एम्ब्र्यो ट्रांसफर/भ्रूण स्थानांतरण आईवीएफ प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है, जिसके बिना आईवीएफ प्रक्रिया का पूरा होना बेहद मुश्किल है। प्रिस्टीन केयर में आईवीएफ विशेषज्ञ सफल भ्रूण स्थानांतरण प्रक्रिया को उच्च सफलता दर के साथ इलाज करने के लिए प्रशिक्षित हैं। हमारे फर्टिलिटी विशेषज्ञों के साथ अपना अपॉइंटमेंट अभी बुक करें।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर/भ्रूण स्थानांतरण आईवीएफ प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है, जिसके बिना आईवीएफ प्रक्रिया का पूरा होना बेहद मुश्किल है। प्रिस्टीन केयर में ... और पढ़ें
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एम्ब्र्यो ट्रांसफर को आईवीएफ प्रक्रिया का अंतिम चरण माना जाता है। इस चरण में भ्रूण के आरोपण, भ्रूण के विकास और स्वस्थ गर्भावस्था के लिए निषेचित अंडे या भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रवेश कराया जाता है। आम तौर पर आईवीएफ में अंडे के पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के 5 से 6 दिनों के बाद भ्रूण स्थानांतरण किया जाता है।
फर्टिलिटी विशेषज्ञ इस प्रक्रिया के लिए निम्न में से किसी भी प्रकार के भ्रूण का उपयोग कर सकते हैं:
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मेडिकल के क्षेत्र में हर प्रक्रिया को सटीकता के साथ करने के लिए अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता पड़ती है। आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके हर चरण को करने के लिए सटीकता की सख्त आवश्यकता है। भ्रूण स्थानांतरण इसके सबसे महत्वपूर्ण चरणों की सूची में आता है। इसलिए, सटीकता अत्यधिक महत्वपूर्ण है। प्रिस्टीन केयर में हमारे प्रजनन विशेषज्ञों ने उच्च सफलता दर सुनिश्चित करते हुए कई आईवीएफ प्रक्रियाओं को सटीक रूप से निष्पादित किया है। प्रक्रिया हमारे सहयोगी अस्पतालों एवं फर्टिलिटी क्लीनिकों में की जाती है, जो अपने अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए विख्यात है। नीचे कुछ बिंदुओं के बारे में बताया गया है, जो बताते हैं कि प्रिस्टीन केयर आईवीएफ के इलाज के लिए क्यों बेहतर विकल्प है –
फर्टिलिटी विशेषज्ञ आईवीएफ और भ्रूण स्थानांतरण का सुझाव तब देते हैं, जब कोई माता पिता स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने असमर्थ रहते हैं। ऐसे में संतान प्राप्ति के लिए अन्य मार्ग भी होते हैं, जिनमें से एम्ब्र्यो ट्रांसफर एक अच्छे विकल्प के तौर पर उभर के सामने आ सकता है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं –
भ्रूण स्थानांतरण/ एम्ब्रियो ट्रांसफर एक दर्द रहित प्रक्रिया है, जिसे अस्पताल या फर्टिलिटी क्लिनिक में किया जाता है। इस प्रक्रिया में दर्द होने की कोई गुंजाइश नहीं होती। यह प्रक्रिया फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया के बाद की जाती है। आम तौर पर आईवीएफ में अंडों को पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के 5 दिन बाद किया जाता है। इस प्रक्रिया को करने के लिए निम्नलिखित चरणों का उपयोग किया जाता है।
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एम्ब्रियो ट्रांसफर के बाद महिलाओं को उसी दिन घर वापस भेज दिया जाता है। हालांकि, अंडाशय का आकार बढ़ जाने के कारण महिला को भारी कसरत, वजन उठाने और परिश्रम से बचने की सलाह देते हैं। इसके कारण प्रजनन प्रक्रिया में जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ मामलों में निम्नलिखित जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
ज्यादातर मामलों में यह समस्या आम होती है और समय के साथ यह कम होती नजर आती है। यदि यह जटिलताएं ज्यादा समय तक बनी रहती हैं, तो किसी संक्रमण का खतरा भी बना रह सकता है। इसके लिए आपको जल्द से जल्द किसी अनुभवी डॉक्टर से परामर्श प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
भ्रूण स्थानांतरण के लगभग एक सप्ताह के बाद, प्रजनन विशेषज्ञ गर्भावस्था की जांच के लिए आपके रक्त का नमूना लेंगे। पॉजिटिव आने पर डॉक्टर प्रसव पूर्व देखभाल की और अपना रुख करेंगे और अन्य सलाह देते हैं। हालांकि, यदि इसमें किसी भी प्रकार की नकारात्मकता दिखती है, तो डॉक्टर आपकी प्रोजेस्टेरोन दवा को बंद कर सकते हैं और आपको आईवीएफ एवं भ्रूण स्थानांतरण के दूसरे चक्र का प्रयास करने का सुझाव भी दे सकते हैं।
जब हम इस प्रक्रिया में जोखिम की बात करते हैं, तो जोखिम की मात्रा बहुत कम होती है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अधिकांश लोग इस प्रक्रिया के पश्चात एक या दो दिन में बिना किसी परेशानी के अपनी दिनचर्या में वापस आ सकते हैं। कुछ जोखिमों को हार्मोनल उत्तेजना में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो रक्त के थक्के बना सकते हैं या रक्त वाहिका को अवरुद्ध करने की क्षमता रखते हैं।
कुछ मामलों में, महिलाओं में खून बहना, योनि से तरल पदार्थ का बहना और संक्रमण का खतरा रहता है। एनेस्थीसिया के कारण भी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस बात की संभावना तब ज्यादा बढ़ जाती है, जब रोगी को एनेस्थिया से किसी भी प्रकार की एलर्जी हो। ऐसे में रोगी को अपनी इस स्थिति के बारे में डॉक्टर से पहले बात कर लेनी चाहिए। यहां एक गलत धारणा है कि इस प्रक्रिया के दौरान गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इस जटिलता की संभावना हर प्रकार के गर्भाधान में एक समान ही रहती है।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर से जुड़ी एकमात्र बड़ी जटिलता है एक से अधिक गर्भधारण होने की संभावना। इसके कारण जन्म से विकलांगता या मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के दर्द होने की गुंजाइश नहीं होती है और न ही रोगी को किसी भी प्रकार की कोई असुविधा का सामना करना पड़ता है। इस पूरी प्रक्रिया में एनेस्थीसिया का उपयोग होता है, जो रोगी को दर्द से बचाता है। लेकिन कुछ रोगियों को प्रक्रिया के बाद हल्का दर्द या मरोड़ हो सकता है, जो अपने आप ठीक हो सकता है।
इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की जटिलता और दुष्प्रभाव की संभावना काफी कम हो जाती है। लेकिन कुछ मामलों में रोगियों को निम्नलिखित स्थिति का सामना करना पड़ सकता है –
यह अलग अलग महिलाओं की स्थिति और उम्र पर निर्भर करता है। कम उम्र के रोगियों में एक या दो भ्रूण का उपयोग होता है और वहीं 30 से 40 वर्षों की महिलाओं के मामले में डॉक्टर चार या उससे अधिक भ्रूण का ट्रांसफर करते हैं, जिसके कारण बेहतर परिणाम उत्पन्न होते हैं।
बहुत सारे कारक हैं, जो आईवीएफ और एम्ब्र्यो ट्रांसफर की सफलता दर को निर्धारित करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं जैसे –
इस प्रक्रिया की सफलता आमतौर पर ट्रांसफर करने की विधि पर निर्भर करता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसिन में छपी एक रपट के मुताबिक, फ्रेश एम्ब्र्यो ट्रांसफर की सफलता दर 23 प्रतिशत है, वहीं फ्रोजन एम्ब्र्यो ट्रांसफर की सफलता दर लगभग 18 प्रतिशत है।
इसकी गणना करने के लिए कोई निर्धारित कारक नहीं है। लेकिन फिर भी कई फर्टिलिटी विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं कि फ्रोजन एम्ब्र्यो ट्रांसफर की सफलता दर फ्रेश एम्ब्र्यो ट्रांसफर की तुलना में बेहतर है। जितने डॉक्टर से आप मिलेंगे, वह आपको उतनी बातें बताएंगे।
Sreedevi Lakkoju
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