बेनिग्न प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया, बीपीएच, या प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ना एक सामान्य स्थिति है, जो आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के पुरुषों को प्रभावित करता है। इसके कारण लोगों में गंभीर मूत्र संबंधी लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। प्रिस्टीन केयर बीपीएच के सभी ग्रेड के लिए आधुनिक और कम से कम चीरा लगा कर इलाज प्रदान करता है। आज ही हमसे संपर्क करें और अपने आस-पास के सर्वश्रेष्ठ मूत्र रोग विशेषज्ञों से मुफ्त परामर्श बुक करें और अपने मूत्र संबंधी लक्षणों से छुटकारा पाएं।
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ग्रेड -2 बीपीएच, प्रोस्टेट वृद्धि का दूसरा चरण है, जिसमें मध्यम लक्षण होते हैं, जो रोगी के दैनिक जीवन को धीरे धीरे प्रभावित करना शुरू कर सकता है। ग्रेड-2 बीपीएच का इलाज दवाओं के माध्यम से संभव है, लेकिन कुछ मामलों में दवाएं प्रभावकारी साबित नहीं होती है। इस संबंध में आपको ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है।
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निदान
ऑपरेशन से पहले, स्थिति का पूर्ण आकलन होना अनिवार्य है। निदान के दौरान डॉक्टर कुछ ऐसे टेस्ट का सुझाव भी दे सकते हैं, जो आपके समग्र स्वास्थ्य के बारे में पता चल सकता है। इस परीक्षण के परिणाम के माध्यम से इस बात की पुष्टि हो सकती है कि आपको इलाज के दौरान या बाद में किसी भी प्रकार की जटिलता नहीं होगी। यदि निदान के माध्यम से किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य स्थिति का पता चलता है, तो इलाज के पश्चात अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ सकती है। इस बात की अधिक संभावना है कि मूत्र रोग विशेषज्ञ आपसे आपके चिकित्सा एवं सर्जिकल इतिहास के बारे में पूछ सकता है। इसके साथ साथ वह आपसे आपके द्वारा उत्पन्न होने वाले लक्षणों के बारे में भी पूछ सकते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर आपके इलाज में अहम भूमिका निभाते हैं। कुछ डायग्नोस्टिक टेस्ट हैं जिनका सुझाव आपके मूत्र रोग विशेषज्ञ दे सकते हैं। नीचे बताए गए टेस्ट का सुझाव दिया जा सकता है –
इलाज
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि ऑपरेशन बढ़े हुए प्रोस्टेट के लक्षणों को कम करने के लिए एक प्रभावी इलाज है। लेकिन यह ग्रेड-1 और ग्रेड-2 के रोग में आवश्यक इलाज प्रक्रिया नहीं है। यहां एक बात की संभावना बनती है कि मूत्र रोग विशेषज्ञ ऑपरेशन से पहले उत्पन्न हो रहे लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाओं का सुझाव भी दे सकते हैं। यदि आप इस रोग के लिए बिना ऑपरेशन के विकल्प की तलाश में हैं तो अल्फा ब्लॉकर्स, 5-अल्फा रिडक्टेस इनहिबिटर या टाडालाफिल जैसी दवाएं आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकती हैं। लेकिन यहां आपको एक बात का ख्याल रखना होगा कि इन दवाओं का असर 5-6 माह तक ही रहेगा। इस अवधि के बीत जाने के पश्चात आपको ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है। बढ़े हुए प्रोस्टेट के ऑपरेशन के तीन मुख्य तरीके हैं –
टीयूआईपी: ट्रांसयूरेथ्रल इनसीजन ऑफ द प्रोस्टेट (टीयूआईपी) ऑपरेशन एक बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण मूत्र संबंधी लक्षणों के उपचार की एक न्यूनतम इनवेसिव विधि है। न्यूनतम इनवेसिव विधि का अर्थ है कम से कम चीरे के साथ ऑपरेशन। इस प्रक्रिया का सुझाव तब दिया जाता है जब युवा पुरुष अपने प्रजनन क्षमता के बारे में चिंतित होते हैं। अन्य दो प्रक्रियाओं के समान, टीयूआईपी में भी एक रेक्टोस्कोप का उपयोग होता है। एक बार जब रेक्टोस्कोप प्रोस्टेट ग्लैंड के पास पहुंच जाता है, तो टीयूआपी और एचओएलईपी प्रक्रिया विधि के समान प्रोस्टेट के ऊतकों को टुकड़ों में काटने के बजाय, प्रोस्टेट और मूत्राशय के जोड़ में बहुत छोटे छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इसके कारण मूत्र मार्ग चौड़ा हो जाता है और इससे समस्या का निवारण भी हो जाता है।
जीवनशैली में बदलाव बीपीएच के मध्यम लक्षणों को कम करने में बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं। आपका मूत्र रोग विशेषज्ञ जीवन शैली में कुछ परिवर्तन का सुझाव दे सकता है। नीचे दिए गए बदलावों का सुझाव आपको आपके डॉक्टर के द्वारा मिल सकता है।
प्रारंभिक अवस्था में बढ़े हुए प्रोस्टेट का इलाज करने से कई लाभ हो सकते हैं जैसे:
भोजन और जीवनशैली से जुड़े सुझाव
Post-Surgery Follow-Up
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24*7 सहायता
ग्रेड-1 और ग्रेड-2 बीपीएच के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि ग्रेड-1 बीपीएच में मूत्र संबंधी लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन इससे रोगी के दैनिक जीवन में कोई बड़ी समस्या होने की संभावना कम होती है और ज्यादातर मामलों में किसी भी प्रकार के ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होती है। वहीं ग्रेड-2 बीपीएच के मामले में, लक्षण और भी ज्यादा परेशान करने लगते हैं, जो किसी व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित करना शुरू कर सकते हैं। इलाज के लिए, मूत्र विशेषज्ञ कुछ दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। अगर दवाएं अपना कार्य करने में विफल रहती हैं तो ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प नजर आता है।
यदि इस स्थिति का इलाज नहीं होता है तो इस बात की अत्यधिक संभावना है कि आपके प्रोस्टेट ग्लैंड का आकार बढ़ता रहेगा और मूत्र संबंधी समस्याएं आपको समय समय पर परेशान करती रहेगी। बढ़े हुए प्रोस्टेट के गंभीर मामलों में पेशाब करने में पूर्ण अक्षमता, मूत्राशय की पथरी का निर्माण, मूत्र पथ के संक्रमण और गुर्दे की क्षति हो सकती है।
आमतौर पर प्रोस्टेट ग्लैंड के मामलों में ऑपरेशन 80 mm तक या उससे अधिक मात्रा के साथ आवश्यक होती है।
आप इस रोग के लक्षणों को दवाओं से कुछ समय के लिए ठीक कर सकते हैं, लेकिन प्रोस्टेट का ऑपरेशन (टीयूआरपी) को आमतौर पर बढ़े हुए प्रोस्टेट का सबसे अच्छा और प्रभावी इलाज माना जाता है।