वैरिकाज़ और स्पाइडर वेंस आपकी जीवनशैली को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है, जिसके कारण दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को करना कठिन साबित हो सकता है। पूर्ण दीर्घकालिक राहत के लिए स्क्लेरोथेरेपी जैसे आधुनिक इलाज का साथ लें, जिसमें कम से कम कट लगाया जाता है। इसके लिए अपने पास के विशेषज्ञ वैस्कुलर डॉक्टरों से परामर्श प्राप्त करें। परामर्श के लिए तुरंत प्रिस्टीन केयर से संपर्क करें।
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स्क्लेरोथेरेपी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें रक्त वाहिकाओं और लसीका तंत्र में समस्या का इलाज किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्रभावित नसों में एक दवा को इंजेक्शन के द्वारा डाला जाता है। यह स्क्लेरोथेरेपी प्रक्रिया खराब और बंद नसों को जड़ से खत्म कर स्वस्थ नसों के माध्यम से रक्त प्रवाह को पुन: स्थापित करने में सहायता करता है। इस प्रक्रिया के पश्चात बंद और खराब हो गई नसें गायब हो जाती हैं और उन नसों को शरीर में मौजूद दूसरे ऊतक अपने अंदर समा लेते हैं।
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प्रिस्टीन केयर भारत में सबसे अच्छी और उच्च सफलता दर के साथ ऑपरेशन करने के लिए जाना जाता है। हमने अपने सभी रोगियों को किफायती दरों पर वैरिकाज़ वेंस के लिए एडवांस इलाज प्रदान करने के लिए पूरे भारत के कुछ सर्वश्रेष्ठ वैस्कुलर अस्पतालों के साथ टाई-अप किया है। इसके अतिरिक्त, प्रिस्टीन केयर के पास विशेषज्ञ वैस्कुलर सर्जनों की एक विशेष टीम है, जो एडवांस वैरिकाज़ वेंस के इलाज जैसे स्क्लेरोथेरेपी, वेन लिगेशन और स्ट्रिपिंग, आरएफए एब्लेशन आदि को बिना किसी जटिलता के अंजाम देते हैं।
प्रिस्टीन केयर रोगी को अन्य सहायक सेवाएं भी प्रदान करता है, जैसे स्वास्थ्य बीमा में पूर्ण सहायता, सभी कागजी कार्यवाही और अस्पताल में भर्ती में सहयोग, आसान किस्तों में भुगतान की योजना, आदि। इसके साथ साथ रोगी को अस्पताल से लेने और छोड़ने के लिए मुफ्त कैब सुविधा भी प्रदान की जाती है। ऑपरेशन के दिन और अस्पताल में भर्ती के दौरान मरीज के लिए भोजन का प्रबंध भी किया जाता है।
आमतौर पर स्क्लेरोथेरेपी को वैरिकाज़ और स्पाइडर वेन्स के उन मामलों में सुझाया जाता है, जिसमें हल्के लक्षण दिखाई देते हैं। इस प्रक्रिया को एक उत्तम इलाज की सूची में रखा जाता है, क्योंकि इस इलाज में किसी भी प्रकार के चीरे की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि रोगी नीचे बताए गए लक्षणों से जूझ रहे हैं, तो चिकित्सक स्क्लेरोथेरेपी इलाज की सलाह दे सकते हैं –
इलाज से पहले, रोगी को शारीरिक परीक्षण और नैदानिक मूल्यांकन से गुजरना पड़ता है। इसके द्वारा डॉक्टर इस बात की जांच करते हैं कि आप कहीं किसी और समस्या से तो नहीं गुजर रहे हैं या आपको किसी भी प्रकार की एलर्जी है या आप किसी रोग के लिए नियमित दवाएं तो नहीं ले रहे हैं। शारीरिक परीक्षण के दौरान, डॉक्टर प्रभावित नसों का मूल्यांकन करते हैं और वाहिका संबंधित रोग की जांच करते हैं।
एस्पिरिन, इबुप्रोफेन, नेपरोक्सन सोडियम या ब्लड थिनर आदि जैसी दवाएं इलाज के दौरान या बाद में जटिलताएं पैदा कर सकती हैं, इसलिए आपको अपने डॉक्टर से इन दवाओं के बारे में ज़रूर बात करनी चाहिए। प्रक्रिया से पहले अपने पैरों पर किसी भी प्रकार की दवा न लगाएं। अस्पताल में अपॉइंटमेंट वाले दिन ढीले और आरामदायक कपड़े पहने, जिससे इलाज करना आसान हो जाए।
भोजन और जीवनशैली से जुड़े सुझाव
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आमतौर पर स्क्लेरोथेरेपी उन मामलों में सुझाया जाता है, जिसमें हल्के लक्षण दिखाई देते हैं और इस प्रकार के इलाज में एनेस्थीसिया या सुन्न करने की दवा की आवश्यकता नहीं होती है। प्रक्रिया के दौरान, रोगी को उनकी पीठ की तरफ लिटाया जाता है और ऑपरेशन वाले क्षेत्र को अल्कोहल से साफ किया जाता है, जिसके बाद स्क्लेरोथेरेपी में प्रयोग होने वाले घोल को डाला जाता है। सोल्युशन नसों के अस्तर को प्रभावित करता है, जिससे यह बंद हो जाता है और रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है।
कुछ समय बाद, नसें सिकुड़ जाती है और अदृश्य हो जाती हैं। जब नसें बड़ी होती है तो फोम जैसे घोल की आवश्यकता पड़ती है। घोल डालने के बाद कुछ लोगों को चुभन वाला दर्द या ऐंठन का अनुभव हो सकता है। एक बार प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, जल्द से जल्द ठीक होने के लिए डॉक्टर कम्प्रेशन पैड का प्रयोग करने की सलाह देते हैं। इससे रिकवर होने में बहुत सहायता मिलती है।
अधिकांश रोगी प्रक्रिया के तुरंत बाद चल फिर सकते हैं। इधर-उधर घूमना और हिलना-डुलना उनके लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, क्योंकि यह रक्त के थक्कों को बनने से रोकता है। मरीजों को सलाह दी जाती है कि वह रिकवरी में सुधार के लिए कम से कम दो सप्ताह तक कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स या टाइट बैंडेज पहनें।
मरीज प्रक्रिया वाले दिन से ही अपनी सामान्य गतिविधियां को फिर से शुरू कर सकते हैं, लेकिन उन्हें थोड़ा और सावधान रहना चाहिए और कम से कम कुछ हफ्तों के लिए उन गतिविधियों को करने से बचना चाहिए जिसमें ज्यादा जोर लगाना पड़े। धूप के संपर्क में आने से बचें क्योंकि इससे सूजन वाले क्षेत्र में काले धब्बे या कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है।
अधिकांश रोगी 3-6 सप्ताह के भीतर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, हालांकि बड़ी नसों को पूरी तरह ठीक होने में लगभग 3-4 माह लग सकते हैं। आमतौर पर, जिन नसों का इलाज किया गया है, वैसी स्थिति फिर से उत्पन्न नहीं होती है, लेकिन यदि रोगी अपनी देखभाल सही से नहीं करता है, तो नई वैरिकाज़ वेंस विकसित हो सकती हैं। यदि रोगी को एक से अधिक स्क्लेरोथेरेपी सत्रों की आवश्यकता होती है, तो दो सत्रों के बीच कम से कम छह सप्ताह प्रतीक्षा करने की आवश्यकता होती है।
आमतौर पर स्क्लेरोथेरपी एक सुरक्षित प्रक्रिया है, हालांकि, कुछ मामलों में, यह अस्थायी जटिलताओं को जन्म दे सकता है जैसे कि खरोंच, उभरे हुए लाल क्षेत्र, त्वचा पर घाव, त्वचा पर गहरा रंग (धब्बों के रूप में), छोटे लाल रक्त वाहिकाएं, आदि। यह दुष्प्रभाव कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों में कम हो जाते हैं। हालांकि, दुर्लभ मामलों में, रोगी दीर्घकालिक जटिलताओं से पीड़ित हो सकता है जैसे –
स्क्लेरोथेरेपी का प्रभाव अस्थायी और स्थायी दोनों हो सकता है, क्योंकि स्थायी रूप से मौजूद वैरिकाज़ वेंस से छुटकारा मिल जाता है, लेकिन सही से देखभाल न करने पर भविष्य में वैरिकाज़ वेंस के फिर से उत्पन्न होने की संभावना रहती है।
नहीं, गर्मी वासोडिलेशन का कारण बन सकती है, अर्थात रक्त वाहिकाओं का विस्तार हो जाता है। यह स्थिति स्क्लेरोथेरेपी के इलाज के बाद के प्रभावों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। रोगी को इलाज के बाद कम से कम एक सप्ताह तक हीट पैक के प्रयोग, गर्म पानी से नहाने, गर्म सेक लगाने आदि से बचने की सलाह दी जाती है।
स्क्लेरोथेरेपी वैरिकाज़ वेंस के उन मामलों में सुझाया जाता है, जिनमें इस समस्या के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं या त्वचा की सतह के करीब स्थित नसों में यह समस्या होती है। इस प्रकार, इसमें कोई कट या चीरा नहीं लगाया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद अधिक सौंदर्य परिणाम प्राप्त होते हैं।
नहीं, ज्यादातर मामलों में, वैरिकाज़ वेंस के इलाज के कुछ दिनों बाद इस प्रक्रिया के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।
चलने से नसों के माध्यम से रक्त के प्रवाह को बढ़ावा मिलता है और रोगियों को ऑपरेशन के तुरंत बाद ही चलने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर इसके लिए आपको सुझाव देंगे कि आप हर 10 से 15 मिनट के बीच चलने का प्रयास करें।