगा।
यह वजन घटाने के सबसे विश्वसनीय और लंबे समय तक चलने वाले तरीकों में से एक है। हालांकि प्रक्रिया अन्य तकनीकों की तुलना में अधिक जटिल है, लेकिन यह अत्यधिक फायदेमंद भी है।
3: समायोज्य गैस्ट्रिक बैंड (एजीबी)
गैस्ट्रिक बैंड सिलिकॉन से बना एक उपकरण है, जो इस सर्जरी में एक अहम भूमिका निभाता है। इस बैंड को पेट के ऊपरी भाग पर लगाया जाता है। इसके कारण रोगी के भोजन की सेवन क्षमता सीमित हो जाती है। जब इस उपकरण को पेट में लगाया जाता है तो बैंड के ऊपर एक छोटा पाउच बनाता है और पेट का बड़ा हिस्सा बैंड के नीचे रहता है।
इस प्रक्रिया का मूल मंत्र पेट के खुलने के आकार को छोटा करना है। जब आकार छोटा होता है तो कम खाने की सलाह दी जाती है। इस प्रक्रिया में सबसे कम जटिलताएं उत्पन्न होती है और इसमें पेट और आंत का किसी भी प्रकार का कोई विभाजन नहीं होता है। हालांकि, आवश्यकतानुसार इस बैंड को कभी भी हटाया जा सकता है और सर्जरी के कई जोखिमों को कम भी किया जा सकता है।
बैंड को कई बार समायोजित भी किया जा सकता है। जिसके कारण वजन कम करने की प्रक्रिया इस प्रकार की सर्जरी में थोड़ी धीमी रहती है।
4: डुओडेनल स्विच (बीपीडी/डीएस) के साथ बिलियोपेंक्रिएटिक डायवर्सन – आमतौर पर, इसे बीपीडी-डीएस कहा जाता है और इस प्रक्रिया में एक ट्यूब की तरह दिखने वाले थैली का निर्माण किया जाता है, जो इसे स्लीव गेस्ट्रोक्टॉमी की तरह बनाता है। पेट के स्लीव के निर्माण के बाद छोटी आंत के पहले भाग को पेट से सारे एहतियात बरत कर अलग कर लिया जाता है। मध्य भाग से आंत को ऊपर लाया जाता है और नवनिर्मित पेट के ऊपरी भाग से इसे जोड़ दिया जाता है।
इस प्रक्रिया के कारण जब भी रोगी खाना खाता है तो खाना पेट से सीधा आंत के मध्य हिस्से में चला जाता है, जिसका अर्थ यह है कि रोगी को कम से कम कैलोरी का सेवन करना होता है। इस सर्जरी के कारण छोटी आंत के लगभग 75% भाग को बाईपास कर दिया जाता है। सभी विकल्पों में से बीपीडी – डीएस का सबसे ज्यादा एवं अच्छा सफलता दर है। लेकिन इसी के साथ इस प्रक्रिया में जटिलताओं का दर भी सबसे ज्यादा है। इन मामलों में कभी कभी शरीर में विटामिन और पोषक तत्वों की कमी भी देखने को मिलती है।
KIRAN REDEKAR
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