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मोतियाबिंद ऑपरेशन (Motiyabind Ka Operation) - आधुनिक लेजर सर्जरी से कराये मोतियाबिंद का इलाज

अगर आपको धुंधला दिखाई दे, दूर या पास का कम दिखाई दे, रात में देखने में कठिनाई, पढ़ने में परेशानी, रंगों का फीका पड़ना और चीज़ों का डबल दिखना जैसी समस्या से पीड़ित हैं तो संभल जाएं, यह आंखों में मोतियाबिंद के लक्षण भी सकते है। यदि आप मोतियाबिंद के प्रकार, निदान,उपचार एवं ऑपरेशन की सम्पूर्ण जानकारी लेना चाहते हैं तो प्रिस्टीन केयर के नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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मोतियाबिंद की सर्जरी (Cataract Surgery Meaning In Hindi): लक्षण, कारण और इलाज

मोतियाबिंद एक बहुत ही सामान्य नेत्र रोग है, जिसमें आंख का लेंस धीरे-धीरे धुंधला हो जाता है। यह स्थिति खासतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होती है, लेकिन अन्य कारकों से भी प्रभावित हो सकती है। भारत में, मोतियाबिंद के मामले बड़े पैमाने पर सामने आते हैं, और यह नेत्रहीनता का एक प्रमुख कारण है। यदि आपकी दृष्टि धुंधली हो गई है, गाड़ी चलाते समय दिक्कत महसूस होती है, या किसी के चेहरे के भावों को पहचानने में समस्या होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी आंखों में मोतियाबिंद विकसित हो रहा है।

भारत में नेत्रहीनता का एक बड़ा कारण मोतियाबिंद है। लगभग 90 लाख से लेकर 1.2 करोड़ लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। हर साल, 20 लाख नए मोतियाबिंद के मामले सामने आते हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में 62.6 प्रतिशत नेत्रहीनता का प्रमुख कारण मोतियाबिंद है। हालांकि, आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और जागरूकता के कारण, इस स्थिति में सुधार हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 2003 से भारत में मोतियाबिंद के कारण होने वाली नेत्रहीनता में 25 प्रतिशत की कमी आई है।

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मोतियाबिंद क्या होता है?

मोतियाबिंद वह स्थिति है जब आंख का लेंस धीरे-धीरे धुंधला हो जाता है, जिससे दृष्टि स्पष्ट नहीं रहती। आंख का लेंस एक पारदर्शी भाग होता है जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में मदद करता है। रेटिना आंख के पिछले भाग में स्थित होता है, और यह प्रकाश को नर्व सिग्नल्स में बदलकर मस्तिष्क तक पहुंचाता है ताकि हम चीजों को स्पष्ट रूप से देख सकें। जब लेंस में क्लाउडीनेस (धुंधलापन) आ जाता है, तो प्रकाश लेंस से स्पष्ट रूप से नहीं गुजर पाता, जिससे जो इमेज हम देखते हैं वह धुंधली होती है। इस स्थिति को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहा जाता है।

मोतियाबिंद के कारण

मोतियाबिंद का सही कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ जोखिम कारक इसे उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें प्रमुख कारण हैं:

  • उम्र का बढ़ना: जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, आंख का लेंस अपनी पारदर्शिता खो देता है और धुंधला हो जाता है।
  • डायबिटीज: मधुमेह के रोगियों में मोतियाबिंद का खतरा अधिक होता है।
  • अधिक शराब का सेवन: अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है।
  • सूरज की किरणों का अधिक एक्सपोजर: सूर्य की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें भी आंख के लेंस को प्रभावित करती हैं और मोतियाबिंद का कारण बन सकती हैं।
  • पारिवारिक स्थिति: यदि आपके परिवार में किसी को मोतियाबिंद है, तो आपके इसे विकसित करने की संभावना अधिक हो सकती है।
  • उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप भी मोतियाबिंद के विकास में सहायक होता है।
  • मोटापा: मोटापा भी इस स्थिति का एक बड़ा कारण है।
  • आंखों में चोट लगना: आंखों में चोट या सूजन भी मोतियाबिंद का कारण बन सकती है।
  • पहले की गई आंखों की सर्जरी: किसी अन्य नेत्र सर्जरी के बाद भी मोतियाबिंद का विकास हो सकता है।
  • लंबे समय तक स्टेरॉइड्स का उपयोग: लंबे समय तक कार्टिस्टेरॉइड दवाओं का सेवन करने से मोतियाबिंद का खतरा बढ़ता है।
  • धूम्रपान: धूम्रपान भी इस स्थिति को उत्पन्न करने में एक बड़ा कारक है।

मोतियाबिंद के लक्षण

मोतियाबिंद की शुरुआत में इसके लक्षण उतने स्पष्ट नहीं होते, लेकिन समय के साथ ये लक्षण गंभीर हो जाते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • दिखने में धुंधलापन या अस्पष्टता।
  • निकट दृष्टि दोष में वृद्धि, खासतौर पर बुजुर्गों में।
  • रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव, जैसे रंग फीके या मटमैले नजर आना।
  • रात में ड्राइविंग करने में कठिनाई, खासकर सामने से आती गाड़ी की हेडलाइट से आंखों में चकाचौंध होना।
  • दिन के समय अधिक चकाचौंध।
  • दोहरी दृष्टि (डबल विज़न)।
  • चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना।

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मोतियाबिंद की रोकथाम

हालांकि यह निश्चित नहीं है कि मोतियाबिंद को पूरी तरह से रोका जा सकता है या नहीं, लेकिन कुछ उपायों से इसके विकास को धीमा किया जा सकता है। इनमें शामिल हैं:

  1. नियमित रूप से आंखों की जांच: 40 वर्ष की उम्र के बाद नियमित रूप से आंखों की जांच कराना महत्वपूर्ण है ताकि शुरुआती अवस्था में ही मोतियाबिंद का पता चल सके।
  2. सूरज की किरणों से बचाव: सूर्य की UV किरणों से आंखों की सुरक्षा के लिए सनग्लासेस का उपयोग करें।
  3. स्वास्थ्य समस्याओं का सही उपचार: यदि आपको डायबिटीज या उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं, तो उनका उचित उपचार कराएं ताकि मोतियाबिंद का खतरा कम हो सके।
  4. स्वस्थ आहार: अपने आहार में रंग-बिरंगे फल और सब्जियां शामिल करें, जिनमें एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। ये आंखों की सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं।
  5. धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें: धूम्रपान और अधिक शराब पीने से बचें क्योंकि ये मोतियाबिंद का खतरा बढ़ा सकते हैं।

मोतियाबिंद का उपचार

जब चश्मे या लेंस से दृष्टि स्पष्ट न हो और यह आपकी दैनिक गतिविधियों को बाधित करने लगे, तो मोतियाबिंद का ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प होता है। सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है जब मोतियाबिंद के कारण जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो। मोतियाबिंद की सर्जरी में आंख के धुंधले लेंस को हटा दिया जाता है और उसकी जगह एक कृत्रिम लेंस (आईओएल) लगाया जाता है।

सर्जरी की प्रक्रिया

मोतियाबिंद सर्जरी एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है। इसमें दो मुख्य प्रकार की सर्जरी शामिल हैं:

  1. फेकोइमल्सिफिकेशन: इस तकनीक में एक छोटे चीरे के माध्यम से अल्ट्रासाउंड तरंगों का उपयोग करके लेंस को तोड़ा जाता है और फिर उसे हटा दिया जाता है। इसके बाद, कृत्रिम लेंस लगाया जाता है।
  2. एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन: इस प्रक्रिया में लेंस का एक बड़ा हिस्सा एक बार में हटा दिया जाता है और फिर कृत्रिम लेंस लगाया जाता है।

सर्जरी के बाद देखभाल

सर्जरी के बाद उचित देखभाल करना जरूरी है ताकि आंखें जल्दी स्वस्थ हो सकें। इसमें शामिल हैं:

  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों का नियमित सेवन करें।
  • आंखों को रगड़ने से बचें और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें और नियमित जांच के लिए जाएं।

मोतियाबिंद सर्जरी के प्रति जागरूकता

भारत में मोतियाबिंद सर्जरी के प्रति जागरूकता बढ़ी है, जिसके कारण मोतियाबिंद से होने वाली नेत्रहीनता में कमी आई है। लोग अब समय पर जांच और सर्जरी कराकर अपनी दृष्टि को बचा सकते हैं।

मोतियाबिंद से होने वाली दृष्टि समस्याएं गंभीर हो सकती हैं, लेकिन उचित उपचार और समय पर सर्जरी से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। जागरूकता और नियमित जांच के माध्यम से मोतियाबिंद के कारण होने वाली नेत्रहीनता को रोका जा सकता है, और लोग अपनी दृष्टि को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन (सर्जरी)

मोतियाबिंद के इलाज का एकमात्र स्थायी और कारगर उपाय ऑपरेशन है। मोतियाबिंद की सर्जरी में डॉक्टर आपकी आंख के धुंधले लेंस (मोतियाबिंद) को निकालकर उसकी जगह एक कृत्रिम लेंस लगाते हैं। इस कृत्रिम लेंस को इंट्राऑक्युलर लेंस (IOL) कहते हैं। इस सर्जरी के बाद मरीज की दृष्टि पुनः स्पष्ट हो जाती है और उसे अपने रोजमर्रा के कार्यों में आसानी होती है। हालांकि, कुछ मामलों में पढ़ने या नजर के अन्य कार्यों के लिए चश्मे की आवश्यकता पड़ सकती है।

मोतियाबिंद सर्जरी पिछले कुछ वर्षों में काफी उन्नत हो गई है। पहले यह केवल रिस्टोरेटिव सर्जरी होती थी, जिसमें सिर्फ धुंधला लेंस बदला जाता था, लेकिन अब यह रिफ्रैक्टिव सर्जरी में बदल गई है, जिससे चश्मे पर निर्भरता भी कम हो जाती है। आधुनिक तकनीकों के कारण अब चीरे का आकार भी बहुत छोटा होता है, जिससे मरीज को तेजी से आराम मिलता है और सर्जरी के बाद बेहतर दृष्टि परिणाम मिलते हैं।

सर्जरी का समय

मोतियाबिंद का ऑपरेशन उस समय करवाना चाहिए जब यह आपकी दैनिक गतिविधियों में दिक्कतें पैदा करने लगे। इसे “पकने” का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं होती। जब भी आपकी दृष्टि में इतना बदलाव हो जाए कि वह आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने लगे, तब सर्जरी करवा लेना बेहतर होता है।

अधिकतर मामलों में दोनों आंखों की सर्जरी एक साथ नहीं की जाती। पहले एक आंख की सर्जरी की जाती है, और अगर परिणाम अच्छे आते हैं, तो दूसरी आंख की सर्जरी कुछ दिनों बाद की जा सकती है। यह डॉक्टर और मरीज की सहूलियत के आधार पर तय होता है।

 

सर्जिकल प्रक्रिया

1. फेकोइमल्सिफिकेशन (Phacoemulsification)

यह सबसे सामान्य और आधुनिक प्रक्रिया है। इसमें लेंस को अल्ट्रासाउंड तरंगों की मदद से छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर एक छोटी नली के माध्यम से बाहर निकाला जाता है। यह प्रक्रिया छोटे चीरे से की जाती है, जिससे मरीज को तेजी से आराम मिलता है और उसे सर्जरी के बाद कम समय में ठीक होने का अवसर मिलता है।

2. एक्सट्राकैप्सुलर कैटरेक्ट एक्सट्रैक्शन (Extracapsular Cataract Extraction)

इस प्रक्रिया में लेंस को एक पीस में निकाला जाता है, जिससे लेंस के कैप्सूल को बचाया जाता है। इस तकनीक में भी चीरे का आकार छोटा होता है, और इसका उपयोग तब किया जाता है जब मोतियाबिंद की स्थिति काफी उन्नत हो चुकी होती है।

3. इंट्राकैप्सुलर कैटरेक्ट एक्सट्रैक्शन (Intracapsular Cataract Extraction)

यह एक पुरानी और अब कम इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है, जिसमें लेंस और लेंस के कैप्सूल को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को आज के समय में बहुत कम मामलों में उपयोग किया जाता है।

4. माइक्रोइंसिजन या रेग्युलर फैको सर्जरी

इस सर्जरी में लेंस को निकालने के लिए छोटे चीरे और वैक्यूम का उपयोग किया जाता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में लगाए गए IOL लेंस उतने स्थिर नहीं होते, जितने फेकोइमल्सिफिकेशन में होते हैं।

5. रोबोटिक या फेमटोसेकंड कैटरेक्ट सर्जरी

यह आधुनिक तकनीक है जिसमें लेज़र बीम का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से ब्लेड-फ्री होती है और इसमें टांके लगाने की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रक्रिया में दर्द भी बहुत कम होता है और इसके परिणाम बेहतर होते हैं। हालांकि, यह सर्जरी अन्य तरीकों की तुलना में महंगी होती है और इसमें थोड़ा अधिक समय लगता है।

6. जेप्टो कैटरेक्ट सर्जरी

इस सर्जरी में जेप्टो कैप्सूलोटॉमी डिवाइस का उपयोग किया जाता है। यह फेमटोसेकंड लेज़र सर्जरी की तुलना में सस्ती होती है और उन मरीजों के लिए उपयुक्त होती है जिनकी पुतलियां छोटी होती हैं या जिनकी आंखों में कॉर्नियल ओपेसिटीज़ होती हैं। इस तकनीक से सर्जरी आसान हो जाती है और अधिक जटिल मामलों में इसका उपयोग किया जाता है।

मोतियाबिंद सर्जरी से पहले की तैयारी

अगर आपको मोतियाबिंद की समस्या है लेकिन सर्जरी की सलाह अभी नहीं दी गई है, तो कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. आपके चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का नंबर सही होना चाहिए ताकि आपको स्पष्ट दिखाई दे सके।
  2. पढ़ने के लिए अतिरिक्त प्रकाश की आवश्यकता हो तो मैग्नीफाइंग ग्लास का उपयोग करें।
  3. अपने घर में अच्छी रोशनी की व्यवस्था करें, खासकर पढ़ने-लिखने वाले स्थानों पर।
  4. जब भी बाहर धूप में जाएं तो सनग्लासेस का उपयोग करें ताकि सूरज की हानिकारक किरणों से आंखों को बचाया जा सके।
  5. रात में गाड़ी चलाने से बचें, क्योंकि मोतियाबिंद के मरीजों के लिए रात में दृष्टि और भी धुंधली हो सकती है।

हालांकि ये उपाय थोड़े समय तक मदद कर सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे मोतियाबिंद गंभीर होता जाता है, दृष्टि अधिक धुंधली होती जाती है। जब यह आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों को प्रभावित करने लगे, तब आपको सर्जरी की आवश्यकता होती है।

सर्जरी के बाद की देखभाल

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद मरीज को कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए ताकि वह जल्दी ठीक हो सके और बेहतर परिणाम प्राप्त कर सके:

  1. सर्जरी के बाद जल्द ही मरीज सामान्य कार्यों जैसे चलने, पढ़ने, लिखने और टीवी देखने जैसी गतिविधियों को कर सकता है। हालांकि, थकावट वाले कार्यों से पहले हफ्ते में बचना चाहिए।
  2. सर्जरी के बाद आपको डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए। आपको आंखों की साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा और आंखों को रगड़ने से बचना होगा।
  3. सर्जरी के बाद मरीजों को आमतौर पर एक या दो दिन में स्पष्ट दृष्टि मिल जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में सुधार तुरंत भी दिख सकता है।
  4. सर्जरी के बाद आपको आंखों में खुजली या हल्की जलन हो सकती है, जो सामान्य है। डॉक्टर द्वारा दिए गए आई ड्रॉप्स का नियमित उपयोग करना चाहिए।
  5. सर्जरी के बाद आपको डॉक्टर से नियमित जांच करानी होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आंखें सही तरीके से ठीक हो रही हैं।
  6. किसी भी प्रकार की भारी उठाने वाली गतिविधियों या जोरदार शारीरिक क्रियाओं से बचना चाहिए, क्योंकि इससे आंखों पर दबाव पड़ सकता है।

मोतियाबिंद सर्जरी की सफलता दर

मोतियाबिंद सर्जरी एक बहुत ही सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया मानी जाती है। इसकी सफलता दर लगभग 98 प्रतिशत से अधिक है। ज्यादातर मामलों में मरीजों की दृष्टि में स्पष्ट सुधार होता है और वे बिना किसी जटिलता के अपने दैनिक कार्यों को पुनः करने में सक्षम हो जाते हैं।

हालांकि, हर सर्जरी की तरह, इसमें भी कुछ जोखिम होते हैं, जैसे कि संक्रमण, सूजन, रक्तस्राव, या लेंस का सही जगह पर न लगना। लेकिन ये समस्याएं बहुत कम होती हैं और अगर सर्जरी के बाद सही देखभाल की जाए तो इनका खतरा और भी कम हो जाता है।

मोतियाबिंद सर्जरी एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार है जो धुंधली दृष्टि को ठीक करने में मदद करता है। यह सर्जरी आधुनिक तकनीकों और उपकरणों के साथ बहुत आसान हो गई है। हालांकि मोतियाबिंद को प्राकृतिक तरीके से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन सर्जरी से मरीजों की दृष्टि को पुनः सामान्य किया जा सकता है।

अगर आपको मोतियाबिंद है और यह आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है, तो सर्जरी में देरी न करें। नियमित जांच कराकर सही समय पर सर्जरी कराएं ताकि आपकी दृष्टि ठीक हो सके और आप एक सामान्य जीवन जी सकें।

 

मोतियाबिंद सर्जरी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या मोतियाबिंद सर्जरी के बाद मेरी दृष्टि सामान्य रहेगी?

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद, दृष्टि में आमतौर पर काफी सुधार होता है। हालाँकि, व्यक्तिगत परिणाम भिन्न-भिन्न होते हैं। इष्टतम दृष्टि के लिए चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता होना आम बात है। किसी भी नेत्र की देखभाल और समाधान के लिए अपने नेत्र सर्जन के साथ नियमित फॉलो-अप अपोइंटमेंट जरूर लें।

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद आमतौर पर एक या दो दिन आराम करने की सलाह दी जाती है। हालाँकि, विशिष्ट आराम अवधि व्यक्तिगत स्वास्थ्य लाभ और सर्जन की सलाह के आधार पर भिन्न हो सकती है। सर्वोत्तम परिणाम के लिए अपने सर्जन के निर्देशों का पालन करें।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करवाना चाहिए?

मोतियाबिंद सर्जरी करवाने की सिफारिश तब की जाती है जब आंख के प्राकृतिक लेंस धुंधला पड़ने के कारण कोई भी वस्तु साफ नहीं दिखाई देती है, जिससे दैनिक गतिविधियों में बाधा आती है।

क्या आंख मोतियाबिंद की सर्जरी दर्दनाक है?

नहीं, मोतियाबिंद ऑपरेशन एक दर्दनाक प्रक्रिया नहीं है क्योंकि सर्जन प्रक्रिया से पहले आंख को सुन्न करने के लिए कुछ आई ड्रॉप का इस्तेमाल करता है। मरीज को पूरी प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होता और सुन्न करने वाली दवा का असर खत्म होने के बाद हल्की परेशानी हो सकती है।



मोतियाबिंद का ऑपरेशन के दौरान आँखों की रोशनी को सुधारने के कौन-से लेंस (IOLs) लगाए जाते हैं?

नेत्र सर्जन मरीज की जीवन शैली के आधार पर अलग-अलग इंट्राऑकुलर लेंस (IOLs) का इस्तेमाल करता है। मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आंखों की रोशनी को सुधारने के निम्नलिखित इंट्राऑकुलर लेंस (IOLs) लगाए जाते हैं 

  • मोनोफोकल लेंस
  • मल्टीफोकल लेंस
  • ट्राईफोकल लेंस
  • टोरिक लेंस

क्या बिना मोतियाबिंद का इलाज के किस प्रकार की परेशानी हो सकती हैं?

मोतियाबिंद से आपकी आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती हैं, जिससे आपकी दैनिक जीवन शैली प्रभावित होती है। मोतियाबिंद का लंबे समय तक इलाज न कराने से आंखों की रोशनी लगातार कमजोर होती है, जिससे आकस्मिक चोट, ग्लूकोमा और यहां तक ​कि अंधेपन का खतरा बढ़ सकता है। नेत्र रोग और यहां तक ​​कि अंधेपन के जोखिम से बचने के लिए नेत्र विशेषज्ञों परामर्श करें।



क्या भारत में मोतियाबिंद ऑपरेशन को स्वास्थ्य बीमा में कवर किया जाता है?

हां, भारत में स्वास्थ्य बीमा कंपनियां द्वारा मोतियाबिंद के ऑपरेशन के खर्च को कवर किया जाता है, क्योंकि मोतियाबिंद का ऑपरेशन चिकित्सा कारणों से किया जाता है। लेकिन, मोतियाबिंद ऑपरेशन के कितने खर्च को कवर किया जाएगा यह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी और कंपनियों द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों पर निर्भर करता है।



मोतियाबिंद ऑपरेशन में कितना समय लगता है?

मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए अलग-अलग तकनीकों से सर्जरी का समय नीचे दिया गया है-

  • माइक्रो-इंसिजन कैटरेक्ट सर्जरी (MICS): 5 से 15 मिनट का समय लगता है।
  • फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी(FLACS): 5 से 15 मिनट मिनट का समय लगता है।

क्या बिना ऑपरेशन के मोतियाबिंद का इलाज हो सकता है?

नहीं, मोतियाबिंद का इलाज ऑपरेशन के बिना नहीं किया जा सकता है। हल्के लक्षणों के लिए कई दवाएं प्रभावी हो सकती हैं, लेकिन ये दवाएं मोतियाबिंद को पूरी तरह से नहीं हटाती है। मोतियाबिंद के लिए सर्जरी ही एकमात्र उपचार का विकल्प है, जिसमें स्दृष्टि में सुधार करने के लिए धुंधले प्राकृतिक लेंस को हटाया जाता है और कृत्रिम लेंस (artificial lens) लगा दिया जाता है।



मोतियाबिंद के लिए कौन-सा आई ड्रॉप अच्छा है?

स्वास्थ्य शोध के अनुसार लेनोस्ट्रोल आई ड्रॉप्स को मोतियाबिंद के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी इलाज के रूप में माना जा सकता है| लेकिन अगर आप मोतियाबिंद की समस्या से ग्रस्त हैं, तो किसी भी आई ड्रॉप को इस्तेमाल करने से पहले नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें|



मोतियाबिंद कितने प्रकार के होते हैं?

मोतियाबिंद दो प्रकार के होते हैं :

  1. सफेद मोतिया: सफेद मोतिया को वाइट कैटरेक्ट के नाम से भी जाना जाता है। सफेद मोतिया की बढ़ते उम्र के साथ होने की संभावना होती है। वहीं यह आँखों के लेंस को धुँधला कर देता है। इसके वजह से आँखों के कुदरती लेंस के ऊपर सफ़ेद झिल्ली आ जाती है, जिससे आपकी आंखें दिन-प्रतिदिन प्रभावित होने लगती हैं।
  2. काला मोतिया: काला मोतिया आँखों की एक खतरनाक अवस्था है। इसे अंग्रेजी में Glaucoma के नाम से जाना जाता है। काला मोतिया होने पर आँखों की दृष्टि समय के साथ कम होती जाती है अगर समय पर इलाज न कराया जाये तो ये अंधेपन के क़रीब ले जा सकता है।



क्या मोतियाबिंद दवा से ठीक हो सकता है?

मोतियाबिंद की समस्या होने के बाद दवा से उसका इलाज करना संभव नहीं है। इस स्थिति में मोतियाबिंद ऑपरेशन ही एकमात्र उपाय बचता है। ऑपरेशन की मदद से मोतियाबिंद को बहुत ही आसानी से ठीक किया जा सकता है।



मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आंखों की रोशनी ठीक होने में कितना समय लगता है?

मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आंखों की रोशनी को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 1 महीना लग जाता है।



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Medically Reviewed By
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Dr. Piyush Kapur
28 Years Experience Overall
Last Updated : February 21, 2025

हमारे मरीजों की प्रतिक्रिया

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