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सफेद मोतियाबिंद: कारण, लक्षण, इलाज

यदि आप सफेद मोतियाबिंद से निदान,उपचार एवं ऑपरेशन की सम्पूर्ण जानकारी लेना चाहते हैं तो प्रिस्टीन केयर के नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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सफेद मोतियाबिंद क्या है, इसका इलाज क्यों जरूरी है?

सफेद मोतियाबिंद में मरीज की आंख की लेंस में सफेद रंग की परत बन जाती है जो बिल्कुल क्लाउड जैसी दिखाई देती है। यह बिल्कुल कठोर होती है। सामान्य मोतियाबिंद में आंख सामान्य दिखाई देती है। लेकिन, सफेद मोतियाबिंद में आपकी  आंख की पुतली का रंग हल्का नीला रह सकता है। 

सफेद मोतियाबिंद में नीला रंग लिक्विफाइड लेंस कॉर्टेक्स के कारण होता है, जिसके कारण मोतियाबिंद उभार ले लेता है।  सफेद मोतियाबिंद की प्रकृति नरम, दूधिया और भीतर की ओर जाने वाला होती है। इसमें न्यूक्लियर डेंसिटी अलग-अलग हो सकती है। इनका न्यूक्लियर स्केलेरोसिस बहुत ही उच्च और कठोर हो सकता है। 

यह अधिकतर बूढ़े लोगों में होता है। वहीं, नरम सफेद मोतियाबिंद अधिकतर कम उम्र वालों में होता है। स्लिट लैम्प की जांच के दौरान सफेद मोतियाबिंद पीले से भूरे रंग का दिखाई देता है।  

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सफेद मोतियाबिंद के लक्षण

सफेद मोतियाबिंद के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं।

  • इसमें आंखों की दृष्टि कम हो सकती है और वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं।
  • दृष्टि में धुंधलापन होने के साथ ही ब्लर्री विज़न की समस्या होती है।
  • रात में दृष्टि कमजोर होने की समस्या होती है, जिससे देखने में कठिनाई होती है।
  • बढ़ती हुई उम्र के साथ, प्रकाश में चमक की समस्या होती है, जिससे देखने में समस्या होती है।
  • चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना।
  • रंगो को पहचानने में समस्या होती है।

सफेद मोतियाबिंद का निदान और उपचार

  • सफेद मोतियाबिंद की जांच के लिए डॉक्टर मरीज की आंख की जांच करता है। इसमें आंखों में दबाव को मापने के लिए टोनोमेट्री टेस्ट और अन्य परिक्षण किए जाते हैं।
  • टोनोमेट्री टेस्ट में मरीज के कॉर्निया को फ़ैलाने के साथ उसमें फूंक मारी जाती है। इससे दर्द नहीं होता है।
  • इसमें चिकित्सक मरीज की आंखों में ड्रॉप डालते हैं, जिससे मरीज की पुतली बड़ी हो जाती है और मरीज की आंख के पीछे ऑप्टिक नर्व और रेटिना को हुए नुकसान आसानी से देखा जा सकता है। 
  • इसमें चिकित्सक कई टेस्ट कर सकते हैं। जैसे कि मरीज की तीव्र रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और रंगों को देख पाने का टेस्ट किया जाता है। 

सफेद मोतियाबिंद की सर्जरी कुछ इस प्रकार है

डॉक्टर मरीज को सर्जरी का सुझाव उस स्थिति में देता है जब रोजमर्रा की चीजों  जैसे पढ़ने, गाड़ी चलाने या टीवी देखने में समस्या होने लगे। सफ़ेद मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान, डॉक्टर सफेद परत वाले लेंस को हटा देता है और इसमें एक नया कृत्रिम लेंस लगा देता है। मोतियाबिंद को सर्जरी के माध्यम से आसानी से हटाया जा सकता है। यह बहुत सुरक्षित विकल्प है और इसकी सफलता दर भी काफी अच्छी है।

माइक्रो इंसिजन या रेग्युलर फैको कैटरेक्ट सर्जरी:  इसमें सर्जरी फोरसेप्स या मुड़ी हुई निडल की सहायता से की जाती है। इसमें वैक्यूम के माध्यम से लेंस को निकाल लिया जाता है। इसके बाद इसमें इंट्रा ऑक्युलर लेंस इम्प्लांट किया जाता है।

ज़ेप्टो मोतियाबिंद सर्जरी: इसमें जेप्टो कैप्सूलोटॉमी डिवाइस की सहायता से सर्जरी की जाती है। यह अन्य सर्जरी की तुलना में काफी सस्ती होती है। छोटी पुतली वाले लोगों के लिए फेमटो सेकंड लेज़र का उपयोग न करके जेप्टो कैप्सूलोटोमी डिवाइस का प्रयोग किया जाता है। इससे सफेद मोतियाबिंद की सर्जरी करना आसान हो जाता है। इसलिए ज्यादा जटिल सर्जरियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

ब्लडलेस फेम्टो रोबोटिक लेसर सर्जरी: इस सर्जरी में लेज़र बीम का प्रयोग किया जाता है। ये सर्जरी मंहगी होती है और इसमें समय भी ज्यादा लगता है।  इसके परिणाम अन्य सर्जरी की तुलना में काफी बेहतर मिलते है। ये सर्जरी 100% ब्लेड फ्री होती है इसीलिए इस सर्जरी में टांके नहीं लगते हैं।

सर्जरी के बाद प्रिस्टीन केयर द्वारा दी जाने वाली निःशुल्क सेवाएँ

भोजन और जीवनशैली से जुड़े सुझाव

Post-Surgery Follow-Up

मुफ्त कैब सुविधा

24*7 सहायता

भारत में सफेद मोतियाबिंद के लिए सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य केंद्र

प्रिस्टिन केयर भारत में एक सुरक्षित, विश्वसनीय और किफ़ायती स्वास्थ्य सेवा केंद्र है। प्रिस्टिन केयर किफायती दामों पर आंखों की सर्जरी उपलब्ध करता है। यहां पर यह भी प्रयास किया जाता है कि हमारी सेवा देश भर में हर किसी तक आसानी से पहुंच सके। हमारे पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित, अत्यधिक अनुभवी डॉक्टरों और नर्सों की एक टीम है जो मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता और कौशल का उपयोग करते हैं। हमारे उपचार के तरीके अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हैं और सफलता की अधिकतम दर सुनिश्चित करते हैं।

आपके पास दूसरों के मुकाबले सफेद मोतियाबिंद की सर्जरी करवाने के लिए प्रिस्टिन केयर को चुनने के कई कारण हैं। नीचे कुछ ऐेसे कारण बताए गए हैं, जिससे आपको पता चलेगा कि आपको प्रिस्टिन केयर को क्यों चुनना चाहिए:

अनुभवी सर्जन- प्रिस्टिन केयर के सभी आई सर्जन बोर्ड-प्रमाणित और उन्नत उपचार करने में अनुभवी हैं। आई सर्जन व्यापक उपचार प्रदान करते हैं और आपको कान के परदे में छेद के लिए आपके उपचार के बारे में बेहतर जानकारी देते हैं। साथ ही सर्जरी प्रक्रिया के बारे में सभी आवश्यक विवरणों के बारे में आपसे बात करते हैं।

मेडिकल इंश्योरेंस अप्रूवल- प्रिस्टिन केयर में बीमा विशेषज्ञों की एक इन-हाउस टीम मौजूद है। यह टीम मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम की कागजी कार्रवाई के दौरान मरीजों की सहायता करती है। प्रत्येक मरीज की बीमा पॉलिसी दूसरे से अलग होती है। यहां पर बीमा से आपको अधिक लाभ मिल सके, इसके लिए सर्वोत्तम सहायता प्रदान की जाती है।

जांच में छूट- हम जानते हैं कि उपचार के दौरान लोगों के काफी पैसे खर्च हो जाते हैं। हमारे यहां उपचार के दौरान की जाने वाली जांच के लिए 30% छूट प्रदान की जाती है।

भुगतान के विकल्प- प्रिस्टिन केयर सफेद मोतियाबिंद के उपचार के लिए भुगतान विकल्प उपलब्ध कराता है। यहां पर आप नकद या किसी भी कार्ड से भुगतान कर सकते हैं। प्रिस्टिन केयर उपचार के बाद भुगतान के लिए बिना ब्याज वाली ईएमआई मुहैय्या करता है।

निःशुल्क कैब सेवा- प्रिस्टिन केयर सफेद मोतियाबिंद सर्जरी के दिन प्रत्येक मरीज को उसके घर से लाने और वापस उसको घर तक छोड़ने के लिए निःशुल्क परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराता है।

निःशुल्क परामर्श- रिकवरी उपचार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके लिए मरीज को निःशुल्क आहार चार्ट उपलब्ध कराया जाता है। ताकि सर्जरी कराने वाले मरीज आसानी से और तेजी से ठीक हो सकें। 

सफेद मोतियाबिंद की सर्जरी कब आवश्यक होती है

आमतौर पर सफेद मोतियाबिंद आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन जब आपकी दिनचर्या में परेशानी होने लगती है तो समय रहते मोतियाबिंद की सर्जरी करा लेनी चाहिए। इसके पकने का इंतज़ार न करें। क्योंकि पकने के बाद सर्जरी करना और मुश्किल हो जाता है। दोनों आंखों की सर्जरी एक साथ नहीं कराना चाहिए। दोनों आंखों की सर्जरी के बीच कुछ अंतर रखना चाहिए। 

सफेद मोतियाबिंद से बचाव

नीचे कुछ सुझाव बताए गए हैं, जिनको अपनाकर आप सफेद मोतियाबिंद से बच सकते हैं। 

  • अगर आपकी उम्र 40 साल के ऊपर है तो नियमित आंखों की जांच करानी चाहिए।
  • सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मोतियाबिंद को विकसित करने में मदद करती हैं। इसीलिए जब भी बाहर धूप में निकलें तब सनग्लास का इस्तेमाल करें। इससे अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों तक नहीं पहुंचेगीं।
  • शुगर या अन्य स्वास्थ्य संबंधी वाले लोगों में मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है। इसकी जांच कराएं।
  • अपने वजन को नियंत्रण में रखें। 
  • फलों और हरी सब्जियों का सेवन  अधिक करें। इनमें कई सारे एंटी-ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते है, जो आंखों को स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • बेहतर होगा कि शराब और धुम्रपान का सेवन कम से कम करें।

सफेद मोतियाबिंद के प्रमुख कारण

सफेद मोतियाबिंद का आंखों में सफेद रंग की परत जम जाती है। इसके कुछ अन्य मुख्य कारक निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • सफेद मोतियाबिंद का सबसे आम कारण उम्र है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इंसान के लेंस में भी परिवर्तन होने लगते हैं, जिससे लेंस का कच्चा ऊतक काला होता है।
  • सफेद मोतियाबिंद की समस्या उन लोगों में अधिक होती है जो ज्यादातर समय स्क्रीन पर गुजारते हैं।
  • धूप में अधिक समय बिताने वाले लोगों के लिए भी सफेद मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी सफेद मोतियाबिंद का कारण बन सकती है।
  • शुगर से पीड़ित लोगों को मोतियाबिंद होने की संभावना ज्यादा होती है।
  • सफेद मोतियाबिंद आंखों में सूजन या चोट लगने से भी हो सकता है।
  • शराब और धुम्रपान का अधिस सेवन करने वाले लोगों को भी मोतियाबिन्द हो सकता है।

सर्जरी के बाद रिकवरी कितने दिन में होती है?

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद मरीज को पूरी तरह ठीक होने में 4 से 6 सप्ताह लगते हैं। इस अवधि के दौरान, आपकी दृष्टि में थोड़ा उतार-चढ़ाव हो सकता है। क्योंकि कॉर्निया अपने चीरे से ठीक हो जाता है और लेंस प्रत्यारोपण आंख में बस जाता है। हालांकि, सर्जरी के कुछ दिनों के भीतर, अधिकांश लोग बेहतर तरीके से देखने का आनंद ले सकते हैं। ऑपरेशन के बाद की रिकवरी के दौरान, अपने सर्जन के निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है। इसमें आंख को साफ और सुरक्षित रखना व चोट लगने के जोखिम वाले कठोर काम या गतिविधियों से बचना शामिल है।

सर्जरी में जोखिम और जटिलताएं

उम्र- कुछ लोगों में उम्र के बीच के पड़ाव (40 और 50 वर्ष) के दौरान मोतियाबिंद सो सकता है। लेकिन, इस दौरान यह बहुत छोटा होता है। 60 साल की उम्र के बाद यह आंखों को प्रभावित करने लगता है। 75 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग आधे लोगों को मोतियाबिंद होता है।

लिंग- पुरुषों की तुलना में, महिलाओं को मोतियाबिंद होने का जोखिम ज़्यादा होता है।

पारिवारिक इतिहास- कई बार ऐसा होता है कि अगर आपके परिवार में पहले किसी को मोतियाबंद हो चुका है तो आपको मोतियाबिंद होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

मधुमेह और अन्य चिकित्सक परिस्थितियां- टाइप 1 या टाइप 2 मधुमेह से ग्रस्त लोगों को मोतियाबिंद होने का जोखिम बहुत ज़्यादा होता है। क्योंकि मोतियाबिंद ज़्यादा रक्त शर्करा से सम्बंधित है। जिन लोगों को निकट की दृष्टि की समस्याएं हैं उन्हें मोतियाबिंद होने का खतरा ज़्यादा है। आंख में चोट या सूजन इसके जोखिम को बढ़ा सकता है।

सूर्य के प्रकाश का ज़्यादा अनावरण- अधिक समय तक धूप में रहना मोतियाबिंद के जोखिम को बढ़ा देता है। कम उम्र के वो लोग भी इसका शिकार हो जाते हैं जो अधिक समय तक धूप में रहते हैं। 

सिगरेट व शराब- मोतियाबिंद का खतरा उन लोगों को अधिक होता है जो धूम्रपान करते हैं। ज़्यादा शराब पीने वाले लोगों को आंखों के विकार होने का खतरा होता है, जिसमें मोतियाबिंद भी आता है।

पर्यावरण कारक- पर्यावरण की खराब स्थिति में जो लोग लंबे समय तक रहते हैं उनमें मोतियाबिंद होने का जोखिम बढ़ जाता है। एक्स-रे जैसी विकिरणों के संपर्क में लंबे समय तक रहने से भी मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है।

सर्जरी के बाद पूछे जाने वाले प्रश्न

सर्जरी के बाद क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

सर्जरी होने के बाद जल्द ही आप चलने, पढ़ने, लिखने और टीवी देखने जैसे कार्य कर सकते हैं। सर्जरी के पहले सप्ताह में थकाने वाले कार्य न करें तो ज्यादा बहतर है। कुछ मरीजों को सर्जरी के तुरंत बाद साफ़ दिखने लगता है कुछ को एक दो दिन का समय लग जाता है।

क्या मोतियाबिंद सर्जरी बीमा के अंतर्गत आती है?

जी हां, मोतियाबिंद की सर्जरी आम तौर पर अधिकांश बीमा योजनाओं द्वारा कवर की जाती है। हालांकि, कवरेज की सीमा आपकी बीमा पॉलिसी पर निर्भर करेगी। आपको कितना बीमा मिल सकता है इसके लिए आप अपने बीमा प्रदाता से जांच कर सकते हैं। यदि आप प्रिस्टिन केयर में हमसे उपचार प्राप्त करते हैं और आपकी बीमा योजना उपचार की लागत को कवर कर रही है, तो हमारी टीम आपकी बीमित राशि का दावा करने में आपकी सहायता करेगी और आपको उपचार के लिए तैयार होने के लिए स्वतंत्रता देगी।

मोतियाबिंद सर्जरी की सफलता दर कितनी है?

आपको जानकर खुशी होगी कि मोतियाबिंद सर्जरी न केवल दर्द रहित है। बल्कि यह जल्दी ठीक हो जाती है। इसकी सफलता दर 97-98% है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह एक आम सर्जरी है, जिसमें बहुत कम संभावित जटिलताएं शामिल हैं।

सर्जरी की प्रक्रिया कितनी लंबी है?

आपका नेत्र सर्जन संभवतः आपको मोतियाबिंद सर्जरी के लिए क्लिनिक में 2 घंटे तक का समय देने के लिए कहेगा । हालांकि, आपकी आंखों पर काम करने में लगने वाला वास्तविक समय इससे बहुत कम है। यदि आपका मामला उचित रूप से सीधा है और सर्जरी के दौरान जटिलताओं का कारण बनने वाले कोई ज्ञात कारक नहीं हैं, तो यह प्रत्येक आंख के लिए 10 मिनट में ही पूरा हो सकता है।

क्या स्वास्थ्य बीमा में मोतियाबिंद की सर्जरी को कवर किया जाता है?

जी हां, भारत में अधिकतर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च कवर किया जाता है। लेकिन, मोतियाबिंद सर्जरी का कवरेज एक रोगी से दूसरे रोगी के लिए भिन्न हो सकता है, जो कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें ऑपरेशन में उपयोग किए जाने वाले लेंस का प्रकार, मोतियाबिंद हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी का प्रकार, आपके द्वारा ली गई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रकार इत्यादि शामिल है।

क्या मोतियाबिंद से छुटकारा पाने का कोई प्राकृतिक तरीका है?

मोतियाबिंद का कोई प्राकृतिक इलाज नहीं है। प्रिस्टीन केयर के नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, कोई भी अध्ययन यह साबित नहीं कर पाया है कि मोतियाबिंद को कैसे रोका जाए या उनकी प्रगति को धीमा कैसे किया जाए। लेकिन कुछ स्वस्थ जीवनशैली अभ्यास आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं। आंखों की नियमित जांच और मोतियाबिंद का ऑपरेशन आपको साफ देखने में मदद कर सकता है।